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Tuesday, May 30, 2023

VAISHYA SAMAJ UPSC SUCCESSFUL CANDIDATE 22-23 LIST

VAISHYA SAMAJ UPSC SUCCESSFUL CANDIDATE 22-23  LIST

UPSC वैश्य समाज के युवाओं ने फहराया परचम

यूपीएससी में टॉप करने वाले वैश्य समाज के सभी ११०   होनहारों को हार्दिक बधाई एवं उज्जवल भविष्य की मंगलकामनाएं।

इस वर्ष अपनी प्रतिभा के दम पर वैश्य समाज के कम से कम ११०  छात्र-छात्राओं ने पास किया UPSC एग्जाम

संघ लोक सेवा आयोग-2022 के अंतिम परिणाम घोषित किये गए, जिसमें वैश्य समाज  के कुल १०२ होनहारों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से बाजी मारी, इस वर्ष कुल 933 युवाओं ने एग्जाम पास कर यह विशेष उपलब्धि हासिल की, जिसमें लगभग १२ प्रतिशत  वैश्य  समाज के युवक-युवतियों ने एग्जाम पास किया। वैश्य  समाज के लिए गर्व की बात हैं कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वैश्य  समाज के युवा-युवती अपनी कड़ी मेहनत और लगन से समाज को गौरवान्ति किया है।  हमारा वैश्य समाज इन सफल बच्चो को शुभकामनाये देता हैं.

S.No. RANK / TOPPER

1 Rank 2 - GARIMA LOHIA
2 Rank 9 - KANIKA GOYAL
3 Rank 14 - KRITIKA GOYAL
4 Rank 26 - GUNJITA AGRAWAL
5 Rank 30 - PREKSHA AGRAWAL
6 Rank 31 - PRIYANSHA GARG
7 Rank 43 - ARCHITA GOYAL
8 Rank 46 - MANAN AGARWAL
9 Rank 49 - SANSKRITI SOMANI
10 Rank 57 - ADITI VARSHNEY
11 Rank 69 - L AMBICA JAIN
12 Rank 71 - DWIJ GOEL
13 Rank 74 - AYUSHI JAIN
14 Rank 79 - ANJALI GARG
15 Rank 87 - AYAN JAIN
16 Rank 91 - JATIN JAIN
17 Rank 95 - DIVYANSHI SINGLA
18 Rank 103 - JAIN JAINOM MAHENDRAKUMAR
19 Rank 108 - AASHIMA VASWANI
20 Rank 135 - ROBIN BANSAL
21 Rank 142 - KRISHNA CHANDRA GUPTA
22 Rank 151 - DEEPIKA AGARWAL
23 Rank 152 - SHUBHAM JAIN
24 Rank 165 - SHRUSTI JAIN
25 Rank 166 - HARSHIT GOEL
26 Rank 171 - AYUSH GOEL
27 Rank 173 - ANKIT KUMAR JAIN
28 Rank 174 - ROCHIKA GARG
29 Rank 175 - NATASHA GOYAL
30 Rank 180 - AYUSH GUPTA
31 Rank 181 - GOLDI GUPTA
32 Rank 188 - AAYUSHI BANSAL
33 Rank 195 - MOHIT GUPTA
34 Rank 202 - NIDHI GOYAL
35 Rank 204 - TARUN BANSAL
36 Rank 228 - ARJUN GUPTA
37 Rank 246 - AMIT GUPTA
38 Rank 247 - KUNAL AGGARWAL
39 Rank 255 - DRISHTI JAISWAL
40 Rank 264 - BHUVI GUPTA
41 Rank 269 - RAJIV AGARWAL
42 Rank 275 - LOVISH GARG
43 Rank 286 - UTKARSH AGRAWAL
44 Rank 288 - HIMANSHU MANGAL
45 Rank 295 - ANIRUDH JAIN
46 Rank 302 - SHREYANSEE JAIN
47 Rank 303 - KOMAL AGGARWAL
48 Rank 306 - ANSHIKA JAIN
49 Rank 307 - SHIVANG RASTOGI
50 Rank 312 - SHASHANK GUPTA
51 Rank 326 - ADITYA JAIN
52 Rank 335 - PRANJAL JAIN
53 Rank 337 - SHIVANSH AGARWAL
54 Rank 338 - AKASH GARG
55 Rank 356 - KUNAL JAIN
56 Rank 357 - DIVYANK GUPTA
57 Rank 359 - VRUSHTI SANDEEP JAIN
58 Rank 363 - DIVYA JAIN
59 Rank 369 - PRIYANKA GOEL
60 Rank 383 - DIVYANSHU GOEL
61 Rank 389 - ARCHITA MITTAL
62 Rank 395 - NISHANT SINGHAL
63 Rank 408 - AKANSHA GUPTA
64 Rank 409 - ISHAN AGARWAL
65 Rank 415 - AKSHAT JAIN
66 Rank 425 - TANVI SINGHAL
67 Rank 468 - VIKAS GUPTA
68 Rank 481 - MANISH KANSAL
69 Rank 485 - ANUBHAV JAIN
70 Rank 543 - PAVITRA GOYAL
71 Rank 604 - APURVA RASTOGI
72 Rank 606 - NEHA GOYAL
73 Rank 614 - RAHUL KUMAR AGRAWAL
74 Rank 623 - PRATIBHA LOHIYA
75 Rank 675 - NAMAN JAIN
76 Rank 702 - AKANSHA JAIN
77 Rank 724 - MOHIT GUPTA
78 Rank 726 - AKANKSHA GUPTA
79 Rank 753 - YASH KUMAR JAIN
80 Rank 784 - KARTIK KANSAL
81 Rank 785 - ABHINAV KHANDELWAL
82 Rank 822 - AYUSH AGRAWAL
83 Rank 911 - MANISH AGRAWAL
84 Rank 919 - AARAV GARG
85 Rank 928 - SHUBHAM AGARWAL
86 Rank 153 - HARSHWARDHAN
87 Rank 158 - CHAITANYA KHEMANI
88 Rank 213 - VEDIKA BIHANI 
89 Rank 249 - AAKRUTI SETHI
90 Rank 267 - AKASH SHRIMAL
91 Rank 373 - AMITESH RATHI (MAHESHWARI)
92 Rank 413 - SHREYASH SURANA
93 Rank 414 - CHANDRESH SANKHLA 
94 Rank 511 - POOJA MALANI 
95 Rank 575 - RAKESH SAHOO
96 Rank 583 - U S YERRAM SHETTI
97 Rank 601 - PRADEEP BARNVAL
98 Rank 603 - NA,ASHA KESARI
99 Rank 680 - SNIGDHA SETHI
100 Rank 754 - AYUSH SONI (MAHESHWARI)
101 Rank 770 - PRAJWAL CHOURASIA
102 Rank 912 - SUSHMA SONI (MAHESHWARI)

इसके अतिरिक्त कम से कम दस या पन्द्रह ऐसे हैं जिनके उप नाम नहीं है और जो वैश्य समाज से हैं 

सभी होनहारों ने यह मुकाम हासिल करके अपने माता-पिता, शिक्षकों के साथ ही पूरे समाज को गौरवान्वित किया है। हम कुलपिता भगवान विष्णु जी और  कुल माता  लक्ष्मी जी  से उनके उज्जवल भविष्य एवं सफल जीवन की कामना करते हैं।

Monday, May 29, 2023

GUNJITA AGRAWAL IAS - 26TH RANK 22-23

GUNJITA AGRAWAL IAS - 26TH RANK 22-23

UPSC में 26 वी रैंक प्राप्त करने वाली गुंजिता अग्रवाल से इंटरव्यू में पूछा- कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली | 

UPSC में 26 वी रैंक प्राप्त करने वाली गुंजिता अग्रवाल से इंटरव्यू में पूछा- कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली
भोपाल नेहरू नगर की रहने वाली गुंजित अग्रवाल ने UPSC के एग्जाम में 26 वी रैंक हासिल की है। उनके पिता जेपी अग्रवाल मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल में असिस्टेंट इंजीनियर और जनसंपर्क अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।


संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा 2022 के परिणाम घोषित किए। जिसमें मध्यप्रदेश के भी कई युवाओं ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इसमें सतना की स्वाति शर्मा ने 15वीं इंदौर की अनुष्का शर्मा ने 20वीं व भोपाल की गुंजित अग्रवाल ने 26वीं, धार की संस्कृति सोनामी ने 49वीं और भोपाल की पल्लवी मिश्रा ने 73 वी रैंक हासिल की है। भोपाल की रहने वाली गुंजिता अग्रवाल ने अपनी सफलता को लेकर मीडिया से चर्चा के दौरान कई राज बताएं।


गुंजिता से इंटरव्यू में पूछा- कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली का मतलब बताइए

अक्सर कई बार फिल्मों में और नाटकों में हम यह कहावत सुन चुके हैं कि कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली। लेकिन यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2022 के इंटरव्यू के दौरान इस कहावत को लेकर गुंजिता अग्रवाल से सवाल किया गया। जिस पर गुंजिता अग्रवाल ने जवाब देते हुए कहा कि कहावत में जिस गंगू तेली की बात होती है वो कोई एक नहीं, बल्कि दो व्यक्ति थे। गंगू का असली नाम कलचुरी नरेश गांगेय था और तेली चालुक्य नरेश तैलंग थे। एक बार गांगेय और तैलंग ने मिलकर राजा भोज की नगरी धार पर आक्रमण किया, मगर उन दोनों को राजा भोज के पराक्रम के आगे घुटने टेकने पड़े। इस युद्ध में गंगेय और तेलंग की पराजय के बाद धार के लोगों ने उनकी हंसी उड़ाते हुए कहा कि 'कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली'। तब से यह कहावत आज भी आम बोलचाल में इस्तेमाल की जाती है।

गुंजिता अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने इस कहावत का जवाब देने के लिए संघ लोक सेवा आयोग के अधिकारियों से 2 मिनट का समय मांगा था। इसके अलावा उन्होंने सभी सवालों के खुलकर जवाब दीजिए। गुंजिता ने बताया कि इस कहावत के अलावा उनसे सामान्य ज्ञान और इकोनॉमिक्स क्रिकेट और टेनिस के बारे में भी कई सवाल पूछे गए। मेरा इंटरव्यू तो अच्छा रहा था। बस रिजल्ट का इंतजार था, जिसे देखकर मुझे संतुष्टि मिली है। बता दे सिविल सेवा परीक्षा 2022 के परिणाम में गुंजिता अग्रवाल को 26 वी रैंक मिली है

5वें अटेम्प्ट में मिली सफलता

गुंजिता ने बताया कि यूपीएससी का एग्जाम बहुत मुश्किल होता है मैंने हमेशा अपनी पिछली गलतियों से सीखा है और अपने ऊपर भरोसा दिखाया। हालांकि यह मेरा पांचवां अटेम्प्ट था। इसमें मुझे कामयाबी मिली है। उन्होंने जीत का मंत्र बताते हुए कहा कि अच्छी पढ़ाई के लिए समय का कोई निर्धारण नहीं होता। पहले आपको एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा। उसके बाद ही आपको सफलता मिल पाएगी।

सोशल मीडिया से बनाई दूरी

गूंजीता ने बताया कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखी थी। सेल्फ स्टडी (self-study) से सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि इस एग्जाम की तैयारी के लिए समय का उचित उपयोग करना ही सबसे बड़ा काम होता है। मैंने खुद नोटस तैयार किए और कहीं शंका होती थी तो इंटरनेट मीडिया की भी मदद ली।

Saturday, May 27, 2023

JINDAL GROUP - INDIA'S PRIDE

#JINDAL GROUP - INDIA'S PRIDE

बाल्टी बनाने से हुई शुरुआत, ग्रुप के फाउंडर की पत्नी देश की सबसे अमीर महिलाओं में से एक


#जिंदल ग्रुप…एक कंपनी जिसकी शुरुआत लोहे की बाल्टी बनाने से हुई। आज वह कंपनी भारत में स्टील मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग, पावर, इंडस्ट्रियल गैस और पोर्ट सर्विसेज के सेक्टर में टॉप कंपनियों में से एक है। भारत के साथ ही अमेरिका, इंग्लैंड, मिडिल ईस्ट और इंडोनेशिया में उसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। जब कंपनी शुरू हुई तब यह भारत में स्टील पाइप और ट्यूब बनाने वाली पहली कंपनी थी। ओ पी जिंदल पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन वाला पाइप और ट्यूब बनाने वाले भारत के पहले व्यक्ति थे। आज मेगा एम्पायर में जानिए जिंदल ग्रुप के एम्पायर बनने की कहानी…

शुरुआत: वॉर वेस्ट को बेचकर भारत की तीसरी लोहा उत्पादन की फैक्ट्री लगाई

दूसरे विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सेना ने असम में एयरफोर्स बेस बना रखा था। जापान की सेना को बर्मा में रोकने के लिए वह इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन 1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने पर ये एयरबेस बिना काम के हो गए। ऐसे में, इन्हें बनाने में जो लोहा इस्तेमाल हुआ था उसे स्थानीय लोग निकालकर बेचने लगे। इन्हीं बेकार और फेंके गए लोहे को खरीदकर ओम प्रकाश जिंदल ने व्यापार शुरू किया।

जिंदल की पैदाइश हरियाणा में हिसार की थी। वो एक किसान परिवार से आते थे। 22 साल की उम्र में हिसार में ही उन्होंने बाल्टी बनाने की छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई, पर कुछ समय बाद वहां से कोलकाता आ गए। उन्हें यहां असम के बाजारों में सस्ते दाम पर नीलाम होने वाले लोहे के बारे में पता चला था। उन्हें खरीदकर वो कलकत्ता समेत पूर्वी भारत में बेचने लगे।

इसके बाद 1952 में कलकत्ता में ही एक पाइप बेंड और सॉकेट बनाने की फैक्ट्री लगा दी। इस काम में उनके भाई भी साथ थे। तब कंपनी का नाम रखा जिंदल इंडिया लिमिटेड। आज स्टील सेगमेंट में यह टाटा और कलिंग के बाद भारत की तीसरी सबसे बड़ी फैक्ट्री है।

घर वापसी: हिसार आकर शहर को स्टील बनाने का कारखाना बना दिया

1964 में ओ पी जिंदल वापस अपने शहर हिसार में आ गए। यहां खुद से एक फैक्ट्री डिजाइन कर 42 हजार इंवेस्टमेंट के साथ एक पाइप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की। फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाली सारी मशीनों को उन्होंने खुद ही बनाया। जबकि उन्होंने कभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं की थी। 1969 में कलकत्ता में हिसार की फैक्ट्री से बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई। इसमें बनी पाइप हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में धड़ल्ले से बिकने लगी।

इसके बाद स्टील बाल्टी बनाने की फैक्ट्री भी शुरू कर दी। 1970 में हिसार में स्टील की बड़ी फैक्ट्री खोली। 1960 से 1990 के बीच हिसार शहर में जिंदल ग्रुप ने कई फैक्ट्रियां खोली। यहां के ज्यादातर लोगों के लिए यह रोजगार का जरिया भी बन गया।

कामयाबी: भारत में 30 और अमेरिका में 3 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोली

1960 के दशक के बाद जब तक ओ पी जिंदल जीवित रहे, उन्होंने देश-विदेश में 34 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाईं। इनमें से 30 भारत में, 3 अमेरिका में और एक इंडिनेशिया में हैें। जिंदल समूह ने समय के साथ पाइप्स में नई तकनीक को अपनाया और कार्बन स्टील से लेकर स्टेनलेस स्टील की पाइप्स बनाने लगे।

इन्हीं दशकों में जिंदल ग्रुप को उन्होंने अलग-अलग हिस्सों में भी बांटा। सबसे पहले ग्रुप के चार हिस्से किए। जिंदल सॉ पाइप्स, जिंदल साउथ वेस्ट, जिंदल स्टेनलेस और जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड। ये चारों समूह फिलहाल उनके चार बेटों के पास है। इसमें पृथ्वीराज जिंदल, सज्जन जिंदल, रतन जिंदल और नवीन जिंदल शामिल हैं।

