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Tuesday, December 27, 2022

धन के स्वामी कुबेर का अग्रोहा और वैश्य कुल से सम्बन्ध

धन के स्वामी कुबेर का अग्रोहा और वैश्य कुल से सम्बन्ध 




साभार : हर्षवर्धन गोयल, सिंगापूर 

Friday, December 16, 2022

PRAGATI TAYAL A HORCE RIDING CHAMPION

PRAGATI TAYAL A HORCE RIDING CHAMPION

मेरठ के मोदीपुरम में हुए इंटरनेशनल हॉर्स राइडिंग में प्रगति तायल, नॉर्थ इंडिया में चौथे, इंडिया में 12वें स्थान पर रहीं।प्रगति तायल ने मेरठ में हुए इंटरनेशनल गेम्स में नॉर्थ इंडिया में चौथा और इंडिया में 12वां स्थान हासिल किया है।अब मार्च में होने वाली प्रतियोगिता की तैयारियों में प्रगति जुट गई हैं।



मेरठ के मोदीपुरम स्थित मोदी घुड़सवारी अकादमी में इंटरनेशनल हॉर्स राइडिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।इसमें 81 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था।इन्हीं में गुरुग्राम की हॉर्स राइडर प्रगति तायल भी थीं।अपने जेम्मा हॉर्स के साथ वे पूरे जोश और जुनून के साथ खेल के मैदान पर उतरीं।घोड़े की लगाम थामे आत्मविश्वास से लबरेज प्रगति तायल ने घोड़े को दौड़ाना शुरू किया और सभी बाधाओं को पार करती आगे बढ़ती रही।उनके खेल की कला को देखकर दर्शक, ऑफिशियल्स लगातार तालियां बजाते रहे।इस तरह से प्रगति तायल ने इस प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवाया।प्रगति इस प्रतियोगिता में देशभर में 12वें स्थान पर और नॉर्थ इंडिया मेंचौथे स्थान पर रहीं हैं।इस प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद अब प्रगति तायल आगामी मार्च 2023 में मेरठ के आरवीसी सेंटर एंड कालेज में नेशनल घुड़सवारी प्रतियोगिता के लिए तैयारियों में जुट गई हैं।प्रगति दिल्ली में ट्रेनर तेजस ढींगरा से ट्रेनिंग ले रही हैं।प्रगति ने हॉर्स राइडिंग की अपनी लोकप्रियता के चलते अपनी नौकरी तक छोड़ी।हॉर्स राइडिंग के प्रति उनकी दीवानगी ने उन्होंने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की हॉर्स राइडर बना दिया है।उनके पिता सतीश तायल व मां ललित तायल ने उनके सपनों को पूरा करने में हमेशा साथ दिया है।

Thursday, December 15, 2022

ADITYA MITTAL - SHATRANJ GRAND MASTER

ADITYA MITTAL - SHATRANJ GRAND MASTER 


आदित्य मित्तल बने भारत के 77वें शतरंज ग्रैंडमास्टर, स्पेन के टूर्नामेंट में हासिल की उपलब्धि।आदित्य ग्रैंडमास्टर बनने के लिए जरूरी तीन मानदंड पहले ही हासिल कर लिये थे।स्पेन में चल रहे एलोब्रेगेट ओपन टूर्नामेंट के दौरान आदित्य मित्तल ने शानदार प्रदर्शन किया और भारत के 77वें शतरंज ग्रैंडमास्टर बन गए।स्पेन में चल रहे टूर्नामेंट के छठे दौर के दौरान उन्होंने 2,500 ईएलओ अंक का आंकड़ा पार कर ग्रैंडमास्टर बने, ग्रैंडमास्टर बनने के लिए जरूरी तीन मानदंड पहले ही हासिल कर लिया थे।


16 वर्षीय मित्तल ने सर्बिया मास्टर्स 2021 में अपना पहला ग्रैंड मास्टर मानदंड हासिल किया।इसके बाद उन्होंने एलोब्रेगेट ओपन 2021 में अपना दूसरा और फिर सर्बिया मास्टर्स 2022 में अपना तीसरा ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल किया।आदित्य मित्तल एलोब्रेगट ओपन में अब तक पांच अंक हासिल कर पांच अन्य खिलाड़ियों के साथ संयुक्त रूप से तालिका में शीर्ष पर है।
इस टूर्नामेंट में उन्होंने स्पेन के शीर्ष खिलाड़ी फ्रांसिस्को वैलेजो पोंस के खिलाफ मुकाबला ड्रॉ खेलकर यह उपलब्धि हासिल की।इससे पहले भरत सुब्रमण्यम, राहुल श्रीवास्तव,वी प्रणव वी और प्रणव आनंद के बाद मित्तल 2022 में ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाले पांचवें भारतीय हैं।जिसके 3 दिन बाद ही प्रतियोगिता के सभी 9 राउंड होने के बाद आदित्य 7 अंक बनाकर टाईब्रेक मे तीसरे स्थान पर रहे है।आदित्य ईरान के अमीन तबातबाई और सिंगापुर के टिन जींगयाओ के बाद तीसरे नंबर पर रहे।50 वे वरीय आदित्य प्रतियोगिता मे सर्वश्रेष्ठ भारतीय रहे।सातवे राउंड मे भारत के आर्यन शर्मा को पराजित करने के बाद उन्होने सिंगापुर के टिन जींगयाओ और जर्मनी के स्वाने रसमुस से बाजी ड्रॉ खेला और इस तरह पूरी प्रतियोगिता मे 2739 का प्रदर्शन करते हुए वह अपराजित रहे।

