Pages

Wednesday, March 31, 2021

CHANDUBHAI VIRANI - BALAJI WAFERS

CHANDUBHAI VIRANI - BALAJI WAFERS

बाप ने जमीन बेचकर व्यापार करने के लिए 20 हजार दिए, बेटे ने लगाई 2400 करोड़ की कंपनी


आज हम आपको बालाची वेफर्स की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं *. चंदूभाई हिरानी ने बालाजी वेफर्स की स्थापना की थी । आज बालाची wafers हल्दीराम जैसे बड़े ब्रांडों को टक्कर दे रहे हैं । लेकिन 9 वीं पास वाले चंदूभाई हिरानी ने इतनी बड़ी कंपनी कैसे शुरू की?

गुजरात में जामनगर सूखा प्रभावित क्षेत्र है । इसी क्षेत्र में कालवाड़ तालुका के धुंधोराजी का जन्म 2000 के आबादी वाले गांव में हुआ था । परिवार के साथ खेत में काम कर रहे थे इस गांव के पोपटराव विरानी.

साथ ही 1972 में भयानक सूखा था । खेती करना बहुत मुश्किल था । पोपटभाई ने जमीन बेचकर जमीन बेच दी और अपने बेटे को व्यापार करने के लिए आये 20 हजार रुपये दिए ।

इनके बच्चे राजकोट व्यापार करने आये थे । उन्होंने कृषि से संबंधित कुछ व्यवसाय करने का फैसला किया था । बस ऐसे ही उनके लिए उर्वरक और उपकरण खरीदे । लेकिन फिर जब वे इन उपकरणों को बेचते हैं तो उन्हें एहसास हुआ कि ये उपकरण नकली थे ।

वीरानी भाई ये सुनकर चौंक गए । धोखाधड़ी की वजह से इन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था । फिर उन्होंने कॉलेज कैंटीन शुरू करने का फैसला किया । चंदूभाई उस समय 14 साल के थे । उस समय वे कैंटीन में काम करते थे ।

लेकिन उन्होंने कैंटीन भी बंद कर दिया । 1974 में, उन्होंने एक थियेटर में कैंटीन में काम करना शुरू किया था । कैंटीन में काम करते समय टिकट खिड़की पर बेचते थे ये बच्चे फिल्म के मालिक गोविंदभाई अपने मेहनती स्वभाव से खुश थे ।

1976 में उन्होंने विरानी भाइयों को कॉन्ट्रैक्टुअल तरीके से कैंटीन चलाने की अनुमति दी । शुरू में स्थानीय व्यापारियों से वेफर खरीदे और बेचने लगे । लेकिन इसमें ज्यादा फायदा नहीं हुआ ।

उनकी पत्नियां व्यापार में मदद करने के लिए वहां थी । वे चूल्हे पर सैंडविच बनाते थे । 1982 में उन्होंने एक तवा खरीदा और वेफर बनाना शुरू कर दिया । यह उनका टर्निंग पॉइंट था ।

उन्हें इससे काफी फायदा होता दिख रहा है । फिर उन्होंने इन वेफर्स को स्टोर में भी बेचना शुरू कर दिया । तभी तो इन वेफर्स का नाम बालाजी रखा है । लेकिन कुछ दुकानदार उन्हें भिखारी समझते थे ।

लेकिन उन्होंने इन सब पर ध्यान नहीं दिया । तब उनके पास 200 ग्राहक थे । मांग बढ़ने के बाद वेफर बनाने की मशीनें खरीदीं । लेकिन उन्हें अभी भी कम मुनाफा मिल रहा था । 1989 में बैंक से 3.60 लाख का लोन लिया और 1000 वर्ग एक मीटर की जगह खरीदी ।

तीन साल में उनके कारोबार का टर्नओवर 3 करोड़ रुपये था । उसके बाद उन्होंने एक ऐसी मशीन खरीदी जो प्रति घंटे 1000 किलो वेफर पैदा करती है । लेकिन यह मशीन गिर गई । लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी । 2003 में उन्होंने 1200 किलो वेफर पैदा करने वाली मशीन खरीदी ।

