हमारा वैश्य समाज
समस्त वैश्य समाज के प्रवर्तक भगवान् श्री विष्णु एवं कुलदेवी माता लक्ष्मी
मित्रो नमस्कार, मेरा यह ब्लॉग सर्ववर्गीय, सर्वजातीय वैश्य समाज को समर्पित हैं. इस चिट्ठे में मैंने २५ करोड़ वैश्य समाज की जातियों, उनका इतिहास, उत्पत्ति, उनके महापुरुष, उनके गोत्र आदि का वर्णन करने की कोशिश की हैं. मित्रो हमारे वैश्य समाज के अंतर्गत करीब ३५६ जातिया आती हैं. इनकी जानकारी हम अधिकतर लोगो को नहीं हैं. हमारा वैश्य समाज इस देश का वेल्थ क्रिएटर हैं. इस देश के ८५% व्यवसाय, उद्योग धंधे आदि पर वैश्य समुदाय का अधिकार हैं. इस देश का ९०% टैक्स वैश्य समुदाय देता हैं. धर्म कर्म, समाज कल्याण, मंदिर, तीर्थ स्थान, धर्मशालाए, स्कूल - कालेज ये सब ९० % वैश्य समुदाय द्वारा ही पोषित हैं. मित्रो हमारा एक सुनहरा युग रहा हैं. चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, स्कंदगुप्त, कुमार गुप्त, परवर्ती गुप्त वंश के शासक, हर्षवर्धन, हेमू विक्रमादित्य आदि हमारे गौरव हैं. मेरा उद्देश्य समस्त वैश्य समाज को एक प्लेटफोर्म पर लाना हैं. गुप्त काल का ३५० वर्ष का इतिहास इस देश का स्वर्णकाल रहा हैं. आज हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी भी एक वैश्य ही हैं जोकि मोध घांची- तेली वैश्य समुदाय से सम्बंधित हैं.और वैश्य समाज के बारे जो भ्रान्तिया वैश्यों और दूसरी जातियों में फैली हुई है, उसे दूर करना हैं.इस ब्लॉग में प्रकाशित सामग्री मैंने विभिन्न पत्र पत्रिकाए, वेब साईट, पुस्तकों आदि से ली हैं. यदि आप लोगो के पास भी अपने वैश्य समाज के बारे में कोई जानकारी हैं तो मुझे भेजे. मित्रो भगवान् विष्णु, माता लक्ष्मी हम सभी वैश्य समाज के बंधुओ के माता व पिता हैं. अपने पूजा स्थान में भगवान् विष्णु, व माता लक्ष्मी का चित्र अवश्य लगाए. इसके साथ साथ अपने कुलपुरुष व कुलदेवी का चित्र भी अवश्य लगाए. अपने कीमती सुझाव इस ब्लॉग के बारे में मुझे भेजे, जिससे में इसमें और सुधार कर सकू. ये ब्लॉग लगातार अपडेट हो रहा हैं. अपने मित्रो व मिलने वालो को इसके बारे में बताये. इस ब्लॉग को प्रकाशित करने का मेरा उद्देश्य केवल सामाजिक हैं. कोई भी व्यावसायिक या व्यापारी उद्देश्य मेरा नहीं हैं. धन्यवाद, वन्देमातरम..
सम्पादक व प्रकाशक
प्रवीण गुप्त
(अध्यक्ष व संस्थापक: अखिल भारतीय सर्ववर्गीय वैश्य समाज)
9760025801, 7906144405
computech_mzn@rediffmail.com
Muzaffarnagar (U.P.)
(अध्यक्ष व संस्थापक: अखिल भारतीय सर्ववर्गीय वैश्य समाज)
9760025801, 7906144405
computech_mzn@rediffmail.com
Muzaffarnagar (U.P.)
अद्भुत , अतुलनीय प्रयास |हार्दिक बधाई
ReplyDeleteइस आयोजन से जुड़ना चाहूँगा
+रमेशराज [रमेशचन्द्र गुप्त ]
सम्पादक -तेवरीपक्ष , 15/109, ईसानगर ,अलीगढ़ मो.-9634551630
श्रीमान जी धन्यवाद बहुत बहुत, आपका स्वागत हैं...