2005 में जिंदल समूह के कर्ता-धर्ता ओम प्रकाश जिंदल की हेलिकॉप्टर क्रैश में मृत्यु हो गई। अपने पीछे वह पत्नी सावित्री देवी जिंदल और चार बेटे छोड़कर गए थे। कंपनी की बागडोर सावित्री देवी जिंदल के हाथ आई। उन्होंने कंपनी की नेट वर्थ को साल दर साल बढ़ाना जारी रखा। 2021 में फोर्ब्स सूची में भारत की सबसे अमीर महिलाओं में वे टॉप 10 में रहीं। यह मुकाम हासिल करने वाली भारत की पहली महिला भी हैं।

शख्सियत: पहले इंडस्ट्रियलिस्ट, जो लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे

आज भी हिसार शहर के विकास में ओ पी जिंदल के योगदान को याद किया जाता है। उनके बारे में एक किस्सा बताया जाता है कि उन्होंने एक बार स्टील की पाइप को देखा जिस पर ‘मेड इन इंग्लैंड’ लिखा हुआ था। यहां से उन्होंने ये ठाना कि एक दिन ये सभी प्रोडक्ट भारत में बनेंगे और उस पर ‘मेड इन इंडिया’ लिखा होगा। उनका मानना था कि गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को बेहतर जिंदगी दिए बिना हम एक सफल देश नहीं बन सकते हैं। अपने इसी जज्बे को लेकर उन्होंने राजनीति में जाने का मन बनाया।

1990 के दशक में ओ पी जिंदल को राजनीति में भी सफलता मिली। 1991 में हिसार विधानसभा क्षेत्र से वो पहली बार विधायक चुने गए। 1996 में कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर आए। भारत में यह पहली बार था कि कोई इंडस्ट्रियलिस्ट संसद में चुनकर गया हो। इसके बाद हिसार से दोबारा उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता।

SABHAR : DAINIK BHASKAR 

Friday, May 26, 2023

ADITYA KHEMKA CP PLUS

#ADITYA KHEMKA CP PLUS 

CP Plus के फाउंडर आदित्य खेमका की कहानी:2007 में CCTV कैमरा बेचना शुरू किया, 2025 तक 5000 करोड़ टर्नओवर का टारगेट


सलमान खान का एक ऐड है। जिसमें वे बस में ट्रैवल कर रहे होते हैं। इसी दौरान एक शख्स एक बुजुर्ग का पॉकेट मार लेता है। फौरन सलमान बोल पड़ते हैं- ‘कमॉन बबुआ, प्लीज लौटा दो अंकल जी का बटुआ।’ वह शख्स कहता है- महाराष्ट्र पुलिस यानी MP, दिल्ली पुलिस यानी DP… कौन हो तुम? सलमान बस में ऊपर लगे सीसीटीवी को दिखाते हुए जवाब देते हैं- ना एमपी, ना डीपी, सीपी प्लस…अब ऊपरवाला चलती ट्रेन और बस में भी सब कुछ देख रहा है।

ये ऐड है दुनिया की टॉप सिक्योरिटी और सर्विलांस कंपनियों में शुमार CP Plus का। आज Unicorn Dreams with कुशान अग्रवाल' में हमारे साथ हैं CP Plus के मैनेजिंग डायरेक्टर आदित्य खेमका। बातें CP Plus की शुरुआत, जर्नी और कामयाबी के शिखर तक पहुंचने की। तो चलिए शुरू करते हैं…

कुशान: CP PLUS की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस नाम के पीछे आपकी क्या सोच थी?

आदित्य खेमका: 2007 में हमने सिक्योरिटी और सीसीटीवी प्रोडक्ट में एंट्री ली थी। तब हमारा काम था प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी को डिस्ट्रीब्यूट करना। हमारी कोशिश थी कि जो भी फ्यूचर टेक्नोलॉजी हैं, उन्हें पहले भारत में शुरू किया जाए।

उस वक्त कैमरे का मार्केट बेसिक स्टेज में था। कैमरे की टेक्नोलॉजी बहुत लक्जरी थी। फुटेज रिकॉर्ड करने की डिवाइस भी नहीं बनी थी। हमने रियलाइज किया कि इस फील्ड में काम करने के लिए काफी स्कोप है, लिहाजा खुद का ब्रांड शुरू करना चाहिए।

इसके बाद 2008 में CP PLUS की शुरुआत हुई। CP यूके का एक ब्रांड है, हमने उसी तर्ज पर अपने ब्रांड का नाम CP PLUS रखा। CP यानी कॉस्ट एंड फरफॉर्मेंस, जैसा कि हर कंज्यूमर सस्ते दाम में बेस्ट परफॉर्मेंस चाहता है।

कुशान: CP PLUS अभी दुनिया की टॉप-3 सर्विलेंस इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर्स में से एक है। एक डिस्ट्रीब्यूटर से मैन्यूफैक्चरर्स बनने की जर्नी कैसी रही?

आदित्य खेमका: बहुत ही दिलचस्प जर्नी रही है। जब हमने इस फील्ड में रिसर्च शुरू किया, इसकी टेक्नोलॉजी और मार्केट स्टडी की, तो बहुत सी चीजों के बारे में पता चला। मसलन इसकी मदद से लोगों की लाइफ सेव कर सकते हैं। उनकी संपत्ति की सुरक्षा कर सकते हैं। इससे इस फील्ड में हमारा पैशन बढ़ता गया।

शुरुआत में सबसे मुश्किल टास्क था, ऑर्गेनाइजेशन का माइंड सेट चेंज करना। यानी डिस्ट्रीब्यूटर से मैन्यूफैक्चरर बनना। हमारे एम्पलॉइज ने खुद को इसके हिसाब से ढाला और कंपनी को आगे बढ़ाया। आज हम मार्केट बेहतर पोजिशन पर हैं। भारत में हमारा मार्केट शेयर करीब 50% तक है।

कुशान: CP PLUS कस्टमर्स तक पहुंचने के लिए क्या-क्या स्ट्रैटेजी अपनाता है?

आदित्य खेमका: हमने जब बिजनेस शुरू किया था, तब यह मार्केट बहुत ही अनऑर्गेनाइज्ड था। हर सेगमेंट में। चाहे डीलर हों, डिस्ट्रीब्यूटर हों या फिर मैन पावर। हमने इस मार्केट को क्रिएट करने और बेहतर इकोसिस्टम तैयार करने के लिए बहुत काम किया।

हमने रियलाइज किया कि इंडस्ट्री में एजुकेशन और ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। इसके लिए हमने एक रिटायर्ड आर्मी जनरल को हायर किया। वे हर दिन मल्टीपल लोकेशन पर ट्रेनिंग देते रहते हैं। इससे हमें बहुत बेनिफिट मिला।

2015 से हमने एक कैंपेन की शुरुआत की। उसका टैगलाइन था- ऊपर वाला सब देख रहा है। फिर सलमान खान को अपनी कंपनी का ब्रांड एम्बेस्डर बनाया। वे अभी भी हमारे लिए कैंपने करते हैं। इसके बाद हमने कॉस्ट इफेक्टिव मॉडल पर काम करना शुरू किया।

हमने यह मैसेज देने की कोशिश किया कि यह बहुत महंगा नहीं है। पान की दुकान वाला भी सीसीटीवी लगवा सकता है और सिक्योरिटी फोर्स वाला भी। इसलिए हमने 1299 रुपए से अपने प्रोडक्ट की शुरुआत की।

कुशान: मार्केट में इस फील्ड में और भी ऑप्शन्स हैं, फिर भी CP PLUS मार्केट लीडर कैसे बना रहा?

