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Friday, July 20, 2018

ATUL AGRAWAL, PREET SHAH - अतुल अग्रवाल, प्रीत शाह CA टोपर

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अतुल अग्रवाल 


इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने मई-जून में हुई फाइनल, फाउंडेशन व सीपीटी परीक्षा के नतीजे घोषित कर दिए हैं। फाइनल के नतीजे मौजूदा स्कीम व रिवाइज्ड स्कीम के आधार पर जारी किए गए हैं। सीए फाइनल की मौजूदा स्कीम में ऑल इंडिया टॉपर जयपुर के अतुल अग्रवाल बने हैं। उन्होंने 77.25 फीसदी के साथ ऑल इंडिया टॉप किया है। उन्हें 800 में से 618 अंक प्राप्त हुए हैं। वहीं दूसरे स्थान अहमदाबाद के आगम संदीपभाई दलाल ने 76.88 फीसदी अंक प्राप्त किए। जबकि तीसरे स्थान पर सूरत के अनुराग बागरिया रहे। 800 में से 597 अंक पाकर उन्होंने 74.63 फीसदी अंक प्राप्त किए। सीए फाइनल रिवाइज्ड स्कीम में सूरत के प्रीत प्रीतेश शाह ने 67.75 फीसदी के साथ ऑल इंडिया टॉप किया है। उन्होंने 800 में से 542 अंक प्राप्त किए। दूसरे स्थान पर बंगलूरू के अभिषेक नागराज ने 67.38 फीसदी अंक पाए हैं। तीसरे स्थान पर उल्लाहस नगर की समीक्षा अग्रवाल ने 65.50 अंक प्राप्त किए। फाउंडेशन के रिजल्ट में दिल्ली की स्वाति ने 400 में से 332(83 फीसदी) अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया टॉप किया है। जबकि रायपुर के आयुश अग्रवाल ने 82.75 फीसदी के साथ दूसरा स्थान व हल्द्वानी की स्वलेहा साजिद ने 81.75 फीसदी अंकों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया। फाउंडेशन का रिजल्ट 19.24 फीसदी रहा। इसमें लड़कियों का पास प्रतिशत 21.86 फीसदी रहा, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 17.59 फीसदी है। सीपीटी की परीक्षा में कुल 54,474 परीक्षार्थी बैठे, इनमें से कुल 15,284 ने परीक्षा पास की। इसका पास प्रतिशत 28.06 फीसदी रहा। सीपीटी में 6,916 लड़कियां पास हुईं, जबकि 8368 लड़के पास हुए हैं। 

सीए की फाइनल रिवाइज्ड स्कीम में ग्रुप-1 में 2289 छात्र बैठे थे जिसमें से 286 पास हुए हैं।इस तरह से इस ग्रुप का पास प्रतिशत 11.36 फीसदी रहा। वहीं ग्रुप-2 में 1208 छात्रों ने परीक्षा दी जिसमें 96 पास घोषित किए गए हैं। इस ग्रुप का पास प्रतिशत 7.95 रहा। जबकि बोथ ग्रुप(दोनों ग्रुप में से किसी एक में पास) में सफल होने वाले छात्रों का पास प्रतिशत 9.83 फीसदी रहा है। इसी तरह से फाइनल की मौजूदा स्कीम के नतीजों में ग्रुप-1 के तहत 16.01 फीसदी छात्र सफल रहे हैं, ग्रुप-2 में 13.59 फीसदी व बोथ ग्रुप का पास प्रतिशत 9.09 फीसदी रहा है। 



Friday, July 13, 2018

SANJNA SANGHI - संजना संघी

संजना सांघी जाने-माने एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के संग बॉलीवुड डेब्यू करने जा रही हैं। संजना को फिल्म 'द फॉल्ट इन आवर स्टार्स' में सुशांत के अपोजिट रोल में कास्ट किया गया है। बता दें कि 'द फॉल्ट इन आवर स्टार्स' एक हॉलीवुड फिल्म है जिसका हिंदी रीमेक बनाया जाएगा। यह फिल्म फॉक्स स्टार स्टूडियो के बनैर तले बनेगी और इसका निर्देशन मुकेश छाबड़ा करेंगे। अमेरिकन फिल्म 'द फॉल्ट इन आवर स्टार्स' जॉन ग्रीन के इसी नाम के नावेल पर बनी थी। इस नावेल में कैंसर पीड़ित दो प्रेमियों की कहानी बयां की गई है। अगर संजना की बात करें तो वह दिल्ली की रहने वाली हैं और फिलहाल 21 साल हैं। आइए विस्तार से जानते हैं बॉलीवुड की नई एक्ट्रेस संजना सांघी के बारे में। (All Photos: Instagram) 