ReplyDeleteप्रवीण भाई
ReplyDeleteआपका वैश्य समाज के वेयर में खोज महत्पूरण हे ,
आपके प्रयाश के में ह्रदय से सराहना करता हूँ
सुरेश चंद्रा पटवा
सरंक्षक एवं मुख्या सलहकार
अखिल भारतीय श्री पटवा महासभा,
रामपुर गार्डन, बरेली UP
Mob: 9412289794
Great Work Praveen ji
ReplyDeleteBut There is nothing our samaj " Mahor Gwarre Vaishya Samaj " so please include
Neeraj Gupta
Ajmer
#9414004647
This is excellent endeavour. This reiterates the positive, all inclusive, pan Indian, patriotic, hard working and multi facet side of the Vaishya Community to themselves and other communities. It should also remove some misconceptions.
ReplyDeleteDr. Sanjay Gupta
Noida
(sjay1908@gmail.com)
JAI HO
ReplyDeleteश्री खरे केशरवानी वैश्य समाज प्रादेशिक सभा सतना मध्य प्रदेश का उल्लेख शामिल करें
ReplyDeleteश्री खरे केशरवानी वैश्य समाज प्रादेशिक सभा सतना मध्य प्रदेश का उल्लेख शामिल करें
ReplyDeleteCan you provide details of vansh flow chart of vaishya samaj. & history of chaturshreni vaishya. How chaturshreni vaishya are linked with shri agrasen maharaj ji?
ReplyDeleteCan u provide the history of khare kesherwani veshya samaj
ReplyDeleteहम भी आपसे जुड़ना चाहेंगे इसी बहाने कम से कम समाज के काम तो आएंगे कुछ समाज के लिए भी कर सकेंगे , वैशे आपका कदम बड़ा ही सराहनीय है
ReplyDeleteललित सोनी
पत्रकार
इलाहाबाद
lalitsoni@hotmail.com
Thanks sir Vaisya samaj ko hak dilaiye
ReplyDeleteएक लंबे अरसे तक सरकारी सुविधाओं से पूरी तरह वंचित और अभी भी विशुद्ध कारोबार के रूप में पूरी तरह मान्यता को तरसता फिल्म उद्योग अपने बल पर एक ग्लैमरस और चमकदार कारोबार के रूप में विकसित हो चुका है। सौ साल पहले जो फिल्म बाजार कुछ लाख रुपए का था और जिसके भविष्य को लेकर कोई आश्वस्त नहीं था, वह अब पंद्रह से बीस हजार करोड़ रुपए का उद्योग बन चुका है। रही भविष्य से उम्मीद की बात तो उद्योग के जानकार अगले दो तीन साल में कुल कारोबार के बढ़ कर पच्चीस हजार करोड़ रुपए होने की संभावना जता रहे हैं।
ReplyDeleteयह आंकड़ा सिर्फ मुंबइया फिल्म उद्योग का है। यदि पूरे देश के फलते-फूलते फिल्म बाजार का आकलन किया जाए तो पूरा कारोबार पचास हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बैठता है। फिल्म उद्योग को इस मंजिल तक ले जाने में हर प्रांत व हर समुदाय के लोगों का योगदान रहा है। उनके योगदान को सराहा भी गया है। लेकिन कारोबारी प्रवीणता के पर्याय माने जाने वाले वैश्य समुदाय का हिंदी फिल्मों में आधा अधूरा ही और काफी हद तक नकारात्मक चित्रण ही हुआ है।
यह सिर्फ एक समुदाय की ही बात नहीं है। पेशे, जाति व कर्म के आधार पर फिल्मों ने एक बंधी बंधाई छवि गढ़ ली है और कुछेक अपवादों को छोड़ कर उन्हीं को दोहराया जाता है। सिखों को अब जाकर थोड़ी बहुत इज्जत मिली है। पहले तो सिख चरित्र को मजाक उड़ाने के लिए रखने का चलन रहा। मुस्लिम समाज पर केंद्रित कई फिल्में बनने के बाद भी हिंदी फिल्मों का मुसलमान पुरानी पहचान नहीं खुरच पाया है। ईसाइयों और पारसियों को तो फिल्मों ने कभी अहमियत ही नहीं दी। जमाना बदल गया है। लोगों की सामुदायिक पहचान और भूमिका बदल गई है। पर ज्यादा फिल्मों में वे उन्नीस सौ चालीस के दशक वाले अंदाज में ही नजर आते हैं। पुलिस और डाक्टर भी एक बंधी बंधाई इमेज के दायरे में ही कैद हैं।
