Pages

Thursday, February 16, 2017

Vikas Agarwal is member of making Space rocket team



पिछले साल तक किराने की दुकान चलाते थे विकास। अब स्पेस रॉकेट मेकिंग टीम के हैं मेंबर।

रायपुर.छत्तीसगढ़ के छोटे से शहर कोरबा के गांव में किराने की दुकान चलाने वाले एक युवक ने मेहनत के दम पर ऊंची उड़ान भरने का सपना देखा। इसके लिए उसने इसरो का एग्जाम दिया और पांचवीं रैंक हासिल कर साइंटिस्ट बने। बुधवार को इसरो ने जिस रॉकेट से 104 सैटेलाइट भेजकर रिकार्ड बनाया, उसे बनाने में इस युवक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

-काेरबा शहर के बालगी इलाके में पुश्तैनी किराना दुकान चलाने वाले विकास अग्रवाल ने मेहनत के दम पर ऊंची उड़ान भरी है।

-6वीं कक्षा से किराना दुकान में लोगों को सामान बेचते हुए खाली समय में सेल्फ स्टडी करने वाले विकास ने साइंटिस्ट बनने का सपना देखा था।

-लगातार कड़ी मेहनत के दम पर पिछले साल वो सपने को हकीकत में बदलने में कामयाब रहे। अब वे इसरो में साइंटिस्ट हैं।

-इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बुधवार को एक साथ 104 उपग्रह लॉन्च कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। पीएसएलवी 37 के तहत यह उपग्रह लॉन्च किए गए।

-देश की साख बढ़ाने वाले इस मिशन में प्रदेश के 26 साल के यंग साइंटिस्ट विकास अग्रवाल का भी कॉन्ट्रीब्यूशन रहा है।

-विकास इन दिनों इसरो के त्रिवेंद्रम सेंटर में हैं। यहां सैटेलाइट को लेकर जाने वाले रॉकेट तैयार किए जाते हैं।

-सिक्योरिटी रीजंस के चलते विकास ने अपना एक्जेक्ट वर्क शेयर करने से असमर्थता जताई।

-इस मिशन में विकास का रोल ऐसे समझ सकते हैं कि रॉकेट का वो ऊपरी हिस्सा जहां सैटेलाइट कैरी किया जाता है उसे तैयार करने के प्रोजेक्ट में वे शामिल थे।

इसरो ने अपनी धमक और मजबूत कर ली

-विकास ने बताया कि सभी उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी 37 ने श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से उड़ान भरी।

-इसके करीब 17 मिनट बाद रिमोट-सेंसिंग कार्टोसेट-2 को कक्षा में स्थापित कर दिया गया।

-इसरो ने करीब 28 मिनट के अंदर सभी 104 सैटेलाइट को अपनी-अपनी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।

-इसी के साथ वर्ल्ड स्पेस साइंस में इसरो ने अपनी धमक और मजबूत कर ली।

ऐसे पहुंचे इसरो तक

-दुकान में मिलने वाले खाली समय के अलावा विकास रोज देर रात तक पढ़ाई करते। नतीजतन, 12वीं में 89 परसेंट लाने में कामयाब रहे।

-इसी दौरान उन्होंने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग यानी गेट दिया। देशभर में 1600 रैंक आई, लेकिन घरवालों ने दूर रहकर पढ़ने की अनुमति नहीं दी।

-घरवालों से कुछ भी शेयर किए बिना विकास साइंटिस्ट बनने की तैयारियों में जुटे रहे। इसरो के एग्जाम के बारे में पता चला और भर दिया फॉर्म।

-साल 2014 में इसरो का टेस्ट दिया, मगर कामयाबी नहीं मिली। निराश होने के बजाय खामियां सुधारकर दोगुने जोश से तैयारी की और साल 2015 में फिर एग्जाम दिया।

-अक्टूबर 2015 में हुए रिटन एग्जाम में देशभर से शामिल दो लाख युवाओं में विकास ने ऑल इंडिया टॉप -5 रैंक हासिल की।

-साइंटिस्ट की इस पोस्ट के लिए विकास सहित 300 लोगों को फरवरी 2016 में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, जिसमें विकास चुन लिए गए।

साभार दैनिक भास्कर 




No comments:

Post a Comment

हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।