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Monday, May 5, 2025

VIJAYVARGEEY VAISHYA CASTE HISTORY AND GOTRA

VIJAYVARGEEY VAISHYA CASTE HISTORY AND GOTRA 

धनपाल वैश्य खंडेला जनपद (सीकर) के राजा के प्रधानमंत्री थे। उनकी चार संतानों से चार जातियाँ स्थापित हुईं- सुंडा से सरावगी, खंडा से खंडेलवाल, महेश से माहेश्वरी और विज से विजयवर्गीय। ये चारों जातियाँ अपनी उत्पत्ति खंडेला जनपद से बताती हैं, लेकिन कोई अन्य प्रमाण चार पुत्रों के सिद्धांत की पुष्टि नहीं करता। खंडेला के कुछ विद्वान इनकी उत्पत्ति दो भाइयों - खंडा और विज से मानते हैं। इन दोनों जातियों में 72-72 गोत्र हैं, जिनमें से दोनों जातियों के 13 गोत्रों में समानता है।

अभिलेखों में यह बात दर्ज है कि 363 ई. में कुंवर जयंत सिंह का अपने पिता, खंडेला जनपद के शासक के साथ कुछ मतभेद हो गया था। परिणामस्वरूप, कुंवर जयंत सिंह को शासक द्वारा निर्वासित करने का आदेश दिया गया था। राजा के प्रधानमंत्री के पुत्र विजा अपने 71 समर्थकों के साथ कुंवर जयंत सिंह के पीछे चले गए; उन्होंने अपना पहला पड़ाव जाखेड़ी में बनाया। वहाँ, उन्होंने एक योजना बनाई और रणथंभौर राज्य पर आक्रमण किया और राज्य को अपने अधीन करने में सफल रहे। अपने अनुयायियों की भक्ति और वीरता से बहुत प्रभावित होकर, कुंवर जयंत सिंह ने पूरे समूह को विजयवर्गीय नाम दिया।

ये 72 व्यक्ति मिलकर 72 कुलों के अग्रदूत बने। बाद में रणथम्भौर राज्य के अंतर्गत 100 और गोत्र भी उनके साथ जुड़ गए; इस प्रकार 72 गोत्रों की मूल संख्या समय के साथ 172 हो गई। वर्ष 1906-07 में पीठाशाह ने टोंक (राजस्थान) के पीपलू गांव में इस जाति के सभी गोत्रों का एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप 16 मंदिरों की नींव रखी गई। पीठाशाह द्वारा की गई पहल से अत्यधिक प्रभावित होकर, सम्मेलन में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों ने पीठाशाह को 'चौधरी' की उपाधि प्रदान की। 'राव' नामक विशेषज्ञों को उनकी जाति और गोत्रों का इतिहास और अभिलेख बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई।

विजयवर्गीयों के मुख्य गोत्र हैं: खूंटेटा, चौधरी, पटोदिया, कापड़ी, परवा, नायकवाल आदि। विजयवर्गीय मूलतः वैष्णव हैं, लेकिन कुछ जगह इनके शैव होने के भी उदाहरण मिलते हैं। अध्यात्म के क्षेत्र में भी विजयवर्गीयों को 'रामस्नेही संप्रदाय' का आशीर्वाद प्राप्त था; स्वामी श्री रामचरण जी महाराज इसके संस्थापक थे। पुरातत्व संबंधी अभिलेख इस बात के साक्षी हैं कि भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त 'मीराबाई' विजयवर्गीय जाति से थीं। श्री रामचरण जी महाराज के संरक्षण और प्रेरणा से विजयवर्गीयों ने सामाजिक संरचना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और धार्मिक क्षेत्र में भी अनेक यादगार कार्य किए। पुष्कर (अजमेर) में 'गिरधर गोपाल' का प्रसिद्ध मंदिर, जिसने मीराबाई को अमर कर दिया, इसी जाति की देन है।

Kuldevi List of Vijayvargiya Samaj विजयवर्गीय समाज के गोत्र एवं कुलदेवियां

Gotra wise Kuldevi List of Vijayvargiya Samaj : विजयवर्गीय समाज की गोत्र के अनुसार कुलदेवियों का विवरण इस प्रकार है –

सं.कुलदेवीउपासक सामाजिक गोत्र (Gotra of Vijayvargiya Samaj)

1.