आदित्य खेमका: कई बार आप अर्ली टु मार्केट हो जाते हैं। यानी मार्केट तैयार नहीं होता है और आप प्रोडक्ट लॉन्च कर देते हैं। इससे निगेटिव इफेक्ट पड़ता है। इसलिए मैं एकदम से पहाड़ तोडने पर यकीन नहीं करता हूं। मेरा मानना है कि नदी की तरह बहते रहिए और अपनी नाव सबसे तेज चलाइए। एक दिन नदी पहाड़ तोड़ ही देगी।

शुरुआत में चैलेंजेज बहुत थे। टैक्स भरने में काफी दिक्कतें आती थीं, लेकिन जीएसटी आने के बाद मार्केट को ऑर्गेनाइज करने में काफी मदद मिली। साथ ही बिजनेस को बढ़ाने में सरकार की मेक इन इंडिया पॉलिसी और आत्मनिर्भर भारत का भी अहम रोल रहा। इससे एंटरप्रेन्योर्स देश में ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ ही प्रोडक्ट भी बनाने लगे।

कुशान: आपके फ्यूचर प्लांस क्या हैं? आने वाले सालों में हमें कौन से नए प्रोडक्ट मिल सकते हैं?

आदित्य खेमका: अगले दो-तीन साल हम रिसर्च और डेवलपमेंट पर बहुत इन्वेस्ट करने वाले हैं। अभी हमने एक मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट भी तैयार किया है, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सीसीटीवी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट है। इससे हम अपने लिए भी और दूसरी कंपनियों के लिए भी प्रोडक्ट बनाएंगे। कुछ चाइनीज-ताइवान कंपनियों के लिए भी हम प्रोडक्ट तैयार करेंगे।

हमने अमेरिका की कई कंपनियों के साथ करार किया है, जो हमारे लिए खास तरह के चिप्स तैयार करती हैं।

इसके अलावा हमारा टारगेट है आने वाले सालों में दुनिया के हजार शहरों में अपना डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर्स तैयार करना। अलग-अलग शहरों में मैन पावर की रिक्रूटमेंट। साथ ही अगले दो सालों में हम अपना टर्नओवर 5 हजार करोड़ तक करने वाले हैं।


कुशान: चीन जैसे देशों की तुलना में भारत में टेक्नोलॉजी कैसे डेवलप हो रही है? इसमें क्या बदलाव आने की संभावनाएं हैं?

आदित्य खेमका: दो साल पहले तक मुझे लगता था कि भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट नहीं हो सकता। हम अपने यहां टेक्नोलॉजी नहीं बना सकते। ज्यादातर चीजें जुगाड़ टेक्नोलॉजी से ही चलती हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदला है। वेस्टर्न कंट्रीज में भी हमारे एंटप्रेन्योर्स को इज्जत मिल रही है। इसमें जियो पॉलिटिकल चेंजेज का अहम रोहल रहा है। मुझे लगता है कि अगले 20 साल में भारत में ग्रोथ का गोल्डन एरा होगा।

कुशान: क्या कभी ऐसा लगा कि अब बहुत हुआ? उस मुश्किल वक्त से आपने खुद को कैसे उबारा?

आदित्य खेमका: मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि अब बस बहुत हुआ। जीवन में उतार-चढ़ाव आएंगे ही। ये पार्ट ऑफ लाइफ है। अच्छा वक्त भी गुजरेगा और बुरा वक्त भी। इसलिए जॉय द गुड टाइम एंड लर्न फ्रॉम बैड टाइम।

मैंने हमेशा ‘ये दिल मांगे मोर’ की टैगलाइन पर काम किया है। मेरा मानना है कि अगर आप आसमान की सोचोगे, तो छत तक तो पहुंच ही जाओगे। अभी मैं 48 साल का ही हूं, तो अभी बहुत कुछ करना है। हमें इस फील्ड में ग्लोबल चैंपियन बनना है, ताकि रूस, अमेरिका जैसे देश भी इंडियन मेड प्रोडक्ट खरीदें।

कुशान: आप देश के यंग एंटरप्रेन्योर्स को क्या पर्सनल और बिजनेस टिप्स देना चाहेंगे?

आदित्य खेमका: मेरे पास कोई रॉकेट साइंस टाइप स्टेप नहीं है। मेरा फोकस हमेशा से हार्ड वर्क, पैशन, फोकस और रिलेशनशिप बिल्डिंग पर रहा है। मेरा मानना है कि टैलेंट से भी ज्यादा जरूरी हार्ड वर्क है। आप जो करना चाहते हैं, उसके प्रति पैशन होना चाहिए, काम पर फोकस होना चाहिए। साथ ही पैसे के लिए कभी रिलेशन नहीं बिगाड़ना चाहिए।

कुशान: आपकी हॉबिज और पैशन क्या हैं? आप फ्री टाइम में क्या करना पसंद करते हैं?

आदित्य खेमका: मैं अक्सर सोचते रहता हूं कि नया क्या करना है। मैं फैमिली के साथ टाइम स्पेंट करता हूं। मूवी देखना मुझे पसंद है। फ्री टाइम में स्पोर्ट्स भी ट्राय करता हूं। साथ ही मुझे ट्रैवलिंग बहुत पसंद है। हर महीने 6-7 दिन का टूर जरूर करता हूं।

साभार: कुशान अग्रवाल, दैनिक भास्कर 

SATYADEEP GUPTA - A MOUNTENIER

SATYADEEP GUPTA - A MOUNTENIER

उत्तरप्रदेश में पीलीभीत के सत्यदीप गुप्ता ने भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को फतेह करने के बाद अब सत्यदीप ने विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू पर चढ़ाई पूरी कर एक और रिकार्ड अपने नाम किया है।उन्होंने 8481 मीटर ऊंची चोटी पर जाकर तिरंगा फहराया।माउंट मकालू माउंट एवरेस्ट से 20 कि॰मी॰ दक्षिण-पूर्व में स्थित है




सत्यदीप गुप्ता को शुरू से ही पहाड़ों की ऊंची चोटियां चढ़ने का शौक रहा है।सत्यदीप ने वर्ष 2013 में उसने शुरुआत की और 2014 में लद्दाख के माउंट नन ऊंचाई 7135 मीटर इससे पहले तंजानिया अफ्रीका की किलीमंजारो ऊंचाई 5895 मीटर की चढ़ाई की।लेकिन असफल हुए थे।वर्ष 2016 में उत्तराखंड के शिखर डीकेडी-2 को फतेह करने में सफल हुए।उनका सपना भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा और इसके बाद विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी को फतेह करने का रहा।इसे साकार करने के लिए सत्यदीप ने छह मई 2022 को चढ़ाई शुरू की।नौ मई को सत्यदीप शिखर पर पहुंच गए और तिरंगा फहराया।इस चोटी की ऊंचाई 8,586 मीटर है।और अब उन्होंने विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउन्ट मकालू को फतेह कर वहां भी तिरंगा फहरा दिया।

SABHAR : NARSINGH SENA 

SHIVAM GUPTA IAS

SHIVAM GUPTA IAS 

काशी के शिवम गुप्ता बनेंगे #आईपीएस
बहुत बहुत बधाई हो प्रिय भाई शिवम गुप्ता जी.
आपने समाज को गौरवान्वित किया है।

Thursday, May 25, 2023

SANJEEV SINGHAL IPS - ADG CID MAHARASHTRA POLICE

SANJEEV SINGHAL IPS - ADG CID MAHARASHTRA POLICE

श्री संजीव सिंघल जी महाराष्ट्र पुलिस के  ADG CID हैं. संजीव जी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के रहने वाले हैं. सिंघल जी की  आरंभिक पढ़ाई नैनीताल और अल्मोड़ा  में हुई हैं.  १२ वी  क्लास के बाद सिंघल जी का चयन IIT रूड़की  में हो गया था. 

श्री संजीव सिंघल 


सिंघल जी के साथ इशांक 

Singhal is an officer of 1992 batch of Indian Police Service. Having qualified as Bachelor of Engineering (Electronics and Telecommunication) through University of Roorkee with distinction, he completed his M. Tech. through IIT, New Delhi in May 1990. He completed his Master degree in Police Management through Osmania University. Hyderabad in Police Management.

Having posted in Rajura sub division on Nov. 11, 1995 as Assistant Superintendent of Police, SInghal was first posted in Pune in 2000. He served as Deputy Commissioner for just three months then. Then he was transferred to Solapur (Rural). He came back to the city as DIG three years ago in Police Wireless Unit. Since February 2009, he is also serving in his present post.

