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Saturday, September 13, 2025

AMBANI ADANI - "अडानी" ओर "अंबानी" जिस जिस व्यापार मे आये, विदेशी कंपनियों की बैंड बजा दी

AMBANI ADANI - "अडानी" ओर "अंबानी" जिस जिस व्यापार मे आये, विदेशी कंपनियों की बैंड बजा दी


बस यही कारण है की इन विदेशी एजेंटों द्वारा अपने ही देश का बहिष्कार हो रहा है। जरा सोचो "Jio" के आने से पहले कितनी लूट थी ?
 
जब "अडानी एग्रो " शुरू हुआ तो "पेप्सिको" डोमीनोज " वोलमार्ट" ओर मैकडोनाल्ड को क्या तकलीफ ? वो तो सालों से बड़े बड़े गोदाम लेकर बैठे है। रिलायंस रिटेल से अमेजन और फ्लिपकार्ट को टक्कर मिल रही है । दुनिया को "5G" टेक्नोलॉजी चीन दे रहा है भारत मे भी करोड़ों इन्टरनेट ग्राहक है परन्तु जैसे ही "रिलायंस Jio " ने ये टेक्नोलॉजी विकसित की तो ये "विदेशी एजेंटो" ने बहिष्कार चालू किया ।

क्या अडानी, अंबानी आपसे जबरदस्ती कर रहाँ है ? दूसरी कंपनी से मंहगा है ? तो सस्ता वाला ले लो। 20 रुपये लीटर पेप्सी का पानी जो फाइव स्टार होटल में 200 से 250 रुपये लीटर मिलता हैं, हमें पसन्द है। ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार वाले। तो अपने ही देश का बहिष्कार क्यूँ ?

पतंजलि वाला आपको जबरदस्ती कोई प्रोडक्ट नहीं बेचता, हा वो HUL, COLGATE, ITC जैसी विदेशी कंपनियों को टक्कर जरुर देता है फिर नफरत क्यों, दुष्प्रचार क्यों ?
 
ये विदेशी कंपनीयां भारत से अरबों, खरबो रुपये का बिजनेस करती है हर महीने करोड़ो के विज्ञापन मीडिया को देती है तो क्या वो देशी कंपनियों को बदनाम करने के लिए कुछ करोड़ इन नेताओं ओर लीडरों को नहीं दे सकती ? इन विपक्षी समर्थक सिर्फ मोदी विरोध के चक्कर मे अपने ही देश का बहिष्कार क्यों करते है ?

क्या" अडानी " ओर " अंबानी " नरेन्द्र मोदी ( 2014 ) के आने के बाद ही बिजनेस मैन बने ? पहले भिखारी थे ? अपनी इस सोच से दरअसल लोग विदेशी ताकतो के एजेंडे को बढा़ रहे हैं।।

*अपने ही देश का नुकसान कर रहे हो। तुम ही हो जो स्वदेशी भारत का विरोध कर रहे हो कहेते हो रुपया कमजोर क्यों हो रहाँ है* । याद है यही " अडानी " ओर "अंबानी " का बहिष्कार सबसे पहले एक तथाकथित नेता  ने " राफेल" सौदे को अटकाने के लिये किया था फिर झूठ फैलाने के लिए कोर्ट मे मांफी मागी थी। फिर ये विरोध शाहीनबाग मे हुआ बताओ "CAA" से इनको क्या लेना-देना ?

वामपंथी संगठन, कांग्रेस समर्थन कर रहे है ओर कुछ अक्ल के अंधे इसे " मोदी विरोध " समझकर अफवाहों को हवा देते है ।। यह जो सरकार इतनी योजनायें चला रही है, यह पैसा टैक्स से ही आता है। हमारे देश की कम्पनियाँ आगे बढ़ेंगी तो देश का पैसा देश में रहेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
 
