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Sunday, December 8, 2019

MILKBASKET- चार दोस्तों ने शुरू की थी कंपनी, आज कर रहे हैं करोड़ों का कारोबार

चार दोस्तों ने शुरू की थी कंपनी, आज कर रहे हैं करोड़ों का कारोबार

बिजनेस में दो बार की असफल कोशिशों, लाखों रुपए गंवा बैठने के बाद, तीसरे दौर में गुरुग्राम के चार दोस्तों की कंपनी 'मिल्क बास्केट' ने बाजार का विश्वास जीत लिया है। कंपनी अब एक अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर है। दो दिन पहले ही कंपनी ने 72.73 करोड़ रुपए और जुटा लेने का ऐलान कर अपने कम्पटीटर्स को चौंका दिया है। 

मिल्कबास्केट की फाउंडिंग टीम 

बिजनेस के कठिन इम्तिहान में बार-बार फेल होने के बावजूद कोई, इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर ले कि बाकी बिजनेसमैन उसकी नकल करने लगें, बाजार में उसके अंदाज में सक्सेस होने के सपने देखने लगें और उन सब के देखते-देखते वह एक दिन उनसे और बड़ी कोई बाजी मार ले जाए, एक झटके में 72 करोड़ से ज्यादा रुपए जुटा ले, फिर तो मान लेना चाहिए कि असली चैम्पियन तो वही है, बाकी उसके पीछे-पीछे। और वह सफल कंपनी है गुरुग्राम (हरियाणा) की 'मिल्क बॉस्केट', जिसे कभी चार दोस्तों ने मिलकर शुरू की थी।

वर्ष 2015 में चार व्यवसायी साथियों अनंत गोयल (कंपनी के वर्तमान सीईओ), आशीष गोयल, अनुराग जैन और यतीश तालवडिया ने 'मिल्कबास्केट' की नींव डाली थी। इससे पहले कठिन हालात में उनके दो वेंचर फेल हो चुके थे, जिनमें उनके लाखों रुपए डूब गए थे, लेकिन उससे हार मान लेने की बजाय उन्होंने अपनी असफलताओं के नए सबक लिए, बिजनेस के नए-नए पाठ पढ़े, नफा-नुकसान के हिसाब-किताब लगाए, कंज्यूमर्स के फीडबैक लिए। अब कंपनी प्रबंधन वर्ष 2021 तक एक अरब डॉलर के वार्षिक आवर्ती राजस्व प्राप्त करने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। मिलबॉक्सेट ने अब तक मेफील्ड एडवाइजर्स, बेनेक्स, कलारी कैपिटल, यूनिलीवर वेंचर्स, लेनोवो कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स आदि से लगभग 180 करोड़ रुपए जुटाए हैं।

इन चारो दोस्तों अनंत, आशीष, अनुराग, यतीश ने सबसे पहले वर्ष 2012 में ऑन-डिमांड सर्विस देने के लिए एक पेंट कंपनी की शुरुआत की और छह लाख रुपए लगाकर तीन महीने के भीतर लगभग चालीस-बयालीस घरों और फर्मों को ऑन-डिमांड पेंट भी कराया लेकिन कंपनी बैठ गई। उनका सर्विस मॉडल फेल हो गया। उससे सबक मिला कि बाजार के हाव-भाव ठीक से पढ़ लेने के बाद ही किसी बिजनेस में हाथ डालना चाहिए। आज के दौर में अपने प्रॉडक्ट या काम की बेहतर ब्रान्डिंग के बिना सक्सेस मिलना असंभव है।

उसके बाद चारों दोस्तों ने पुराने खराब अनुभवों और नए सबक के साथ, प्रॉपर्टी प्रबंधन और किराये पर उपलब्ध कराने का दूसरा बिजनेस शुरू किया। इसमें तो एक ही साल में 25 लाख रुपए डूब गए। फेल्योर की वजह थी, बिना ठीक से जाने-बूझे ऐसा काम शुरू कर देना, जिसकी किसी को जरूरत ही न हो। दो बार असफल होने के बाद चारो दोस्तों ने अपने पहले के कामों के चयन को लेकर आपस में काफी माथापच्चियां कीं, कुछ ही वर्षों में इतने रूपए गंवा बैठने का काफी अफसोस किया, फिर भी सफर जारी रखते हुए वर्ष 2015 में तीसरी कोशिश में उन्होंने 'मिल्क बास्केट' कंपनी से अपनी सफलता की इबारत लिख डाली।