Wednesday, December 14, 2022

AKARSH GOYAL A GREAT TRAVELLER AND MOUNTENIAR - आकर्ष गोयल एक महान पर्वतारोही

 AKARSH GOYAL A GREAT TRAVELLER AND MOUNTENIAR - आकर्ष गोयल एक महान पर्वतारोही


पंजाब में बठिंडा के आकर्ष गोयल ने पूर्वी नेपाल के हिमालय श्रृंखला स्थित अमा डबलाम और आइलैंड पीक/इमजा त्से नामक दो ऊंची चोटियों को फतेह किया है।इस कीर्तिमान के साथ वह ऐसा करने वाले पहले पंजाबी युवक बन गए हैं।आकर्ष पंजाब के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अभियान के दौरान दो चोटियों पर चढ़ाई पूरी की हो।




आकर्ष गोयल ने माउंट अमा डबलाम में 6812 मीटर और 22350 फीट की सीधी चढ़ाई 29 अक्टूबर 2022 को पूरी की।जबकि आइलैंड पीक/इमजा त्से में 6160 मीटर और 20210 फीट की चढ़ाई 21 अक्टूबर 2022 को पूरी की।

आकर्ष गोयल ने इस अभियान को चुनौतीपूर्वक बताते हुए कहा कि अमा डबलाम तकनीकी तौर पर काफी कठिन पर्वत है।उन्होंने कहा कि पंजाब से इस चोटी को फतेह करने वाले वह पहले व्यक्ति हैं।चढ़ाई के दौरान उनके साथ 7 लोग और 5 शेरपा गाइड की टीम थी।अभियान को काठमांडू से शुरू कर इसे पूरा करने में 1 महीने का समय लगा।आकर्ष ने दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति से कामयाबी हासिल करना बताया।

आकर्ष गोयल ने इस अभियान से पहले उन्होंने 3 महीने की कठिन ट्रेनिंग की।इस टारगेट को हासिल करने से पहले अच्छा कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस, सहनशक्ति व ताकत हासिल करना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने रूटीन में रनिंग, साइकिलिंग, क्रॉसफिट, रेसिस्टेंस और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की।जिम्नासियो(फेज 3 बठिंडा) के हैरी धनोइया ने ट्रेनिंग ली।इस दौरान एक कस्टम वर्क आउट प्लान बनाकर अलग-अलग हार्ट रेट जोन में ट्रेनिंग की।
आकर्ष गोयल ने बताया कि बेस कैंप तक पहुंचने से पहले हमने 8-10 दिनों तक ट्रैकिंग कर लगभग 100 किमी. की कठिन दूरी तय की।कैंप 1 से कैंप 2 तक का मार्ग तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण मार्ग था।पर्वतारोही मार्ग के इस हिस्से को 4.11 से 5.7-5.10 के बीच कहीं भी ग्रेड देते हैं।इसकी तुलना रॉक क्लाइम्बिंग ग्रेड से की जाती है और सभी गियर और उपकरण के साथ भारी बैग पैक रखना पड़ते हैं।कैंप 3 में पहुंचने से पहले लगातार ऊपर जाना था।इस बिंदु तक पर्वतारोही रात में 5-6 घंटे पहले ही चढ़ाई कर चुके थे।

आकर्ष ने पिरामिड के ठीक नीचे पहुंच कर शिखर डबलाम ढलान के ऊपर स्थित है।शिखर पर पहुंचने से पहले बेहद कठिन रास्ता था।उन्होंने रात 11 बजे चढ़ाई शुरू कर पूरी रात हेड लाइट का इस्तेमाल किया।फिर सुबह 10:30 बजे शिखर पर पहुंचे।अमा डबलाम का शिखर चौड़ा है।दिन साफ था और वह माउंट देख सकते थे।

शिखर पर तापमान 25 डिग्री से 35 डिग्री के आसपास और हवाएं 60 किलोमीटर प्रति घंटा तक चल रही थी।गर्माहट के लिए विशेष डाउन सूट और मोजे व दस्तानों के अलावा ताजा बर्फ पिघला कर पानी का बंदोबस्त किया।आकर्ष ने कहा कि वह भारत और पंजाब को गौरवान्वित करने के लिए भविष्य के अभियानों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।DC बठिंडा सौकत अहमद परे ने आकर्ष गोयल को बधाई देते हुए उन्हें हर संभव सहयोग का भरोसा दिया।

आकर्ष गोयल जी के हौसले को नमन।संपूर्ण सेठ समाज को आप पर गर्व है।भगवान श्री नृसिंह महाराज की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहे।

Wednesday, December 7, 2022

DELHI MCD ELECTION 2022 - WINNER VAISHYA CANDIDATE

 DELHI MCD ELECTION 2022 - WINNER VAISHYA CANDIDATE


🗳️ दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022🗳️

वैश्य समाज के सभी विजेता उम्मीदवारों को
🌹 हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं🌹

1. तिमारपुर - प्रोमिला गुप्ता
2. धीरपुर - नेहा अग्रवाल
3. आदर्श नगर - मुकेश गोयल
4. रोहिणी ए -प्रदीप मित्तल
5. बुध विहार - अमृत ​​लाल जैन
6. मुबिरकपुर - राजेश कुमार गुप्ता
7. निठारी - ममता गुप्ता
8. गुरु हरकिशन नगर - मोनिका गोयल
9. रोहिणी एफ - रितु गोयल
10. शालीमार बाग - रेखा गुप्ता
11. सरस्वती विहार - शिखा गुप्ता
12. रानी बाग -ज्योति अग्रवाल
13. त्रि नगर - मीनू गोयल
14. कमला नगर - रेनू अग्रवाल
15. शास्त्री नगर - मनोज जिंदल
16. वसंत विहार - हिमानी जैन
17. संगम विहार-सी - पंकज गुप्ता
18. ग्रेटर कैलाश - शिखा राय
19. मोलरबैंड - हेम चंद गोयल
20. प्रीत विहार - रमेश गर्ग
21. अशोक नगर- रीना माहेश्वरी
22. घोंडा - प्रीती गुप्ता
23. यमुना विहार - प्रमोद गुप्ता
24. कर्दम पूरी - मुकेश बंसल

हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹🌹

Monday, December 5, 2022

AMIRA SHAH - METROPOLICE LAB

AMIRA SHAH - METROPOLICE LAB

एशिया की पावरफुल बिजनेस वुमन में शामिल अमीरा की कहानी:

मुंबई में एक लैब से मेट्रोपोलिस शुरू किया, आज 9 हजार करोड़ वैल्यूएशन

कुशान: मेट्रोपोलिस की शुरुआत कब और कैसे हुई?

अमीरा शाह: पिता डॉ. सुशील शाह ने 1981 में 35 एम्प्लॉइज के साथ मुंबई में 'डॉ. सुशील शाह लेबोरेटरी' की शुरुआत की। वे लगातार नई टेक्नोलॉजी और नए टेस्ट्स पर फोकस करते थे।

मुंबई और उससे बाहर उनके लैब का काफी नाम और रेपुटेशन था। उन दिनों, वह लैब थायरॉइड, फर्टिलिटी और हार्मोन की जांच करने वाले देश के पहले लेबोरेटरीज में से एक था।

मैं अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी से फाइनेंस में ग्रेजुएशन करने के बाद 2001 में इंडिया लौटी। इसके बाद पापा की लेबोरेटरी से अपनी बिजनेस जर्नी शुरू की। पैथोलॉजी लैब्स की चेन डेवलप करना शुरू किया। एक शहर से दूसरे शहर में अपने सेंटर्स खोले। आज 7 देशों में हमारे 171 लैब्स हैं।

कुशान: आपने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से पढ़ाई की। इंडिया आने के बाद पापा का बिजनेस जॉइन किया। इसके पीछे क्या प्रेरणा थी? शुरुआत में आपका रोल क्या था?

अमीरा शाह: मैं एक डॉक्टर फैमिली में पली-बढ़ी। पापा पैथोलॉजिस्ट हैं और मां गायनेकोलॉजिस्ट। बचपन से ही उन दोनों को काम करते हुए देखा था। सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक दोनों पेशेंट्स की ट्रीटमेंट में जुटे रहते थे

USA से पढ़ाई पूरी करने के बाद मेरे पास दो ऑप्शन थे। एक अमेरिका में कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करना और दूसरा इंडिया लौटकर पापा के काम को आगे बढ़ाना।

पढ़ाई के दौरान मैं बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के फाउंडर और नोबेल अवॉर्ड विनर मुहम्मद यूनुस से काफी इंस्पायर्ड थी। उन्होंने अपने आइडिया से हजारों लोगों की लाइफ बदली थी। मैं भी उनकी तरह अपने देश के लोगों के लिए कुछ करना चाहती थी।

मुझे पता था कि हेल्थकेयर सेक्टर में स्कोप है। इसलिए पापा के काम को आगे बढ़ाने का फैसला किया। तब बिजनेस जैसा कुछ नहीं था। मेट्रोपोलिस नाम रखने के बाद मैंने इसे एक ऑर्गेनाइजेशन का रूप दिया।

जहां तक मेरे रोल की बात है फाउंडर होने के नाते मैं सबकुछ करती थी। कभी खुद खड़े होकर पेशेंट्स को रिपोर्ट्स देती थी। लोगों का डेटा कलेक्ट करती थी। तो कभी एचआर का काम मैनेज करती थी। कई बार मार्केट को समझने के लिए फील्ड में भी निकल जाती थी।

कुशान: बिजनेस जॉइन करने के बाद आपने क्या बदलाव किए? किन चीजों पर फोकस किया?

अमीरा शाह: मैंने बॉटम एंड से शुरुआत की। एक तरफ मैं कस्टमर केयर काउंटर पर बैठकर पेशेंट्स को डील करती थी तो दूसरी तरफ बिजनेस को आगे बढ़ाने के प्लान पर काम करती थी।

हमारे पास मजबूत मेडिकल और साइंटिफिक टीम थी, लेकिन सेल्स, मार्केटिंग, परचेजिंग और एचआर की टीम नहीं थी। मैंने इन सब को मजबूत किया।


पापा की टीम में मेडिकल बैकग्राउंड वाले लोग थे। उनके सोचने का तरीका अलग था। वे मेडिकल के हिसाब से तो सोचते थे, लेकिन बिजनेस के लिहाज से प्लान नहीं कर पाते थे।

इसी वजह से शुरुआत में कस्टमर्स का एक्सपिरियंस ठीक नहीं था। रिपोर्ट्स के लिए उन्हें देर तक इंतजार करना पड़ता था। मुझे बिजनेस को लेकर मेडिकल के लोगों का माइंडसेट चेंज करना था।

मैं इंडस्ट्री में यंग थी। महिला थी। नॉन मेडिकल बैकग्राउंड से थी और बिजनेस की पढ़ाई की थी। मुझे इन चार चीजों को ओवरकम करना था।

सभी लोग काफी सीनियर्स थे। लिहाजा मुझे उनकी रिस्पेक्ट को ध्यान में रखते हुए काम करना था। मैंने सबकी रिस्पेक्ट की और उन लोगों ने मेरी रिस्पेक्ट की। इस तरह हमने अपने काम को आगे बढ़ाया।

कुशान: फंड जेनरेट करने और इन्वेस्टर्स का भरोसा जीतने के लिए क्या-क्या जरूरी है? आपको कभी फंडिंग की दिक्कत हुई?