बाकी आपकी मर्जी। सभी लोग समझदार हैं।
कोका कोला 1980 मे भारत में आया और 11 soft drink Indian/other brands पर कब्जा कर लिया बाकी को Pepsi ने ले लिया ! कोई विरोध कोई शोर नहीं !
अमेजन लगभग हर शहर के बिजनेस व धर्म पर हमला कर रहा है ! कोई विरोध कोई शोर नहीं
Blue Dart, DHL & FedEx जैसी कूरियर सर्विस आई और अपने जहाज भी लाई । अब पूरे व्यवसाय पर कब्जा कर लिया ! कोई विरोध कोई शोर नहीं ।
चीनी और कोरियाई मोबाइल भारत में छा गये ! सबने लपालप खरीदा! कोई विरोध, कोई शोर नहीं !
Nestle, Maggi, ITC, Pepsi, ने फार्म सेक्टर मे प्रवेश किया ! कोई विरोध, कोई शोर नहीं !
Vehicles mfg industry, two wheelers, वाहन और स्कूटर उद्योग में Honda, Hyundai इत्यादि ने अपना वर्चस्व जमाया जबकि हमारे उद्योग काफी थे ! कोई विरोध कोई शोर नहीं !
लेकिन भारत के अडानी, अंबानी जैसो के कृषि क्षेत्र में प्रवेश पर अचानक विरोध क्यों ? क्या वे जबरन हमारी फसल खरीद सकते हैं, कभी सोचा ? नहीं ! क्या पतंजलि भारत के लिए खतरा है ?
कोई भी कंपनी/व्यक्ति किसी किसान से उसकी जमीन जबरन नहीं ले सकता या ऐसी पैदावार फसल नहीं ले सकता जिसमें किसान की अनुमति नहीं है ! तो चीख पुकार क्यों ?
अचानक भारतीय कंपनी का ही विरोध क्यों ?
जबकि विदेशी कंपनियाँ बहुत समय से कई क्षेत्रों मे उत्पादन कर रही हैं ! क्या यह साधारण सामान्य ज्ञान की कमी की वजह से नहीं है ? या किसी कुटिल, योजनाबद्ध तरीके से भारत में अशांति फैलाकर विभाजित करने की प्रकिया का अंग है ?

AKASH BANSAL IAS - आकाश बंसल ने यूपीएससी को नई ऊंचाइयों पर कैसे पहुंचाया

AKASH BANSAL IAS - आकाश बंसल ने यूपीएससी को नई ऊंचाइयों पर कैसे पहुंचाया

जहां कभी नशे का साया था, वहां अब ज्ञान की रौशनी है।
यह कहानी है IAS आकाश बंसल की, जिन्होंने UPSC तीन बार पास कर मानसा के युवाओं को नशे से निकालकर शिक्षा की राह दिखाई।
उन्होंने 22 गांवों में आधुनिक लाइब्रेरी बनाईं—जहां किताबें, वाई-फाई और सीखने का माहौल है। यह बदलाव सिर्फ एक अफसर का काम नहीं, एक मिशन है।
जानिए आकाश बंसल की उस यात्रा के बारे में जिससे उन्होंने पंजाब के गांवों में एक नया सकारात्मक परिवर्तन को जन्म दिया।


यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को अक्सर दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसे एक बार भी पास करना एक बड़ी उपलब्धि होती है, लेकिन आकाश बंसल ने सभी बाधाओं को पार करते हुए इसे एक बार नहीं, दो बार नहीं, बल्कि तीन बार पास किया। कड़ी मेहनत, सोच-समझकर जोखिम उठाने और अत्यधिक एकाग्रता की कहानी, आकाश का सफ़र जितना अनोखा है, उतना ही प्रेरणादायक भी है।

पंजाब कैडर के 2019 बैच के अधिकारी, आकाश बंसल एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए स्टार्टअप्स की दुनिया में कदम रखा। लेकिन जनसेवा का आह्वान उनके लिए और भी प्रबल हो गया। 2016 में, उन्होंने पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और अखिल भारतीय स्तर पर 165वीं रैंक हासिल की। ​​उन्हें भारतीय राजस्व सेवा आवंटित की गई। कई लोगों के लिए, यह एक सपने के पूरा होने जैसा होता। आकाश के लिए, यह तो बस शुरुआत थी।


तीन प्रयास, तीन चयन: आकाश क्यों नहीं रुके?

शुरुआती सफलता के बावजूद, आकाश का मन आईएएस में रमा हुआ था। अगले साल, 2017 में, उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और अपनी रैंक 130वीं कर ली। इस बार, उनका चयन भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ। हालाँकि, उन्होंने एक साहसिक कदम उठाया; उन्होंने आईएफएस का प्रस्ताव ठुकरा दिया और आईआरएस में काम करते हुए अपने सपने को पूरा करने में लगे रहे।

उनकी मेहनत 2018 में रंग लाई जब उन्होंने 76वीं रैंक हासिल की और आखिरकार उन्हें आईएएस बना दिया गया। आज, वह पंजाब कैडर में हैं और मानसा ज़िले में अतिरिक्त उपायुक्त के पद पर तैनात हैं।