अब तो कई कंपनियां 'मिल्क बास्केट' को फॉलो करने लगी हैं। अब उनके निवेशक आंख मूंदकर उनके किराना डिलिवरी स्टार्टअप 'मिस्क बॉस्केट' पर भरोसा करने लगे हैं। उसी भरोसे के कारण दो दिन पहले उन्हें इतनी बड़ी कामयाबी मिली है। उनकी कंपनी ने यूनिलीवर वेंचर्स की अगुवाई में मेफील्ड इंडिया, कलारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्स आदि की इंडियन यूनिटों से लगभग 72.73 करोड़ रुपए जुटा लिए हैं। मिल्कबास्केट के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। मिल्कबास्केट का साढ़े आठ हजार से अधिक स्टॉक कीपिंग इकाइयों की वृहद श्रृंखला से गैर-दुग्ध उत्पादों से 70 प्रतिशत से अधिक राजस्व आता है। इसके साथ ही कंपनी ने पिछले छह-सात महीनों के भीतर देश के चार शहरों में अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। अब तो देश की इस पहली माइक्रो डिलिवरी प्ले टफॉर्म कंपनी की पचास हजार से अधिक परिवारों तक रोजाना की सीधी पहुंच है।

कंपनी को उम्मीद है कि वह वर्ष 2022 तक रोजाना करीब 10 लाख लोगों को अपनी सर्विस देने लगेगी। कंपनी का ध्यान निवेश के साथ ही अपनी टीम मजबूत और बड़ी करने पर भी है। उसने अपनी टीम में दो हजार और कर्मचारी जोड़ लिए हैं, जिनमें डेढ़ हजार फुल टाइम और पांच सौ पार्टटाइम काम पर हैं। कंपनी पार्ट टाइम कर्मचारियों के तौर पर स्टूडेंट्स और माइक्रोआन्त्रापेन्योीर्स की मौका दे रही है। ये कर्मचारी गुरुग्राम में रोजाना मॉर्निंग डिलीवरी कर रहे हैं। कंपनी ने पिछले साल ही करीब 30 लाख डॉलर की फंडिंग जमा कर ली थी। उससे पहले उसने चाइनीज और देसी वेंचर कैपिटल फर्म्स। से 10 लाख डॉलर की फंडिंग पहले चरण में ही जुटा ली थी।

साभार: yourstory.com/hindi/the-four-friends-started-the-company-are-doing-bus

Saturday, December 7, 2019

दो आइआइटीयन, मेरठ के सौरभ गर्ग और हापुड़ के अमित अग्रवाल की सफलता की कहानी


नो ब्रोकर! अदद कमरे की तलाश में शुरू किया स्टार्टअप

दो आइआइटीयन, मेरठ के सौरभ गर्ग और हापुड़ के अमित अग्रवाल की सफलता की कहानी

महानगरों में उपलब्ध करा रहे सुविधा, नहीं लेते कोई कमीशन, पांच साल में जुटाया 850 करोड़ का निवेश

दो आइआइटीयंस मेरठ के सौरभ गर्ग और हापुड़ के अमित अग्रवाल का बिजनेस आइडिया कम समय में ही 850 करोड़ रुपये का बड़ा निवेश जुटा चुका है। इनका स्टार्टअप ‘नो ब्रोकर’ महानगरों में उन लोगों के लिए मददगार बना है, जो किराए का कमरा, मकान, दुकान, ऑफिस के लिए बिचौलियों के चक्कर काट कर थक जाते हैं। उन्हें यह सरल, सुरक्षित और बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहा है। सबसे बड़ी बात, बिना कमीशन लिए।