अन्तहरे माता  नईवाल, नान्दन्या, पादडिय़ा, राजोरिया।

2.

अम्बिका/ अमवाय/ जमवाय/ जनकाय माताअमरियो,आमटा, आसोज्या, कटरिया, खुंवाल, दुग्गा, गढ़वाल, चीटीजवाल, जलधरिया, डांस, तहतूण्या, दुग्गा, दुसाज, नाराणीवाल, बंथलीवाल, बंदीवाल, बहेतरा, बोहरा, ग्वालेरा भियाण्या, पूरभियाण्या, मेड़त्या, राजोरिया, लाटणीवाल,  वैंकटा, सुजाण्यां, सुरसरीवाल, लहटाणी।

3.

आवरी मातागोठरीवाल।

4.

आशापुरा/ आशा/आशावरी/आशापुरी माताअजणोध्या, अजमेरा, अजमेरा संगी, खड़ास, खेतोद्या, गढ़वाल,  गोठरीवाल, दोसीवाल, दुहाटाण्या, नान्दन्यास, पंचलोडिय़ा, पादडिय़ा, बहेतरा,  मारोदिया, पंचालियों, मेड़त्या, राईवाल, लुहारिया, सलोलकपुरिया।

5.

ईश्वरी मातागुराऊ, गुराऊ भियाण्या, बस्सीवाल।

6.

ककराज माताअमणे, गुगोरिया, नान्दन्या।

7.

कनवाय मातानाट्या, नाट्या संगी, पानड़ीवाल।

8.

कपासण माताखूंटेटा।

9.

कियाहि/कियाय/कैवाय माताआदूणा, आसनीवाल,कजडिय़ा, बोरा, मणिहार।

10.

कांसली माताघीया, निझरण्या, भरसुई, लाटणीवाल।

11.

कुंजल माताबुढाण्यों

12.

कुण्डेश्वरी माताभियाण्या, पुरखभियाण्या, राजोरिया, पूरभियाण्या।

13.

कैलाझ मातावरड़ा।

14.

कोलणी मातागुगोरिया चींगट्या, नाईवाल।

15.

कोहेन मातागड्डी, बोहरा।

16.

क्षेमजा /क्षेमकारी/ खींवज/खेंवज मातागुराऊ, गुराऊ भियाण्या, गोखरूवाल, धरसवाल।

17.

गाजनी माताहींगवा।

18.

गुडोनी माताडूंगरिया।

19.

गुणादीज माताखरड़ा संगी, सुर्खभियाण्या।

20.

घसाय माताटोकरवासा

21.

चकेश्वरी/ चकेसर/ सूचिकेश्वरी माताअधाई, अमणे, अमरियो, कहकटा, कुलहजता, गंगवाल, चींगट्या, चौपरिया, पटवास, परड़ा, पखाडय़ा, पड़ाहा, लाटणोवाय, सुनाडेया।

22.

चामुण्डा माताबहराडय़ा, बहेतरा, भियाण्या, कटारिया भियाण्या, मणिहार, मारोटिया,  मंू्रग्या, मोखड़ीवाल, मोढया, सुनाडया, सुरधणीवाल, सुरल्या, सोहलिया, खोरठा, हरषोरीवाल।

23.

चावंड माताअजमेरा, अजमेरा संगी, अधेडय़ा, कटारिया, खोहरीवाल, गाजनीवाल,  घरसवाल, घीया चांदीवाल, चौधरी जौजोथा।

24.

जीण/जीवण मातागढ़वाल, जयवाल, ढोसीवाल, नाईवाल, फाईवाल, बढ़ाडरा, बाकुल्या, बिजोल्या   लिलोरिया, सुजाण्या।

25.

