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Tuesday, September 12, 2017

RITU MAHESHWARI IAS - देश में अरबों रुपयों की बिजली चोरी रोकने का रास्ता दे गई यह महिला आईएएस


गाजियाबाद की डीएम रितु माहेश्वरी।

देश में हर साल करीब 64,000 करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो जाती है। रितु माहेश्वरी नाम की एक महिला नौकरशाह सरकारी खजाने को हो रहा इतना बड़ा नुकसान रोकने में दिलोजान से जुट गईं। साल 2011 में उनकी नियुक्ती कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ कंपनी में हुई। तब से उन्होंने कंपनी के एक तिहाई ग्राहकों के यहां नए स्मार्ट मीटर लगा दिए। ये मीटर बिजली खपत को डिजिटली रिकॉर्ड करते हैं जिससे बिजली वितरण प्रणाली में पल-पल हो रहे घपले उजागर हो रहे हैं। लेकिन, महज 11 महीने के बाद ही उनका ट्रांसफर गाजियाबाद हो गया।

पिछले छह साल से भ्रष्टाचार और स्त्रि विरोधी माहौल के खिलाफ जंग लड़ रही 39 साल की रितु बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी को रोकने के लिए टेक्नॉलजी की जरूरत पर जोर दे रही हैं। कुछ दिनों पहले तक वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारकर करोड़ों घरों, किसानों और फैक्ट्रियों को लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिशों को बल दे रही थीं।

उन्होंने बताया, 'मैंने बिजली चोरी करनेवाले ग्राहकों के विरोध के बावजूद 5 लाख में से 1 लाख 60 हजार मीटर बदल दिए। इससे शहर (कानपुर) में बिजली चोरी की घटना बहुत कम हो गई जो पहले 30 प्रतिशत थी।' बिजली मंत्रालय की वेबसाइट से पता चलता है कि रितु की रणनीति से कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ कंपनी या केस्को का वितरण घाटा आधा होकर 15.6 प्रतिशत पर आ गिरा।

बिजली चोरी के खिलाफ अभियान छेड़ने का नतीजा यह हुआ कि रितु बड़े-बड़े लोगों की नजरों में चढ़ गईं। कुछ नेता उनके दफ्तर में आकर धमकियां देने लगे। यहां तक कि उनके अपने ही स्टाफ बिजली चोरी की जांच की योजना पहले ही लीक कर देते थे। इससे बिजली चोर सर्च टीम के पहुंचने से पहले ही अवैध कनेक्शन उतार लेते।

उन्होंने कहा, 'जो कदम उठाए जा रहे थे, उससे छोटे-बड़े स्टाफ सारे स्टाफ खुश नहीं थे, वह चाहे नए मीटर लगाने की बात हो या छापेमारी की। हमारे लोग ही बिजली चोरों को राज बता देते थे।' रितु माहेश्वरी कहती हैं, 'लोगों को लगता था कि मुझे इसलिए आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है या बहकाया जा सकता है क्योंकि उनकी नजर में एक महिला को बिजली और जटिल ग्रीड्स के बारे में कुछ पता नहीं होता।'

साल 2000 में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने 2003 में आईएएस जॉइन कर ली। जुलाई 2017 तक वह केंद्र सरकार के बिजली मंत्रालय के अधीन ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की कार्यकारी निदेशक रहीं। इस दौरान वह उस कार्यक्रम से जुड़ी रहीं जिसका मकसद अन्य माध्यमों के साथ-साथ तकनीक के इस्तेमाल से साल 2019 तक कुल टेक्निकल और कमर्शल लॉस घटाकर औसतन 15 प्रतिशत पर लाना है, ताकि बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारा जा सके। पिछले सप्ताह उन्हें गाजियाबाद का डीएम बना दिया गया है। रितु कहती हैं, 'अगला दो साल बहुत महत्वूर्ण है क्योंकि कई राज्यों को मौजूदा कमजोर मीटरिंग व्यवस्था से स्मार्ट मीटरिंग सिस्टम में शिफ्ट होना है।'

गौरतलब है कि बिजली वितरण कंपनियां और सरकारें डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही हैं। नई दिल्ली में बिजली वितरण करनेवाली कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लि. मार्च 2018 से एक साल के अंदर 2.5 लाख स्मार्ट मीटर लगाएगा। कंपनी का लक्ष्य 2015 तक 18 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का है। इधर, सरकार ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के लिए 50 लाख स्मार्ट मीटर खरीदने का पहला टेंडर निकल चुका है। देश में ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम संचालित करने की जिम्मेदारी वाली सराकारी एजेंसी एनर्जी एफिशंसी सर्विसेज लि. स्मार्ट मीटर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोलियां मंगवाने जा रही है।

दरअसल, मोदी सरकार पांच सालों में पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन इंडस्ट्री में करीब 3 लाख 30 हजार करोड़ रुपये निवेश करने पर विचार कर रही है। बिजली उपकरण बनानेवाली फ्रांसीसी कंपनी की भारतीय यूनिट स्नेइडर इलेक्ट्रिक के मुताबिक, भारत में अब तक कुल बिजली खपत के महज 10 प्रतिशत हिस्से का ही डिजिटाइजेशन हो पाया है। कंपनी के वाइस प्रेजिडेंट और एमडी प्रकाश चंद्राकर ने कहा, 'एक राज्य बिजली वितरण कंपनी ने मुझसे कहा कि ग्रामीण इलाकों में उनका ट्रांसमिशन और कमर्शल लॉस 25 से 30 प्रतिशत है, जिसमें 1 प्रतिशत की भी कटौती हो जाए तो उनका करीब 12 हजार करोड़ रुपये बच सकता है।' 

साभार: नवभारत टाइम्स 


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