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Saturday, July 23, 2016

अग्रवाल - अग्रहरी अलग अलग कैसे हुए


साभार : अग्रवाल टुडे 


अग्रहरी भी अग्रसेन की संतान


साभार : अग्रवाल टुडे

महाराजा अग्रसेन: इतिहास एवं जीवन परिचय

महाराजा अग्रसेन जयंती इतिहास जीवन परिचय राष्ट्रिय सम्मान एवम अनमोल वचन आदि का समावेश इस आर्टिकल में हैं जिसे पढ़कर आप जान सकेंगे कैसे हुई अग्रवाल समाज की उत्पत्ति |

महाराज अग्रसेन, अग्रवाल अर्थात वैश्य समाज के जनक कहे जाते हैं | अग्रसेन जी का जन्म क्षत्रिय समाज में हुआ था | उस समय आहुति के रूप में पशुओं की बलि दी जाती थी जिसे अग्रसेन महाराज पसंद नहीं करते थे और इस कारण उन्होंने क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म स्वीकार किया था | कुल देवी लक्ष्मी जी के मतानुसार उन्होंने अग्रवाल समाज की उत्त्पत्ति की इस प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्मदाता देव माने जाते हैं |इन्होने व्यापारियों के राज्य की स्थापना की थी | यह उत्तरी भाग में बसाया गया था जिसका नाम अग्रोहा पड़ा था | अग्रवाल समाज के लिए अठारह गौत्र का जन्म इनके अठारह पुत्रो के द्वारा ऋषियों के सानिध्य अठारह यज्ञों द्वारा किया गया था |


Agrasen Maharaj Jeevan Parichay History In Hindi
महाराजा अग्रसेन जीवन परिचय इतिहास

अग्रसेन राजा वल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे | कहा जाता हैं इनका जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था जिस वक्त राम राज्य हुआ करते थे अर्थात राजा प्रजा के हीत में कार्य करते थे देश के सेवक होते थे | यही सब सिधांत राजा अग्रसेन के भी थे जिनके कारण वे इतिहास में अमर हुए | इनकी नगरी का नाम प्रतापनगर था | बाद में इन्होने अग्रोहा नामक नगरी बसाई थी | इन्हें मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं एवम जानवरों से भी लगाव था जिस कारण उन्होंने यज्ञों में पशु की आहुति को गलत करार दिया और अपना क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म की स्थापना की इस प्रकार वे अग्रवाल समाज के जन्म दाता बने | इनकी नगरी अग्रोहा में सभी मनुष्य धन धान्य से सकुशल थे | यह एक प्रिय राजा की तरह प्रसिद्द थे | इन्होने महाभारत युद्ध में पांडवो के पक्ष में युद्ध किया था |

इनका विवाह नागराज कन्या माधवी से हुआ था | माधवी बहुत सुंदर कन्या थी | उनके लिए स्वयंबर रखा गया था जिसमे राजा इंद्र ने भी भाग लिया था लेकिन कन्या ने अग्रसेन को चुना जिससे राजा इंद्र को अपमान महसूस हुआ और उन्होंने प्रताप नगर में अकाल की स्थिती निर्मित कर दी जिसके कारण राजा अग्रसेन ने इंद्र देव पर आक्रमण किया | इस युद्ध में अग्रसेन महाराज की स्थिती बेहतर थी | इस प्रकार उनका जितना तय लग रहा था लेकिन देवताओं ने नारद मुनि के साथ मिलकर इंद्र और अग्रसेन के बीच का बैर खत्म किया |
महाराजा अग्रसेन राष्ट्रीय सम्मान

अग्रसेन महाराज ने अपने विचारों एवम कर्मठता के बल पर समाज को एक नयी दिशा दी | उनके कारण समाजवाद एवम व्यापार का महत्व सभी ने समझा | इसी कारण भारत सरकार ने 24 सितम्बर 1976 को सम्मान के रूप में 25 पैसे के टिकिट पर महाराज अग्रसेन की आकृति डलवाई | भारत सरकार ने 1995 में जहाज लिया जिसका नाम अग्रसेन रखा गया था |

आज भी दिल्ली में अग्रसेन की बावड़ी हैं जिसमे उनसे जुड़े तथ्य रखे गए हैं |

कैसे हुई अग्रोहा धाम की स्थापना :

महाराज अग्रसेन प्रताप नगर के राजा थे | राज्य खुशहाली से चल रहा था | समृद्धि की इच्छा लेकर अग्रसेन ने तपस्या में अपना मन लगाया जिसके बाद माता लक्ष्मी ने उन्हें दर्शन दिये और उन्होंने अग्रसेन को एक नवीन विचारधारा के साथ वैश्य जाति बनाने एवम एक नया राज्य रचने की प्रेरणा दी जिसके बाद राजा अग्रसेन एवम रानी माधवी ने पुरे देश की यात्रा की और अपनी समझ के अनुसार अग्रोहा राज्य की स्थापना की | शुरुवात में इसका नाम अग्रेयगण रखा गया जो बदल कर अग्रोहा हो गया | यह स्थान आज हरियाणा प्रदेश के अंतर्गत आता हैं | यहाँ लक्ष्मी माता का भव्य मंदिर हैं |

इस संस्कृति की स्थापना से ही व्यापार का दृष्टिकोण समाज में विकसित हुआ | राजा अग्रसेन ने ही समाजवाद की स्थापना की जिसके कारण लोगो में एकता का भाव विकसित हुआ |साथ ही सहयोग की भावना का विकास हुआ जिससे जीवन स्तर में सुधार आया |

कैसे हुई अग्रवाल समाज की उत्पत्ति :

राजा अग्रसेन ने वैश्य जाति का जन्म तो कर दिया लेकिन इसे व्यवस्थित करने के लिए 18 यज्ञ हुए और उनके आधार पर गौत्र बनाये गए |

अग्रसेन महाराज के 18 पुत्र थे | उन 18 पुत्रों को यज्ञ का संकल्प दिया गया जिन्हें 18 ऋषियों ने पूरा करवाया | इन ऋषियों के आधार पर गौत्र की उत्त्पत्ति हुई जिसने भव्य 18 गोत्र वाले अग्रवाल समाज का निर्माण किया |

इन यज्ञ के समय जब 18 रवे यज्ञ में पशु बलि की बात आई तो राजा अग्रसेन ने इस बात का विरोध किया | इस प्रकार अंतिम यज्ञ में पशु बलि को रोक दिया गया |

इस प्रकार गठित इस वैश्य समाज ने धन उपार्जन के रास्ते बनाये और आज तक यह जाति व्यापार के लिए जानी जाति हैं |

अंतिम समय :

सकुशल राज्य की स्थापना कर राजा अग्रसेन ने अपना यह कार्यभार अपने जेष्ठ पुत्र विभु को सौंप दिया | और स्वयं वन में चले गए | इन्होने लगभग 100 वर्षो तक शासन किया था | इन्हें न्यायप्रियता, दयालुता, कर्मठ एवम क्रियाशीलता के कारण इतिहास के पन्नो में एक भगवान के तुल्य स्थान दिय गया | भारतेंदु हरिशचंद्र ने इन पर कई किताबे लिखी गई | इनकी नीतियों का अध्ययन कर उनसे ज्ञान लिया गया |

