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Friday, February 26, 2021

MAHAJAN - हां ... मै महाजन हूं

MAHAJAN - हां ... मै महाजन हूं

राजाओं के फाइनांसर

पहाड़ी राज्य के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश के विकास में महाजन समुदाय का अहम योगदान है। यह एक वैश्य जाति हैं. इस समुदाय की भागीदारी से हिमाचल तरक्की के लंबे डग भर रहा है। महाजन समुदाय की उपलब्धियां बता रहे हैं अमन अग्निहोत्री…

रियासत काल से ही व्यापार पर महाजन समुदाय का दबदबा रहा है। यही वजह है कि आज मंडी शहर में तो महाजनों के नाम पर एक बाजार का नाम भी महाजन बाजार है। वहीं जरूरत के समय राजा को भी ऋण देना या यूं कहें कि राजाआें के भी फाइनांसर महाजन रहे हैं। हालाकि पिछले चार दशकों में महाजन समुदाय के इस मुख्य कार्य में बदलाव आया है। महाजन समुदाय व्यापार की बुलंदियों तक तो पहुंचा ही है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में महाजन समुदाय की नई पीढ़ी ने नए आयाम स्थापित किए हैं। इस समुदाय के कितने ही लोग अब राजनीति के साथ ही सरकारी व निजी क्षेत्र में ऊंचे ऊंचे पदों पर तैनात हैं।

दो लाख आबादी

हिमाचल प्रदेश के विकास में यूं तो सभी समुदाय व वर्गों की अहम भूमिका है, लेकिन कम संख्या के बाद भी प्रदेश में महाजन समुदाय के योगदान को अहम दर्जा प्राप्त है। व्यापार के प्रति संजीदगी, दिन-रात मेहनत, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे व्यापार को बढ़ाना, जरूरत से ज्यादा खर्च न करना, समाज और राजनीति में भी पैठ, यह सब खूबियां महाजन समुदाय में भरी हुई हैं। यही वजह है कि महाजन समुदाय अहम योगदान निभा रहा है। आज के समय में ही नहीं बल्कि रियासत काल से हिमाचल प्रदेश में महाजन समुदाय का रुतबा काफी अहम और ऊपर का रहा है। प्रदेश के महाजन समुदाय को गुप्ता, बोहरा, लाला  के नाम से भी जाना जाता है। महाजन समुदाय ने प्रदेश को कई बडे़-बडे़ व्यापारी, न्यायाधीश, राजनेता, आईएएस अधिकारी, चिकित्सक, इंजीनियर, वैज्ञानिक और शिक्षक दिए हैं। इतना ही नहीं,महाजन समुदाय ने देश की आजादी और इसके बाद हिमाचल प्रदेश के गठन में भी अहम भूमिका निभाई है। सुकेत रियासत को हिमाचल में मिलाने के सत्याग्रह आंदोलन में पांगणा के महाजनों ने अहम भूमिका निभाई थी। आजादी से पहले चंबा रियासत, मंडी रियासत और सुंदरनगर की सुकेत रियासत में महाजनों का अहम कि रदार रहा है। प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में महाजन समुदाय की हस्तियों ने अपनी छाप छोड़ी है। अगर बात हिमाचल प्रदेश की ही करें तो हिमाचल प्रदेश में रियासत काल से चला आ रहा महाजन समुदाय का रुतबा व दमखम आज भी कायम है। रियासत काल में महाजन राजा की व्यवस्था में भी अहम भूमिका निभाते रहे। वहीं प्रदेश का ऐसा कोई मुख्य बाजार नहीं है, जहां पर महाजन समुदाय से जुडे़ लोग न मिलें। प्रदेश के हर शहर और छोटे कस्बे में बडे़ व्यापारियों में पांच नाम महाजन समुदाय के लोगों के जरूर मिलेंगे। इस समय प्रदेश में दो लाख के लगभग महाजन समुदाय के लोगों की जनसंख्या है, जिसका एक बड़ा भाग मंडी जिला के साथ सोलन, कांगड़ा और चंबा में है। इस समय प्रदेश के मंडी, करसोग, सुंदरनगर, शिमला, घणाहट्टी, सुन्नी, हमीरपुर, दियोटसिद्ध, कुल्लू, बंजार, रामपुर, अर्की, नाहन, चंबा, नूरपुर, कांगड़ा, पालमपुर, सरकाघाट, रिवालसर और ऊना में भी महाजन समुदाय के लोग काफी संख्या में हैं।