Accolades came easy for SInghal. During IPS training, he was squad captain and his squad was adjudged best squad. He was also adjudged best shooter of his batch.

In his stint as DIG (Wireless), he planned and implemented dial 100 (GIS GPS) system for Pune, Nagpur and Navi Mumbai. He implemented computerised crypto centre scheme in the state. He was also instrumental in implementing an innovative scheme of message transmission over VHF through computer, which is first of its kind in India. He was awarded DGP’s insignia on May 1, 2006 for his excellent track record.

During his stint since last year as Addl. CP, he has conducted All India Police Championship (Wrestling Cluster). His achievements include catching a gang of dacoits. As DCP in Nagpur city, he personally conducted an operation in which an inner state gang involved in kidnapping of businessman of Orissa and asking for a ransom of Rs 10 Crores was caught red hand. Gang members were arrested from Uttar Pradesh, Orissa, Chattisgarh and hostage was successfully rescued. The DGP of Orissa commended his role in the operation. In July 2006, he was posted as Superintendent of Police at Aurangabad (Rural). He was also appointed as co-ordinator for detection of serious dacoities in Maharashtra. It led to arrest of four major gangs of dacoits.

Wednesday, May 24, 2023

SANT PALTUDAS - पलटूदास के संत पलटूदास बन्ने की कहानी

#SANT PALTUDAS - पलटूदास के संत पलटूदास बन्ने की कहानी 

श्री अयोध्या जी में ‘कनक भवन’ एवं ‘हनुमानगढ़ी’ के बीच में एक आश्रम है जिसे ‘बड़ी जगह’ अथवा ‘दशरथ महल’ के नाम से जाना जाता है। काफी पहले वहाँ एक सन्त रहा करते थे जिनका नाम था श्री रामप्रसाद जी। उस समय अयोध्या जी में इतनी भीड़ भाड़ नहीं होती थी। ज्यादा लोग नहीं आते थे। श्री रामप्रसाद जी ही उस समय बड़ी जगह के कर्ता धर्ता थे। वहाँ बड़ी जगह में मन्दिर है जिसमें पत्नियों सहित चारों भाई (श्री राम, श्री लक्ष्मण, श्री भरत एवं श्री शत्रुघ्न जी) एवं हनुमान जी की सेवा होती है। चूंकि सब के सब फक्कड़ सन्त थे, तो नित्य मन्दिर में जो भी थोड़ा बहुत चढ़ावा आता था उसी से मन्दिर एवं आश्रम का खर्च चला करता था। प्रतिदिन मन्दिर में आने वाला सारा चढ़ावा एक बनिए को (जिसका नाम था पलटू बनिया) भिजवाया जाता था। उसी धन से थोड़ा बहुत जो भी राशन आता था | उसी का भोग-प्रसाद बनकर भगवान को भोग लगता था और जो भी सन्त आश्रम में रहते थे वे खाते थे।

एक बार प्रभु की ऐसी लीला हुई कि मन्दिर में कुछ चढ़ावा आया ही नहीं। अब इन साधुओं के पास कुछ जोड़ा गांठा तो था नहीं… तो क्या किया जाए ..? कोई उपाय ना देखकर श्री रामप्रसाद जी ने दो साधुओं को पलटू बनिया के पास भेज के कहलवाया कि भइया आज तो कुछ चढ़ावा आया नहीं है… अतः थोड़ा सा राशन उधार दे दो… कम से कम भगवान को भोग तो लग ही जाए। पलटू बनिया ने जब यह सुना तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि मेरा और महन्त जी का लेना देना तो नकद का है… मैं उधार में कुछ नहीं दे पाऊँगा। श्री रामप्रसाद जी को जब यह पता चला तो “जैसी भगवान की इच्छा” कहकर उन्होंने भगवान को उस दिन जल का ही भोग लगा दिया। सारे साधु भी जल पी के रह गए।

प्रभु की ऐसी परीक्षा थी कि रात्रि में भी जल का ही भोग लगा और सारे साधु भी जल पीकर भूखे ही सोए। वहाँ मन्दिर में नियम था कि शयन कराते समय भगवान को एक बड़ा सुन्दर पीताम्बर उढ़ाया जाता था तथा शयन आरती के बाद श्री रामप्रसाद जी नित्य करीब एक घण्टा बैठकर भगवान को भजन सुनाते थे। पूरे दिन के भूखे रामप्रसाद जी बैठे भजन गाते रहे और नियम पूरा करके सोने चले गए। धीरे-धीरे करके रात बीतने लगी। करीब आधी रात को पलटू बनिया के घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया। वो बनिया घबरा गया कि इतनी रात को कौन आ गया। जब आवाज सुनी तो पता चला कुछ बच्चे दरवाजे पर शोर मचा रहे हैं–’अरे पलटू… पलटू सेठ … अरे दरवाजा खोल…।’ उसने हड़बड़ा कर खीझते हुए दरवाजा खोला। सोचा कि जरूर ये बच्चे शरारत कर रहे होंगे, अभी इनकी अच्छे से डांट लगाऊँगा।

जब उसने दरवाजा खोला तो देखता है कि चार लड़के जिनकी अवस्था बारह वर्ष से भी कम की होगी, एक पीताम्बर ओढ़ कर खड़े हैं।वे चारों लड़के एक ही पीताम्बर ओढ़े थे। उनकी छवि इतनी मोहक, ऐसी लुभावनी थी कि ना चाहते हुए भी पलटू का सारा क्रोध प्रेम में परिवर्तित हो गया और वह आश्चर्य से पूछने लगा –’बच्चों …! तुम हो कौन और इतनी रात को क्यों शोर मचा रहे हो?’

बिना कुछ कहे बच्चे घर में घुस आए और बोले – हमें रामप्रसाद बाबा ने भेजा है। ये जो पीताम्बर हम ओढ़े हैं, इसका कोना खोलो, इसमें सोलह सौ रुपए हैं, निकालो और गिनो।’ये वो समय था जब आना और पैसा चलता था। सोलह सौ उस समय बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी । जल्दी-जल्दी पलटू ने उस पीताम्बर का कोना खोला तो उसमें सचमुच चांदी के सोलह सौ सिक्के निकले। प्रश्न भरी दृष्टि से पलटू बनिया उन बच्चों को देखने लगा। तब बच्चों ने कहा–’इन पैसों का राशन कल सुबह आश्रम भिजवा देना।’

अब पलटू बनिया को थोड़ी शर्म आई–’हाय…! आज मैंने राशन नहीं दिया, लगता है महन्त जी नाराज हो गए हैं इसीलिए रात में ही इतने सारे पैसे भिजवा दिए। पश्चाताप, संकोच और प्रेम के साथ उसने हाथ जोड़कर कहा – ‘बच्चों..! मेरी पूरी दुकान भी उठा कर मैं महन्त जी को दे दूँगा तो भी ये पैसे ज्यादा ही बैठेंगे। इतने मूल्य का सामान देते-देते तो मुझे पता नहीं कितना समय लग जाएगा।

बच्चों ने कहा – ‘ठीक है, आप एक साथ मत दीजिए, थोड़ा-थोड़ा करके अब से नित्य ही सुबह-सुबह आश्रम भिजवा दिया कीजिएगा | आज के बाद कभी भी राशन के लिए मना मत कीजिएगा।’ पलटू बनिया तो मारे शर्म के जमीन में गड़ा जाए।

वो फिर हाथ जोड़कर बोला–’जैसी महन्त जी की आज्ञा।’

इतना कह सुन के वो बच्चे चले गए लेकिन जाते-जाते पलटू बनिया का मन भी ले गए। इधर सवेरे सवेरे मंगला आरती के लिए जब पुजारी जी ने मन्दिर के पट खोले तो देखा भगवान का पीताम्बर गायब है। उन्होंने ये बात रामप्रसाद जी को बताई और सबको लगा कि कोई रात में पीताम्बर चुरा के ले गया। जब थोड़ा दिन चढ़ा तो गाड़ी में ढेर सारा सामान लदवा के कृतज्ञता के साथ हाथ जोड़े हुए पलटू बनिया आया और सीधा रामप्रसाद जी के चरणों में गिरकर क्षमा माँगने लगा।