आकाश के सफ़र को सिर्फ़ कई विकल्प ही नहीं, बल्कि हर फ़ैसले के पीछे की दूरदर्शिता और दृढ़ता भी उल्लेखनीय बनाती है। एक आईआरएस अधिकारी के रूप में सेवा करते हुए पढ़ाई करना, काम के दबाव और परीक्षा की तैयारी में संतुलन बनाना, और कठिन फ़ैसले लेना, ये सब उनकी मुस्कान के पीछे छिपी मज़बूती को दर्शाते हैं।




ग्रामीण पंजाब के पुस्तकालयाध्यक्ष

आईएएस बनने के बाद, आकाश बंसल की ज़मीनी बदलाव के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें चर्चा में ला दिया। पंजाब का मानसा ज़िला, राज्य के कई अन्य हिस्सों की तरह, युवाओं में नशे की बढ़ती समस्या से जूझ रहा था। आकाश ने एक कमी देखी और उसे ज्ञान से भर दिया।

उनका समाधान क्या है? ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक पुस्तकालयों की स्थापना?

ये आपकी आम लाइब्रेरियाँ नहीं हैं। कल्पना कीजिए: चमकदार, IKEA से सुसज्जित आंतरिक सज्जा, वाई-फ़ाई कनेक्टिविटी, कंप्यूटर, समाचार पत्र, चर्चा क्षेत्र और 250 लोगों तक के लिए पढ़ने की जगह। ये युवा लाइब्रेरियाँ सामुदायिक केंद्र बनने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। न केवल छात्रों के लिए, बल्कि महिलाओं, बुज़ुर्ग नागरिकों और ज्ञान के साथ सार्थक जुड़ाव चाहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए।

उन्होंने कहा, "ये पुस्तकालय ग्रामीण युवाओं को शहरी बच्चों जैसा ही माहौल और सुविधाएँ देने का हमारा तरीका हैं। यह उन्हें जगह, प्रेरणा और संघर्ष का मौका देने के बारे में है।"



ज्ञान की शक्ति से नशीले पदार्थों के विरुद्ध लड़ाई

आकाश की पहल की पृष्ठभूमि गहरी सामाजिक-राजनीतिक है। पंजाब की नशीली दवाओं की समस्या सिर्फ़ क़ानून प्रवर्तन का मामला नहीं है; यह अवसर और सहभागिता का संकट है। मानसा के गाँवों में ये पुस्तकालय खोलकर, आकाश एक सशक्त, दंड-मुक्त विकल्प – शिक्षा और समुदाय – प्रदान कर रहे हैं।

"उद्घाटन के दिन पूरा गाँव उमड़ पड़ता है। फिर धीरे-धीरे, छात्र नियमित रूप से आने लगते हैं - 100, कभी-कभी तो 150 छात्र प्रतिदिन। पुस्तकालय आस-पास के गाँवों से भी लोगों को आकर्षित करते हैं," उन्होंने इंडियन मास्टरमाइंड्स को बताया।

लचीला समय, ग्राम पंचायतों के माध्यम से स्थानीय प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी स्थिरता सुनिश्चित करती है। प्रत्येक पुस्तकालय अंततः स्थानीय हितधारकों को सौंप दिया जाता है, जिससे स्वामित्व और गौरव की भावना पैदा होती है।



प्रधानमंत्री के ग्रामोदय अभियान से प्रेरित

आकाश अपनी प्रेरणा का श्रेय खुले तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रामीण परिवर्तन के दृष्टिकोण को देते हैं। उनका उद्देश्य सबसे वंचित क्षेत्रों में 'शहरी-स्तरीय' सुविधाएँ पहुँचाना था—और ये पुस्तकालय तो बस एक शुरुआत हैं।

हर पुस्तकालय सिर्फ़ किताबों से भरा एक कमरा नहीं है। यह सशक्तिकरण का प्रतीक है, एक ऐसी जगह जहाँ युवा अपनी परिस्थितियों से परे सपने देख सकते हैं, और जहाँ समुदाय के सदस्य सीखने के आनंद को फिर से पा सकते हैं।

बैज से परे

आकाश बंसल का सफ़र बड़े सपने देखने और योजना बनाकर कड़ी मेहनत करने का सबक है। तीन बार यूपीएससी परीक्षा में सफल होने से लेकर प्रतिष्ठित सेवाओं को नकारने और अंततः अपने पद का उपयोग दूसरों के उत्थान के लिए करने तक, उनकी कहानी उद्देश्यपूर्ण दृढ़ता की कहानी है।