पहले चीफ जस्टिस डा. मेहर चंद महाजन

कांगड़ा के छोटे से गांव में जन्मे न्यायमूर्ति डा. मेहर चंद महाजन का नाम हिमाचल में गर्व के साथ लिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस डा. मेहर चंद महाजन का जन्म कांगड़ा के नगरोटा तहसील नूरपूर के छोटे से गांव टिक्का में 23 दिसंबर 1889 को हुआ था। इनके पिता बृज लाल महाजन भी धर्मशाला के प्रसिद्ध अधिवक्ता थे। डा. मेहर चंद महाजन न सिर्फ देश के पहले चीफ जस्टिस हुए, बल्कि जम्मू-कश्मीर रियासत को भारत में विलय कराने के मुख्य तारणहार डा. मेहर चंद महाजन ही थे। उन्हें उस समय भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का प्रधानमंत्री बना कर भेजा था। उन्होंने अपनी कुशल नीति व बुद्धिबल से जम्मू-कश्मीर रियासत का विलय भारत में करवा दिया। कहते हैं कि अगर संयुक्त राष्ट्र संघ में जम्मू कश्मीर की समस्या को प्रस्तुत करने का दायित्व उस समय भारत सरकार डा. मेहर चंद महाजन को देती तो जम्मू कश्मीर के हालात आज ऐसे नहीं होते।

मंडी की मंजुला गुप्ता पहली आईएएस

हिमाचल से पहली महिला आईएएस होने का गौरव भी महाजन समुदाय की मंजुला गुप्ता को है। मंडी की मंजुला गुप्ता बाद में पश्चिम बंगाल सरकार से मुख्य सचिव के पद पर सेवानिवृत्त हुई हैं।

पुनीत गुप्ता दिल्ली एम्स में कैंसर विशेषज्ञ

चिकित्सा के क्षेत्र में भी महाजन समुदाय के लोग नाम कमा रहे हैं। इस समय मंडी के ही पुनीत गुप्ता एम्स दिल्ली में कैंसर विशेषज्ञ हैं, जबकि आईजीएमसी शिमला में मुनीष गुप्ता कैंसर विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह से शिमला में मेडिकल कालेज में प्रोफेसर डीआर गुप्ता भी प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं ओर विदेशों में लेक्चर देने के लिए इन्हें बुलाया जाता है। इसके अलावा अन्य फील्ड में भी महाजन समुदाय कार्यरत है। पुरानी मंडी के ही रहने वाले बीएल महाजन एलआईसी में प्रदेश की सबसे बड़ी पोस्ट से सेवानिवृत्त हुए हैं। बीएल महाजन एलआईसी के वरिष्ठ मंडलीय प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। मंडी के ही राजीव महाजन 15 वर्षों से सीए की प्रैक्टिस कर रहे हैं। वहीं, मंडी के ही व्यवसायी धर्म चंद गुप्ता ने समाजसेवी के रूप में राजगढ़ में क ोयला माता मंदिर का भव्य निर्माण करवाया है।

इंग्लैंड में सर्जन डीके गुप्ता

महाजनों में एक नाम मंडी के चैलचौक से डीके गुप्ता का भी उनकी उपलब्धियों के लिए लिया जाता है। डीके गुप्ता पीजीआई सर्जन रहे हैं और उसके बाद इंग्लैंड सरकार में सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं कई वर्षों से दे रहे हैं।

स्व. कैलाश महाजन विद्युत परियोजनाओं के जनक

चंबा के ही पद्मश्री अवार्ड से अंलकृत एवं बिजली बोर्ड के चेयरमैन रहे स्व. कैलाश महाजन का भी चंबा के विकास में अहम योगदान रहा। प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं की रूपरेखा स्वर्गीय कैलाश महाजन के कार्यकाल में बनाई गई, जिसके बाद चंबा में कई विद्युत योजनाओं का निर्माण हुआ।

खेमराज गुप्ता ने लिखा सायं-सायं मत कर राविए गीत

चंबा का प्रसिद्ध लोकगीत सायं-सायं मत कर राविए गीत भी महाजन बिरादरी के स्वर्गीय खेमराज गुप्ता ने लिखकर रावी नदी की खूबसूरती को बयां किया। यह गीत आज भी चंबा में हर मौके पर गूंजता है।

मंगलवार को बकरे न काटने का नियम नानक चंद की देन

मंडी में रहने वाले महाजनों ने व्यापार के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। मंडी के स्वर्गीय डा. नानक चंद महाजन प्रदेश के पहले वैटरिनरी सर्जन थे,जिन्होंने लाहुल से डिग्री लेने के बाद अंग्रेजों की हुकूमत से लेकर प्रदेश सरकार में 1970 तक काम किया और पशुपालन विभाग से हैड ऑफ डिर्पाटमेंट के रूप में सेवानिवृत्त हुए। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि मंगलवार को बकरे न काटने का नियम अंग्रेजी हुकूमत में डा. नानक चंद महाजन के प्रस्ताव पर ही बनाया गया था। इसके लिए उनका काफी विरोध भी हुआ था।