गुजरात में 2000 से 2006 तक 90 % बाजार पर कब्जा कर लिया था । नमकीन में भी आगे था । आज बालाजी वेफर्स प्रतिदिन 4 लाख किलो वेफर्स पैदा करते हैं और प्रतिदिन 4 लाख किलो नमकीन तैयार करते हैं । तो ये थी बालाजी वेफर्स की सफलता की कहानी

SRISHTI BAFNA - इसरो में चयन - देश में पहला स्थान

 SRISHTI BAFNA - इसरो में चयन - देश में पहला स्थान 


साभार: दैनिक भास्कर 

Tuesday, March 30, 2021

ACHARYA MAHENDRA SURI - महेंद्र सूरी का जीवन परिचय

महेंद्र सूरी का जीवन परिचय | Mahendra Suri Biography Hindi


Mahendra Suri Biography Hindi दोस्तों आज तक आपने भारत के सबसे बड़े खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के बारे में तो कई बार सुना होगा.

परन्तु आज हम आपको भारत के पहले ऐसे खगोलशास्त्री के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने पहली बार भारत में खगोलशास्त्र पर अध्ययन किया था.
महेंद्र सूरी का जीवन परिचय (Mahendra Suri Biography Hindi)

जन्म – 1340 ईसवी
मृत्यु – 1410 ईसवी

महेंद्र सूरी 14वी सदी के प्रख्यात जैन खगोलज्ञ थे, जो अपनी एक प्रसिद्ध रचना यंत्रराजा (Yantraraja) जो यंत्र (Astrolabe) पर लिखी गई पहली भारतीय रचना थी.

महेंद्र सूरी के पिता का नाम दयाशंकर सूरी था और उनकी माता विमला थी. उनकी पत्नी का नाम उर्मिला था और उनकी चार बेटियाँ थी.

वह मदन सूरी के शिष्य थे और महेंद्र सूरी जैन थे. जैन समाज का उदय 6वी शताब्दीपूर्व के आसपास माना जाता हैं.

जैन समाज उस वक़्त देश का एक प्रमुख और प्रभावशाली समाज था. खासकर खगोल विज्ञान के क्षेत्र में इनका खास प्रभुत्व था.

लेकिन वक़्त के साथ धीरे-धीरे बाहरी आक्रान्ताओ के कारण जैनियो का प्रभाव कम होने लगा.

महेंद्र सूरी के वक़्त (14 वी शताब्दी) इस्लाम का वर्चस्व था.

इस्लामिक विचारधारा धीरे-धीरे भारतीय समाज मे अपनी जगह बना रहे थी.

उस वक़्त फ़िरोज़शाह तुगलक दिल्ली का शासक था, जो खगोल विज्ञान में गहरी रुचि रखता था.

इसके अलावा वह भारतीय सभ्यता और इस्लामिक सभ्यता के आदान-प्रदान का भी पक्षधर था. वह इस्लामिक विचारधाराओं को संस्कृत में लिखवाकर इसे भारतीय समाज के बीच रखता था.

खगोल विज्ञान में खास रुचि होने के कारण फ़िरोज़शाह तुगलक ने महेंद्र सूरी को यंत्र (Astrolabe) पढ़ने के लिए प्रेरित किया जो कि एक इस्लामिक दुनिया की रचना थी. उसका मकसद भारतीय खगोल विज्ञानियों को यंत्रो से परिचित कराना था.

तत्पश्चात महेंद्र सूरी ने एक रचना का गहन अध्ययन किया, और उसके बाद इस रचना का संस्कृत में लेखन किया जो यंत्र में लिखा गया पहला भारतीय ग्रंथ है, जिसे Yantraraja (1370 ई.) के नाम से जाना जाता हैं.

इसके पश्चात महेंद्र सूरी ही यह रचना कई खगोलविदों के लिए आधार बनी. जिसमे पद्मनाभा द्वारा रचित यंत्रराजा-अधिकारा (Yantraraja-Adhikara) एक प्रमुख रचना हैं.