अमीरा शाह: फंडिंग की दिक्कत तो हमेशा रही। 2001 में सुशील शाह लैब का करीब 2.5 करोड़ रुपए का प्रॉफिट था। हमने इसी पैसे से मेट्रोपोलिस की शुरुआत की।

हमारा जितना भी प्रॉफिट होता, सब बिजनेस को आगे बढ़ाने में इन्वेस्ट करते गए। 2021 तक मैंने और पापा ने बिजनेस से पैसे नहीं निकाले। सिर्फ सैलरी ही लेते थे। मेरी पहली सैलरी 15 हजार रुपए थी।

2005 में कैपिटल फंड जुटाने के लिए मैंने प्राइवेट इक्विटी रेज किया। इसके बाद 2015 में 600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया, क्योंकि मुझे कंपनी में शेयरहोल्डिंग बढ़ानी थी।

बिजनेस के दौरान मुझे एक चीज समझ आई कि जो पैसे आप दूसरे से लेते हैं, वे एसेट नहीं बल्कि एक लाइबिलिटी है। इसे आपको एक अच्छे रिटर्न के साथ वापस करना होता है। इससे मुझे काफी मदद मिली। इन्वेस्टर्स का भरोसा बढ़ा।

2019 में मेट्रोपोलिस पब्लिक्ली स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो गया। तब हमारा वैल्यूएशन 0.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 4 हजार करोड़ रुपए था, जो आज बढ़कर 1.12 बिलियन डॉलर यानी करीब 9 हजार करोड़ रुपए हो गया है।

कुशान: देश में बहुत सारे लैब्स हैं। आपका काम इनसे कैसे अलग है? आपने लोगों का भरोसा कैसे हासिल किया?

अमीरा शाह: हमने डॉक्टर्स और पेशेंट्स के बीच इम्पैथी, इंटेग्रिटी और एक्युरेसी पर फोकस किया। हमारा मानना है कि कस्टमर्स का भरोसा हासिल करना चैलेंजिंग टास्क है।

एक बार भरोसा हो भी जाए तो आसानी से टूट भी जाता है, क्योंकि हम लाइफ-डेथ की बात कर रहे होते हैं। इसलिए इसको लेकर हमने कुछ प्रिंसिपल्स बनाए…

1. पेशेंट्स का इंटरेस्ट सबसे पहले। हम हर सैंपल को खुद की फैमिली के सैंपल की तरह ट्रीट करते हैं। मसलन सबसे बढ़िया मशीन, स्किल्ड लोग और टेक्निक।

2. सबसे साथ फेयर रहना। पेशेंट हो या एम्प्लॉइज या इन्वेस्टर्स हम सबके साथ एक जैसा बिहैव करते हैं और किसी के साथ गलत नहीं करते।

3. कम्पैशन। यह एक ऐसा बिजनेस है जिसमें हम लोगों की जिंदगी से डील करते हैं। ऐसे में अगर कोई गरीब पैसे की कमी से हमारी सर्विस नहीं खरीद सकता, तो हम उसकी मदद करते हैं।

इसके अलावा हम बड़े शहरों के साथ ही टियर-2 और टियर-3 शहरों में रहने वाले कस्टमर्स को भी किफायती और बेहतरीन सर्विस मुहैया कराते हैं। इसके अलावा हम अपनी डिजिटल सर्विस को भी मजबूत कर रहे हैं।

कुशान: कोविड में आपको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा? उन मुश्किलों से आगे कैसे बढ़े?

अमीरा शाह: कोरोना के दौरान एक तरफ दूसरी इंडस्ट्रीज बंद हो रही थीं और दूसरी तरफ मेडिकल इंडस्ट्री में दिन-रात काम करना था। मैंने तय किया कि मेट्रोपोलिस इस पैंडेमिक से लड़ने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके लिए मैंने 5 चीजों पर फोकस किया।
एम्प्लॉइज की सुरक्षा- मेट्रोपोलिस ने हमेशा से ही अपने एम्प्लॉइज की सुरक्षा को प्रायॉरिटी दी है। कोविड के दौरान टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट तक में इनकी भूमिका अहम थी। कई शहरों में कोविड की गाइडलाइंस क्लियर नहीं थी। इस वजह से जो एम्प्लॉइज पेशेंट्स के घर जाते थे, उन्हें पुलिस परेशान करती थी। हमने इस पर जोर दिया कि हर एम्प्लॉइज को सुरक्षित पेशेंट्स के घर पहुंचाया जाए।

सप्लाई चेन ठीक करना- लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन ठप पड़ गया था। कई चीजों के लिए हम दूसरों पर निर्भर थे। हम टेस्टिंग किट और पीपीई किट नहीं खरीद पा रहे थे। इस मुश्किल वक्त में भी हमने टेस्टिंग किट खरीदने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

रेगुलेटरी चैलेंजेज- हर म्यूनिसिपैलिटी के अलग रूल्स थे, जो हर दिन सुबह बदलते थे। अगर जरा सा भी रूल ब्रेक होता या सरकार के ऐप पर डेटा अपलोड करने में देर होती, तो वे शोकॉज नोटिस भेज देते थे। कई बार तो वे लैब भी बंद कर देते थे।

सुरक्षा- कोविड के दौरान हमने कस्टमर्स की सुरक्षा को काफी अहमियत दी। पीपीई किट के साथ ही हमने हर तरह के इक्विपमेंट्स पर काफी पैसा इन्वेस्ट किया, ताकि कस्टमर्स सुरक्षित रहें, उनका हमारे प्रति भरोसा बना रहे। हर दिन हमारी टीम 7000 से ज्यादा कस्टमर्स के कॉल रिसीव करती थी।