सभी जिला में महाजन सभाएं

इस समय हिमाचल के लगभग सभी जिलों में महाजन सभाएं बनी हुई हैं। इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर भी महाजन सभा कार्यरत है। अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा हिमाचल प्रदेश के तहत जिला स्तर की महाजन सभाएं पंजीकृत हैं। वर्तमान में हिमाचल सभा के अध्यक्ष शिमला से हरि चंद गुप्ता हैं। महाजन सभा अब प्रदेश के कुछ बडे़ शहरों में महाजन भवन भी बनाने जा रही है।

राष्ट्रीय स्तर पर महाजन सभा

वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा का गठन किया गया है, जिसमें पूरे देश से महाजन समुदाय के कई वर्ग शामिल हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश की भी अहम हिस्सेदारी है। विशेष यह है कि महाजन सभा के हरिद्वार, चंड़ीगढ़, आगरा, दिल्ली और पंजाब के कुछ शहरों में अपने बडे़ सामुदायिक भवन भी बना चुकी है। हरिद्वार में तो महाजन सभा द्वारा 162 कमरों के आलीशान भवन का निर्माण किया गया है।

महाजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक गुप्ता

मंडी के ही रहने वाले एवं बहुत बडे़ स्तर के दवा विक्रेता एनसी टे्रडर के नाम से विख्यात अशोक महाजन इस समय मंडी जिला की महाजन सभा के अध्यक्ष हैं। विशेष बात यह है कि अशोक गुप्ता अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

हिमाचल के प्रधान हरि चंद गुप्ता

इस अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा हिमाचल प्रदेश के प्रधान शिमला के हरि चंद गुप्ता हैं। हरि चंद गुप्ता हिमाचल सरकार में विभिन्न बडे़ पदों पर काम कर चुके हैं। सीनियर प्राइवेट सेक्रेटरी के रूप में हरि चंद गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस परमार, सत महाजन, विपल्व ठाकुर और अन्य कई बडे़ नेताओं के साथ काम किया है।

डीडी गुप्ता पहले डीआईजी

डीडी गुप्ता सेवानिवृत्त डीआईजी महाजन समुदाय से एसएसबी में डीआईजी तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह प्रतिष्ठित तपोस्थली जंगम के जीर्णोद्वार समिति के संस्थापक व वर्तमान तक निर्विरोध प्रधान हैं। वह कल्याण गोसदन के दो बार प्रधान तथा महाजन सभा के दो बार प्रधान रहे हैं।

डा. वाईसी गुप्ता को दो राष्ट्रीय पुरस्कार

कृषि, बागबानी एवं औद्यानिकी में भी गुप्ता समुदाय ने खूब नाम कमाया है। समुदाय के लोग हिमाचल के दोनों विश्वविद्यालयों में उच्च पदों पर आसीन हैं और कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। ऐसा ही एक नाम है प्रोफेसर डा. वाईसी गुप्ता का। डा. वाईसी गुप्ता मूलतः बल्हघाटी के थटा के रहने वाले हैं और नौणी विश्वविद्यालय के फ्लोरिकल्चर एंड लैंडस्केप आर्किटेक्चर विभागाध्यक्ष हैं। डा. वाईसी गुप्ता फूल उत्पादकों के बीच मशहूर नाम हैं। चंबा के चौगान और कल्पा के खेल के मैदानों के पुनर्जीवन की योजना को अंजाम देने वाले डा. वाईसी गुप्ता ही हैं। इनके साथ ही डा. वीके गुप्ता, डा. डारेन गुप्ता, डा. रजंना गुप्ता और डा. राधना गुप्ता पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में शोध कार्य में अहम भूमिका निभा रही हैं।

पवन गुप्ता का सोलन नगर परिषद अध्यक्ष तक का सफर

पवन गुप्ता सोलन का एक जाना-माना नाम है। पवन गुप्ता मूलतः हरियाणा के हैं, लेकिन जन्म और कर्मभूमि अब सोलन ही है। 1999 में बघाट बैंक में दाखिल हुए पवन गुप्ता तीन साल के भीतर ही चेयरमैन बन गए। उन्होंने दो बार यह पद संभाला। फिलहाल वह बघाट बैंक के डायरेक्टर हैं। यही नहीं, उन्होंने सोलन नगर परिषद के चुनाव भी लड़े और उपाध्यक्ष से लेकर अध्यक्ष तक का सफर तय किया।