इन्होने ही लोकतंत्र, समाजिकता, आर्थिक नीतियों को बनाया एवम इसका महत्व समझाया | सन 29 सितंबर1976 में इनके राज्य अग्रोहा को धर्मिक धाम बनाया गया | यहाँ अग्रसेन जी का मंदिर भी बनवाया गया जिसकी स्थापना 1969 वसंतपंचमी के दिन की गई | इसे अग्रवाल समाज का तीर्थ कहा जाता हैं |

अग्रवाल समाज में अग्रसेन जयंती सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाई जाती हैं | पूरा समाज एकत्र होकर इस जयंती को विभिन्न तरीकों से मनाता हैं | 

अग्रसेन जयंती कब मनाई जाती हैं |

अग्रसेन जयंती आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात नवरात्री के प्रथम दिन मनाई जाती हैं | इस दिन भव्य आयोजन किये जाते हैं एवम विधि विधान से पूजा पाठ की जाती हैं |

वैश्य समाज के अंतर्गत अग्रवाल समाज के साथ जैन, महेश्वरी, खंडेलवाल आदि भी आते हैं वे सभी भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं | पूरा समाज एकत्र होकर इस जयंती को मनाता हैं | इस दिन महा रैली निकाली जाती हैं | अग्रसेन जयंती के पंद्रह दिन पूर्व से समारोह शुरू हो जाता हैं | समाज में कई नाट्य नाटिका एवम प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं | बच्चों के लिए कई आयोजन किये जाते हैं | यह उत्सव पुरे समाज के साथ मिलकर किया जाता हैं | यही इसका मुख्य उद्देश्य हैं | 

Agrasen Maharaj quotes 

अग्रसेन महाराज अनमोल वचन 

जिस प्रकार हमें मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता हैं हमें ऐसा जीवन बनाना होगा कि हम कह सके कि हम मृत्यु से पहले स्वर्ग में थे | 
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मैंने किसी पक्षी को तीर का निशाना बनाने के बजाय उन्हें उड़ता देखना पसंद करता हूँ | 

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घोड़े पर बैठकर जब चलते हैं अग्रसेन 
बच्चा-बच्चा कहता हैं हैं हम इनकी देन 

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पशुओं से प्रेम में 
परंपरा को झुठला डाला 
पशु बलि को रोकते हुए 
नये समाज का निर्माण कर डाला 


Happy Agrasen Maharaj Jayanti 

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कर्मठता का प्रतीक हैं 
इनके स्वभाव में ही सीख हैं 
ऐसी परंपरा बनाई 
आज तक जो चली आ रही वही रीत हैं 


अग्रसेन जयंती की बधाई


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जनक पिता बनकर इन्होने 
नव समाज निर्माण किया 
इनके ही विचारों के कारण 
आज वैश्य जाति ने उद्धार किया 

जय अग्रसेन, जय अग्रोहा


Lalit Agarwal




Alma mater 

Narsee Monjee Institute of Management Studies, Mumbai 

Occupation 

Business, CMD, V-Mart Retail Ltd 

Lalit Agarwal is an Indian businessman, who is the Chairman and Managing Director of V-Mart Retail Ltd, a retail chain in India.

Agarwal holds a bachelor's degree in Commerce from Bombay University and a Diploma in Financial Management from the Narsee Monjee Institute of Management Studies, Mumbai.

Before founding V-Mart, Agrawal worked in the printing, packaging and retail space. He founded V-Mart Retail in 2002, and as of 2015, the company has over 122 stores in 105 Indian cities. The company went in for successful IPO in 2013, and is now listed on Bombay Stock Exchange and National Stock Exchange of India. As of 2015, its market capitalization exceeds ₹ 1,000 crores.




Thursday, July 21, 2016

VAISHYA VANIK GENOLOGY - वैश्य वणिक कुल

एक ही कुल गोत्र का व्यक्ति ब्राह्मण-वैश्य भी हो सकता है और दलित  भी। क्षत्रिय भी हो सकता है और पिछड़ा  भी। जो लोग हिन्दू समाज को चार वर्णों में विभाजित करके देखते हैं वे हिन्दू धर्म के कुल वंश की परंपरा को अच्छे से नहीं जानते। जहां तक सवाल वैश्यों का है तो यह मुख्‍यत: सूर्य और चंद्र वंशों के अलावा ऋषि वंश में विभाजित हैं। इनमें मुख्‍यत: महेश्‍वरी, अग्रवाल, गुप्ता, ओसवाल, पोरवाल, खंडेलवाल, सेठिया, सोनी, आदि का जिक्र होता है।


वैश्य समाज के कुलदेव व कुलदेवी भगवान् विष्णु- माता लक्ष्मी 
महेश्वरी समाज का संबंध शिव के रूप महेश्वर से है। यह सभी क्षत्रिय कुल से हैं। शापग्रस्त 72 क्षत्रियों के नाम से ही महेश्वरी के कुल गोत्र का नाम चला। माहेश्वरियों के प्रमुख आठ गुरु हैं- 1. पारीक, 2. दाधीच, 3.गुर्जर गौड़, 4.खंडेलवाल, 5.सिखवाल, 6.सारस्वत, 7.पालीवाल और 8.पुष्करणा।

ये 72 उप कुल : आगीवाल, अगसूर, अजमेरा, आसावा, अटल, बाहेती, बिरला, बजाज, बदली, बागरी, बलदेवा, बांदर, बंग, बांगड़, भैय्या, भंडारी, भंसाली, भट्टड़, भट्टानी, भूतरा, भूतड़ा, भूतारिया, बिंदाड़ा, बिहानी, बियानी, चाण्‍डक, चौखारा, चेचानी, छपरवाल, चितलंगिया, दाल्या, दलिया, दाद, डागा, दम्माणी, डांगरा, दारक, दरगर, देवपूरा, धूपर, धूत, दूधानी, फलोद, गादिया, गट्टानी, गांधी, गिलदा, गोदानी, हेडा, हुरकत, ईनानी, जाजू, जखोतिया, झंवर, काबरा, कचौलिया, काहल्या, कलानी, कललंत्री, कंकानी, करमानी, करवा, कसत, खटोड़, कोठारी, लड्ढा, लाहोटी, लखोटिया, लोहिया, मालानी, माल, मालपानी, मालू, मंधाना, मंडोवरा, मनियान, मंत्री, मरदा, मारु, मिमानी, मेहता, मेहाता, मुंदड़ा, नागरानी, ननवाधर, नथानी, नवलखाम, नवल या नुवल, न्याती, पचीसिया, परतानी, पलोड़, पटवा, पनपालिया, पेड़ियावाल, परमाल, फूमरा, राठी, साबू, सनवाल, सारड़ा, शाह, सिकाची, सिंघई, सोडानी, सोमानी, सोनी, तपरिया, ताओरी, तेला, तेनानी, थिरानी, तोशनीवाल, तोतला, तुवानी और जवर।