संजना बॉलीवुड में पूरी तरह से नई नहीं हैं। वह साल 2011 में आई फिल्म 'रॉकस्टार' में नजर आ चुकी हैं। 


'रॉकस्टार' में संजना ने नरगिस फाखरी की बहन का किरदार निभाया था। 
साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म 'हिंदी मीडियम' में भी संजना नजर आई थीं। 


इसके अलावा वह फिल्म 'फुकरे रिटर्न्स' में भी सपोर्टिंग किरदार प्ले कर चुकी हैं। 


मालूम हो कि संजना ने कई ऐड फिल्मों में भी काम किया है।
'द फॉल्ट इन आवर स्टार्स' के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने बताया कि उनकी संजना से पहली मुलाकात फिल्म 'रॉकस्टार' के सेट पर हुई थी। 
मुकेश के मुताबिक संजना 'द फॉल्ट इन आवर स्टार्स' में अपने रोल के लिए एकदम परफेक्ट हैं। 


संजना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। 
संजना के फैंस को उनकी आने वाली फिल्म का इंतजार है। 



MUKESH AMBANI - मुकेश अम्बानी एशिया के सबसे अमीर

साभार: दैनिक भास्कर 

Thursday, July 5, 2018

DIVAN TODARMAL - दीवान टोडरमल, वैश्य गौरव

विश्व की सबसे महंगी जगह सरहिंद( फतेहगढ़ साहिब) पंजाब में है। इस स्थान पर गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादों  और माता गुजरी जी का अंतिम संस्कार हुया था। 

दीवान टोडर मल धनी जैन वैश्य  व्यापारी, ने सिर्फ 4 स्केयर मिटर जगह 78000 सोने के सिक्के जमीन पर बिछा कर , 13 दिसम्बर 1705 में मुगल स्म्राजय द्वारा दीवारों में जिंदा गाड़ कर मार दिये गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे सपुत्रों जोरावर सिंह(6 वर्ष) और फतेह सिंह (9 वर्ष) तथा उनकी माता गुजर कौर के अंतिम संस्कार के लिए ये जगह मुगल सल्तनत से खरीदी थी।

हवेली टोडरमल 
टोडरमल जैन की धार्मिक सहिष्णुता और उदारता की प्रेरणास्प्रद कहानी ............(श्री प्रवेश शास्त्री करेली )

2016 में महावीर जयंती के दिन मुझे पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में स्थित गुरु ग्रन्थ साहिब वर्ल्ड यूनिवर्सिटी में एक अन्ताराष्ट्रीय सम्मेलन में जैनदर्शन पर व्याख्यान देने हेतु जाने का अवसर प्राप्त हुआ| फतेहगढ़ साहिब पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिला का मुख्यालय है। यह जिला सिक्‍खों की श्रद्धा और विश्‍वास का प्रतीक है।

पटियाला के उत्‍तर में स्थित यह स्‍थान ऐतिहासिक और धार्मिंक दृष्टि से बहुत महत्‍वपूर्ण है। सिक्‍खों के लिए इसका महत्‍व इस लिहाज से भी ज्‍यादा है कि यहीं पर गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों को सरहिंद के तत्‍कालीन फौजदार वजीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। उनका शहीदी दिवस आज भी यहां लोग पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। फतेहगढ़ साहिब जिला को यदि गुरुद्वारों का शहर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यहां पर अनेक गुरुद्वारे हैं जिनमें से गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब का विशेष स्‍थान है।

वहां के जागरूक शोधअध्येताओं ने मुझसे जैनदर्शन पर बहुत अभिरुचि प्रगट की ,वे मुझे वहां के उस प्रसिद्द गुरूद्वारे ले गए जहाँ गुरु गोविन्द सिंह जी के दोनों पुत्रों को वहां के नवाब ने दीवार में जिन्दा चुनवा दिया था |