राजनीतिज्ञ सत महाजन

प्रदेश की राजनीति में महाजन समुदाय का काफी  प्रभाव रहा है और स्वर्गीय सत महाजन को प्रदेश की राजनीति में फील्ड मार्शल के नाम से जाना जाता था। सत महाजन वर्ष 1977, 1982, 1985, 1993, 2003 में नूरपुर विधानसभा के विधायक चुने गए और वह एक बार कांगड़ा-चंबा लोकसभा क्षेत्र के भी सांसद रहे।

अजय महाजन

नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से सत महाजन के बेटे अजय महाजन वर्ष 2012 में विधायक बने। अजय महाजन ने भी राजनीति में अपनी सियासी पकड़ बना कर इस क्षेत्र में महाजन समुदाय का नाम ऊंचा किया है।

पहली सांसद लीला देवी

स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार के समय हिमाचल प्रदेश से पहली महिला के रूप में राज्यसभा सांसद लीला देवी बनी थीं। उस समय हिमाचल में टेरीटोरियल काउंसिल हुआ करती थी और स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें राज्य सभा के लिए भेजा था।

आरके महाजन का भी बड़ा रुतबा

नूरपुर नगर परिषद में भी महाजन समुदाय का काफी  प्रभाव रहा है और शहर की राजनीति में आरके महाजन परिवार का काफी  रुतबा रहा है। आरके परिवार नगर परिषद नूरपुर में पांच बार अध्यक्ष पद पर रहे हैं। जिसमें नगर परिषद नूरपुर में दो बार आरके महाजन अध्यक्ष बने व तीन बार उनकी पत्नी कृष्णा महाजन अध्यक्ष बनीं।

सियासत में मजबूत पकड़

चंबा जिला की कुल आबादी का 0.5 फीसदी हिस्सा होने के बावजूद महाजन बिरादरी के लोगों ने व्यापार के अलावा राजनीति व प्रशासनिक कार्यकुशलता में प्रतिभा का लोहा मनवाया है। महाजन बिरादरी के धुंरधर नेता रहे स्व. देशराज महाजन, स्व. किशोरी लाल वैद्य और हर्ष महाजन ने वर्षों तक सदर हलके का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा स्व. दौलत राम गुप्ता ने हिमाचल की पहली विधानसभा में पांगी का प्रतिनिधित्व किया। इन नेताओं ने अपने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पद का निर्वहन भी किया। इसके साथ ही महाजन बिरादरी ने व्यापार के क्षेत्र में भी खासा नाम कमाया है। चंबा जिला के अधिकांश कारोबार पर महाजन बिरादरी का ही आधिपत्य है। चंबा की रियासत में भी महाजनों का अहम योगदान रहा। रियासत काल में राज दरबार में महाजन समुदाय की अच्छी पैठ पर अधिकार थे। कुलमिलाकर महाजन समुदाय ने राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी विशेष पहचान छोड़ी है।

ये भी रहे खास

इसके अलावा केके महाजन ने आईपीएच विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ के पद से रिटायर हुए। सुभाष कल्सोत्रा ने एचएएस अधिकारी पद का मान बढ़ाया। आईएएस अधिकारी नंदिता गुप्ता भी प्रशासनिक क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवा रही हैं और वर्तमान में कांगड़ा जोन की कमिश्नर हैं। इसके अलावा नंदिता गुप्ता के पिता स्वर्गीय नरेंद्र गुप्ता भी आईएएस अधिकारी के तौर पर उत्कृष्ट सेवाएं दे चुके हैं।

मेहनत के बल पर छुआ शिखर

नूरपुर शहर में महाजन समुदाय का काफी महत्त्व है और समुदाय ने अपनी मेहनत से ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में महाजन बिरादरी की प्रतिशतता भले ही बेहद कम है परंतु शहर में इनकी संख्या काफी  अधिक है। इस बिरादरी ने हमेशा अपनी मेहनत के बल पर सफलताओं के शिखर छुए हैं और अन्य समुदाय के लोगों को भी सफ लता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। इस समुदाय के कई व्यक्ति अपनी मेहनत के दम पर व्यवसाय,राजनीति,प्रशासन आदि में ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हैं। इस समुदाय के लोगों ने समाजसेवा में भी उलेखनीय कार्य किए हैं, जिससे उन्होंने समुदाय का नाम ऊंचा किया है।