खापें का गोत्र कुल : इसके अलावा सोनी (धुम्रांस), सोमानी (लियांस), जाखेटिया (सीलांस), सोढानी (सोढास), हुरकुट (कश्यप), न्याती (नागसैण), हेडा (धनांस), करवा (करवास), कांकाणी (गौतम), मालूदा (खलांस), सारडा (थोम्बरास), काहल्या (कागायंस), गिरडा (गौत्रम), जाजू (वलांस), बाहेती (गौकलांस), बिदादा (गजांस), बिहाणी (वालांस), बजाज (भंसाली), कलंत्री (कश्यप), चावड़ा (चावड़ा माता), कासट (अचलांस), कलाणी (धौलांस), झंवर (धुम्रक्ष), मनमंस (गायल माता), काबरा (अचित्रांस), डाड़ (अमरांस), डागा (राजहंस), गट्टानी (ढालांस), राठी (कपिलांस), बिड़ला (वालांस), दरक (हरिद्रास), तोषनीवाल (कौशिक), अजमेरा (मानांस), भंडारी (कौशिक), भूतड़ा (अचलांस), बंग (सौढ़ास), अटल (गौतम), इन्नाणी (शैषांश), भराडिया (अचित्र), भंसाली (भंसाली), लड्ढा (सीलांस), सिकची (कश्यप), लाहोटी (कांगास), गदहया गोयल (गौरांस), गगराणी (कश्यप), खटोड (मूगांस), लखोटिया (फफडांस), आसवा (बालांस), चेचाणी (सीलांस), मनधन (जेसलाणी, माणधनी माता), मूंधड़ा (गोवांस), चांडक (चंद्रास), बलदेवा (बालांस), बाल्दी (लौरस), बूब (मूसाइंस), बांगड़ (चूडांस), मंडोवर (बछांस), तोतला (कपिलांस), आगीवाल (चंद्रास), आगसूंड (कश्‍यप), परतानी (कश्यप), नावंधर (बुग्दालिभ), नवाल (नानणांस), तापडिया (पीपलांस), मणियार (कौशिक), धूत (फाफडांस), धूपड़ (सिरसेस), मोदाणक्ष (सांडास), देवपुरा (पारस), मंत्री (कंवलांस), पोरवाल/परवाल (नानांस), नौलखा (कश्‍यप गावंस), टावरी (माकरण), दरगढ़ (गोवंस), कालिया (झुमरंस), खावड (मूंगास), लोहिया, रांदड (कश्यप) आदि। इसके अलावा महेश्वरी समाज की और भी खापें और खन्ने हैं जैसे दम्माणी, करनाणी, सुरजन, धूरया, गांधी, राईवाल, कोठारी, मालाणी, मूथा, मोदी, मोह्त्ता, फाफट, ओझा, दायमा आदि।

इसके अलावा मधेशिया, मधेशी, रोनियार, दौसर, कलवार, भंडारी, पटेल, गनिया तेली (कर्नाटक), गनिया गान्दला कर्नाटक, पटवा, माहेश्वरी, चौरसिया, पुरवाल (पोरवाल), सरावगी, ओसवाल, कांदु, माहुरी, सिंदुरिया या कायस्थ बनिया, वाणी महाराष्ट्र और कर्नाटक, ओमर, उनई साहू, कपाली बंगाल, गंध बनिया बंगाल, माथुर, वानिया चेट्टियार तमिलनाडु, केसरवानी, खत्री, बोहरा, कपोल, मोढ्ह, तेलगु, आर्य आंध्र तमिल और कर्नाटक, असाती, रस्तोगी, विजयवर्गी, खंडेलवाल, साहू तेली, अग्रोहा, अग्रसेन, अग्रवाल, लोहाना, महाजन, अरोरा, अग्रहरी, सोनवाल सिहारे, कमलापुरी, घांची, कानू, कोंकणी, गुप्त, गदहया (गोयल) आदि सभी वर्तमान में वैश्य से संबंध रखते हैं। नभागाजी माहेश्वरी वैश्यों के प्राचीन पुरुष हैं। 

इसके अलवा कालांतार में व्यापार के आधार पर यह उपनाम रखें गए- अठबरिया, अनवरिया, अरबहरया, अलापुरिया, ओहावार, औरिया, अवध, अधरखी तथा अगराहरी, कसेरे, पैंगोरिया, पचाधरी, पनबरिया, पन्नीवार, पिपरैया, सुरैया, सुढ़ी, सोनी, संवासित, सुदैसक, सेंकड़ा, साडिल्य, समासिन साकरीवार, शनिचरा, शल्या, शिरोइया, रैपुरिया, रैनगुरिया, रमपुरिया, रैदेहुआ, रामबेरिया, रेवाड़ी, बगुला, बरैया, बगबुलार, बलाईवार, बंसलवार, बारीवार, बासोरिया, बाबरपुरिया, बन्देसिया, बादलस, बामनियां, बादउआ, विरेहुआ, विरथरिया, विरोरिया, गजपुरिया, गिंदौलिया, गांगलस, गुलिया, गणपति, गुटेरिया, गोतनलस, गोलस, जटुआ, जबरेवा, जिगारिया, जिरौलिया, जिगरवार, कठैरिया, काशीवार, केशरवानी, कुटेरिया, कुतवरिया, कच्छलस, कतरौलिया, कनकतिया, कातस, कोठिया, गुन्पुरिया, ठठैरा, पंसारी, निबौरिया, नौगैया, निरजावार, मोहनियॉं, मोदी, मैरोठिया, माठेसुरिया, मुरवारिया महामनियॉं, महावार, माडलस, महुरी, भेसनवार, भतरकोठिया, भभालपुरिया, भदरौलिया, चॉदलस, चौदहराना, चौसिया, लघउआ, तैरहमनिया, तैनगुरिया, घाघरवार, खोबड़िया, खुटैटिया, फंजोलिया, फरसैया, हलवाई, हतकतिया, जयदेवा, दोनेरिया, सिंदुरिया आदि। 

अग्रोहा : अग्रवाल समाज के संस्थापक महाराज अग्रसेन एक क्षत्रिय सूर्यवंशी राजा थे। सूर्यवंश के बारे में हम पहले ही लिख आएं हैं अत: यह समाज भी सूर्यवंश से ही संबंध रखता है। वैवस्वत मनु से ही सूर्यवंश की स्थापना हुई थी। महाराजा अग्रसेन ने प्रजा की भलाई के लिए कार्य किया था। इनका जन्म द्वापर युग के अंतिम भाग में महाभारत काल में हुआ था। ये प्रतापनगर के राजा बल्लभ के ज्येष्ठ पुत्र थे। वर्तमान 2016 के अनुसार उनका जन्म आज से करीब 5187 साल पहले हुआ था।

