Pages

Wednesday, November 23, 2011

KALWAR VAISHYA - कलवार वैश्य जाति का इतिहास व वर्तमान

KALWAR VAISHYA - कलवार वैश्य  जाति का इतिहास व वर्तमान

भारत वर्ष में जाति प्रथा आदि काल से चली आ रही हैं. प्रारंभ की वर्ण व्यवस्था आज जातियों व उपजातियो में बिखर चुकी हैं. तथा दिन प्रतिदिन यह लघु रूपों में बिखरती जा रही हैं. आज की सर्वर्गी कलवार जाति जो कभी क्षत्रिय थी, आज वैश्य हैं, उसी बिखरती टूटती हुई श्रंखला की कड़ी मात्र हैं. इसे और टूटने से बचाना हैं. आइये हम सब आवश्यक पहलुओ पर गौर करे. वर्ण व्यवस्था वेदों की देन हैं. तो जातिया व उप जातिया सामाजिक व्यवस्था की उपज हैं.

कलवार वंश का अतीत गौरवशाली व यशपूर्ण रहा हैं. यह गौरव की बात हैं. वेदों से प्रमाण मिलता हैं की कलवार वंश का उदगम विश्वविख्यात भारत के चन्द्र वंशी क्षत्रिय कुल में हुआ हैं. इसी चन्द्र वंश में कार्तवीर्य सहस्त्रबाहू हुआ हैं, इसी की संतान कलवार वैश्य हैं. जिस चन्द्र वंश ने अपनी पताका पूरे संसार में फैलाई, वही चन्द्र वंश कालप्रेरित होकर आपस में लड़ भिड कर मिटने लगा, परशुराम द्वारा भी इस वंश को नष्ट करने का प्रयास किया गया. परिणाम यह हुआ की कुछ कुरुक्षेत्र में कुछ प्रभास क्षेत्र में लड़ मिटे. शेष जो बचे उनसे चन्द्र वंश, हैहैये कलवार वंश का नाम चलता रहा, राज कुल में पले बढे, कलवारो के सामने जीवन निर्वाह की समस्या खड़ी हो गई, अतः क्षत्रिय धर्म कर्म छोड़कर वैश्य कर्म अपना लिया, व्यवसाय करने के कारण वैश्य या बनिया कहलाने लगे, इनमे से अधिकतर शराब का व्यवसाय करने लगे.

कलवार शब्द की उत्पत्ति, मेदिनी कोष में कल्यापाल शब्द का ही अपभ्रंश कलवार हैहैय क्षत्रिय हैं. पद्मभूषण डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी पुस्तक अशोक का फूल में लिखा हैं की कलवार वैश्य हैहैय क्षत्रिय थे, सेना के लिए कलेऊ की व्यवस्था करते थे, इसीलिए, वे तराजू पकड़ लिए और बनिया हो गए. क्षत्रियो के कलेवा में मादक द्रव्य भी होता था, इसी लिए ये मादक द्रव्यों का कारोबार करने लगे.

श्री नारायण चन्द्र साहा की जाति विषयक खोज से यह सिद्ध होता हैं की कलवार उत्तम क्षत्रिय थे. गजनवी ने कन्नौज पर हमला किया था, जिसका मुकाबला कालिंदी पार के कल्वारो ने किया था, जिसके कारन इन्हें कलिंदिपाल भी बोलते थे, इसी का अपभ्रंश ही कलवार हैं. अनुसंधानों से पता चलता हैं की, कलवार जाति के तीन बड़े - बड़े हिस्से हूए हैं, वे हैं प्रथम पंजाब दिल्ली के खत्री, अरोरे कलवार, याने की कपूर, खन्ना, मल्होत्रा, मेहरा, सूरी, भाटिया , कोहली, खुराना, अरोरा, इत्यादि. दूसरा हैं राजपुताना के मारवाड़ी कलवार याने अगरवाल, वर्णवाल, लोहिया आदि. तीसरा हैं देशवाली कलवार जैसे अहलूवालिया, वालिया, बाथम, शिवहरे, माहुरी, शौन्द्रिक, साहा, गुप्ता, महाजन, कलाल, कराल, कर्णवाल, सोमवंशी, सूर्यवंशी, जैस्सार, जायसवाल, व्याहुत, चौधरी, प्रसाद, भगत आदि.