डाबर मातापरवाड्या, अमरियो, सुरसन्या।

26.

डूंगरियो मातागुडस।

27.

डूंडेश्वरी/डूण्डेसरी/ढूंढेसर माताभराड़लिया, मेड़त्या, बरड़ा, बड़दा।

28.

ढोसर/ढोसरी मातामुवानिया।

29.

नसाय माताईडी।

30.

नागण माताअधाई, खण्डारिया, गुलेरिया, ग्वालेरिया, घीया, टोकरवासा, दावण्यो, नाराणीवाल, नुगजाण्या, तुहणगरा, भियाण्या, माली, मुवानिया, पेड़त्या,  राजोरिया, नुगजाण्या, बहराड्या।

31.

पारा/पाढ़ाय माताआटूणा, कोदई, पट्वास पल्लीवाल, पाटणीवाल पिपोलोद्या, सिधवाण।

32.

पद्मावती माताजरडिय़ा, पाटन्या।

33.

पिपलाज माताखण्डारिया, गढवाल, नायकवाल, नायकान्या, निझरण्या, पानड़ीवाल, बसत्या।

34.

फलौदी मातागोठड़ीवाल, दुहाडिय़ा।

35.

बीलवाज माताकटारिया, खण्डारिया, हसुरीवाल।

36.

बहेमात मातानायकवाल, पिपाड्या, सागरया, सेढाणी, ढोसीवाज।

37.

बंबूलीमाताखोहीवाल, नाहर्या, पंचोली, पिपलोद्या, पिपाड्या, मूंग्या, रोहीवाल, साखुण्या, साखुण्या पंचोली, सुरधणीवाल, सोरठा।

38.

बालणी मातागाजनीवाल, चींगद्या।

39.

बासणी माताखण्डारिया, गुगोरिया, निझरण्या हरषोरीवाल।

40.

बीजासणमातासेढानी।

41.

बराय मातादेवाद्या, गुगोरिया।

42.

भगोती देवीअजणोद्या।

43.

भद्रकाली माताबोरासंगी, जुझायता भियाण्या, पुरख भियाण्या, सुर्ख भियाण्या, संधी।

44.

मण्डेरी मातापरवा।

45.

मोखण मातापंचल्होडिया, पंचल्होडिया संगी, बिजवाल, मण्डीवाल, हरषोरीवाल, हसुरीवाल।

46.

राता देवी/राणा देवीमाताअजमेरा, अजमेरा संगी, खोहरीवाल, गाजनीवाल, सहतूण्या, नाराणीवाल, बहराड्या।

47.

रगोमात मातापाटन्या।

48.

लखेसण माताईडी, खटउड़ा नरेड़ीवाल, पड़वान्या, सागरया।

49.

लोयसण माताकापड़ी, पंचल्होड्या, पंचल्होड्या-संगी, बिजवाल, राइवाल, लुहाटिया, हरषोरीवाल, हसुरीवाल।

50.

सकराय माताआटूणा, बोहरा, मोखड़ीवाल, गोढ्या।

51.

सचवाय माताऊँ ची, कहकटा, परवाड्या, गुदरिया, गोठड़ीवाल, चट्या, चूनचट्या, नारनोल्या,  नुगलाण्या, परड़ा, तुहणगरा भियाण्या, मुडरिया, मुलतानी, वरड़ा।

52.

सणाय माताबस्सीवाल, सोहलिया।

53.

सरसाय माताभरीवाल, लूणीवाल, षणथलीवाल, समरीवाल।

54.

सुन्थल माताकोटवाल, गुराउ, ग्वालेरिया, गोखरूवाल, नाट्या, नाट्यासंगी, शुद्ध भियाण्या।

55.

सुवावरी मातापरड़ा।

56.

सोंढल मातागुराऊ, गुराऊ भियाण्या, नाईवाल, राजोरिया, शुद्ध भियाण्या।

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