अपने नए राज्य की स्थापना के लिए महाराज अग्रसेन ने अपनी रानी माधवी के साथ सारे भारतवर्ष का भ्रमण किया। इसी दौरान उन्हें एक जगह शेर तथा भेड़िए के बच्चे एक साथ खेलते मिले। उन्हें लगा कि यह दैवीय संदेश है जो इस वीरभूमि पर उन्हें राज्य स्थापित करने का संकेत दे रहा है। वह जगह आज के हरियाणा के हिसार के पास थी। उसका नाम अग्रोहा रखा गया। आज भी यह स्थान अग्रवाल समाज के लिए तीर्थ के समान है। यहां महाराज अग्रसेन और मां वैष्णव देवी का भव्य मंदिर है।

महाराज ने अपने राज्य को 18 गणों में विभाजित कर अपने 18 पुत्रों को सौंप उनके 18 गुरुओं के नाम पर 18 गोत्रों की स्थापना की थी। हर गोत्र अलग होने के बावजूद वे सब एक ही परिवार के अंग बने रहे।

अग्रवाल कुल गोत्र:- गर्ग, गोयल, गोयन, बंसल, कंसल, सिंहल, मंगल, जिंदल, तिंगल,
ऐरण, धारण, मधुकुल, बिंदल, मित्तल, तायल, भन्दल, नागल और कुच्छ्ल।

पोरवाल समाज : माना जाता है कि राजा पुरु के वंशज पोरवाल कहलाए। राजा पुरु के चार भाई कुरु, यदु, अनु और द्रुहु थे। यह सभी अत्रिवंशी है क्योंकि राजा पुरु भी अत्रिवंशी थे। बीकानेर तथा जोधपुरा राज्य (प्राग्वाट प्रदेश) के उत्तरी भाग जिसमें नागौर आदि परगने हैं, जांगल प्रदेश कहलाता था। जांगल प्रदेश में पोरवालों का बहुत अधिक वर्चस्व था। विदेशी आक्रमणों से, अकाल, अनावृष्टि और प्लेग जैसी महामारियों के फैलने के कारण अपने बचाव के लिए एवं आजीविका हेतू जांगल प्रदेश से पलायन करना प्रारंभ कर दिया। अनेक पोरवाल अयोध्या और दिल्ली की ओर प्रस्थान कर गए। मध्यकाल में राजा टोडरमल ने पोरवाज जाति के उत्थान और सहयोग के लिए बहुत सराहनीय कार्य किया था जिसके चलते पोरवालों में उनकी ‍कीर्ति है।

दिल्ली में रहने वाले पोरवाल 'पुरवाल' कहलाए जबकि अयोध्या के आसपास रहने वाले 'पुरवार' कहलाए। इसी प्रकार सैकड़ों परिवार वर्तमान मध्यप्रदेश के दक्षिण-प्रश्चिम क्षेत्र (मालवांचल) में आकर बस गए। यहां ये पोरवाल व्यवसाय/व्यापार और कृषि के आधार पर अलग-अलग समूहों में रहने लगे। इन समूह विशेष को एक समूह नाम (गौत्र) दिया जाने लगा और ये जांगल प्रदेश से आने वाले जांगडा पोरवाल कहलाए। राजस्थान के रामपुरा के आसपास का क्षेत्र और पठार आमद कहलाता था। आमदगढ़ में रहने के कारण इस क्षेत्र के पोरवाल आज भी आमद पोरवाल कहलाते हैं।

श्रीजांगडा पोरवाल समाज में उपनाम के रुप में लगाई जाने वाली 24 गोत्रें किसी न किसी कारण विशेष के द्वारा उत्पन्न हुई और प्रचलन में आ गई। जांगलप्रदेश छोड़ने के पश्चात् पोरवाल समाज अपने-अपने समूहों में अपनी मानमर्यादा और कुल परम्परा की पहचान को बनाए रखने के लिए आगे चलकर गोत्र का उपयोग करने लगे।

जैसे किसी समूह विशेष में जो पोरवाल लोग अगवानी करने लगे वे चौधरी नाम से सम्बोधित होने लगे। जो लोग हिसाब-किताब, लेखा-जोखा, आदि व्यावसायिक कार्यों में दक्ष थे वे मेहता कहलाए। यात्रा आदि सामूहिक भ्रमण, कार्यक्रमों के अवसर पर जो लोग अगुवाई करते और अपने संघ-साथियों की सुख-सुविधा का ध्यान रखते थे वे संघवी कहलाए। मुक्त हस्त से दान देने वाले दानगढ़ कहलाए। असामियों से लेन-देन करने वाले, धन उपार्जन और संचय में दक्ष परिवार सेठिया और धन वाले धनोतिया पुकारे जाने लगे। कलाकार्य में निपुण परिवार काला कहलाए, राजा पुरु के वंशज्पोरवाल और अर्थ व्यवस्थाओं को गोपनीय रखने वाले गुप्त या गुप्ता कहलाए। कुछ गौत्रें अपने निवास स्थान (मूल) के आधार पर बनी जैसे उदिया-अंतरवेदउदिया (यमुना तट पर), भैसरोड़गढ़ (भैसोदामण्डी) में रुकने वाले भैसोटा, मंडावल में मण्डवारिया, मजावद में मुजावदिया, मांदल में मांदलिया, नभेपुर केनभेपुरिया, आदि।

इस तरह ये गोत्र निर्मित हो गए- सेठिया, काला, मुजावदिया, चौधरी, मेहता, धनोतिया, संघवी, दानगढ़, मांदलिया, घाटिया, मुन्या, घरिया, रत्नावत, फरक्या, वेद, खरडिया, मण्डवारिया, उदिया, कामरिया, डबकरा, भैसोटा, भूत, नभेपुरिया, श्रीखंडिया। प्रत्येकगोत्र के अलग- अलग भेरुजी होते हैं। जिनकी स्थापना उनके पूर्वजों द्वाराकभी किसी सुविधाजनक स्थान पर की गई थी।

दोसर समाज : ऋषि मरीचि के पुत्र कश्यप थे। डॉ. मोतीलाल भार्गव द्वारा लिखी पुस्तक 'हेमू और उसका युग' से पता चलता है कि दूसर वैश्य हरियाणा में दूसी गांव के मूल निवासी हैं, जोकि गुरुगांव जनपद के उपनगर रिवाड़ी के पास स्थित है।

खंडेलवाल समाज : खंडेलवाल के आदिपुरुष हैं खाण्डल ऋषि। एक मान्यता के अनुसार खंडेला के सेठ धनपत के 4 पुत्र थे। 1.खंडू, 2.महेश, 3.सुंडा और 4. बीजा इनमें खंडू से खण्डेलवाल हुए, महेश से माहेश्वरी हुए सुंडा से सरावगी व बीजा से विजयवर्गी। खण्डेलवाल वैश्य के 72 गोत्र है। गोत्र की उत्पति के सम्बंध में यही धारणा है कि जैसे जैसे समाज में बढ़ोतरी हुई स्थान व्यवसाय, गुण विशेष के आधार पर गोत्र होते गए।