प्रोडक्टिविटी और कॉस्ट मैनेजमेंट- कोविड के दौरान लोगों की नौकरियां जा रही थीं। सैलरी काटी जा रही थी। ऐसे में मेट्रोपोलिस ने अपने एम्प्लॉइज का ध्यान रखा और पिछले साल बोनस के साथ दो इंक्रिमेंट्स दिए। हमने उनकी और उनके फैमिली की इंश्योरेंस स्कीम को रिवाइज किया।


लॉकडाउन के ठीक 7 दिन पहले मेरा बेबी हुआ था। मेरे लिए एक साथ दो चैलेंज थे। एक तरफ बिजनेस का ध्यान रखना था और दूसरी तरफ बेबी की देखभाल करनी थी।

मुझे पेरेंट्स, हसबैंड और मेट्रोपोलिस की टीम ने काफी सपोर्ट किया। मुझे खुशी है कि कोविड के दौरान मेट्रोपोलिस ने लाखों लोगों की मदद की।

कुशान: कोरोना के बाद भारत के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में क्या बदलाव आए हैं? यह अभी दूसरे देशों से कैसे अलग है और इसमें डेवलपमेंट किस रेट से हो रहा है?

अमीरा शाह: मुझे लगता है कि कोविड के बाद हेल्थ सेक्टर में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन हम सही रास्ते पर हैं।

सरकार ने कोविड से पहले आयुष्मान भारत का कॉन्सेप्ट शुरू किया था। ताकि जिसके पास पैसे नहीं हैं, उन्हें इसका लाभ मिल सके। कोविड के बाद इस पर और ज्यादा फोकस्ड होकर काम किया गया।

एक दिक्कत ये है कि देश में 1.5 लाख से ज्यादा लैब्स हैं, लेकिन इनके लिए कोई रेगुलेटरी फ्रेमवर्क नहीं है।

इन लैब्स में कैसे काम हो रहा, कौन सी मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है, डॉक्टर्स क्वालिफाइड हैं कि नहीं, यह कोई नहीं जानता। यह बहुत डरावनी चीज है, क्योंकि हेल्थकेयर सेक्टर जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ है।

कुशान: हेल्थ सेक्टर के बिजनेस में क्या-क्या चुनौतियां हैं? इसके लिए किस तरह की स्किल्स की जरूरत होती है?

अमीरा शाह: अंग्रेजी में एक कहावत है ‘द ग्रास इज ग्रीनर ऑन द अदर साइड’ यानी हमें दूसरों की चीजें अच्छी लगती हैं, भले ही वो अच्छी न हों।

यही बात हेल्थकेयर सेक्टर के लिए भी है। बाहर से तो यह बहुत शानदार बिजनेस लगता है, लेकिन इसमें चैलेंजेज बहुत हैं। इसमें टाइम लिमिट और बाउंड्रीज जैसी चीज नहीं होती है।

आपको हेल्थकेयर के बारे में पैशनेट होना होगा। 2001 से लेकर अब तक एक भी ऐसा दिन नहीं होगा जब मैंने 14 घंटे मेट्रोपोलिस के बारे में ना सोचा हो। देर रात तक मुझे मैसेज आते हैं कि फलां को रिपोर्ट टाइम पर नहीं मिली है।

मैं अपनी टीम से कहती हूं कि रात के 12 बजे भी किसी को रिपोर्ट की जरूरत है तो उसे करिए और एक बजे से पहले रिपोर्ट दे दीजिए। मैं हमेशा कहती हूं,’ मेट्रोपोलिस इज माय फर्स्ट चाइल्ड।”

कुशान: यंग एंटरप्रेन्योर्स को अक्सर फंड और मार्केटिंग की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसे हैंडल करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए?

अमीरा शाह: बिजनेस के लिए फंड की जरूरत होती है, लेकिन उतना ही फंड रेज करना चाहिए जितना आपको चाहिए। बड़ा फंड रेज करने के बाद प्रेशर बढ़ जाता है।

वो आपके लिए लाइबिलिटिज बन जाता है। इसलिए धीरे-धीरे फंड को बढ़ाना चाहिए। अगर आपका मॉडल अच्छा है, ग्रोथ कर रहे हैं, तो इन्वेस्टर्स जरूर दिलचस्पी दिखाएंगे।


कुशान: भारत में अभी 14% से कम फीमेल एंटरप्रेन्योर्स हैं? इसकी वजह क्या है और कैसे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है?

अमीरा शाह: भारत में 14% फीमेल एंटरप्रेन्योर्स हैं, लेकिन इनमें 99% छोटे लेवल पर हैं। फीमेल एंटरप्रेन्योर्स की जर्नी काफी मुश्किल होती है। सबसे पहले तो उन्हें फैमिली से सपोर्ट नहीं मिलता है। ज्यादातर मां-बाप अपने बेटे को बिजनेस के लिए सपोर्ट करते हैं, लेकिन बेटियों के लिए नहीं करते।

अभी भी, लोग यह सोचकर बेटियों की परवरिश करते हैं कि स्कूल भेजना है, कॉलेज भेजना है, और फिर एक अच्छे लड़के से शादी करवा देनी है।

फीमेल एंटरप्रेन्योर्स को कैपिटल देने में भी लोग हिचकिचाते हैं। उन्हें लगता है कि इसका बिजनेस स्टेबल नहीं है। कभी भी बंद हो सकता है।

महिलाओं को सपोर्ट करने की जरूरत है। उन्हें हिम्मत देने की जरूरत है। इसलिए मुझे जहां भी मौका मिलता है मैं फीमेल एंटरप्रेन्योर्स को सपोर्ट करने में आगे रहती हूं।

कुशान: आप देश के फीमेल एंटरप्रेन्योर्स को क्या टिप्स देना चाहेंगे?