चंबा से चमके कई महाजन सितारे

स्व. देशराज महाजन ने परिवहन व राजस्व मंत्री का दायित्व बखूबी निभाया। वहीं स्व किशोरी लाल वैद्य ने उद्योग व पीडब्ल्यूडी समेत कई अहम विभागों की जिम्मेदारी बतौर कैबिनेट अदा की। स्व. किशोरी लाल ने न केवल चंबा बल्कि भटियात व बनीखेत हलके से भी चुनाव जीता। हर्ष महाजन, जो कि वर्तमान में को-आपरेटिव बैंक के चेयरमैन पद पर आसीन हैं, ने लगातार तीन बार चंबा सदर हलके का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य संसदीय सचिव के अलावा पशुपालन मंत्री के पद का कैबिनेट मंत्री के तौर पर क ाम संभाला।

स्वतंत्रता सेनानियों का गांव पांगणा

मंडी जिला का पांगणा एक ऐसा गांव है, जहां के पूरे महाजन समुदाय ने आजादी व सुकेत सत्याग्रह में अहम योगदान दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता व पीएल गुप्ता ने बताया कि समाज का उच्च मार्गदर्शन व सहयोग, आजादी में महाजनों की सराहनीय भूमिका रही है। आजाद हिंद फ़ोज में पांगणा के सितलु राम महाजन, लुहारू राम महाजन, धरनीधर महाजन, लटुरिया राम महाजन, कालूराम महाजन आदि ने लाहौर, रंगून, मुल्तान और रावलपिंडी की काल कोठरियों में कैद काटी, लेकिन सरकार द्वारा पेंशन व मान-सम्मान प्राप्त करने से वंचित रहे । सुकेत सत्याग्रह के अनाम स्वतंत्रता सेनानियों में चंद्रमणी महाजन, मणिराम महाजन, नंदलाल महाजन, हरि सिंह महाजन, लीपटीराम महाजन, माधव गुप्ता, गौरीदत महाजन, तुलसीराम महाजन और द्रौपदी महाजन सहित कुछ अन्य पांगणा छोड़कर अन्यत्र चले गए हैं, लेकिन पांगणा गांव के महाजन समुदाय के लोगों की यादें आज भी जिंदा हैं।

साभार: दिव्य हिमाचल 

Thursday, February 25, 2021

TANMAY AGARWAL CS TOPPER 2021 - OLD SYLLABUS

TANMAY AGARWAL CS TOPPER 2021 - OLD SYLLABUS

उपलब्धि:सीएस; एक्जीक्यूटिव ओल्ड सिलेबस में जयपुर के तन्मय टॉपर, न्यू में रिया 5वें पर

रिया भागचंदानी और तन्मय अग्रवाल

भारतीय कंपनी सचिव संस्थान ने सीएस एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल प्रोग्राम के परिणाम गुरुवार को जारी कर दिए। एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम ओल्ड सिलेबस में जयपुर चैप्टर में तन्मय अग्रवाल ने ऑल इंडिया टॉप किया है। उन्होंने 437 अंकों के साथ 62.43 परसेंट स्कोर हासिल किया। वहीं न्यू सिलेबस में रिया भागचंदानी ने 5वां स्थान हासिल किया।

प्रोफेशनल प्रोग्राम के ओल्ड सिलेबस में खनक मित्तल ने जयपुर टॉप किया, जबकि न्यू सिलेबस में हर्षित परवाल देश में 18वें स्थान पर रहे। परीक्षा दिसंबर 2020 में हुई थी। इस बार एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम्स में टॉप 25 में 2 और प्रोफेशनल प्रोग्राम्स में टॉप 25 में 2 स्टूडेंट्स ने जगह बनाई।

AKANKSHA GUPTA - CS INDIA TOPPER 2021 - NEW SYLLABUS

AKANKSHA GUPTA - CS INDIA TOPPER 2021 - NEW SYLLABUS

सीएस में सतना की बेटी को मिली सफलता:न्यू सिलेबस में आकांक्षा देश में टॉपर; 16 घंटे तक सेल्फ स्टडी की


सतना की आकांक्षा गुप्ता ने सीए के एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम (न्यू सिलेबस) एग्जाम में देशभर में टॉप किया है। इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) की प्रोफेशनल और एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम (पुराने और नए सिलेबस) के फाइनल एग्जाम का रिजल्ट गुरुवार को जारी कर दिया गया। जयपुर के तन्मय अग्रवाल ने एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम (ओल्ड सिलेबस) एग्जाम में पहली रैंक हासिल की है।

हर माह का लक्ष्य बनाया, 16 घंटे सेल्फ स्टडी की

सतना की रहने वाली आकांक्षा इंदौर में रहकर एग्जाम की तैयारी कर रही थी। लेकिन लॉकडाउन के कारण वह घर लौट गई। आकांक्षा ने बताया कि सतना जाने के बाद शेड्यूल बनाकर हर माह का लक्ष्य तय किया। ऑनलाइन क्लासेस के साथ 14 से 16 घंटे सेल्फ स्टडी को दिए।