साभार : वेब दुनिया 


27 साल के रोहित खंडेलवाल ने जीता मिस्टर वर्ल्ड 2016 का खिताब



भारत के लिए गर्व का मौका है क्योंकि भारत के रोहित खंडेलवाल ने मिस्टर वर्ल्ड 2016 टाइटल जीत लिया। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी भारतीय ने ये खिताब अपने नाम किया है। पिछले 20 सालों से सौंदर्य का परिचायक बने इस प्रतियोगिता को जीतने वाले 27 साल के रोहित खंडेलवाल हैदराबाद के निवासी है।


रोहित खंडेलवाल का जन्म दिन 19 अगस्त 1989 में हैदराबाद मारवाड़ी वैश्य परिवार में हुआ था। रोहित ने अरौरा डिग्री कॉलेज से स्नातक किया है। रोहित ने स्पाइस जेल और डेल कंप्यूटर में कुछ दिन काम करने के बाद मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। रोहित ने कुछ टीवी सीरयल्स में भी काम किया है। रोहित ने करीना कपूर के साथ ज्वैलरी एडवर्टाइजमेंट में भी काम किया है। रोहित ने कलर्स के पॉपुलर शो 'ये है आशिकी' सीरियल में भी अभिनय किया है। इसके अलावा रोहित 'मिलियन डॉलर गर्ल', 'क्रिस', 'एमटीवी बिग एफ' और 'प्यार तूने क्या किया' जैसे सीरियल्स में भी नजर आ चुके हैं। रोहित ने मिस्टर वर्ल्ड प्रतियोगिता में 47 पार्टिसिपेंट्स को पीछे छोड़ते हुए यह खिताब जीता। उन्हें 50 हजार डॉलर (करीब 33 लाख 60 हजार रुपए) की प्राइज मनी मिलेगी। रोहित को खास तैयारी कराने के लिए 20 लोगों की टीम ने मदद की थी।

Monday, July 4, 2016

मथुरा के सेठ ने दो बार नीलामी में खरीदा था ताजमहल


सेठ लख्मीचंद जिन्होंने खरीदा था ताजमहल
आगरा। ताजमहल की नीलामी दो बार की गई पहली बार में इसे डेढ़ लाख में व दूसरी बार सात लाख में इसे बेचा गया। शर्त ये थी कि ताजमहल के पत्थरों पर खूबसूरत इनले वर्क और सुंदर पत्थरों को तोड़कर अंग्रेजों को सौंपना था। विश्वविरासत ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।1831 में अंग्रेजों ने ताजमहल को दो बार नीलाम कर दिया था। मथुरा के सेठ लख्मीचंद ने सबसे बड़ी बोली लगाई थी। सौभाग्य था कि ताजमहल बच गया। यहां तक की कहानी तो सबको पता है। आखिर क्या कारण था कि नीलाम होने के बाद भी ताजमहल में कोई प्रवेश नहीं कर सका? शाहजहां का ताजमहल सेठ लख्मीचंद का ताजमहल होने से कैसे बचा? यह जानने के लिए ये खबर पढ़िए।

अंग्रेजों के लिए क्लब हो गया था ताजमहल

पहले आपको पुरानी कहानी बताते हैं। मुगलकाल की कला का सबसे नायाब नमूना ताजमहल है। ताजमहल को भारत में मुस्लिम कला का हीरा कहा जाता है। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने ताजमहल का प्रयोग पार्टी पूल की तरह किया। ताजमहल परिसर में शराब का सेवन भी किया जाता था। मस्जिद के सामने वाले हिस्से को किराये पर उठा दिया गया था। इस तरह ताजमहल की पवित्रता भंग की जा रही थी। अंग्रेजों के लिए यह मुमताज की कब्र न होकर क्लब हो गया था।

खूबसूरत पत्थरों को लंदन ले जाना था

बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम हेनरी कैवेन्डिश, जिन्हें लॉर्ड बेंटिंक के नाम से जाना जाता है, की नजर ताजमहल पर गई। वे बाद में भारत के गर्वनर जनरल भी रहे। बेंटिंक ने सोचा कि ताजमहल के खूबसूरत पत्थरों को लंदन ले जाया जाए और नीलामी करके क्वीन विक्टोरिया का खजाना भरा जाए। उन्होंने आगरा औऱ दिल्ली के स्मारकों को गिराने का ऐलान कर दिया। उसने कहा कि कुछ हिस्सा भारतीय अमीरों को बेचा जाएगा और बाकी लंदन में।

1.5 लाख रुपये में बेचा ताजमहल

अंततः ब्रिटिश सरकार ने मथुरा के सेठ लख्मीचंद को ताजमहल 1.5 लाख रुपये में बेच दिया। सेठ लख्मीचंद ताजमहल पर कब्जा लेने पहुंचे। जब ताजमहल के आसपास रहने वाले ताजगंज के लोगों को इसका पता चला तो विरोध शुरू हो गया। हिन्दू और मुसलमान एकजुट हो गए। उनका कहना था कि शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करने वाले श्रमिकों के लिए कई कटरे बसाए थे। वे उन्हीं के वारिस हैं। हमारे रहते कोई ताजमहल के पत्थरों को नहीं ले जा सकता है। लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए सेठ लख्मीचंद ने पांव पीछे खींच लिए। ताजमहल को खरीदने का विचार त्याग दिया।

दोबारा सात लाख रुपये में खरीदा

इस घटना से लॉर्ड बेंटिंक ताव खा गया। कुछ महीने बाद उसने कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक अखबार में ताजमहल को बेचने का विज्ञापन छपवाया। यह बात 26 जुलाई, 1931 की है। नीलामी दो दिन तक चली। पहले दिन मथुरा के सेठ और राजस्थान के शाही परिवार के सदस्यों ने नीलामी में भाग लिया। दूसरे दिन अंग्रेजों को मौका मिला। यह नीलामी मथुरा के सेठ लख्मीचंद के नाम रही। उन्होंने सात लाख रुपये में ताजमहल को फिर खरीद लिया।

क्यों बच गया ताजमहल

फिर वही समस्या थी। ताजमहल के पत्थरों को जहाज से लंदन ले जाने की कीमत बहुत अधिक हो रही थी। स्थानीय लोग इसका विरोध कर ही रहे थे। कहा जाता है कि ब्रिटिश सेना के एक अज्ञात सिपाही ने ब्रिटिश संसद के सदस्य को बेंटिंक की पूरा कथा बता दी। यह मामला ब्रिटिश संसद में गूंजा। इसके बाद ताजमहल को गिराने का विचार बेंटिंक को त्यागना पड़ा।

ब्रज के लिए गौरव की बातसेठ लख्मीचंद जैन के प्रपौत्र सेठ विजय कुमार जैन ने यह पूरी कहानी ‘मथुरा सेठ’ पुस्तक में लिखी है। उनका कहना है कि हमारा इरादा ताजमहल पर कब्जे का नहीं है। यह ब्रज के लिए गौरव की बात है कि 1831में मथुरा के सेठ ने ताजमहल को दो बार खरीद लिया था। इतिहासवेत्ता प्रो. रामनाथ ने अपनी पुस्तक ताजमहल, ब्रिटिश लेखक एचजी केन्स ने आगरा एंड नेबरहुड पुस्तक में ताजमहल की नीलामी के बारे में जानकारी दी है।

साभार: vishban.com/2016/07/02/seth-was-bought-at-auction-twice-mathura-taj-mahal




Sunday, July 3, 2016

GANIGA TELI VAISHYA , गनिगा तेली वैश्य

GANIGA TELI VAISHYA , गनिगा तेली वैश्य


Ganiga or Gandla is not caste it is kulakasubu(profession)of some people of India,and it has nothing subcaste, community likeshivajyothi,nagarajyothi,lingayutha,somakshathriya,etc doing in this profession for money. If another communities like okkaliga,lambani,bramhana would did this profession then people would have called them as okkaliga ganiga,lambani ganiga,bramhana ganiga.

person drives gana(oil press) is a ganiga(oil monger) who form any community.