इसी सन्दर्भ में उन्होंने वहां के दीवान टोडरमल जैन की उदार दृष्टि की जो कथा सुनाई वह मुझे पता ही नहीं थी , उन्होंने बताया कि -

तीन सौ वर्ष पहले सरहिंद में गुरु गोबिंद सिंह जी के दो पुत्रों को दीवार में चिनवाने के बाद उनके व दादी मां के पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार के लिए नवाब जगह नहीं दे रहा था , उसने शर्त रखी कि अंतिम संस्कार के लिए जितनी जगह चाहिए उतनी जगह स्वर्ण मुहरें बिछा दो , वहां के सुप्रसिद्ध नगर सेठ टोडरमल जैन ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, और स्वर्ण मुद्राएँ बिछा दीं , नवाब का लालच बढ़ गया और फिर उसने कहा कि स्वर्ण मुद्राएँ खड़ी करके बिछाओ लिटा का नहीं, टोडरमल जी ने फिर भी शर्त मान ली और खड़ी स्वर्ण मोहरें बिछा दीं और अंतिम संस्कार हेतु जगह ली |
नवाब से स्वर्ण मोहरें बिछाकर भूमि प्राप्त करने वाले दीवान टोडरमल जैन का नाम भी तीर्थ भूमि सरहिंद से जुड़ा है। सामाना में जन्मे व माता चक्रेश्वरी देवी के उपासक टोडरमल जैन जमीनी मामलों के जानकार होने के कारण सरहिंद के नवाब वजीर खां के दरबार में दीवान के पद पर असीन हुए। उन्होंने नवाब से सोने की मोहरों के बदले भूमि लेकर उन तीनों महान विभूतियों का स्वयं अंतिम संस्कार किया। उसी स्थान पर फतेहगढ़ साहिब में गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप बना हुआ है जिसके बेसमैंट का नाम सिख समाज ने स्मृति स्वरूप दीवान *टोडरमल जैन हाल* रखा है।

उसके बाद वे वहां स्थित जैन मंदिर ले गए जहाँ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी की अधिष्ठात्री चक्रेश्वरी देवी का एकमात्र ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर, सरहिंद शहर के चंडीगढ़ रोड पर स्थित है। यहां 12वीं सदी से लगातार माता जी के श्रद्धालु विशेषत: खंडेलवाल बंधु अपनी कुलदेवी के रूप में माता जी की पूजा-अर्चना के लिए आते रहे हैं।पास में ही तीर्थंकर आदिनाथ का एक सुन्दर श्वेताम्बर मंदिर भी है|

उन्होंने बताया कि12वीं शताब्दी में मारवाड़ में भीषण अकाल के कारण पंजाब की ओर लोगों ने पलायन किया। जैन खंडेलवाल परिवारों का एक जत्था कांगड़ा में विराजित भगवान ऋषभ देव के दर्शनों के लिए बढ़ रहा था जो सरहिंद में एक रात्रि के लिए रुका। अगली सुबह अधिष्ठात्री कुलदेवी की पूजन शिला वाली बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। दूसरी रात्रि भी वहीं रुकना पड़ा, तब आकाशवाणी सुनाई दी-मेरा स्थान आ गया है। मेरा भवन यहीं बनवाया जाए। भक्तों ने वहीं पर मंदिर बनवाया और स्वयं भी सरहिंद एवं पंजाब के अन्य शहरों में बस गए परन्तु सरहिंद में माता चक्रेश्वरी देवी के इस स्थान पर निरंतर आते रहे।

मैंने वहां देखा कि तीर्थ परिसर में विशाल धर्मशाला, विश्राम घर, खुले लॉन, भोजनशाला आदि की सुचारू व्यवस्था है। अपने गौरवपूर्ण व स्वर्णिम इतिहास तथा श्रद्धा का व्यापक आधार होने के कारण माता चक्रेश्वरी देवी के इस स्थान को अब अखिल भारतीय जैन तीर्थ होने का भी गौरव प्राप्त है।वहीँ दीवार पर बने टोडरमल जी के दो चित्र भी इस लेख के साथ संलग्न हैं |