अमीरा शाह: बिजनेस के फील्ड में चैलेंज तो सबके लिए हैं। हां फीमेल एंटरप्रेन्योर्स के लिए चैलेंज थोड़ा ज्यादा है, लेकिन इसको लेकर उन्हें किसी तरह का एक्सक्यूज नहीं देना है। हार्ड वर्क करिए, फोकस्ड रहिए और डरिए मत। अगर आप डिटरमाइंड हैं तो कामयाबी जरूर मिलेगी।

कुशान: आपकी हॉबिज क्या हैं? फ्री टाइम में आप क्या करना पसंद करती हैं?

अमीरा शाह: पिछले एक-दो साल से मुझे फ्री टाइम तो मिला नहीं, पर मुझे चेस खेलना पसंद है। खूब चेस खेलती हूं। इससे स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है। इससे अलावा मुझे स्पोर्ट्स, हाइकिंग, कैंपिंग करना पसंद है। साथ ही अपनी फैमिली के साथ टाइम स्पेंट करना बहुत पसंद है।

AGRAWAL SAMAJ TRUST SURAT - HOSPITAL

 AGRAWAL SAMAJ TRUST SURAT - HOSPITAL 




Sunday, December 4, 2022

ADITYA BIRLA GROUP - A GREAT VAISHYA EMPIRE

ADITYA BIRLA GROUP - A GREAT VAISHYA EMPIRE

मेगा एम्पायरआदित्य बिरला ग्रुप की कहानी:

सीमेंट से लेकर फैशन इंडस्ट्री तक में लीडर, कभी रिश्तेदारों से कर्ज लेकर शुरू किया था काम

आज के दौर में बड़े बिजनेस ग्रुप के बारे में सोचने पर हमारे दिमाग में अडाणी और अंबानी का नाम आता है। लेकिन एक वो भी दौर था जब बिजनेस का सोचने से पहले ही टाटा-बिरला का नाम सामने आ जाता था। बिरला हमारे देश के सबसे पुराने बिजनेस एम्पायर्स में से एक रहा है। आज बिरला समूह का सबसे बड़ा और चर्चित हिस्सा है आदित्य बिरला ग्रुप। राजस्थान में जन्मे सेठ शिवनारायण ने 1857 में गृह जनपद पिलानी में ही बिरला कारोबार की नींव रखी। कारोबार बढ़ा तो साल 1863 में मुंबई आए और कॉटन ट्रेडिंग की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उनके बेटे बाल देवदास बिरला ने कोलकाता में अपना बिजनेस सेटअप लगाया। बाल देवदास के चार बेटे थे। जेडी बिरला, आरडी बिरला, जीडी बिरला और बीएम बिरला। 1986 तक सारे बिरला साथ रहे और एक साथ बिजनेस किया, मगर इसी साल बिरला ग्रुप ने कारोबार का बंटवारा किया और बिजनेस का सबसे बड़ा हिस्सा मिला जीडी बिरला के बेटे आदित्य बिरला के परिवार को। फिलहाल यही आदित्य बिरला परिवार 8 फैशन लाइफस्टाइल ब्रांड में निवेश को लेकर चर्चा में है…

जीडी बिरला ने अपने ससुर से पैसे लेकर बिरला ब्रदर्स लिमिटेड बनाया
जीडी बिरला ने अपने ससुर एम. सोमानी की मदद से बिजनेस को आगे बढ़ाने और एक नई शुरूआत देने का फैसला लिया। 1919 में जीडी बिरला ने 50 लाख रुपए के निवेश के साथ ‘बिरला ब्रदर्स लिमिटेड’ की स्थापना की। इसी साल उन्होंने ग्वालियर में कपड़ा मिल की नींव रखी। कुछ ही समय बाद जीडी बिरला ने दिल्ली की एक पुरानी कपड़ा मिल भी खरीद ली। इसके बाद 1923 से 1924 में उन्होंने केसोराम कॉटन मिल्स खरीद ली। सन 1926 में वह सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के लिए चुने गए। वह इंडिया के ऐसे बिजनेसमैन थे, जिन्हें सच्चा देशभक्त भी माना जाता था। वह विदेशी वस्तुओं के खिलाफ थे। स्वतंत्रता संग्राम के वक्त उन्होंने महात्मा गांधी के आंदोलन को फंड मुहैया कराया था।


ग्रुप की 5 बड़ी कंपनियां

1) ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड : 1947 में बनी बिरला की पहली कंपनी
मौजूदा समय में बिरला की ग्रासिम इंडस्ट्रीज सीमेंट से लेकर केमिकल्स तक बनाती है, मगर इसकी शुरूआत एक टेक्सटाइल कंपनी के रुप में हुई थी। आजादी मिलने के कुछ दिन बाद ही 24 अगस्त को घनश्यामदास बिरला यानी जीडी बिरला ने गांधी के स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश में इसकी नींव रखी। आज 75 सालों के बाद यह 96 हजार करोड़ रुपए रेवेन्यू देने वाली कंपनी बन गई है। साथ ही देश में यह विस्कोस रेयॉन फाइबर का सबसे बड़ी निर्यातक है, जिसका निर्यात 50 से अधिक देशों में होता है।

देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी भी ग्रासिम कंपनी के पास
1980 में पहली बार ग्रासिम इंडस्ट्रीज और इंडियन रेयॉन के लिए अल्ट्राटेक ने एक सीमेंट प्लांट की नींव रखी थी। इसके बाद 1998 में ग्रासिम और इंडियन रेयॉन का मर्जर हो गया और 2001 में ग्रासिम द्वारा L&T के 10% स्टेक खरीदने के बाद 2004 में पूरी तरीके से अल्ट्राटेक का अधिग्रहण कर लिया। मौजूदा समय ग्रासिम सीमेंट का सबसे बड़ा प्लेयर है और इसकी कंपनी अल्ट्राटेक भारत में सबसे बड़ी और दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट बनाने वाली कंपनी है। अल्ट्राटेक का मौजूदा रेवेन्यू 53 हजार करोड़ के भी पार है, जो ग्रासिम के पूरे रेवेन्यू का 53% है।

2) हिंडाल्को: आदित्य बिरला ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी
ग्रासिम के बाद हिंडाल्को इंडस्ट्रीज इस एम्पायर की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है।
1962 में उत्तर प्रदेश के रेणुकूट में इस कंपनी की स्थापना हुई। यह कंपनी बॉक्साइट खनन, एल्युमिना रिफाइनिंग से लेकर एल्यूमीनियम गलाने का काम करती है। मौजूदा समय में हिंडाल्को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मौजूद है। हिंडाल्को की ही कंपनी नॉवेलिस का मुख्यालय अटलांटा, जॉर्जिया के साथ 12 देशों में है, जिसमें लगभग 11,000 कर्मचारी हैं। नोवेलिस कंपनी वॉल्यूम शिप के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी एल्युमीनियम रोलिंग बनाने के साथ एल्युमीनियम की सबसे बड़ी खरीदार भी है। मौजूदा समय में हिंडाल्को 1.96 लाख करोड़ रेवेन्यू जनरेट करने वाली कंपनी है।

3) बिरला कार्बन: दुनिया की हर 10वीं कार के टायर में लगता है
हिंडाल्को के बाद इस एम्पायर की सबसे बड़ी कंपनी है बिरला कार्बन। इस कंपनी की शुरूआत 1978 में थाईलैंड से हुई। और आज यह कंपनी कार्बन ब्लैक बनाने और सप्लाई करने वाली कंपनियों में वर्ल्ड लीडर है। ये वही कार्बन ब्लैक है, जिसे रबर गुड्स और गाड़ियों के टायर में एड किया जाता है। 12 देशों में चल रही इस कंपनी का कार्बन आज दुनिया की हर 10वीं कार में मौजूद है। साथ ही ये कंपनी सालाना 20 लाख टन कार्बन ब्लैक प्रोड्य़ूस करने की क्षमता रखती है।

4) फैशन एंड रिटेल: आदित्य बिरला ग्रुप का सबसे पॉपुलर बिजनेस
भारत में आपने Pantaloons, Louis Philippe, Allen Solly या Peter England जैसे ब्रांड्स के बारे में तो सुना ही होगा। आपको बता दें कि नाम से विदेशी समझे जाने वाले इन ब्रांड्स की मालिक स्वदेशी कंपनी आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड ही है। मौजूदा समय में आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड (ABFRL) के दुनियाभर में 3 हजार स्टोर्स के साथ 3 करोड़ से भी ज्यादा कस्टमर्स है।

भारत में रीबॉक प्रोडक्ट बनाने और बेचने का अधिकार भी ABFRL के पास
2021 में आदित्य बिरला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड (ABFRL) और रीबॉक ब्रांड का मालिकाना हक रखने वाली अमेरिकी कंपनी ऑथेंटिक ब्रांड्स ग्रुप के बीच एक डील हुई। इसके तहत ABFRL को रीबॉक ब्रांड के प्रोडक्ट को बनाने का अधिकार मिला हुआ है। इसके अलावा भारत और आसियान देशों में रीबॉक के प्रॉडक्ट को ऑनलाइन या ऑफलाइन बेचने का अधिकार भी ABFRL के पास ही है। इन देशों में रीबॉक के ब्रांडेड आउटलेट को भी अब आदित्य बिरला ग्रुप की यही कंपनी चलाती है।

5) वोडाफोन आइडिया(Vi): देश का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क
साल था 1995 जब पहली बार आदित्य बिरला समूह संचार की दुनिया में कदम रखता है और साल 2000 में टाटा सेलुलर के साथ मर्जर करता है। फिर 2002 में जाकर भारत के विभिन्न राज्यों को एक वायरलेस टेलीफोन नेटवर्क के रुप में मिलता है आइडिया सेल्युलर। 2006 के अंत में, आदित्य बिरला समूह इस नेटवर्क का पूरे तरीके से मालिक बन गया और नेटवर्क का विस्तार करने में जुट गया। लंबे समय तक आइडिया अकेले चला, मगर 30 अगस्त 2018 को आइडिया सेल्यूलर और वोडाफोन इंडिया का विलय हुआ। जिसने तब आदित्य बिरला ग्रुप को देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी का मालिक बना दिया। मौजूदा समय में Vi के पास 25 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं, जो इसे भारत में तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क और दुनिया में 10वां सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क बनाता है।

आज आदित्य बिरला का बिजनेस 36 देशों में…
बिरला ग्रुप ने अपना बिजनेस भारत से शुरू करके आज दुनिया के 36 देशों में फैला लिया है। ग्रुप का कुल रेवेन्यु का 50 प्रतिशत हिस्सा इंडिया के बाहर से ही आता है। इस वक्त ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला हैं, जो आदित्य विक्रम बिरला के बेटे हैं। 28 साल की उम्र में ही कुमार ने यह जिम्मेदारी संभाल ली थी। आदित्य बिरला ग्रुप के अलावा सीके बिरला, एसके बिरला, यश बिरला और एमपी बिरला ग्रुप भी बिरला परिवार से जुड़े एम्पायर हैं मगर उनकी बात आज नहीं…फिर कभी।