Social and Government mentioned ganiga as a caste by mistakely.

Ganiga's are basically oil merchants. Ganiga is a vaishya bania teli caste. Hundreds of very small villages in andhra and karnataka which have only Gandla people.

Origin

From ancient time in India, vegetable oils were obtained by crushing oil seeds in village, using an oil-press - or Ghana. A ganiga is a person who extracts oil using a ghana.

In Sanskrit literature of about 500 BC there is a specific reference to an oil-press, or Ghanis, although it was never described (by Monier-Williams, M. 1899. A Sanskrit-English dictionary, Delhi, India, Motilal Banarsidass. Reprinted 1963).

As per Manu dharma sastra there are four varnas - Brahmana, Kshatriya, Vysya & Shudra. The brahmins were priests in temples and interpreters of vedas, sashtras and puranas. There were acting as advisers to rulers and people on dharma, astrology etc. and also as record keepers in villages (Karnams). Kshatriyas were the rulers and aristocrats, land lords. The vysya were the merchants and business people. All the other people engaged in various vocations i.e., carpenters, potters, gold smiths, iron smiths, washer men, barbers etc. and who did not belong to other three varnas like Reddy, kapus, Kamma, Balija were also called Shudra. The schedule castes who were considered untouchables in olden times and the schedule tribes also fall in the broad varna of Sudra.

Ganiga is a profession known in Karnataka State of South India. They are some communities involve in this profession and they were called with profession name ganiga such as Somakshatriya Ganiga, Ganiga Shetty, Jyothinagara Ganiga, Jyothipana Ganiga, Ontettu Ganiga, Jodettu Ganiga, Veerashaiva Ganiga, Vijayanagara Ganiga etc. The name Ganiga is derived of Gana the traditional oil press used by them. In Sanskrit literature of about 500 BC there is a specific reference to an oil-press, or Ganis, although it was never described (by Monier-Williams, M. 1899. A Sanskrit-English dictionary by Motilal Bnarasidas of Delhi, India, Reprinted in1963).

This community of oil extractors is known by different names in different States in India. They are known as Gandla (deva gandla, sajjana gandla), in A.P; as Vaniya Chettiar or Vaaniga vysya in Tamil Nadu ; as Teli in Maharashtra and in North India.

All castes in Sudra varna were not considered as equals. Castes enjoyed different status and privileges in the society depending on their profession. Gandla community were extracting oil from ground nut, gingley, castor seeds and also preparing ghee (oil with preservatives made by melting butter). They were not only extracting oil but also selling it. They were economically better compared to other castes like carpenters, barbers, washer men potters, etc. As producers and sellers of oil they enjoyed higher status in society.

In olden times oil was extracted by crushing and grinding oil seeds in a wooden drum usually of 1 meter diameter on which a heavy cylindrical wooden log is placed for rotation. This log is attached through a shaft to which an ox was harnessed. The ox moves in circles and rotates the heavy log in the drum. In this process the oil seeds are crushed and ground and the oil oozes from the seeds and gets collected at the bottom of the wooden drum. This extracted oil comes out of the wooden drum through a wooden canal which is fixed to the hole at the bottom of the drum. Some were using one ox and some two oxen for harnessing the mill.

There are sub castes within Gandla. People using one ox (yedhu) were called one ox (yedhu) gandla and those using two ox (yedhu) were called the double ox (yedhu) gandla. Among the gandla some are known as Deva (pious) Gandla and others were Sajjana (commoners) gandla. There is no definite criteria for this classification. However gandla in Punganur village of Chittor district, A.P. were called as Deva Gandla. Gandlas of Bellary, Krishnagiri (Tamil Nadu) , Venkatagiri, Rompicherla, Vayalpadu and other parts of Chittor are known as Sajjana gandla.

At present In A.P. Gandla community is officially recognized as a Backward community. They are entitled to reservations in government educational institutions and government jobs.

Traditionally for gandlas in Andhra Pradesh, Tamil Nadu and Karnataka Sri.Panditaaradhya Samba Murthy of Nellore, A.P.was the Kula guru. He was a brahmin. He and his ancestors were maintaining genealogy table of many gandla families. Sri.S.P. Balasubramanyam and Smt.S.P.Sailaja, famous playback singers are his children. In olden times people were seeking blessings of this Kula guru on important occasions like naming ceremonies, Aksharabhyasam ( ceremony of initiation of education), marriages, gruha pravesham (ceremony of entering a new house). After the death of Sri.Panithaaradhya Samba Murthy, Sri.Mallikarjuna Sharma of Tenali, Guntur District of A.P. is considered as Kula Guru.

In Andhra Pradesh, a society called as Akhila Gandla Sabha was formed for the welfare of the poor and economically weak gandlas of Andhra Pradesh. Late Sri.Kothapalli Ramakrishna Chetty, Late Sri.Bachala Venkatasubbaiah, Late Bachala Balaiah, Sri.Obulampalli Gopalakrshnan, Sri.Avula Chengappa, Dr.I.L.Narasaiah, Sri.Prof. Nanjappa were the founding members of this society. At present Sri. Grosu Gopalaiah(MK group) of Nellore, Mr.V.Muniratnam, Mr.Umapathi, Mr.A.Chengappa are some of the important persons who are working for the society. Currently Mr.Paluri Ramakrishnaiah is the President A.P.Gandla Telikula Sangham.

All Ganigas does not come under Shudras: Ganigas (Jyothi Nagaras) in Karnataka, Andhra, Tamil Nadu have Rushi Gothram and can be considered as Vaishyas. They wear Janivar the sacred thread and are eligible for recitation of Gayathri and have rituals of Vysyas and Brahmins. The Noted persons of this community is Sree Doddanna Shetty in Bangalore who have built SLN Charities (Sree Lakshmi Narasimha Swamy Charities) which is opposite to Fort Bangalore(Market) and has Famous Kote Anjaneya Temple in front premises. The Other Institute is in Mulbagal Sree Sharadha Vidya Peeta built by Shapoor Krishnayya Shetty.