कश्मीर के कुछ कलवार बर्मन, तथा कुछ शाही उपनाम धारण करते हैं, झारखण्ड के कलवार प्रसाद, साहा, चौधरी, सेठ, महाजन, जायसवाल, भगत, मंडल, आदि प्रयोग करते हैं. नेपाल के कलवार शाह उपनाम का प्रयोग करते हैं. जैन पंथ वाले जैन कलवार कहलाये.

ब्रह्ममा से भृगु, भृगु से शुक्र, शुक्र से अत्री ऋषि , अत्री से चन्द्र देव, चन्द्र से बुद्ध, बुद्ध से सम्राट पुरुरवा, पुरुरवा से सम्राट आयु, आयु से नहुष, नहुष से ययाति, ययाति से पुरु, पुरु से चेदी कल्यपाल, कलचुरी कलवार वंश चला जो की जायसवाल, कलवार, शौन्द्रिक, जैस्सार, व्याहुत कहलाये.

इस प्रकार से हम देखते हैं की कलवार वैश्य जाति की उत्पत्ति बहुत ही गौरव पूर्ण रही हैं. जिसका हमें सभी वैश्यों को गर्व करना चाहिए, हम सभी वैश्य हैं, और सभी ३७५ जातियों में रोटी बेटी का सम्बन्ध कायम करना चाहिए. हमारी संख्या २५ करोड़ हैं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए. वन्देमातरम.

(वैश्य सम्मलेन पत्रिका से साभार)

31 comments:

  1. http://kalwarsamaj.info/
    ब्लोग पर लिखें ।

    ReplyDelete
  2. Thanks for making such a cool post which is really very well written.will be referring a lot of friends about this.Keep blogging. abouthealth.at

    ReplyDelete
  3. KOI btayega ki jaiswal aur kalwar me kya antar hota hai? aur kharidaha kalwar kon hote hai? aur ban ka kya matalab hai?

    ReplyDelete
    Replies
    1. सभी एक ही जाति के है केवल कलाल कोई फर्क नही है।

      Delete
    2. जय जय बाहुबली श्री सहस्त्रबाहु की जय

      Delete
  4. जय सहस्रबाहु भगवान की ! जय हो कलार समाज की।
    संजीव शिवहरे (उ.प्र.)

    ReplyDelete
  5. जय सहस्रबाहु भगवान की ! जय हो कलार समाज की।
    संजीव शिवहरे (उ.प्र.)

    ReplyDelete
  6. केरल में कलवार और कालचूरी समाज लोकों ईश़्हावा(Ezhava) और ईशावा(Eshawa) कहते है।

    ReplyDelete
  7. I like it but no one unity in caste

    Thanks

    ReplyDelete
  8. Yes ..es samay kalwar ki unity chahiye...

    ReplyDelete
  9. सह्त्रबाहु यदुवंशी थे इसका मतलब उनके वंशज कलवार भी यदुवंशी(यादव) हुये

    ReplyDelete
  10. जब कलवार उत्तम क्षत्रिय हैं तो बनिया बनिया क्यो लिखते रहते हैं आपलोग अपने को हैहयवंशी क्षत्रिय लिखिए जय भगवान सहस्त्रार्जुन महाराज की जय क्षत्रिय है हम क्षत्रिय

    ReplyDelete
    Replies
    1. Vaish mai bhaut jati kshatriya s vaish bani hai jaise agarwal hai kalal

      Delete
  11. आपने बिल्कुल सही लिखा है और सभी कलाल एक ही है अभी यह सब प्रमाण और चाहिए लोगों में जागृति आनी चाहिए जय कलाल जय सहस्त्रबाहु अर्जुन

    ReplyDelete
  12. Sir, hope you will reply!
    but I want to ask if agarwal came from dharan or aeran gotta then why you call them in kalwar vaishay. And second some kshatriya denied to admit the connection of kalwar vaishya with shahatrabahu pls write something about that and I want to know your take about it.

    ReplyDelete
  13. मै बिहार से व्याहुत कलवार भगत जय श्री राम

    ReplyDelete
  14. मै बिहार से व्याहुत कलवार भगत जय श्री राम

    ReplyDelete
  15. भैया जी कलार राय जाती अलग है और राजा सहस्त्रबाहु जी चंद्रवंशी थे जोकि जडेजा जादौन परमार लोधी चंदेल हे ओर बो इन्हीं के वंश से थे सही पड़े भैया जी

    ReplyDelete
  16. बाप बदलने का काम ना करें अपना दादा परदा दादा से ज्ञान लो कि तुम को हो शराब बनाने बाले हो

    ReplyDelete

हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।