यंत्रराज के बारे में जानकारी (Mahendra Suri Yantraraj)

182 चरणों वाला यंत्रराज पहले अध्याय से ही यंत्र के बारे में बताना आरंम्भ करता हैं. इसमे कुछ आधारभूत सूत्रों का उल्लेख हैं.

इसके अलावा कुछ संख्यात्मक सारणी का भी वर्णन है जो यंत्र की डिज़ाइन में मदद करती हैं. इसमे 32 stars के अक्षांश और देशांतर का भी वर्णन हैं.

यदि पूरी यंत्रराज का बात करे तो यह ग्रंथ पांच अध्यायों में बंटा हुआ हैं, जो इस प्रकार हैं:-
अध्याय 1:-

इस अध्याय को गणित अध्याय के नाम से जानते हैं. इस अघ्याय में त्रिकोणमिति से जुड़ी हुई ऐसी बातों का उल्लेख हैं, जो यंत्र के निर्माण में सहायक होती हैं.
अध्याय 2:-

यंत्रघाटनाध्याय के नाम से इसे जाना जाता हैं. इस अध्याय में यंत्र से जुड़े हुए विभिन्न हिस्सों की बात बताई गई हैं.
अध्याय 3:-

यंत्रार्चनाध्याय अध्याय में यंत्र से जुड़े हुए प्रमुख घटक और यंत्र को बनाने की विधि बताई गई हैं.
अध्याय 4:-

यंत्रशोधनध्याय अध्याय इस बात का अध्ययन करता हैं की जो यंत्र बना हुआ हैं, वो सही काम कर रहा हैं, या नही.

जिस उद्देश्य को लेकर इसे बनाया गया था , क्या उस पर अमल कर पा रहा हैं, या नही.
अध्याय 5:-

यंत्रविकारणाध्यय अध्याय ग्रंथ का अंतिम अध्याय हैं. इस अध्याय में यंत्र का उपयोग करने से संबंधित जानकारियां दी गई हैं.

यंत्र के द्वारा खगोलीय घटनाओं को देखा जाता हैं. इसके अलावा बहुत सी गणितीय समस्याओं खासकर त्रिकोणमिति से जुड़ी बातो का का इस अध्याय के उल्लेख किया गया हैं.

साभार: dilsedeshi.com/biography/mahendra-suri-biography-hindiJune 23, 2018

Friday, March 26, 2021

TEJASVINI AGRAWAL - GOLD MEDALIST

TEJASVINI AGRAWAL - GOLD MEDALIST 


SABHAR: AGRAWAL TODAY 

 

100 PERCENTILE IN CAT

100 PERCENTILE IN CAT


SABHAR: AGRATODAY 

 

URVASHI AGRAWAL - FITNESS DIVA

URVASHI AGRAWAL - FITNESS DIVA 



साभार: अग्रवाल टुडे 



DR. MAYANK AGRAWAL - TOP DOC IN ENGLAND

DR. MAYANK AGRAWAL - TOP DOC IN ENGLAND



साभार : अग्रदुनिया 

VAISHYA IN AMERICA

VAISHYA IN AMERICA


THE GREAT AGRAWALS अग्रवाल इतिहास के गौरवपूर्ण निर्माता -3

  THE GREAT AGRAWALS अग्रवाल इतिहास के गौरवपूर्ण निर्माता -3

करते हैं जो अनुपम कार्य, बन जाता इतिहास है । मस्तक धूल लगाने उनकी, झुक जाता आकाश है ।।