आईसीएआई के मटेरियल के साथ रेफरेन्स बुक्स की भी मदद ली, जिससे पेपर पैटर्न का अंदाजा लग सके। वहीं एग्जाम के पहले तक रिविज़न किया और पेपर के समय केवल यह ध्यान रखा कि अपना बेस्ट देना है और रिजल्ट की चिंता नहीं करनी है।

Sunday, February 21, 2021

DR. SHIKHA GUPTA - TIMES MAGAZINE TOP 100

DR. SHIKHA GUPTA - TIMES MAGAZINE TOP 100

टाइम मैग्जीन ने नई पीढ़ी की 100 हस्तियों की सूची में ऐसे लोगों को शामिल किया है जिन्होंने उजले भविष्य की उम्मीदें जगाई हैं। महामारी के दौर में वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और कुछ लोगों ने बहुत महत्वपूर्ण काम किए हैं। इनमें लीडर, एक्टिविस्ट,आर्टिस्ट और इनोवेटर हैं तो लोगों की मदद करने वाले युवा भी हैं। सूची में भारतीय मूल के कई लोगों को जगह मिली है। शिखा गुप्ता इसमें प्रमुख .

संकटकाल में छोटे कामों का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। कोरोना महामारी अमेरिका के इतिहास का सबसे अंधकारमय समय रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ढील के कारण देश में स्वास्थ्य कर्मियों के पास सुरक्षा के लिए जरूरी पीपीई किट का अभाव था। डॉ. शिखा गुप्ता ना ही गवर्नर हैं और ना ही सांसद। वे केवल डॉक्टर और साधारण नागरिक हैं। लेकिन, उन्होंने और उनके साथियों ने इस मौके पर आगे आकर जिम्मेदारी संभाली। उनके संगठन- द गेट अस पीपीई ऑर्गेनाइजेशन ने अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों को 65 लाख से अधिक पीपीई किट बांटे। शिखा और उनके साथी डॉक्टरों और कार्यकर्ताओं की पहल ने लाखों लोगों का जीवन बचाया है।


शिखा गुप्ता

Thursday, February 18, 2021

ARVIND SINGHAL - अशोक सिंघल के भतीजे ने राम मंदिर के लिए दिए ११ करोड़ रूपये

 ARVIND SINGHAL - अशोक सिंघल के भतीजे ने राम मंदिर के लिए दिए ११ करोड़ रूपये



Monday, February 15, 2021

RAMGOPAL MAHESHWARI - FOUNDER OF DAINIK NAVBHARAT

 RAMGOPAL MAHESHWARI - FOUNDER OF DAINIK NAVBHARAT




DR. RITU GUPTA - आईआईटी जोधपुर की युवा वैज्ञानिक डॉ. रितु गुप्ता को विज्ञान में महिला उत्कृष्टता पुरस्कार 2021

DR. RITU GUPTA - आईआईटी जोधपुर की युवा वैज्ञानिक डॉ. रितु गुप्ता को विज्ञान में महिला उत्कृष्टता पुरस्कार 2021

डॉ. ऋतू गुप्ता 

राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों की युवा महिला डॉ. ऋतू गुप्ता को महिलाओं और लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस-2021 (International Day of Women and Girls in Science) पर विज्ञान और अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए SERB Women Excellence Award in Science 2021 से सम्मानित किया गया है।

डॉ. रितु गुप्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आईआईटी जोधपुर, राजस्थान में रसायन विज्ञान में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और वे इन मैटिरियल्स साइंस, नैनोडेविसेस एंड सेंसर्स, हेल्थ एंड एनर्जी में विशेषज्ञता के साथ काम कर रही हैं। डॉ गुप्ता ने ऊर्जा, पानी, पर्यावरण और स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्र में डिवाइस विकसित करने की दिशा में कई अनुसंधान किए हैं। उन्होंने नैनो मेटेरियल के संश्लेषण से ऊर्जा संरक्षण डिवाइस, सोलर सेल, पर्यावरण में वायु की गुणवत्ता मापने के लिए स्मार्ट सेंसर और स्वास्थ्य मानकों के सेंसर विकसित करने में सफलता प्राप्त की है।

साभार: rajasthanstudy.co.in/2021/02/Women-Excellence-Award-in-science- 20212021.html