इस पूरी कहानी से यह पता चलता है कि जैन समाज अपने से अन्य धर्म और धार्मिकों के प्रति कितनी उदार दृष्टि रखता आया है | जैनों द्वारा इस प्रकार की धार्मिक सहिष्णुता के हजारों किस्से हैं | आज सिर्फ आवश्यकता है उनके इन सार्वजनीन सार्वभौमिक कार्यों को उजागर करने की ,क्यों कि उदारता की एक परिभाषा अपने दान को उजागर नहीं करने की भी रही है ,शायद इसीलिए भी इस प्रकार की नज़ीर दुनिया के सामने नहीं आ पातीं ।

आज साम्प्रदायिक द्वेष के काँटों भरे पेड़ों को ज्यादा सींचने के दुर्भाग्यपूर्ण माहौल के बीच इस प्रकार के उदाहरणों को प्रेरणा एवं सामाजिक सौहार्द के लिए सामने रखना ज्यादा आवश्यक हो गया है ।

साभार: प्रस्तुति - प्रवेश शास्त्री, करेली #9425070265

अग्रवाल राज


साभार: मरुधर के स्वर, पत्रिका, जमशेदपुर 

Wednesday, July 4, 2018

ANSHUMAN GUPTA - पान की दुकान चलाते हैं पिता, बेटे ने अमेरिका में किया नाम रोशन

बिहार से ताल्लुक रखने वाले इंडियन इंस्टीच्युट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे के एक छात्र ने अमेरिका के सैनडिएगो शहर में चल रहे रोबोसब प्रतियोगिता में भारत का नाम रोशन किया है। इस प्रतियोगिता में भारत सहित 11 अन्य देश अमेरिका, कनाडा, जापान, चीन, रूस आदि शामिल थे। इस प्रतियोगिता में भारत को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। भारत की तरफ से अंशुमन गुप्ता के नेतृत्व में 7 इंजीनियरों की टीम ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। अंशुमन बिहार के शहर ‘गया’ के रहने वाले हैं।


भारतीय टीम की बनाई गई पनडुब्बी ‘मत्स्या’ ने सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए इस प्रतियोगिता में जीत दर्ज की है। एक खबर के मुताबिक इन प्रतिभागियों को स्वचालित पनडुब्बी बनाना था। मानक के हिसाब से इन पनडुब्बियों को समुद्री वातावरण में विभिन्न रंगों के गुब्बारों की पहचान कर उसे छूना था। साथ में इस प्रतियोगिता की यह शर्त भी थी कि इन पनडुब्बियों को कुछ सामग्री एक स्थान से दसूरे स्थान पर पहुचना होगा।

टीम में अंशुमन के अलावा तुषार शर्मा, अंगिता सुधाकर, हरि प्रसाद, जयप्रकाश और संदीप शामिल थे।


अंशुमन के पिता चलाते हैं पान की दुकान तो मां हैं गृहणी, अंशुमन का घर का नाम सोनू है। सोनू के पिता सुनील कुमार गुप्ता की गया में ही पान की दुकान है जबकि मां मीना गुप्ता गृहणी हैं। अंशुमन ने गया कैंट एरिया के डीएवी से दसवीं की परीक्षा पास की थी। क्रेन स्कूल से उसने 11 वीं और 12 वीं की परीक्षा पास की थी। अपने बेटे के इस उपलब्धि से प्रसन्न माता पिता का कहना है कि अंशुमन बचपन से ही मेधावी छात्र था।

अपने माता-पिता और भाई के साथ अंशुमन।

तीन भाईयों में एक अंशुमन का बड़ा भाई अभिराज भी इंजीनियर है। अंशुमन ने भारतीय पनडुब्बी ‘मत्स्या’ के बारे में बतायाः “हमारा लक्ष्य भारत को यांत्रिकीकरण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। भविष्य में इस तरह की पनडुब्बी भारतीय नेवी की मदद कर सकती है। समुद्र में जिस स्थान पर इंसान का पहुंचना मुश्किल है, वहां इस तरह की स्वचालित पनडुब्बी कई तरह का काम कर सकती है, जिससे देश रक्षा के क्षेत्र में और आगे बढ़ सकता है।”