1. भारतेंदु हरीशचंद्र – आधुनिक हिंदी साहित्य के जन्म दाता तथा अग्रसेन साहित्य के पहले लेखक।
2. बाबू बालमुकुंद – गुजराती भाषा के महान् साहित्कार ।
3. जगन्नाथ दास ‘’ रत्नााकर ‘’ - हिंदी साहित्य के नक्षत्र ।
4. केदारनाथ अग्रवाल – हिंदी के प्रगतिवादी काव्य’ के आधार स्तंंभ ।
5. श्री बालेश्वर अग्रवाल – हिंदुस्ता’न समाचार समिति के संस्थापक । यह देश की पहली भाषायी संवाद समिति थी ।
6. राष्ट्ररत्न शिवप्रसाद गुप्त – महान् स्वतंत्रता सैनानी, महान् दानवीर, काशी में विश्व के सबसे प्रथम भारतमाता मंदिर तथा काशी विद्यापीठ के संस्था पक, दैनिक आज पत्र तथा ज्ञान मंडल के संस्था्पक ।
7. श्री मूंगालाल गोयनका – विश्व प्रसिद्ध मुंबई की संस्था ‘’ भारतीय विद्या भवन ’’ की स्थापना की ।
8. सेठ रायबहादुर गुजरमल मोदी – मोदी नगर (उत्त र प्रदेश) के संस्थापक
9. पद्मभूषण केशव प्रसाद गोयनका – इंपीरियल बैंक के प्रथम भारतीय अध्यक्ष । (वर्तमान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया)
10. हनुप्रसाद पोद्दार – आध्यांत्मिक जगत की महान् धार्मिक विभूति ।
11. गीतामूर्ति जयदयाल गोयन्द्का् - गीता प्रेस गोरखपुर के कर्मयोगी व कल्याण के संस्थापक, महान धार्मिक विभूति ।
12. राधाकृष्ण जालान – गीताप्रेस के संस्थापक व पटना स्थित जालान संग्रहालय के संस्थापक ।
13. लक्ष्मी्नारायण बागला (बिंदल गौत्र) - केसरे हिंद ।
14. विश्वम्भर सहाय विनोद जी – पत्रकारों के पितामह ।
15. बाबू शिवप्रसाद गुप्त – राष्ट्ररत्न ।
लेख साभार: श्री अशोक गुप्ता जी जोधपुर
Like
Comment
Share

अग्रवाल इतिहास के गौरवपूर्ण निर्माता- 2

 अग्रवाल इतिहास के गौरवपूर्ण निर्माता- 2

करते हैं जो अनुपम कार्य, बन जाता इतिहास है । मस्तक धूल लगाने उनकी, झुक जाता आकाश है ।।