Wednesday, February 10, 2021

KRITIJAIN MBBS TOPPER - एमबीबीएस में हर साल टॉपर, कृति को मिलेंगे 8 गोल्ड

KRITIJAIN MBBS TOPPER -  एमबीबीएस में हर साल टॉपर, कृति को मिलेंगे 8 गोल्ड


देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के 19 फरवरी को होने वाले दीक्षांत समारोह में एमबीबीएस की टॉपर रही छात्रा कृति जैन को 8 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल मिलेगा। कृति ने 2013 से 2018 के बीच एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। कृति फिलहाल अरबिंदो मेडिकल कॉलेज से रेडियोलॉजी में पीजी कोर्स कर रही हैं। वे सेकंड ईयर में हैं। उज्जैन निवासी कृति के पिता अनिल जैन और मां सीमा उज्जैन में ही रहते हैं। वह यहां होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही हैं।

यूनिवर्सिटी की ओवरऑल टॉपर के साथ वह चारों विषय की टॉपर रहीं हैं। हर विषय में गोल्ड मेडल के दो-दो स्पॉन्सर होने से उन्हें 8 गोल्ड मेडल मिलेंगे। इस बार समारोह में 2017-18 और 2018-19 के छात्रों को सम्मानित किया जाएगा। इसमें कुल 194 गोल्ड, 22 सिल्वर मेडल और 126 को पीएचडी डिग्री अवॉर्ड होंगी। आयोजन खंडवा रोड स्थित ऑडिटोरियम में होगा।

01 सिल्वर मेडल भी कृति को दिया जाएगा
19 फरवरी को खंडवा रोड स्थित ऑडिटोरियम में होगा समारोह।
02 साल के छात्रों को सम्मानित किया जाएगा।

ऐसे बनी हर बार टॉपर : हर विषय की प्लानिंग के साथ बिना गैप पढ़ाई की

कृति ने भास्कर से चर्चा में कहा कि नियमित पढ़ाई की। कभी गैप नहीं किया। हर विषय की प्लानिंग उसके महत्व के हिसाब से की और उतना ही समय उस विषय को दिया। उसी का नतीजा रहा कि मैं हर विषय में टॉपर रही। कृति कहती हैं, इसमें मां और पिता ने हमेशा सहयोग किया। बचपन का सपना था, एमबीबीएस कर डॉक्टर बनूं। वह पूरा हो गया। रेडियोलॉजी में पीजी चल रहा है। यही स्पेशलाइजेशन मेरा ड्रीम था जो अब पूरा होगा।

साभार: दैनिक भास्कर 

GARIMA AGRAWAL - हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाली गरिमा ने ऐसे तय किया IPS से IAS तक का सफर

 GARIMA AGRAWAL -  हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाली गरिमा ने ऐसे तय किया IPS से IAS तक का सफर

अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर लेने वाली गरिमा पहले बनीं IPS फिर ट्रेनिंग के साथ ही पढ़ाई जारी रखते हुए टॉप किया और बन गयीं IAS. आज जानते हैं गरिमा के सफर के बारे में.


Success Story Of IAS Topper Garima Agrawal: यूपीएससी एक ऐसी कठिन परीक्षा मानी जाती है जिसमें लोग एक बार सफलता को तरसते हैं. वहीं कुछ कैंडिडेट्स ऐसे होते हैं जिन्हें किस्मत और उनकी कड़ी मेहनत बार-बार इस मुकाम तक पहुंचा देती है. आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश की एक छोटी सी जगह खरगोन की गरिमा अग्रवाल की. गरिमा का बैकग्राउंड देखो तो सामने आएगा कि उन्होंने अपनी स्टूडेंट लाइफ में बहुत कुछ हासिल किया और वे हमेशा से एक ब्रिलिएंट स्टूडेंट रहीं. लेकिन श्रेष्ठ तक पहुंचने का यह सफर इतना आसान नहीं होता न ही इतनी आसानी से यह सफलता मिलती है. हर किसी के जीवन में अपने-अपने संघर्ष होते हैं. गरिमा के भी थे लेकिन सब संघर्षों से पार पाकर उन्होंने यह सफलता हासिल की. आज जानते हैं गरिमा के गौरव भरे इस सफर के बारे में.