रामप्रसाद जी को तो कुछ पता ही नहीं था। वे पूछें–’क्या हुआ? अरे किस बात की माफी मांग रहा है।’ पर पलटू बनिया उठे ही ना और कहे–’महाराज रात में पैसे भिजवाने की क्या आवश्यकता थी, मैं कान पकड़ता हूँ आज के बाद कभी भी राशन के लिए मना नहीं करूँगा और ये रहा आपका पीताम्बर, वो बच्चे मेरे यहाँ ही छोड़ गए थे | बड़े प्यारे बच्चे थे, इतनी रात को बेचारे पैसे लेकर आ भी गये और अगर आप बुरा ना मानें तो मैं एक बार उन बालकों को फिर से देखना चाहता हूँ।’

जब रामप्रसाद जी ने वो पीताम्बर देखा तो पता चला ये तो हमारे मन्दिर का ही है, जो गायब हो गया था। अब वो पूछें कि – ‘ये तुम्हारे पास कैसे आया?’ तब उस बनिया ने रात वाली पूरी घटना सुनाई। अब तो रामप्रसाद जी भागे जल्दी से और सीधा मन्दिर जाकर भगवान के पैरों में पड़कर रोने लगे कि – ‘हे भक्तवत्सल…! मेरे कारण आपको आधी रात में इतना कष्ट उठाना पड़ा और कष्ट उठाया सो उठाया मैंने जीवन भर आपकी सेवा की, मुझे तो दर्शन भी नसीब ना हुआ और इस बनिए को आधी रात में दर्शन देने पहुँच गए।’

जब पलटू बनिया को पूरी बात पता चली तो उसका हृदय भी धक् से होके रह गया कि जिन्हें मैं साधारण बालक समझ बैठा वे तो त्रिभुवन के नाथ थे, अरे मैं तो चरण भी न छू पाया। अब तो वे दोनों ही लोग बैठ कर रोएँ।

इसके बाद कभी भी आश्रम में राशन की कमी नहीं हुई। आज तक वहाँ सन्त सेवा होती आ रही है। इस घटना के बाद ही पलटू बनिया को वैराग्य हो गया और यह पलटू बनिया ही बाद में श्री पलटूदास जी के नाम से विख्यात हुए।

श्री रामप्रसाद जी की व्याकुलता उस दिन हर क्षण के साथ बढ़ती ही जाए और रात में शयन के समय जब वे भजन गाने बैठे तो मूर्छित होकर गिर गए। संसार के लिए तो वे मूर्छित थे किन्तु मूर्च्छावस्था में ही उन्हें पत्नियों सहित चारों भाइयों का दर्शन हुआ और उसी दर्शन में श्री जानकी जी ने उनके आँसू पोंछे तथा अपनी ऊँगली से इनके माथे पर बिन्दी लगाई जिसे फिर सदैव इन्होंने अपने मस्तक पर धारण करके रखा। उसी के बाद से इनके आश्रम में बिन्दी वाले तिलक का प्रचलन हुआ।

वास्तव में प्रभु चाहें तो ये अभाव, ये कष्ट भक्तों के जीवन में कभी ना आए परन्तु प्रभु जानबूझकर इन्हें भेजते हैं ताकि इन लीलाओं के माध्यम से ही जो अविश्वासी जीव हैं, वे सतर्क हो जाएं, उनके हृदय में विश्वास उत्पन्न हो सके। जैसे प्रभु ने आकर उनके कष्ट का निवारण किया ऐसे ही हमारा भी कर दे ।

बनिये पलटुदास की पुरानी हवेली

संत पलटु दास का वही आश्रम

Saturday, May 20, 2023

ANUPAM MITTAL - SHARK TANK

ANUPAM MITTAL - SHARK TANK

4 करोड़ की मर्सिडीज, रॉयल लुक वाला डाइनिंग स्पेस, वीकेंड में घुड़सवारी | 

Anupam Mittal Luxurious Lifestyle Net Worth Homes Cars Companies

लग्जरी लाइफशार्क टैंक और शादी डॉट कॉम वाले अनुपम मित्तल:4 करोड़ की मर्सिडीज, रॉयल लुक वाला डाइनिंग स्पेस, वीकेंड में घुड़सवारी


टीवी शो शार्क टैंक फेम और शादी डॉट कॉम के फाउंडर अनुपम मित्तल अपनी पर्सनैलिटी और कूल बिहेवियर के लिए चर्चा में रहते हैं। वे एक कामयाब बिजनेसमैन और ऐंजल इन्वेस्टर हैं। बीते कुछ सालों में उन्होंने ओला, फैब होटल्स, बिग बास्केट, केटो सहित 200 कंपनियों में इन्वेस्ट किया है।

शार्क टैंक के दौरान ही उन्होंने तकरीबन 60 बिजनेस में 7 करोड़ से ज्यादा इन्वेस्ट किया है।

रेसिंग कारों के शौकीन अनुपम मित्तल ने हाल ही में ट्विटर से ब्लू टिक हटाए जाने के बाद एलन मस्क को ट्वीट करके लिखा था कि वो उनकी कंपनी टेस्ला की इलेक्ट्रिक कार लेने वाले थे, लेकिन अब नहीं लेंगे।

तो चलिए आज बात करते हैं अनुपम की लक्जरी लाइफ के बारे में...

साउथ मुंबई में 15 करोड़ का घर, रॉयल लुक वाला डाइनिंग स्पेस

15 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक अनुपम मित्तल का साउथ मुंबई के कफ परेड में एक आलिशान घर है। अनुपम मेहर-नाज हाउसिंग सोसाइटी में अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं। उनके घर की कीमत तकरीबन 15 करोड़ रुपए है।

अपने घर के डाइनिंग स्पेस में बेटी और पत्नी के साथ अनुपम मित्तल।

अनुपम और उनकी पत्नी अंचल कुमार का साउथ मुंबई का यह बंगला ट्रेंडिंग स्टाइल और डैकोरेशन से भरा हुआ है। उनके लिविंग एरिया और डाइनिंग स्पेस के बीच में एक कांच की दीवार है, जो घर को दो हिस्से में बांटती है। स्टाइलिश सोफा और दो गोल मेजों वाले इस डाइनिंग रूम में ट्रेडिशनली बैठने की जगह है, जिसके सेंटर में एक गोल मेज है जो लकड़ी का बना हुआ है।

डिनर के लिए हाई रेज टेबलटॉप और कुशन वाली कुर्सियां हैं। डाइनिंग टेबल का स्टाइल और फील रॉयल रखा गया है। इसके अलावा उनके पास पूजा के लिए एक कोना है, जिसके समाने महंगा शीशा लगा है। घर के इस हिस्से में अनुपम अपनी पत्नी आंचल और बेटी एलिसा के साथ दीवाली मनाते देखे गए थे।


बीते साल दिवाली के दिन की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल रही। तस्वीर में अनुपम अपनी बेटी और पत्नी के साथ हैं।

फिटनेस को लेकर चौकन्ना रहने वाले अनुपम के घर में बड़ा सा जिम है। बीते दिनों सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वे जिम में अपने दो फेवरेट पेट्स के साथ दिखे थे। अनुपम जिम में रेगुलर वर्क आउट भी करते हैं।

जिम में अपने फेवरेट पेट्स के साथ अनुपम मित्तल।

अमेरिका में 27 लाख की कार में जाते थे कॉलेज

अनुपम मित्तल कारों के बहुत शौकीन हैं और दुनिया की तीन सबसे शानदार कारों के अलावा कई अन्य गाड़ियों के भी मालिक हैं। उनके पास पढ़ाई के दिनों में भी महंगी कार थी।


सेकेंड जेनरेशन वीआर-4 कार में 3-लीटर वी6 ट्विन-टर्बो पेट्रोल इंजन होता है, जो 324 पीएस की पावर और 427 एनएम का टॉर्क जेनरेट करता है।

अनुपम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वे अमेरिका के बॉस्टन कॉलेज में पढ़ रहे थे, तब उन्होंने मित्सुबिशी 3000 जीटी वीआर-4 कार खरीदी थी। सेकेंड जेनरेशन वीआर-4 कार की कीमत तकरीबन 27 लाख रुपए थी। वे मानते हैं कि अब इस गाड़ी की परफॉर्मेंस इतनी दमदार नहीं है, लेकिन मित्सुबिशी 3000जीटी वीआर-4 आज भी बाजार में मौजूद कई स्पोर्ट्स कारों से बेहतर दिखती है।