वैश्य समुदाय भी इसका अपवाद कैसे रह सकता है। यह फिल्मों में खूब दिखता भी रहा है। सौ साल से ज्यादा के फिल्मी सफर में गांव के सूदखोर महाजन से लेकर कारपोरेट किंग तक के सफर में फिल्मों ने वैश्य समुदाय का अलग-अलग रूप से चित्रण किया है। पिछले कम से कम सत्तर साल में शायद ही ऐसी कोई फिल्म बनी होगी जिसमें किसी छोटे या बड़े नकारात्मक या सकारात्मक पात्र ने वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व न किया हो। ऐसी फिल्मों की संख्या तो सैकड़ों में है जो व्यापारिक या औद्योगिक पृष्ठभूमि पर बनी है। यह अलग बात है कि इन फिल्मों में कारोबारी दांवपेंच की जगह पारिवारिक समस्याओं पर ज्यादा जोर दिया गया। कारोबारी या औद्योगिक रस्साकशी को दिखाने वाली कुछ यथार्थवादी फिल्में भी बनी हैं लेकिन उनकी संख्या कम है। फिल्म उद्योग का पूरा ढांचा ही व्यावसायिक है।
वैश्व समुदाय फिल्म निर्माण से लेकर पर्दे के पीछे की तमाम रचनात्मक गतिविधियों में अपनी मजबूत हिस्सेदारी निभाता आ रहा है। विडंबना यह है कि इस समुदाय की सामाजिक और पारिवारिक स्थितियों का सही आकलन करने की कोशिश कम हुई है। वैश्य समाज का ज्यादातर फिल्मों में घिसा पिटा या रूढ़िबद्ध चित्रण हुआ है जो समय और परिस्थितियों के हिसाब से बदलता रहा है। वैश्यों को चाहे महाजन, पंसारी, मिल मालिक या उद्योगपति के किसी भी रूप में जब भी पर्दे पर लाया गया, लालची, शोषक और संवेदनहीन व्यक्ति के रूप में उसकी नकारात्मक छवि को ही उभारा गया। बदलती सामाजिक स्थितियों का भले ही इसमें थोड़ा बहुत योगदान रहा हो, फिल्मकारों ने लकीर के फकीर की तरह वैश्य समाज को उसकी जबरन बना दी गई पारंपरिक छवि के रूप में पेश करने में ज्यादा रूचि दिखाई।
9122917176
बिलकुल ठीक लिखा हैं भाई आपने. हकीकत बयां की हैं.
ReplyDeleteSir mai aapke is sarahniye karya se jud chuka hu aur watsapp se sbko link send krke judne k liye bol rha hu
ReplyDeleteHm sbhi vaishya samaj ko is site ko supoort krna hoga aap sb link share kre
क्या यादव यदु एवं झा भी वैश्य है
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ वैश्य वर्ल्ड फाउंडेशन की इकाई में वैश्य यादव एवं झा को भी वैश्य में सामिल किया है क्या यह उचित है
शिवम् गुप्ता रायपुर छत्तीसगढ़
7805992001
RAM SEWAK GUPTA
ReplyDeleteACCOUNTS OFFICER
MARAL OVERSEAS LIMITED
NOIDA (UP)
MOB. 9818569451/8700551170
CALL FOR ANY HELP :
INCOME TAX/INSURANCE WORK
आदरणीय श्री प्रवीण जी
ReplyDeleteवैश्य समाज के प्रति आपकी लगनशीलता और मेहनत हमें प्रेरित करती है। हम अधिकांशतः आपके लेख पढ़ते रहते हैं, जिससे हमें अपने समाज के प्रति काफी जानकारी प्राप्त होती रहती है।
सादर धन्यवाद।
आदरणीय श्री प्रवीण जी
ReplyDeleteवैश्य समाज के प्रति आपकी लगनशीलता और मेहनत हमें प्रेरित करती है। हम अधिकांशतः आपके लेख पढ़ते रहते हैं, जिससे हमें अपने समाज के प्रति काफी जानकारी प्राप्त होती रहती है।
सादर धन्यवाद।
बहुत अछा लगा जी।
ReplyDeleteNamste Pravinji . Excellent job. "Hamara vaishya samaj" is really good and helful.I read it.In this blog under the title of HAMARA SAHU TELI SAMAJ I read important thing.we (the whole samaj)are sufferin a problem. Our forefathers have told us that we r PARDESHI/PADMAVASHI TELI.Now there is a new twist . Some of us want to change this title to Rathore/Rathod teli.But our surnames are like Dhakre Sartale Asarwal Bindwal Mangrule.....etc.I read your blog and Sahu Teli Samaj and other gltra.We searched a lot everywhere but couldnot find the title PADMVANSHI.What is the origin of this .who has written this ? Please tell me.