किराए के कमरे की तलाश में सौरभ और अमित को भी अन्य छात्रों और नौकरीपेशा युवाओं की तरह बिचौलियों (ब्रोकर) के चक्कर लगाने पड़े थे। कमीशन पर भी भारी भरकम खर्च करना पड़ता था। सौरभ बताते हैं, तब हमने सोचा कि क्यों न इसी विषय में बिजनेस की संभावना खोजी जाए। कुछ ऐसा किया जाए कि महानगरों में पहुंचे बाहरी छात्रों और नौकरीपेशा लोगों को किराए के कमरे की तलाश में बिचौलियों के चक्कर में न पड़ना पड़े।

अमित कहते हैं, महानगरों में रेंट और प्रॉपर्टी एजेंट्स की भरमार है, लेकिन इनमें से अनेक इस विधा के आदर्श तौर-तरीकों को अमल में नहीं लाते हैं। कमीशन भी इतना, कि जेब ढीली हो जाए। वहीं, रेंट एग्रीमेंट, सेल डीड, रजिस्ट्री आदि के लिए भी भटकना पड़ता है। इसका भी भारी चार्ज वसूलते हैं। लिहाजा, हमने सर्वे किया। पाया कि महानगरों में इस काम का बहुत बड़ा बाजार है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा सुव्यवस्थित नहीं है। यहां से हमें अपना बिजनेस फामरूला मिल गया।

सौरभ मेरठ, उप्र से हैं और आइआइटी मुंबई से पढ़ाई की है। जबकि अमित अग्रवाल भी उप्र के हापुड़ से हैं और आइआइटी कानपुर से उन्होंने पढ़ाई की है। इनके साथ ही एक अन्य दोस्त निखिल भी जुड़े। आइआइटी के बाद सौरभ, अमित और निखिल आइआइएम अहमदाबाद में मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान मिले और दोस्त बने। इसके बाद नौकरी के सिलसिले में अलग-अलग जब एक शहर से दूसरे शहर गए तो किराए के कमरे की तलाश में वही परेशानी रही। आखिरकार, जमा किए कुछ पैसों से तीनों ने मिलकर वर्ष 2014 में अपना यह स्टार्टअप शुरू किया। बेंगलुरु प्रयोग स्थल बना। यहां से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद मुंबई, चेन्नई और पुणो तक विस्तार किया। अब दिल्ली-एनसीआर में भी उन्हें अच्छा अनुभव हो रहा है।

अमित अग्रवाल बताते हैं कि उनके स्टार्टअप नोब्रोकर.कॉम ने बिचौलियों की जरूरत को खत्म कर दिया है। एपबेस्ड इस प्लेटफार्म पर या तो किराया पर कमरा देने वाले मकान मालिक हैं या कमरे की तलाश करने वाले लोग। दोनों से कोई कमीशन नहीं लिया जाता है, लिहाजा यूजर्स की संख्या हजारों पहुंच गई है। उपयोगकर्ताओं की यही विशाल संख्या इन्हें बड़ा बिजनेस दिलाती है। अमित ने बताया, हम दोनों ओर से कोई कमीशन नहीं लेते हैं, लेकिन रेंट एग्रीमेंट, सेल डीड, रजिस्ट्री और लोन दिलाने जैसे सहायक कामों के जरिये हमें इन सेवाओं को उपलब्ध कराने वाली कंपनियों, बैंक, लॉ फर्म जैसे सेवाप्रदाताओं से थोक बिजनेस देने के बदले मोटा कमीशन मिल जाता है।

इन दोस्तों ने बताया कि इनके स्टार्टअप को अब तक विदेशी कंपनियों से 850 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्राप्त हो चुका है। स्टार्टअप को मिल रहे बिजनेस और मुनाफे को देखते हुए अन्य बड़ी कंपनियां भी निवेश के लिए रुचि दिखा रही हैं।

साभार: दैनिक जागरण 



SWATI MALIWAL - एक जुझारू व्यक्तित्व

Swati Maliwal



Chairperson Of Delhi Commission for Women 

Swati Maliwal (born 15 October 1984) is an Indian activist and politician. She is the current Chairperson of Delhi Commission for Women.
Personal life

Maliwal was born in Ghaziabad, Uttar Pradesh on 15 October 1984,[1] in a Maheswari family. She went to Amity International School and then received a bachelor's degree in Information Technology at the JSS Academy of Technical Education.[1] She is married to Pandit Naveen Jaihind of Aam Aadmi Party who was born on 1 June 1981 in Bhainsru Kalan village of Rohtak district in Haryana.