और जो लोग यह सोच रहे हैं कि क्या कोई सचमुच सरकारी सेवा में बदलाव ला सकता है, तो आकाश बंसल की ग्रामीण पुस्तकालय क्रांति इसका जवाब देती है: हां, स्पष्ट दृष्टिकोण और कार्य करने के साहस के साथ, कोई भी ऐसा कर सकता है।

IAS Kanchan Singla ने इस होनहार IAS से शादी के ग्राउंड्स पर बदला काडर

IAS Kanchan Singla ने इस होनहार IAS से शादी के ग्राउंड्स पर बदला काडर


भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की 2020 बैच की युवा अधिकारी कंचन सिंगला (IAS Kanchan Singla) ने अपना गुजरात काडर छोडक़र पंजाब काडर ले लिया है। कंचन ने काडर मैरिज ग्राउंड्स पर बदला है। कंचन पंजाब काडर के आईएएस आकाश बंसल (IAS Akash Bansal) से शादी करने जा रही हैं।

मूलत: सिरसा (हरियाणा) की कोर्ट कॉलोनी की रहने वाली कंचन (IAS Kanchan Singla) ने 2019 में यूपीएससी परीक्षा पास की। ऑल इंडिया 35वीं रैंक हासिल कर गुजरात काडर में मात्र 24 साल की उम्र में आईएएस बनीं कंचन के पिता अनिल सिंगल सीए हैं और मां प्रवीण सिंगला परिवार संभालती हैं। कंचन का छोटा भाई अनुज ग्रेजुएशन करके करियर बिल्डिंग में जुटा हुआ है। फिलहाल कंचन का परिवार पंचकुला में रहता है।

कंचन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली से डिग्री लेकर यूपीएससी की तैयारी करने लगी थी। 2018 में अपने पहले प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया रेलवे सर्विसेज (अलाइड) में जगह बनाई, लेकिन अगले साल फिर चांस लिया। इस बार उन्होंने बैच में 35वीं रैंक हासिल की। कंचन पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रही हैं। उन्होंने आठवीं तक सिरसा पढ़ाई की और नौंवी में परिवार पंचकुला आ गया, तो आगे की पढ़ाई यहां से की। 12वीं चंडीगढ़ के 16 सेक्टर के गवर्नमेंट मॉडल स्कूल से पास करके पांच वर्षीय लॉ डिग्री के लिए एडमिशन ले लिया। यूनिवर्सिटी में कंचन को 7 गोल्ड मैडल मिले और कंचन अपने बैच में टॉपर रही थी।

IAS Akash Bansal से कंचन कर रही हैं शादी


आईएएस आकाश बंसल (IAS Akash Bansal) 2019 बैच में चयन होकर पंजाब काडर में सेवाएं दे रहे हैं। फिलहाल आकाश एडीसी, संगरूर के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। आकाश बंसल का आईएएस में भले शुरुआती दौर है, लेकिन वह पंजाब काडर के चर्चित अधिकारियों में गिने जाने लगे हैं। आकाश बंसल (IAS Akash Bansal) वही आईएएस हैं, जिन्होंने पंजाब के डंपिंग याड्र्स को मिनी फॉरेस्ट में बदलने का यूनीक आईडिया दिया। आकाश ने पंजाब के मुलानपुर शहर में कचरे के डंपिंग यार्ड को मिनी फॉरेस्ट में तब्दील किया।

डंपिंग यार्ड को मिनी फॉरेस्ट में बदलते समय आकाश ने पहले चरण में 1000 पौधे लगवाएं, जिन्हें बाद में 10000 पौधों तक बढ़ाकर मिनी फॉरेस्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। आकाश के इस आईडिया में उनके एक सीनियर आईएएस रोहित मेहरा ने भी विशेष सहयोग किया। रोहित मेहरा 2006 बैच के आईएएस हैं और पूरे देश में अब तक अपने प्रयासों से करीब 80 से ज्यादा मिनी फॉरेस्ट विकसित कर चुके हैं। आकाश ने मिनी फॉरेस्ट के प्लान पर मुलानपुर के 10 स्कूलों के बच्चों को शामिल करते हुए प्लास्टि फ्री ड्राइव भी शुरू की।