The Ganiga Caste today

Ganiga People speak Kannada, Telugu, Tulu as their mother tongue. Ganigas worship Lord Venugopalakrishna and the ancient temple which was installed during 12th century is there in Barkur village near Udupi. This temple is managed by the Ganiga Community and has a Marriage hall is also available at Barkur temple premises.

Ganiga people mainly live in different parts of Karnataka. In South Karnataka Ganiga people mainly speak Kannada Language. Ganiga people are living the following districts of Karnataka, India - Bijapur, Bagalkot, Belgaum, Bangalore, Mangalore, Bhadravati, Chikamagalur, Chintamani, Gulbarga, Hassan, Haveri, KGF, Kolar, Mulbagal, Mandya, Mysore, Shimoga, Tumkur, Tiptur Udupi, Uttara Kannada,Punganur punganur. also live in AP (all dists) and Tamil Nadu (dharmapuri,krisnagiri,salem)

Besides Karnataka, Ganiga community settled in some parts of Mumbai, Chennai, Delhi, Goa, Hyderabad and many other cities in India.

In overseas countries members of Ganiga Community have settled in the USA, Canada, Japan and UAE.

A majority of Ganiga community continue to remain backward economically due to mechanisation of oil crushing which slowly took away their livelihood in the 1950s. Deprived of this age old profession continued for generations, Ganiga community found their way in business such as setting up of shops, hotels etc. Enterprising Ganiga entrepreneurs set up many Udupi Hotels in Bangalore and other prominent cities in Karnataka. Others took up odd jobs to meet both the ends. Having been remained economically backward even after 60 years of independence due representations were made from time to time to the successive Governments.

The ganiga community people can marry any subcastes of chettiars.

Govt.of Karnataka, Social Welfare Department, on 30 March 2002 issued Order No. SWD 225 BCA 2000 dated notifying Ganiga community as an Economically Backward Class under Category - II (A) Sl. No. 78. Castes listed under this category are (a) Ganiga, (b) Teli.

In Maharashtra Ganiga community has been granted OBC (Other Backward Caste) Certification by the Govt. of Maharashtra in 2005.

In the different states of India, they are called in different names -

In Andhra, Ganigas are known as Gandla, and in which they are called devagandla or Sajjanagandla.

In Kerala, Ganigas are known as Chekkala nair and Vaniya Chettiar

In Tamil Nadu, They are known as Vaniya Chettiar. There is no relation between Reddy gandla and ganiga, as reddy gndla is a sub caste of reddy group

In Gujarat, They are known as Gaanchi Mr Narendra Modi PM of INDIA is member of this community.

Ganiga Associations at other locations in Karnataka, India

KARNATAKA GANIGARA SAMRAKSHANA SAMITHI® 
Reg # SOR/RJR/S-96/14-15
Head office : # 34/1, 3rd floor, kalidasa marga, near sagar theatre, Gandhi nagar Bangalore 560009.
President : Anand K Ganiga
Vice President : Shekar Ganiga Chandra Shekar,
Secretary : Harish B S Ganiga
Treasurer : Avinash shree Ganiga,

* South Kanara District (Udupi) Somakshathriya Samaj, Moodukeri,Barkur President: K. Gopal.

* Hassan Ganiga Sangha - President: H.L.RangaShetty. Owner of SreeGopalKrishna Oil Mill, President of ShivaJyothi(Ganiga) Kalyana Mantapa, AdLee-maney, Hassan

* Somakshathriya Ganiga Samaj, Kundapur - President: Ramesh Ganiga Kollur

* Shimoga District Ganiga Sangha, Shimoga - President: H. Subbiah

* Ganiga Samaj, Bhadravati - President: U. Govind, 
Dr. T.A. Prasanna ,Phd.Economics, Prof. Kuvempu University, Shimoga-Bhadravati.India

Gopalakrishna Yuvaka Sangha Bhadravati (Youth Wing)

* Somakshathriya Yuvaka Sangha,(Youth Wing) Gangoli (Udupi Dist.)

* Utttara Kannada District Ganiga Seva Sangha, Sirsi - President: S.P. Shetty (Previously headed by Mr. Madhav Narayan Shetty, Honnavar for more than a decade).

* karnataka ganigara sangha bangalore.

*Kolar,tumkur,chittur(Ap) president: Amarnath Ganig * sln students union bangalore * D B Kalashetty, State Bank of Hyderabad, Secretary, SBH staff Association, Gulbarga

Somakshathriya Vaishnava Samaja, Bangalore-India

President: B.N. Narasinhamurthy In Bangalore Ganigas are also known as 'Somakshatriyas' and are very actively performing tasks of developing the community, the 'Samparka' challenge cup has recently celebrateed the decennial celebrations and Prathiba Sambhrama is organised in November and December where the children from the Ganiga community of Udupi district and those who have settled in Bangalore actively participated in the sports and cultural events.

Leaders in Community Development Initiatives at Bangalore:.
Mr.Rajashekhar Birthi 
Vyasa Rao (Kamat Group of Hotels)

B.A. Narasimha Moorthy (Abhinaya Group of Hotels)

Shankar N. Rao (President: Shree Venugopalakrishna Co-op. Credit Society)

Neelavar Sanjeev Rao (Hotel Hallimane)

Janardhana Rao (SeaRock Hotel)

U. Sundar Rao Janardhana Rao (Roti Ghar) G. Ananda Rao T.K. Ramakrishna..

Ganiga Samaj, Mumbai-India
In Mumbai Ganiga Samaj was formed in 1996 to bring together Ganiga community living in and around Mumbai under the leadership of N.S. Balimane (Founder President). The Ganiga Samaj Mumbai has completed 10 years in September 2006. Office Bearers of Ganiga Samaj Mumbai: Past Presidents - Ganiga Samaj

N.S. Balimane * Krishna Ganiga

current Office Bearers * Jagannath Ganiga - President * M. Bhaskar Ganiga - Vice President * B. Vasudeva Rao - Vice President * Shankar H - Secretary * Madhav Ganiga - Jt. Secretary * Chandrashekhar Ganiga - Treasurer

Members, Managing Committee: * K. Ramachandra * Smt. Tara Bhatkal * Vijayendra Ganiga * Anant N. Ganiga * Sanjeev R. Ganiga * P.N. Ganiga * Balakrishna Ganiga Tonse * Vasudeva U.B. * Harish Tonse * Sadanand Kallianpur * Chandrashekar R.Ganiga (Panvel) * Narasimha Ganiga (Kalamboli) * Gangadhar N. Ganiga * Sitaram M.R. * Mohan N. Rao

Office address: Ganiga Samaja Mumbai 34/668 Adarsh Nagar Prahadevi Worli Mumbai 400 030

KALABURGI ZILLA GANIGA SAMAJ, GULBARGA

SRI. Apparao M Patil, HON'LE PRESIDENT SRI.Sursh Sajjan, PRESIDENT SRI.R B Malipatil, GENERAL SECRETARY SRI.D B Kalashetty, SECRETARY SRI.Siddaanna Sajjan, TREASURER SRI Shivayogeappakalashetty, ASST.TRESURER SRI MANGAL JYOTI SHARAN GANADA KANNAPPA USTAV SAMITI, GULBARGA

PRESIDENT - Sri.Suresh Sajjan VICE PRESIDENT - Rajeshekhar Yankanchi SECRETARY - Sri.D B Kalahetty ASST.SECRETARY - Sri. Mallanna Manga TREASURER - Siddanna Sajjan Well known Ganigas

Yakshagana Actors:

Mr. Haradi Rama Ganiga * Mr. Haradi Krishna Ganiga, * Mr. Haradi Narayana Ganiga * Mr. K. Ananda Ganiga from Udupi region. * Mr. Birthi Balakrishna * Mr. Gopala Ganiga, Heranjal * Mr. Vishwanatha Ganiga, Kodi-Kundapura * Mr. Sarva Ganiga, Haradi

Leading Maddale player Late Suragikatte Basava Ganiga.