गरिमा उन कैंडिडेट्स के लिए भी बड़ी प्रेरणा हैं जिन्हें लगता है कि हिंदी मीडियम से की गयी स्टडी उनके करियर में आगे अवरोध बन सकती है. गरिमा की पूरी स्कूलिंग उनके टाउन में स्टेट बोर्ड से हुयी पर गरिमा अपने जीवन में सफलता दर सफलता हासिल करती गयीं. उनके दसवीं में 92 परसेंट और बारहवीं में 89 परसेंट मार्क्स आये. यही नहीं अपने एक्सीलेंट बोर्ड रिजल्ट की वजह से उन्हें रोटरी इंटरनेशनल यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत एक साल की हायर सेकेंडरी एजुकेशन मिनेसोटा, अमेरिका में पूरी करने को मिली. गरिमा की मां किरण अग्रवाल होममेकर हैं और पिता कल्याण अग्रवाल बिजनेस मैन और समाज सेवी हैं. गरिमा की बड़ी बहन प्रीती अग्रवाल भी साल 2013 में यूपीएससी परीक्षा पास करके इंडियन पोस्टल सर्विस में कार्यरत हैं. उनके पति शेखर गिरिडीह भी आईआरएस ऑफिसर हैं. एक ऐसी फैमिली से संबंध रखना अपने आप में गर्व की बात है पर इससे आपका संघर्ष कम नहीं हो जाता. एक साक्षात्कार में गरिमा कहती हैं, कि आपके परिवार के लोग इसी सेवा में होते हैं इस बात का फायदा मिलता है पर पढ़ना आपको ही पड़ता है, मेहनत आप ही करते हैं और हर तरह का संघर्ष आपका ही होता है. इससे नहीं बचा जा सकता और अपना सौ प्रतिशत तो देना ही होता है.

स्कूल के बाद गरिमा ने जेईई दिया और सेलेक्ट हो गयीं. इसके बाद उन्होंने आईआईटी हैदराबाद से ग्रेजुएशन किया और जर्मनी से इंटर्नशिप. यहीं उन्हें नौकरी का ऑफर भी मिला पर हमेशा से समाज सेवा करने की चाहत रखने वाली गरिमा ने इस नौकरी को न कह दिया. गरिमा ने करीब डेढ़ साल परीक्षा की तैयारी करके साल 2017 में पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और पहली ही बार में सेलेक्ट हो गयीं. गरिमा की 241वीं रैंक थी और उन्हें आईपीएस सर्विस मिली. गरिमा अपनी सफलता से संतुष्ट थीं पर उन्हें आईएएस ज्यादा लुभावना क्षेत्र लगता था. इधर गरिमा ने आईपीएस की ट्रेनिंग ज्वॉइन कर ली और चूंकि वे पहले ही यूपीएससी के लिए तैयारी कर चुकी थीं इसलिए उन्होंने साथ ही में एक बार फिर से तैयारी जारी रखते हुए दोबारा परीक्षा देने का मन बनाया. गरिमा की मेहनत और समर्पण की दाद देनी होगी कि ट्रेनिंग के साथ भी उन्होंने अगले ही साल यानी साल 2018 में न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि 40वीं रैंक लाकर टॉप भी किया. इसी के साथ उनका बचपन का सपना पूरा हो गया.

गरिमा की यह सफलता तो सभी को दिखती है पर इसके पीछे का संघर्ष और दिन-रात की मेहनत कम ही लोग जानते हैं. हिंदी मीडियम की गरिमा के लिए इंग्लिश में परीक्षा लिखना और न्यूज़ पेपर पढ़ना आसान नहीं था. शुरू में उन्हें केवल पेपर पढ़ने में ही तीन घंटे लग जाते थे. हिंदी मीडियम के बावजूद उन्होंने इंग्लिश में परीक्षा देना चुना क्योंकि हिंदी में स्टडी मैटीरियल जैसा वे चाह रही थीं नहीं मिल रहा था. इंजीनियरिंग में उन्हें भाषा की बहुत समस्या नहीं आयी क्योंकि अधिकतर कैलकुलेशंस ही रहते थे या कोडिंग. यूपीएससी मेन्स में इफेक्टिव आसंर लिखना सबसे बड़ा चैलेंज था, जिसे पार पाने के लिए उन्होंने खूब आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करी. गरिमा कहती हैं, एक या डेढ़ साल की डेडिकेटेड तैयारी आपको सफलता दिला सकती है, बस इस एक या दो साल में कुछ और न करें केवल और केवल यूपीएससी पास करने पर ध्यान केंद्रित करें. न किसी और सरकारी परीक्षा की तैयारी करें न ही कोई और पेपर दें.

गरिमा कहती हैं तैयारी के समय डिस्ट्रैक्शंस से बचने के लिए उन्होंने दो साल तक सोशल मीडिया के सभी एकाउंट डिलीट कर दिए थे. इस सफर में गरिमा अपने माता-पिता का योगदान भी कम नहीं आंकती जिन्होंने परिवार और समाज की बातें न सुनते हुए केवल अपने बच्चों पर विश्वास दिखाया और उनके बच्चों ने भी उनका मान रखा
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लेख साभार - ABP NEWS 

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साभार: दैनिक भास्कर