आईएएस आकाश बंसल (IAS Akash Bansal) शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई और इनावेटिव आईडियाज पर काम करने के लिए पहचाने जाते हैं। सिविल सर्विसेज में आने से पहले आकाश आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग करके आईआईटी दिल्ली से एनर्जी पॉलिसी में मास्टर्स भी कर चुके थे। इंजीनियरिंग के साथ-साथ उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी की थी। अपने पहले ही प्रयास में 2016 बैच में उन्होंने यूपीएससी पास कर लिया था, लेकिन तब उनकी रैंक 165 थी। आईआरएस बन भी गए। हालांकि रैंक अच्छी थी, लेकिन आकाश को कम लगी, उन्होंने फिर 2017 में चांस लिया और 130वीं रैक हासिल कर आईएफएस में चयनित हुए। अपने तीसरे प्रयास में 2018 में आकश के 76वीं रैंक मिली और पंजाब काडर में आईएएस बनकर आए।

NEPAL RIOTES - भारतीय मूल के व्यापारी वैश्य समुदाय की संपत्तियों को निशाना बनाया

NEPAL RIOTES - भारतीय मूल के व्यापारी वैश्य समुदाय की संपत्तियों को निशाना बनाया 


 

AGROHA SHAKTIPEETH

AGROHA SHAKTIPEETH


 

Thursday, September 11, 2025

SAMUDRA GUPTA - A GREAT VAISHYA KING - Divine devotees of Haripriya Lakshmi

SAMUDRA GUPTA - A GREAT VAISHYA KING - Divine devotees of Haripriya Lakshmi

गुप्त राजवंश परम वैष्णव राजवंश था.. इनके राजाओं की उपाधि परम भागवत थी... इनका ध्वज गरुड़ ध्वज था.. इनका गोत्र धारण था जो आज भी अग्रवाल वंश में पाया जाता है... इसी  वैश्य राजवंश को भारत का स्वर्ण काल कहा जाता है.. इसी राजवंश में वैदिक सनातन धर्म ने उत्कर्ष प्राप्त किया... इसी राजवंश से सर्वप्रथम भारत में सोने के सिक्के चलाए.. यह भगवान श्रीहरि विष्णु और महालक्ष्मी के अनन्य भक्त थे... इन्होंने पूरे भारत में लक्ष्मी नारायण के भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया था... प्रसिद्ध नालंदा विश्विद्यालय इन्हीं गुप्तों ने बनवाया था जिनके ध्वज पर गरुड़ अंकित था... सम्राट समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है.. और इन्होंने ही शकों हूणों को काटकर भारत की सीमाओं की रक्षा सदियों तक की थी.

❤️ गुप्त राजवंश के सिक्कों पर भगवती महालक्ष्मी ❤️

समुद्र गुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर एक तरफ सम्राट समुद्र गुप्त और एक तरफ भगवती महालक्ष्मी थीं। जिस वंश में जन्में स्कन्दगुप्त को भारत का त्राता (saviour of India) कहा गया ❤️

वीर स्कन्दगुप्त के बारे में आचार्य वसुदेव शरण अग्रवाल ने लिखा है -

"रोमन साम्राज्य जैसे अनेकों साम्राज्यों को निगलने वाले, विदेशी शकों और हूणों का सामना जब स्कन्दगुप्त से हुआ तो मानों बाजी पलट गयी और स्कन्दगुप्त ने समरांगण में अकेले अपने पराक्रम से हूणों और शकों का सम्पूर्ण नाश किया भारत हिन्द केसरी की उपाधि पायी। अगर वीर स्कन्दगुप्त ना होते तो हम हूणों को नहीं पचा पाते हूण ही हमें पचा जाते।"

Monday, September 8, 2025

NEMA - VAISHYA BANIYA CASTE

NEMA - VAISHYA BANIYA CASTE

नेमा समुदाय भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में एक समृद्ध समुदाय है। इस समुदाय का इतिहास मुख्यतः किंवदंतियों और कुछ लिखित ग्रंथों पर आधारित है। बहुत कम जानकारी उपलब्ध है और न ही इसका कोई एकल स्रोत उपलब्ध है। यह वेबसाइट विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्र करने और संदर्भों व किंवदंतियों के माध्यम से उन्हें एक एकल सूचना स्रोत के रूप में एकीकृत करने का प्रयास करेगी।

नेमा समुदाय भारतीय उपजाति बनिया से संबंधित है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में एक व्यापारी और व्यापारिक समुदाय है।

नेमा उपनाम - उपयोग और उत्पत्ति


समुदाय आमतौर पर नेमा को उपनाम या दूसरे नाम के रूप में इस्तेमाल करता है। नेमा समुदाय के कुछ परिवार अपनी उपाधियों या क्षेत्रों के आधार पर अन्य उपनामों का भी इस्तेमाल करते हैं।

इंदौर क्षेत्र में समुदाय का एक बड़ा हिस्सा नीमा उपनाम का उपयोग करता है, वे खुद को नेमा समुदाय के बीसा समूह के रूप में पहचानते हैं।