SABHAR: DAINIK BHASKAR 

फिर से वैश्य व ब्राह्मण समुदाय का अपमान

फिर से वैश्य व ब्राह्मण समुदाय का अपमान

JNU में वैश्य और ब्राह्मणों के बारे में अपमान जनक बाते लिखी गयी. सबको पता हैं इन सबके पीछे कौन हैं. कहना बेकार हैं. ब्राहमण समाज हिन्दू धर्म की बोद्धिक चेतना रहा हैं. क्षत्रिय-राजपूत देश का धर्म का  रक्षक रहा हैं. वैश्य समाज( अग्रवाल, महेश्वरी, ओसवाल, खंडेलवाल, विजयवर्गीय, गहोई, शेट्टी, चेट्टियार, लिंगायत, नादार,मुदलियार, आर्य वैश्य, गनिगा, मोड़-वनिक, साहा, हलवाई, पोद्दार, जैन, तेली-साहू, गनिगा हलवाई, जायसवाल, कलवार-सुदी, पटेल, खत्री अरोड़ा, सिन्धी- लोहाना, कायस्थ, भानुशाली, आदि करीब ३७५ जातिया) इस देश का वेल्थ क्रिएटर हैं. यह वह समाज हैं जो बिना जाति देखे अपने प्रतिष्ठानों, कारखानों, दुकानों, विद्यालयों में सभी वर्गों को नौकरी देता हैं. किसी से भेदभाव नहीं करता हैं. उसके लिए सभी जातिया वर्ग बराबर हैं. यह वह समाज हैं जिसने पहले भी देश को सोने की चिड़िया बनाया था, उदाहरण हैं मौर्य काल, गुप्त काल, हर्षवर्धन काल, और आज भी देश की तरक्की के लिए लगा हुआ हैं. इस वर्ग ने सबसे कम धर्म परिवर्तन किया. जो कि ना के बराबर हैं. और अपने आप को सुरमा कहने वाली जातिया धर्म परिवर्तन में लगी हुई थी. वैश्य समुदाय ने देश के लिए और धर्म के लिए सबसे ज्यादा कार्य किया हैं. आज़ादी की लड़ाई में वैश्य समुदाय सबसे आगे था. भारत के किसी भी तीर्थ स्थान, नगर या कसबे में चले जाइए वंहा पर इनके बनाए मंदिर, धर्मशालाए जैसे, जैन धर्मशाला, अग्रवाल धर्मशाला, मारवाड़ी धर्मशाला, माहेश्वरी धर्मशाला, वैश्य धर्मशाला आदि हर स्थान पर मिलेगी. जंहा पर सस्ते में रहना व खाना मिल जाता हैं. हर तीर्थ स्थान पर मारवाड़ी, जैन, अग्रवाल भोजनालय मिलेगे. जंहा पर सस्ता व शुद्ध शाकाहारी, सात्विक भोजन मिलेगा. हर स्थान पर वैश्य समुदाय द्वारा स्थापित उद्योग धंधे मिलेगे. वैश्य समुदाय हर देश काल में देश की सेवा करता रहा हैं. कोरोना काल में जब सभी उद्योग, व्यापार ठप्प हो गए थे, तो सरकारों को टैक्स मिलना बंद हो गया था, सभी सरकारे घुटनों के बल आ गयी थे. सरकारी वेतन कैसे दे, देश कैसे चलाये. सरकार को टैक्स के रूप में ८० प्रतिशत टैक्स वैश्य समुदाय से आता हैं. ये वह समुदाय हैं जिसने कभी आरक्षण नहीं माँगा. कभी सडको पर उतर कर प्रदर्शन नहीं किया, कभी बसे, ट्रेन नहीं जलाई, देश नहीं जलाया, कभी रास्ते जाम नहीं किये, यह समुदाय सरकारे, नेताओं, गुंडे, आदि सभी को चन्दा देता हैं व उनका शोषण  सहता हैं. इसे कोई पेंशन, आरक्षण, राहत, सस्ते कैंटीन और सब्सिडी नहीं मिलते हैं फिर भी यह समुदाय हंसता हुआ देश सेवा में लगा रहता हैं. फिर भी वह लोग, वह समुदाय जो सरकारों को एक पैसा टैक्स के रूप में नहीं देते हैं, कंही उनके बनाए मंदिर, धर्मशालाए, कारखाने नहीं मिलेगे, सबसे ज्यादा गाली वैश्य समुदाय और वैश्य उद्योगपतियों को देते हैं. वैश्यों ने क्या छीन लिया हैं इनका कोई बताये जरा. और तो और जब जमींदारा देश से समाप्त हुआ था तो वैश्य समुदाय जो की जमींदार होता था, इनकी जमीने भी चली गयी थी ये तब भी नहीं बोला था.  अफगानिस्तान, पाकिस्तान से वैश्य समुदाय समाप्त हुआ आज हालात देख लीजिये, कटोरा लिए खड़े हैं. यदि देश से वैश्य समुदाय चला गया तो उद्योग धंधे व्यापार समाप्त हो जायेगे. सरकार को राजस्व मिलना बंद हो जाएगा. ले लेना फिर आरक्षण वाली नौकरी में वेतन. ले लेना फिर सब्सिडी, फ्री राशन., फ्री बिजली पानी. ढोल बजाते रहना. बिना व्यापार, उद्योग धंधे के हर देश शुन्य हैं. फिर मज़े करना, हम लोग तो विदेशो में जाकर भी सफल हैं. लोटा, डोरी लेकर निकलते हैं, जंहा जाते हैं वंही जंगल में मंगल कर देते हैं...