Political career


Maliwal started her first term as Chairperson of Delhi Commission for Women in July 2015.[3] At the time, she was the Aam Aadmi Party leader.[3] Her tenure in the position was extended another three years in July 2018.[4] She is the youngest person to hold the role of commissioner for women.

In 2018, she went on a 10-day hunger strike which started on April 13. She had several demands, including the passage of an ordinance requiring the death penalty for individuals who rape children under age 12, recruiting police under United Nations standards and demanding accountability of the police. Maliwal sent her demands to Prime Minister Narendra Modi. Her strike took place during a series of protests surrounding two alleged rapes of girls ages 16 and 8. Members of an organization, Rape Roko (Stop Rape) were supportive of Maliwal.

SABHAR: WIKIPEDIA

Monday, December 2, 2019

PRIYAM GARG - INDIA'S UNDER 19 CAPTAIN

अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम की कप्तानी करेंगे मेरठ के प्रियम गर्ग

प्रियम गर्ग - फोटो : अमर उजाला

अंडर-19 क्रिकेट से लेकर यूपी रणजी टीम में अपनी पहचान बना चुके मेरठ के दाएं हाथ के बल्लेबाज प्रियम गर्ग को नई जिम्मेदारी मिली है। प्रियम को जनवरी में साउथ अफ्रीका में होने वाले अंडर-19 वर्ल्डकप में इंडिया की कप्तानी सौंपी गई है। 
मुंबई में आयोजित बीसीसीआई की एजीएम बैठक में टीम चयन को लेकर मंथन हुआ। जिसमें यूपीसीए सचिव युद्धवीर सिंह सहित अन्य राज्यों के क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद रहे। जिनमें पूर्व क्रिकेटर मौ. अजहरुद्दीन भी शामिल थे। बैठक में इंडिया अंडर-19 टीम के लिए सदस्यों का चयन कर लिया गया। जिसके बाद बीसीसीआई द्वारा अधिकारिक घोषणा की गई। 


प्रियम के पिता नरेश गर्ग, दो बड़ी बहनें और भाई शिवम - फोटो : अमर उजाला

अंडर-19 विश्वकप की कप्तानी प्रियम गर्ग के हाथों में रहेगी जबकि मेरठ के कार्तिक त्यागी भी टीम में शामिल किए गए हैं। वहीं मुरादाबाद से ध्रुव चंद जुयाल उपकप्तान बने हैं। रविवार देर रात तक क्रिकेट कोच संजय रस्तोगी से लेकर प्रियम गर्ग के किला परीक्षितगढ़ निवासी परिजन बीसीसीआई की वेबसाइट पर चयनित टीम की सूची अपलोड होने का इंतजार करते रहे। 

प्रियम के पिता नरेश गर्ग ने बताया कि प्रियम के कप्तान बनने की उम्मीद तो पूरी थी, क्योंकि इंडिया अंडर-19 टीम में प्रियम को लगातार कप्तानी मिली है, जिसमें वो कामयाब भी रहा है। जबकि वर्तमान में यूपी रणजी टीम की कमान भी प्रियम को सौंपी गई है। कोच संजय रस्तोगी ने बताया कि प्रियम को वर्ल्डकप में इंडिया अंडर-19 टीम की कप्तानी मिली है, ये मेरठ के साथ उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है। 

ये हैं प्रियम गर्ग की उप्लब्धियां
भुवनेश्वर कुमार के कोच संजय रस्तोगी के अंडर में प्रशिक्षण लेकर प्रियम गर्ग ने अंडर-14, 16 ,19 व यूपी की रणजी टीम में शानदार प्रदर्शन किया। हाल में इंग्लैंड में आयोजित त्रिकोणीय श्रृंखला में प्रियम की कप्तानी में ट्रॉफी पर कब्जा किया गया। प्रियम ने यूपी अंडर-14, 16, 19 व रणजी मैचों में कई दोहरे शतक जमाए हैं। अंडर-19 वर्ग में यूपी की ओर से दो बार डबल शतक लगा चुके हैं।

साभार:  अमर उजाला, मेरठ

SUNITA SRAVAGI - GOOGLE EXPERT

साभार : नवभारत टाइम्स