मित्सुबिशी के बाद उन्होंने कई सारी दूसरी कारें भी चलाकर देखीं और फेरारी की एक मॉडल को भी बुक किया मगर यह कार उनकी फेवरेट बनी रही।

जर्मन लग्जरी कारें पसंद, 4 करोड़ की मर्सिडीज न्यू फेवरेट

अनुपम जब भारत लौटे तो उनकी पसंद मर्सिडीज-बेंज की तरफ शिफ्ट हो गई। पहले उन्होंने मर्सिडीज का ई-क्लास कार खरीदी फिर मर्सिडीज-बेंज एस-क्लास कार को चुना। उनका कहना है कि काफी सालों तक उन्होंने केवल जर्मन लग्जरी कार कंपनियों को ही चुना है।


लेम्बोर्गिनी हुराकैन ईवीओ। यह कार महज 3.2 सेकेंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है।

उनके पास फिलहाल लेम्बोर्गिनी हुराकैन ईवीओ है, जिसकी कीमत 3 करोड़ रुपए है। शार्क टैंक इंडिया के पहले सीजन में अनुपम इसी कार में एंट्री लेते देखे गए थे। लेम्बोर्गिनी के बाद आज कल वह लेक्सस एलएस 500एच से चलते हैं। इस गाड़ी की कीमत 1.5 करोड़ के आस पास है जो 3.5-लीटर वी6 (हाइब्रिड) इंजन के साथ आती है।

1.1 करोड़ की ऑडी S5

मुंबई की सड़कों पर क्लास और पावर का सिंबल माने जाने वाली ऑडी S5 अनुपम की फेवरेट कार है। मुंबई में इस कार की ऑन-रोड कीमत INR 1.1 करोड़ से शुरू होती है। हालांकि अनुपम इस कार से कम ही चलते हैं और कहा जाता है कि ये गाड़ी उनमें से है जो उनके साउथ मुंबई स्थित घर के गैरेज की शोभा बढ़ा रही है।


इस कार में तीन लीटर का 2994cc टर्बो पेट्रोल इंजन है। यह इंजन 349bhp की पावर और 500Nm का टॉर्क पैदा करता है।

वीकेंड पर स्पीडबोट रेसिंग और घुड़सवारी भी करते हैं

अनुपम मित्तल ने बीते साल मुंबई में ही एक घोड़ा खरीदा है। फिलहाल उस घोड़े को जाने माने हॉर्स ट्रेनर जॉकी पेसी श्रॉफ और उनकी टीम के पास देखभाल के लिए रखा गया है।


अनुपम मित्तल के इस फेवरेट घोडे़ का नाम ईस्टर है और इसे उन्होंने बीते साल अप्रैल में खरीदा था।

अनुपम स्पीड के शौकीन हैं। महंगी कारों के अलावा उनका स्पीडबोट रेसिंग करना भी इस बात की गवाही देता है। अनुपम मुंबई में एक रेसिंग कम्युनिटी का हिस्सा हैं और वीकेंड में रेसिंग कॉम्पिटिशन में हिस्सा भी लेते हैं।


अनुमप साल 2017 से ही P1 रेसिंग टीम के ग्रुप के साथ जुड़े हैं।

पुर्तगाल से मालदीव तक छुट्टियां मनाते हैं अनुपम

मित्तल और उनकी पत्नी घूमने के शौकीन हैं। अनुपम इंस्टाग्राम पर सक्रिय रहते हैं और वेकेशन की तस्वीरों से पता चलता है कि घूमते भी खूब हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अनुपम साल भर में एक वेकेशन जरूर मनाते हैं। पुर्तगाल से मालदीव तक अनुपम मित्तल साल दर साल नई जगहें एक्सप्लोर करते रहे हैं।

बीते साल जुलाई में उन्होंने अपनी फेवरेट जगहों में से एक पुर्तगाल में छुट्टियां मनाईं थी, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर लगातार देखी जाती रहीं।


पुर्तगाल में पत्नी और बेटी के साथ वेकेशन पर अनुपम मित्तल।

एक एपिसोड का चार्ज करते हैं 7 लाख रुपए

अनुपम मित्तल चर्चित शो शार्क टैंक के जज हैं और सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वो प्रति एपिसोड सात लाख रुपए चार्ज करते हैं। पहले सीजन में अनुपम ने केटो, प्रॉपटाइगर, फैब होटल्स और अन्य कई स्टार्टअप्स में लगभग 5.4 करोड़ का निवेश किया है।


शार्क टैंक सीजन 2 के एक एपिसोड के दौरान अनुपम मित्तल।


अनुपम मित्तल के दो बड़े इनिशिएटिव्स। पहला शादी डॉट कॉम और दूसरा पीपल। शादी डॉट कॉम की शुरुआत उन्होंने 1996 में की थी।

अनुपम रियल एस्टेट और घरों की खरीद बेंच में मदद करने वाली कंपनी मकान डॉट काम भी चलाते हैं। वे पीपुल ग्रुप के संस्थापक और सीईओ भी हैं। यह ग्रुप मोबाइल एप्लिकेशन बनाने वाली कंपनी मौज और ऑनलाइन रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म मकान जैसे ब्रांडों को संभालता है। टिक टॉक बैन होने के बाद मौज चर्चा में आया और फिलहाल देश के चर्चित वीडियो ऐप में से एक है।

SABHAR: DAINIK BHASKAR 

VASUDEVSHARAN AGRAWAL A GREAT WRITER

VASUDEVSHARAN AGRAWAL A GREAT WRITER

वासुदेवशरण अग्रवाल का साहित्यिक जीवन परिचय


वासुदेवशरण अग्रवाल का जन्म सन् 1904 ई0 में लखनऊ के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। सन् 1929 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय से इन्होंने एम० ए० किया। तदनन्तर मथुरा के पुरातत्त्व संग्रहालय के अध्यक्ष पद पर रहे। सन् 1941 ई० में इन्होंने पी-एच० डी० तथा 1946 ई0 में डी0 लिट् की उपाधियाँ प्राप्त कीं । सन् 1946 ई0 से 1951 ई० तक सेन्ट्रल एशियन एण्टिक्विटीज म्यूजियम के सुपरिण्टेण्डेण्ट और भारतीय पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष पद का कार्य बड़ी प्रतिष्ठा और सफलतापूर्वक किया। सन् 1951 ई0 में ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कालेज ऑफ इण्डोलॉजी (भारती महाविद्यालय) में प्रोफेसर नियुक्त हुए। सन् 1952 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय में राधाकुमुद मुखर्जी व्याख्यान निधि की ओर से व्याख्याता नियुक्त हुए थे। व्याख्यान का विषय 'पाणिनि' था। अग्रवाल जी भारतीय मुद्रा परिषद् (नागपुर), भारतीय संग्रहालय परिषद् (पटना) तथा आल इण्डिया ओरियण्टल कांग्रेस, फाइन आर्ट सेक्शन बम्बई (मुम्बई) आदि संस्थाओं के सभापति पद पर भी रह चुके हैं। अग्रवाल जी ने पालि, संस्कृत, अंग्रेजी आदि भाषाओं तथा प्राचीन भारतीय संस्कृति और पुरातत्त्व का गहन अध्ययन किया था। सन् 1967 ई0 में हिन्दी के इस साहित्यकार का निधन हो गया।

भारतीय संस्कृति, पुरातत्त्व और प्राचीन इतिहास के ज्ञाता होने के कारण डॉ० अग्रवाल के मन में भारतीय संस्कृति को वैज्ञानिक और अनुसंधान की दृष्टि से प्रकाश में लाने की इच्छा थी, अतः इन्होंने उत्कृष्ट कोटि के अनुसंधानात्मक निबंधों की रचना की थी। निबंध के अतिरिक्त इन्होंने संस्कृत, पालि, प्राकृत के अनेक ग्रन्थों का सम्पादन किया।