इस समुदाय में प्रचलित मिथक के अनुसार, नेमा उपनाम उनके पूर्वज, राजा निमि से आया है। निमि को विदेह साम्राज्य का पहला राजा माना जाता है और वे मिथिला के जनक वंश से संबंधित थे। निमि मनु के पौत्र और इक्ष्वाकु के पुत्र थे।

इसी वंश के कारण, प्राचीन काल में नेमाओं को राजपूत माना जाता था, हालाँकि हज़ारों साल पहले भगवान परशुराम के साथ युद्ध से बचने के लिए वे वैश्य (बनिया) समुदाय के व्यापारी बन गए थे।

नेमा शब्द का अधिक सटीक अर्थ है "वह जो आचार संहिता के अनुसार जीवन जीता है " , ये संहिताएं ऋषि भृगु द्वारा निर्धारित की गई थीं, हालांकि ये संहिताएं केवल मौखिक किंवदंतियों के रूप में ही उपलब्ध हैं।

इतिहास

इतिहास के अनुसार, नेमाओं की बड़ी उपस्थिति पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर, दमोह, नरसिंहपुर और सिवनी ज़िलों में देखी गई थी। उस समय नेमा मुख्यतः मध्य भारत में केंद्रित थे।
इसी नाम से इस क्षेत्र में बसने के बाद उन्हें बुंदेलखंडी के रूप में पहचाना जाने लगा, लेकिन उन्होंने मालवा क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना ली थी।

इसके परिणामस्वरूप, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड और मालवा क्षेत्र में अपनी व्यावसायिक बसावट के आधार पर नेमा दो अलग-अलग समूहों में विभाजित हो गए।

आज समुदाय के बुजुर्ग अपने इतिहास को भारत में राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा के आसपास के क्षेत्रों से जोड़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान व्यावसायिक आवश्यकताओं के कारण समुदाय विभाजित हो गया और वर्तमान नेमा समूह मध्य प्रदेश चले गए, जबकि एक अन्य समूह गुजरात चला गया। आज किंवदंतियाँ राजस्थान के बांसवाड़ा जैसे स्थानों से मौखिक इतिहास का पता लगाती हैं; समुदाय द्वारा प्रकाशित कुछ पुस्तकों में भी इसका उल्लेख है।

धर्म और विवाह

वे हिंदू हैं जो भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार की पूजा करते हैं और शुद्ध शाकाहारी हैं।
वे सभी हिंदू त्योहारों का पालन करते हैं और धार्मिक समारोहों और तीर्थयात्राओं में भाग लेते हैं।

विवाह का नियमन दो प्रमुख समूहों और गोत्रों के आधार पर किया जाता है, जिनके नाम स्पष्टतः नाममात्र या क्षेत्रीय होते हैं।

जाति

अन्य बनिया समूहों की तरह, नेमा भी बीसा, दासा और पाचा में विभाजित हैं। बीसा और दासा समूह एक साथ भोजन करते हैं, लेकिन कुछ अपवादों को छोड़कर आपस में विवाह नहीं करते। और वे बीसा और दासा समूह के अनुसार अपने विशिष्ट अनुष्ठान और सांस्कृतिक प्रथाओं का पालन करते हैं।

नेमा निम्नलिखित गोत्रों में विभाजित हैं -

1 सेठ Mordhwaj
2 Patwari Kailrishi
3 मालक Raghunandan
4 Bhoriya Vasantan
5 Khira Balanandan
6 Dyodiya Shandilya
7 चंदरहा संतनी, तुलसीनंदन
8 Dyodhar गर्ग
9 देखभाल नंदन
10 भंडारी Vijaynandan
11 Khaderha सनातननंदन
12 चौसा Shivnandan
13 किरमानिया कौशल
14 ओमान Vashishtha
15 टेटवाल्स हिंदू

पेशा

नेमा लोगों को व्यापार में रुचि रखने वाला माना जाता है और उनके बारे में एक कहावत है,

"जहाँ भेड़ चरती है या नेमा व्यापार करता है, वहाँ किसी और के लिए क्या बचता है?"