Engineers/IT Professionals:

Mr. Raghavendra Gangia , Solution Architect, HCL Technologies. * Mr. Ananth Prasad Gangia , Consultant , Singapore * Mr. Prakash Gangia , Consultant , Bangalore * Mr. Raghavendra U Gangia , Software Engineer , Capgemini Consulting India Pvt Ltd, Bangalore * Mr. Naveen Gangia , Software Engineer , Bangalore * Mr. Venkngouda. A.Patil.Software Engineer , Bluestar HP Ltd, Bangalore * Mr. Ravi C Hangargi, Senior Software Engineer , SRA India Pvt Ltd, Bangalore. * Mr. Y J Patil Senior Verification Engineer, Genesisi Microchip, Canada * Mr. Ravichandra.A.Patil Software Engineer , SASKEN Technologies, Bangalore * Mr. Satish Yearva. Software Engineer , SASKEN Technologies, Bangalore

Mr.Sanjay D.Hortikar-Project Analyst,TATA CMC Limited,bangalore belongs to Umadi,Tal-Jath,District Sangli[Maharashtra], * Mr. Kallappa.M. Kadimani Horti (Tq-Indi Dist-Bijapur), Software Engineer, IBM India Pvt Ltd, * Mr. Prasad Gandla Thogarcheedu, (Kurnool Dist-AP), Software Engineer, IBM, Bangalore India Pvt Ltd, * Mr. Jagadish Bomma Vempenta, (Kurnool Dist-AP), Software Consultant, Daimler AG, Stuttgart, Germany * Mr. Sateesh.M. Pasodi Shirashyad, Who belongs to the Ganiga, * Mr. Praveen Adavesh Ghaniger, Software Engineer

Politicians:

* Mr.V.R. Sudarshan, a three-time MLC, & ex Chairman of the Legislative Council, Karnataka Govt, hailing from Vemgal, KOLAR Dist.

Government

Mr. B.J. Puttaswamy who belongs to the Ganiga caste had been nominated to the Council in 1982 by then the Chief Minister, R.Gundu Rao. also Mr. B.J.Puttaswamy was ex cooperative minister & present MLC

* Mr Laxman savadi ex co operative minister & present MLA of Athani constituency.

* Mr. Busnur and Mr. Anjutagi belong to the predominant Ganiga community from Bijapur, District Karnataka. Mr. Anjutagi was defeated in the 1994 Assembly Election.

* Mr. P.C. Gaddigoudar, three time MP from Bagalkot(LS), Karnataka. also he was a former MLC and the chief of party's Bagalkot district unit. He belongs to Ganiga Caste.

* Mr. S.B. Nyamagouda, MLC, Karnataka. also he was a former MP & Central Minister and the chief of party's Bagalkot district unit. He belongs to Ganiga Caste.

* Mr. G.S. Nyamagouda, Well know person in jamkhandi taluk. He belongs to Ganiga Caste.

* Mr. B.G. Patil Halasangi, MLC who belong to the Ganiga sub-sect of the Lingayats, 2003.

* Mr. Ganapa Ganiga, Contestant for Legislative Assembly of Karnataka from Baindur, Near Mangalore udupi, in June 1998, Bye-elections.

* Mr.Apparao.M.Patil (Atnoor), Youngest APMC CHAIRMAN in INDIA.Hails from gulbarga district's Atnoor village. He is one who organised GANIGA samaj in Gulbarga and north karnataka.

* Mr. GS Amarnath Ganiga from Narsapura, ZP member of Kolar district.

*Mr. Pramod first corporator in community for cottenpet ward, Bangalore.

Bussiness:

* Mr. Venu Vaishya, Executive Vice President, Covansys Corporation, USA, IIT Kanpur Alumni

Banking: * D B Kala shetty,Sate Bank of HYderabad,Gulbarga (Karnataka)

Geology: * Dr. J V Subbaraman , Ex Chief Geologist, BGML

Education:

* Mrs. Rama Mani Vaishya , Directress, Montessori School, Michigan, USA * Dr. T.A. Prasanna , Prof. Kuvempu University, Shimoga-Bhadravati.India

Medicine:

* DR Vijayalakshmi Balekundri Heart surgeon in Jayadeva cardiology hospital bangalore.

* Dr. Gundmi Praveena Kumara MD General Medicine, Asst Prof. KMC MANIPAL

* Dr. Pradeep Ganiga,Asst. Prof, K V G Medical College, Sullia, Obstetrics & Gynaecology

* Dr. Manohar Babu KV, MS ortho, MRCSEd Edinburg UK.

* Mohan Ganiga, Respiratory Technician, C/o. Kapadia F N. MD, FRCP Consultant Physician & Intensivist, Hinduja National Hospital, Mahim, Mumbai

* Dr Arun G Patil, MD General Physician Nizamabada(Andhrapradesh)

* Mr. Birthi Radhakrishna, was the Registrar and chief protocol officer of Delhi High Court

* Mr. Pundalika Ganiga . recipient of National Best Teacher Award

Clinical Researcher / Pharmacist:

* Mr. Sathya Prakash R J, Master of Pharmacy (Pharmacology). Rank holder in M.Pharm, Clinical Research Associate, ICON Clinical Research Limited, Bangalore.

Lady officers of community : 
Dr. Vasanthi amar 
Joint commissioner of BBMP,,

Smt Kavitha mannikeri
Secretary for women's commission, Bangalore,,

Dr. Anitha Arun 
Superindentant of Vijayapura jail..

Hotel and Restaurant:

* Mr. R.Prabhakar Ganiga, is rightly called the Darshini Brahma. He started the concept of Darshini and made the cost of food affordable to the general public. He started with Upahara Darshini, later on Dosa camp, Pavithra, Rotigar, cool joint, nammoora hotel, Hallimane and the list keeps growing. Now he has formed an organisation for fighting against adulteration of food in hotels under the banner Hotel Grahakara Sangha

* Mr. B.S.Manjunath , is proprietor of "Hotel Vaibhav " * Mr. B.A.Narasimhamurthy , is proprietor of "Abhinaya Group of Hotels"


साभार : Shekar Ganiga Chandra Shekar



मधेशिया वैश्य व हमारे पूर्वज