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Sunday, December 4, 2022

फिर से वैश्य व ब्राह्मण समुदाय का अपमान

फिर से वैश्य व ब्राह्मण समुदाय का अपमान

JNU में वैश्य और ब्राह्मणों के बारे में अपमान जनक बाते लिखी गयी. सबको पता हैं इन सबके पीछे कौन हैं. कहना बेकार हैं. ब्राहमण समाज हिन्दू धर्म की बोद्धिक चेतना रहा हैं. क्षत्रिय-राजपूत देश का धर्म का  रक्षक रहा हैं. वैश्य समाज( अग्रवाल, महेश्वरी, ओसवाल, खंडेलवाल, विजयवर्गीय, गहोई, शेट्टी, चेट्टियार, लिंगायत, नादार,मुदलियार, आर्य वैश्य, गनिगा, मोड़-वनिक, साहा, हलवाई, पोद्दार, जैन, तेली-साहू, गनिगा हलवाई, जायसवाल, कलवार-सुदी, पटेल, खत्री अरोड़ा, सिन्धी- लोहाना, कायस्थ, भानुशाली, आदि करीब ३७५ जातिया) इस देश का वेल्थ क्रिएटर हैं. यह वह समाज हैं जो बिना जाति देखे अपने प्रतिष्ठानों, कारखानों, दुकानों, विद्यालयों में सभी वर्गों को नौकरी देता हैं. किसी से भेदभाव नहीं करता हैं. उसके लिए सभी जातिया वर्ग बराबर हैं. यह वह समाज हैं जिसने पहले भी देश को सोने की चिड़िया बनाया था, उदाहरण हैं मौर्य काल, गुप्त काल, हर्षवर्धन काल, और आज भी देश की तरक्की के लिए लगा हुआ हैं. इस वर्ग ने सबसे कम धर्म परिवर्तन किया. जो कि ना के बराबर हैं. और अपने आप को सुरमा कहने वाली जातिया धर्म परिवर्तन में लगी हुई थी. वैश्य समुदाय ने देश के लिए और धर्म के लिए सबसे ज्यादा कार्य किया हैं. आज़ादी की लड़ाई में वैश्य समुदाय सबसे आगे था. भारत के किसी भी तीर्थ स्थान, नगर या कसबे में चले जाइए वंहा पर इनके बनाए मंदिर, धर्मशालाए जैसे, जैन धर्मशाला, अग्रवाल धर्मशाला, मारवाड़ी धर्मशाला, माहेश्वरी धर्मशाला, वैश्य धर्मशाला आदि हर स्थान पर मिलेगी. जंहा पर सस्ते में रहना व खाना मिल जाता हैं. हर तीर्थ स्थान पर मारवाड़ी, जैन, अग्रवाल भोजनालय मिलेगे. जंहा पर सस्ता व शुद्ध शाकाहारी, सात्विक भोजन मिलेगा. हर स्थान पर वैश्य समुदाय द्वारा स्थापित उद्योग धंधे मिलेगे. वैश्य समुदाय हर देश काल में देश की सेवा करता रहा हैं. कोरोना काल में जब सभी उद्योग, व्यापार ठप्प हो गए थे, तो सरकारों को टैक्स मिलना बंद हो गया था, सभी सरकारे घुटनों के बल आ गयी थे. सरकारी वेतन कैसे दे, देश कैसे चलाये. सरकार को टैक्स के रूप में ८० प्रतिशत टैक्स वैश्य समुदाय से आता हैं. ये वह समुदाय हैं जिसने कभी आरक्षण नहीं माँगा. कभी सडको पर उतर कर प्रदर्शन नहीं किया, कभी बसे, ट्रेन नहीं जलाई, देश नहीं जलाया, कभी रास्ते जाम नहीं किये, यह समुदाय सरकारे, नेताओं, गुंडे, आदि सभी को चन्दा देता हैं व उनका शोषण  सहता हैं. इसे कोई पेंशन, आरक्षण, राहत, सस्ते कैंटीन और सब्सिडी नहीं मिलते हैं फिर भी यह समुदाय हंसता हुआ देश सेवा में लगा रहता हैं. फिर भी वह लोग, वह समुदाय जो सरकारों को एक पैसा टैक्स के रूप में नहीं देते हैं, कंही उनके बनाए मंदिर, धर्मशालाए, कारखाने नहीं मिलेगे, सबसे ज्यादा गाली वैश्य समुदाय और वैश्य उद्योगपतियों को देते हैं. वैश्यों ने क्या छीन लिया हैं इनका कोई बताये जरा. और तो और जब जमींदारा देश से समाप्त हुआ था तो वैश्य समुदाय जो की जमींदार होता था, इनकी जमीने भी चली गयी थी ये तब भी नहीं बोला था.  अफगानिस्तान, पाकिस्तान से वैश्य समुदाय समाप्त हुआ आज हालात देख लीजिये, कटोरा लिए खड़े हैं. यदि देश से वैश्य समुदाय चला गया तो उद्योग धंधे व्यापार समाप्त हो जायेगे. सरकार को राजस्व मिलना बंद हो जाएगा. ले लेना फिर आरक्षण वाली नौकरी में वेतन. ले लेना फिर सब्सिडी, फ्री राशन., फ्री बिजली पानी. ढोल बजाते रहना. बिना व्यापार, उद्योग धंधे के हर देश शुन्य हैं. फिर मज़े करना, हम लोग तो विदेशो में जाकर भी सफल हैं. लोटा, डोरी लेकर निकलते हैं, जंहा जाते हैं वंही जंगल में मंगल कर देते हैं...

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