नेमा समुदाय अपनी बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता है। वे वकील, बैंकर, डॉक्टर, इंजीनियर, सॉफ्टवेयर पेशेवर और उद्यमी के रूप में काम करते हैं। हालाँकि पहले नेमा समुदाय की संख्या कम थी और आज भी वे लेखा और बहीखाता पद्धति में अपनी कुशलता के लिए जाने जाते हैं, आज भोपाल, इंदौर और जबलपुर क्षेत्र में कई नेमा चार्टर्ड अकाउंटेंट के पेशे का नेतृत्व कर रहे हैं।

कुछ नेमा समुदाय ने राजनीति में कदम रखा है और मालवा तथा बुंदेलखंड क्षेत्र में काफी सफल रहे हैं, हालाँकि अब वे मुख्य रूप से व्यवसाय और व्यावसायिक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

उपस्थिति

जिन कस्बों और गांवों में नेमा परिवार रहते हैं उनमें नरसिंहपुर, भोपाल, जबलपुर, इंदौर, सतना, सागर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी, भिलाई, रायपुर, करेली, गाडरवारा, अमरवाड़ा, आदेगांव, बेडू, मेख, सिघपुर, गोटेगांव, धमना, नादिया और उदयपुरा शामिल हैं। विदर्भ क्षेत्र में, जैन नेमा अमरावती, अकोला और नागपुर में कम संख्या में पाए जाते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर इसकी उपस्थिति दिल्ली, मुंबई, पुणे, बैंगलोर, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में देखी जाती है। इसका मुख्य कारण आईटी उद्योग में युवा आबादी है।

भारत के बाहर: अमेरिका में: न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, शिकागो, स्टैमफोर्ड, हार्टफोर्ड शहर, कैलिफ़ोर्निया राज्य का उल्लेख किया गया है। नेमा अब यूके, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में मौजूद हैं।

Wednesday, September 3, 2025

Sanjay Singhal, Took Over As Dg Of Sashastra Seema Bal

Sanjay Singhal,  Took Over As Dg Of Sashastra Seema Bal


भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के यूपी कैडर के 1993 बैच के अधिकारी, संजय सिंघल को सशस्त्र सीमा बल 'एसएसबी' का महानिदेशक बनाया गया है। इससे पहले संजय सिंघल, सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ' के विशेष महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। सशस्त्र सीमा बल के मौजूदा महानिदेशक अमृत मोहन प्रसाद ने प्रथागत बैटन संजय सिंघल, को प्रदान कर उन्हें बल के महानिदेशक का कार्यभार सौंपा।
 

संजय सिंघल, मूल रूप से गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। अपने सेवा काल के दौरान इन्होंने औरैया, बहराइच, हाथरस, उन्नाव, मैनपुरी, बस्ती, सुल्तानपुर, रायबरेली, शाहजहांपुर और मुजफ्फरनगर में बतौर पुलिस अधीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य करते हुए उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता, निर्णय कुशलता एवं लोक सहभागिता के माध्यम से कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया। इसके अतिरिक्त, पीएसी बटालियनों में कमांडेंट रहते हुए उन्होंने सुरक्षा एवं भीड़ नियंत्रण संबंधी दायित्वों का अत्यंत कुशलता एवं दक्षता से निर्वहन किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय, लखनऊ में भी कई वरिष्ठ एवं महत्वपूर्ण पदों जैसे आईजी टू डीजीपी, एडीजी टू डीजीपी, एडीजी क्राइम, एडीजी एस्टेब्लिशमेंट तथा एडीजी रेलवे लखनऊ जैसे पदों पर कार्य किया है।


केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में भी इनकी सेवाएं उल्लेखनीय रही हैं। आईटीबीपी में उप महानिरीक्षक के रूप में देहरादून सेक्टर हेडक्वार्टर एवं महानिरीक्षक के रूप में लखनऊ स्थित ईस्टर्न फ्रंटियर मुख्यालय का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। इसके बाद 5 दिसम्बर 2024 से वे विशेष महानिदेशक, सीमा सुरक्षा बल 'बीएसएफ', नई दिल्ली के रूप में प्रचालन और प्रशासन के स्तरों पर कार्य करते रहे हैं। 


संजय सिंघल, ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का गौरव बढ़ाया है। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में शामिल रहते हुए कोसोवो में भी इनका योगदान महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में दर्ज है। सिंघल को वर्ष 2009 में वीरता के लिए पुलिस पदक, वर्ष 2015 में राष्ट्रपति पुलिस पदक तथा कैथिन सेवा मेडल यूएन पीस कीपिंग मेडल–कोसोवो जैसे सम्मानित पदकों से अलंकृत किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त इनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए महानिदेशक प्लैटिनम डिस्क से भी सम्मानित किया गया है।

Monday, September 1, 2025

Radha ashtami : वैश्य परिवार में जन्मी, कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म