ReplyDeleteमाहौर वैश्य समाज की खोज के बारे में श्री--गुप्ता जी जो टेलीफोन डिपार्टमेंट के हरिद्वार से थे उन्होंने एक किताब लगभग १९६६-१९७० के बीच में प्रकाशित की थी काफी विवरण था गुप्त हो गयी है एक हाथरस के महानुभाव ने अगरवालो को सूर्यवंशी बताया है परंतू उसका कोई उचित उल्लेख नहीं मिलता क्यंकि महाराजा अग्रसेन सूर्यवंशी नहीं थे माहौर,महावर,मथुरिया,गुलहरे,शिवहरे,कश्यप सभी महाराजा उरहोत के बशंज है जो गुजरात की पेनगंगा नदी के किनारे माहौर राज्य से निकले है महाराजा उरहोत का राज्य परुशराम राम द्वारा खंडित कियेजाने पर बहां से पलायित लोग थे तेली, कोली, ब्राहमण आदि सभी लोगो ने अपने नाम को माहौर नाम से जोड़ लिया कोली समाज में भी महोर कोली होते है मतलब बह वैश्य नहीं है {चंद्र शेखर गुप्ता९९११७७८६२५}
ReplyDeleteवैश्य समाज के राजा , भारत के आखिरी हिन्दू शासक हेमचन्द्र विक्रमादित्य जी के समाधी स्थल और हवेली की स्तिथी देखिये। वैश्य समाज और इन स्थलों के संरक्षण के लिए सरकार के गुहार लगानी चाहिए नहीं तो वैश्य समाज को स्वयं अपने संरक्षण में ले लेना चहिये और स्वयं विकास कार्य करवाना चाहिए। यह भारत का और सम्पूर्ण हिन्दू समाज का धरोहर है । इस लिंक में हेमचन्द्र विक्रमादित्य का विवरण है https://youtu.be/E8MquZo84WE । 1 : 56
ReplyDeleteइस लिंक में आज की स्तिथि है हवेली की https://youtu.be/7uyRoE34zUU
https://youtu.be/GUjViZmIYOg
समाधी स्थल - https://youtu.be/DtU0QjeRlDU
https://youtu.be/r3sK1hvrP0A
मै महाराष्ट राज्य मे पालघर जिल्हा विक्रमगड तालुका मे रहेता हू/मेरा नाम डॉ.अरुण बाळकृष्ण मनोरे है,मै वैश्य वाणी जाती का हू/हमारा मनोरे परिवार बडा परिवार है,हम सब ठाणे-रायगड पालघर,पनवेल,कल्याण मुबई जिल्हे मे रहते है,हर नवरात्री मे हमारे कुलदैवत हमारे परिवार के कुळी के घरमे बिठाते है, हम सब वही दर्शन के जाते है, हमारा परिवार मे ८०के उप्पर (कुटुब )परिवार है,सालमे एक बार सब मिळते है,जादासे जादा ठाणे-रायगड,पनवेल-पेण मुबई कल्याण हमारा अन्य जगह रहते है (मनोरे-पेणकर)ये सरनेमसे हमे पहचानते है,
ReplyDeleteBHARTIYA SAVINDHAAN KA HINDI ANUWAAD KARNE WALE SHREE GHANSHYAM SINGH GUPT KYA AGARWAL JAATI SE HAI...KRUPYA JAANKARI DIJIYE
ReplyDeleteप्रणाम भाई साहब, आपके द्वारा इस वेबसाईट के माध्यम से उपलब्ध करवाई सूचना सचमुच अकल्पनीय है। जो वैश्य समाज के लिए बहुत उपयोगी है। मै पिछले काफी समय से अपनी कुलदेवी, कुलगुरू, वेद आदि के बारे में जानकारी ढुंढ रहा था। जो मुझे यंहा से प्राप्त हुई।
ReplyDeleteएक निवेदन भी करना चाहूंगा कि आप इसमें कॉपी करने ऑपशन भी रखे जिससे उपलब्ध सामग्री को आगे प्रेषित करने में सुगमता रहे।
आपका आभार और आपको साधुवाद प्रेषित करता हूं।
bahut bahut badhai
ReplyDeleteHira lal Pradhan ALL INDIA MANAV SAMAJTRUST DELHI (PRESIDENT)
ReplyDelete8285566751 very nice work
there is no one like hindu every one just thinking about cast and that is reason our is country is going in divided communities
ReplyDeleteagree
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