साभार: दैनिक भास्कर , topyaps.com/iit-bombay-underwater-vehicle-matsya

वैश्य समुदाय का मतिभ्रम

ये लेख मैं बहुत दिनों से लिखना चाह रहा था, पर लिख नहीं पाया था. हमारा समाज बहुत बड़ा हैं, करीब २० करोड़ के आसपास जनंसख्या होगी. इनमे अधिकतर तो वैश्य जातिया ही हैं, वे जातिया भी हैं, जो हैं तो वैश्य पर आजकल वे अपने आप को क्षत्रिय बताने लगी हैं.  हमारा वैश्य समाज आज के दिनों में बहुत बड़े मतिभ्रम का शिकार हैं.और ये  भ्रम करीब करीब सभी वैश्य जातियों में हैं. इसी मतिभ्रम के कारण दुसरे वर्णों और जातियों के लोग वैश्यों के बारे में और उनकी जातियों के बारे में, इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते हैं.सबसे बड़ा भ्रम तो ये हैं, की अधिकतर अग्रवाल, माहेश्वरी, मारवाड़ी समुदाय के लोगो में यह भ्रम हैं की हम लोग ही वैश्य या बनिए हैं, वैश्यों की दूसरी जातियों को ये लोग वैश्य मानते ही नहीं. यह भ्रम इन लोगो का दूर होना चाहिए. वैश्यों में ३५४ के करीब जातिया हैं, जिनका उल्लेख मैंने अपनी पिछली विभिन्न पोस्ट  में किया हैं, उनकी जानकारी आप लोग मेरी इस ब्लॉग में गहराई में जाकर ले सकते हैं. बहुत से वैश्य, जैन समुदाय को वैश्य नहीं समझते हैं, जबकि जैन समुदाय में हम लोगो का रोटी - बेटी का सम्बन्ध हैं. सभी जैन वैश्य हैं, सभी वैश्य जैन नहीं हैं. दुसरा भ्रम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की जाति के बारे में हैं. श्री मोदी जी मोड़ मोदी वनिक समुदाय से आते हैं, जिन्हें मोड़ घांची या तेली - साहू भी कहा जाता हैं, यह समुदाय गुजरात का प्रमुख वैश्य समुदाय हैं. अग्रवालो को इस बात का बहुत बड़ा अहंकार हैं की  हम ही वैश्यों में सबसे बड़ी जाति हैं, जबकि सभी वैश्य जातिया बराबर हैं, कोई छोटी बड़ी नहीं हैं. हम लोगो को यह उंच नीच छोड़कर, सभी वैश्य जातियों में आपस में रोटी - बेटी का सम्बन्ध बनाना चाहिए. एक बात और आती हैं, हम लोग अपना इतिहास भूलते जा रहे हैं, हमारे पूर्वजो, राजा - महाराजो को दूसरी जातियों और वर्णों ने अपना बताना शुरू कर दिया हैं, उत्तर भारत की एक लड़ाकू जाति तो हर किसी राजा महाराजा को अपना बताने पर तुली हुई हैं. वैश्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक,गुप्त मौर्य, गुप्त वंश, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन, हेमू इन सबको वह अपना बताने पर तुली हुई हैं. ये  सब हमारे गौरव हैं, हमारे पूर्वज हैं.हमें अपनी पत्र पत्रिकाओं में अपना इतिहास, व पूर्वजो का उल्लेख करना चाहिए. अपने कार्यक्रमों में इन पूर्वजो के चित्र लगाने चाहिए व इनकी महिमा का बखान करना चाहिये, वरना भूल जाओ अपने इतहास को, आने वाले समय में महाराजा अग्रसेन आदि को भी वे लोग अपना बताने लगेगे. सभी वैश्य एक हो, आपस में वैवाहिक सम्बन्ध बनाए, अपनी अपनी जाति की पत्रिकाए निकाले. अपने पूर्वजो का बखान करे. तभी सभी वैश्य जातिया ऊपर उठ पाएगी, सभी वैश्य एक हो इसी में ही देश, धर्म, और वैश्य समुदाय का उत्थान हैं, वन्देमातरम.....