Radha ashtami : वैश्य परिवार में जन्मी, कैसे हुआ था राधा रानी का जन्म


भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जिक्र विष्णु, पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। राधा और रुक्मणि दोनों ही कृष्ण से उम्र में बड़ी थीं। मान्यता और किवदंतियों के आधार राधा के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। आओ जानते हैं कि राधा के जन्म और उनके माता पिता के बारे में।

1. पद्म पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक वैष्य गोप की पुत्री थीं। उनकी माता का नाम कीर्ति था। उनका नाम वृषभानु कुमारी पड़ा। बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। कुछ विद्वान मानते हैं कि राधाजी का जन्म यमुना के निकट स्थित रावल ग्राम में हुआ था और बाद में उनके पिता बरसाना में बस गए। लेकिन अधिकतर मानते हैं कि उनका जन्म बरसाना में हुआ था। हम इस किवदंती की पुष्टि नहीं करते हैं।

2. कहते हैं कि नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने 12 वर्षों तक तप करके ब्रह्म देव से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा था। इसी के परिणामस्वरूप द्वापर में ये दोनों वृषभानु और रानी कीर्ति नाम से जन्में और फिर दोनों पति पत्नी बने। कीर्ति के गर्भ से राधा का जान्म भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन हुआ। तब चारों ओर उल्लास का वातावरण निर्मित हो गया।

3. ब्रह्मवैवर्त पुराण की एक पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के साथ राधा गोलोक में रहती थीं। एक बार उनकी अनुपस्थिति में श्रीकृष्ण अपनी दूसरी पत्नी विरजा के साथ घूम रहे थे। तभी राधा आ गईं, वे विरजा पर नाराज होकर वहां से चली गईं। श्रीकृष्ण के सेवक और मित्र श्रीदामा को राधा का यह व्यवहार ठीक नहीं लगा और वे राधा को भला बुरा कहने लगे। राधा ने क्रोधित होकर श्रीदामा को अगले जन्म में शंखचूड़ नामक राक्षस बनने का श्राप दे दिया। इस पर श्रीदामा ने भी उनको पृथ्वी लोक पर मनुष्य रूप में जन्म लेने लेकर 100 वर्ष तक कृष्ण विछोह का श्राप दे दिया। राधा को जब श्राप मिला था तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि तुम्हारा मनुष्य रूप में जन्म तो होगा, लेकिन तुम सदैव मेरे पास रहोगी।

4. पद्मपुराण में भी एक कथा मिलती है कि श्री वृषभानुजी यज्ञ भूमि साफ कर रहे थे, तो उन्हें भूमि कन्या रूप में श्रीराधा प्राप्त हुई। यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार के साथ अन्य देवताओं ने भी अवतार लिया, वैकुण्ठ में स्थित लक्ष्मीजी राधा रूप में अवतरित हुई। यह भी कहा जाता है कि वृषभानु जी को एक सुंदर शीतल सरोवर में सुनहरे कमल में एक दिव्य कन्या लेटी हुई मिली। वे उसे घर ले आए लेकिन वह बालिका आंखें खोलने को राजी ही नहीं थी। पिता और माता ने समझा कि वे देख नहीं सकतीं लेकिन जब बाल रूप में श्री कृष्ण जी से उनका सामना हुआ तो उन्होंने आंखें खोल दीं।

5. ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड 2 के अध्याय 49 के श्लोक 39 और 40 के अनुसार राधा जब बड़ी हुई तो उनके माता पिता ने रायाण नामक एक वैश्य के साथ उसका संबंध निश्चित कर दिया। उस समय राधा घर में अपनी छाया का स्थापित करके खुद अन्तर्धान हो गईं। उस छाया के साथ ही उक्त रायाण का विवाह हुआ। इसी श्लोक में आगे बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की माता यशोदा का वह रायाण सगा भाई था, जो गोलक में कृष्ण का अंश और यहां यशोदा के संबंध से उनका मामा था। मतलब यह कि राधा श्रीकृष्ण की मामी थी। यशोदा जी भी वैश्य परिवार से थी और उनके पति नन्द राय जी भी वैश्य थे जैसा की पुरानो में कहा गया हैं यदि हम यह मानें कि श्रीकृष्ण यशोदा के नहीं देवकी के पुत्र थे तो फिर राधा उनकी मामी नहीं लगती थीं। रायाण को रापाण अथवा अयनघोष भी कहा जाता था। पिछले जन्म में राधा का पति रायाण गोलोक में श्रीकृष्ण का अंशभूत गोप था।