वासुदेवशरण अग्रवाल की कृति

भारतीय साहित्य और संस्कृति के गम्भीर अध्येता के रूप में इनका नाम देश के विद्वानों में अग्रणी है। इनकी रचनाओं में प्रमुख हैं -

कल्पवृक्ष,
पृथिवीपुत्र,
भारत की एकता,
माताभूमि इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।
 
इन्होंने वैदिक साहित्य, दर्शन, पुराण और महाभारत पर अनेक गवेषणात्मक लेख लिखे हैं। जायसी कृत 'पद्मावत' की सजीवनी व्याख्या और बाणभट्ट के 'हर्षचरित' का सांस्कृतिक अध्ययन प्रस्तुत करके इन्होंने हिन्दी साहित्य को गौरवान्वित किया है। इसके अतिरिक्त इनकी लिखी और सम्पादित पुस्तकें हैं-उरुज्योति, कला और संस्कृति, भारतसावित्री, कादम्बरी, पोद्दार अभिनन्दन ग्रन्थ आदि ।

वासुदेवशरण अग्रवाल की भाषा शैली

वासुदेवशरण अग्रवाल की भाषा विषयानुकूल, प्रौढ़ तथा परिमार्जित है। इन्होंने मुख्यतः इतिहास, पुराण, धर्म एवं संस्कृति के क्षेत्रों से शब्द- चयन किया है और शब्दों को उनके मूल अर्थ में प्रयुक्त किया है। संस्कृतनिष्ठता के कारण कहीं-कहीं वह दुरूह हो गयी है। इनकी भाषा में देशज शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। इनकी भाषा में उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों, मुहावरों, कहावतों का अभाव दिखायी पड़ता है। इनकी मौलिक रचनाओं में संस्कृत की सामासिक शैली की प्रमुखता है तथा भाष्यों में व्यास शैली की। इनकी शैली पर इनके गंभीर व्यक्तित्त्व की गहरी छाप है। ये एक गंभीर अध्येता और चिंतक रहे हैं। इनके व्यक्तित्त्व का निर्माण एक सचेत शोधकर्ता, विवेकशील विचारक तथा एक सहृदय कवि के योग से हुआ है। इसलिए इनके निबंधों में ज्ञान का आलोक, चिन्तन की गहराई और भावोद्रेक की तरलता एक साथ लक्षित है। सामान्यतः इनके निबंध विचारात्मक शैली में ही लिखे गये हैं। अपने निबंधों में निर्णयों की पुष्टि के लिए उद्धरणों को प्रस्तुत करना इनका सहज स्वभाव रहा है। इसलिए उद्धरण-बहुलता इनकी निबंध-शैली की एक विशेषता बन गयी है।

इनके निबंधों भारतीय संस्कृति का उदात्त रूप व्यक्त हुआ है। इनके कथन प्रामाणिक हैं और इनकी शैली में आत्मविश्वास की झलक मिलती है। इनकी शैली का प्रधान रूप विवेचनात्मक है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में ये अपनी मौलिकता, विचारशीलता और विद्वता के लिए चिरस्मरणीय रहेंगे।

SABHAR: HINDIKUNJ   

TULADHAR VAISHYA AN JAJALI RISHI

 TULADHAR VAISHYA AN JAJALI RISHI 




लेख साभार : हर्षवर्धन गोयल सिंगापूर 

Friday, May 19, 2023

SAGAR GUPTA A YOUNG BILLIONIAR

SAGAR GUPTA A YOUNG BILLIONIAR 

Ekaa Electronics, नोएडा के इस 22 साल के लड़के ने 4 साल में खड़ी कर दी ₹600 करोड़ की कंपनी , चीन को दे रहे चुनौती 


जिस उम्र में लोग दोस्तों के साथ पार्टियां करने, कॉलेज की क्लास बंक कर फिल्में देखते हैं, उस उम्र में दिल्ली यूनिवर्सिटी के सागर गुप्ता ने 600 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी। आप सोचकर भले हैरान हो रहे हो, लेकिन दिल्ली से सटे नोएडा के रहने वाले सागर गुप्ता ने 26 साल की उम्र में खुद को करोड़पति बना लिया। 4 साल की कड़ी मेहनत के दम पर सागर ने छह सौ करोड़ की कंपनी खड़ी कर ली। ना तो सागर के पास कोई बिजनेस का अनुभव था और ना ही वो किसी कारोबारी घराने से ताल्लुक रखता है। सागर एक यंग एंटरप्रिन्योर हैं, जिसने अपने पिता के साथ मिलकर अपना बिजनेस साम्राज्य खड़ा कर लिया है।

​CA बनना चाहते थे सागर​

नोएडा के रहने वाले सागर गुप्ता के पिता चाहते थे कि बेटा सीए बने। इसलिए उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम की डिग्री हासिल की। सागर ने सीए की तैयारी के लिए कोचिंग लेना भी शुरू किया, लेकिन साल 2017 में उनकी लाइफ में एक टर्निंग प्वाइंट आया। साल 2017 में उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में उतरने का मन बना लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पिता के साथ मिलकर एलईडी टेलीविजन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने का फैसला किया। पिता 3 दशकों से सेमीकंडक्टर ट्रेडिंग कर रहे थे। पिता के इस अनुभव का लाभ सागर को मिला।

​4 साल में पलट दी बाजी​


जहां सागर पहले सीए बनना चाहते थे, उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए कारोबार में उतरने का फैसला किया। जब साल 2018 में उन्होंने पहली यूनिट लगाई उनकी उम्र 22 साल थी। 22 साल के सागर ने Ekkaa Electronics नाम से अपनी कंपनी शुरू की। वह कंपनी के को फाउंडर बने। एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स के डायरेक्टर सागर गुप्ता जो कंपनी सीए बनकर अच्छे सैलरी पैकेज पर नौकरी करना चाहते थे आज वो सफल एंटरप्रेन्योर बन चुके हैं। 4 साल तक कठिन मेहनत के बाद 26 साल की उम्र तक उनके पास 600 करोड़ की कंपनी है। साल 2019 में उन्होंने नोएडा में अपनी कंपनी एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स की नई यूनिट लॉन्च लगाई। सागर ने पिता की मदद से कॉन्टेक्ट बनाए। धीरे-धीरे वो ब्रांडेड कंपनी जैसे सैमसंग, तोशिबा और सोनी के लिए एलईडी टीवी की मैन्युफैक्चरिंग करने लगे।

​4 साल में 600 करोड़ की कंपनी​


सागर की कंपनी आज 100 से अधिक कंपनियों को सप्लाई करती है। उनकी कंपनी सैमसंग, तोशिबा, सोनी जैसी कंपनियों के लिए प्रोडक्ट्स बनाती है। उनकी मैन्युफैक्टरिंग फैसिलिटी हरियाणा, सोनीपत में है। जबकि सेल्स और प्रोडक्शन फैसिलिटीज नोएडा, गन्नौर और नासिक में भी है। आज उनकी कंपनी में 1000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।

चीन को चुनौती​


कंपनी का दावा है कि 24 इंच से लेकर 40 इंच की एलईडी टीवी एसेंबल करने के मामले में वो देश की टॉप कंपनियों में शामिल है। कंपनी एलसीडी, एलईडी और हाई एंड टीवी बनाती है। एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स हर महीने 1 लाख से ज्यादा टीवी तैयार करती है। जल्द ही उनकी कंपनी वाशिंग मशीन, स्पीकर और स्मार्ट वॉच जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तैयार करने की योजना पर काम कर रही है। एलईडी मैन्यूफैक्चरिंग पर चीन का दबदबा रहा है लेकिन भारत तेजी से इस दिशा में बड़ रहा है। सागर की कंपनी इस सेक्टर में तेजी से बढ़ रही है।

​नोएडा में 1000 करोड़ का निवेश​


एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स जल्द ही नोएडा में 1000 करोड़ रुपये का निवेश की योजना बना रही है। जमीन, उपकरण और सुविधाओं पर कंपनी 400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इतना ही नहीं अगले तीन सालों में कंपनी आईपीओ लॉन्च की तैयारी कर रही है।

SABHAR: NAVBHARAT TIMES