1 महाराजा अग्रसेन – विश्व में सच्चे लोकतंत्र व समाजवाद के संस्थापक ‘’ एक ईंट – एक रूपया ‘’ के जनक ।
2. डा. भागवान दास – भारत रत्न – देश के सर्वोच्चं नागरिक सम्माान से सम्मानित ।
3.ऋषि लाल अग्रवाल – (हिंदी आशुलिपि- ऋषि प्रणाली के जनक।) - एक अच्छी हिंदी संकेत लिपि (हिंदी – शार्ट–हैंड -ऋषि प्रणाली) के जनक (आविष्कारक) आपको माना जाता है। आपके प्रयासों के फलस्वरूप हिंदी आशुलिपि सामने आई।
4. बाबू मुकुंददास गुप्त ‘ प्रभाकर ‘ – हिंदी में रेलवे टाईम टेबल के जनक । स्व्तंत्रता सैनानी व साहित्कार ।
5.अग्रवाल उपकारक – 19 वीं सदी में अजमेर से निकला यह पत्र अग्रवाल समाज का प्रथम पत्र था ।
6.सुरेन्द्र गोयल – प्रथम एयर वाईस मार्शल, इन्हें अंग्रेज सरकार ने एम वी आई से सम्मामनित किया ।
7. रायबहादुर श्री सूर्यमल शिवप्रसाद झुंझुनुवाला – ऋषिकेश (हरिद्धार) के गंगानदी पर प्रसिद्ध ‘’ लक्ष्मकण झूले ’’ के निर्माता ।
8. सेठ सूरजमल जालान (बंसल-रतनगढ निवासी)– काशी में मर्णिकाघाट पर धर्मशाला व हर की पैडी पर श्राद्ध घाट व पुल का निर्माण करवाया।
9. रायबहादुर नौरंगराय खेतान – जयपुर राज्य के केंद्रीय कारागृह में प्रथम अग्रवाल पुलिस अधीक्षक ।
10. लाला झमकूमल – 1857 के प्रथम स्वयतंत्रता संग्राम सैनानी, पहली अग्रविभूति जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी दी ।
11. सेठ चतुर्भुज पौद्दार– (बंसल गौत्र)- पहले मारवाडी व्यागपारी जिन्होंने संपूर्ण देश में बीमा व्यवसाय को फैलाया।
12. ऑनरेबल सर शादीलाल – भारत के इतिहास में प्रथम भारतीय के रूप में किसी उच्च न्यायालय में नियुक्त होने वाले प्रथम मुख्य न्यायाधिपति।
13. मेजर जनरल द्वारका प्रसाद गोयल – प्रथम भारतीय जो ब्रिट्रिश सेना में मेजर जनरल बने ।
14. सर गंगाराम – अंग्रेजी राज्य के प्रथम भारतीय सुपरीटेंडेंट। पंजाब में लिफ्ट सिंचाई योजना के जनक तथा हरित क्रांति लाने वाले प्रथम इंजीनियर ।
15.डा. आत्माराम - भारत के महानतम् अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों में प्रमुख ।
16.लाला कंवरसेन – आधुनिक भारत के महान् भागीरथ, राजस्थान की सबसे बडी इंदिरा गांधी नहर (मरू गंगा) परियोजना के कर्णधार । पंजाब में भाखडा बांध के निर्माता व आपके प्रयासों से भाखडा हैडवर्क्स पाकिस्ताान में जाते जाते बचा और बीकानेर रियासत भारत में रह सकी । इसके अलावा हीरा कुंड, दामोदर घाटी, कोसी, नर्मदा आदि परियोजनाओं के सूत्रधार भी आप ही रहे ।
17. श्री प्रकाश - पाकिस्तान में भारत के प्रथम उच्चायुक्त तथा चार राज्यों के राज्यपाल रहे ।

लेख साभार: अशोक गुप्ता जी जोधपुर

अग्रवाल इतिहास के गौरवपूर्ण निर्माता - १

अग्रवाल इतिहास के गौरवपूर्ण निर्माता

मुख्य मंत्री

1. वृष भानू - पेप्सू राज्य‍ के प्रथम उप मुख्य‍ मंत्री - 23 मई 1951 में
मुख्य मंत्री – 12 जनवरी 1955 से 01 नवम्ब र 1956 तक
( PEPSU – पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन , यह राज्य 1948 से 1956 तक अस्तित्व में रहा तथा आठ प्रमुख शहरों को मिलाकर बनाया गया। 1956 में पेप्सू राज्य का विलय पंजाब में हो गया। )
2. श्री मोहन लाल सुखाडिया – राजस्थांन – 13 नवम्बर 1954 से 13 मार्च 1967 तक व 26 अप्रैल 1967 से 9 जुलाई 1971 ( कुल 3364 दिन मुख्य मंत्री रहे )
3. बाबू बनारसी दास गुप्ता – उत्तर प्रदेश – 28 फरवरी 1979 से 17 फरवरी 1980
4. श्री बनारसी दास गुप्त - हरियाणा – दो बार मुख्य– मंत्री । प्रथम – दिसम्बर 1975 ये 30 अप्रैल 1977 तक तथा द्वितीय – 1990 में
5. श्री राम प्रकाश गुप्त - उत्तर प्रदेश - 21.10.1999 से 28.10.2000
6. श्री रामकिशन गुप्ता – पंजाब – 7.7.64 से 5.7.66 तक आप दो साल तक सातवें सी एम रहे।
(आई एन सी (कांग्रेस), एम एल ए. रहे, जालंधर सिटी- नोर्थ ईस्टक)
7. श्री अरविंद केजडीवाल – दिल्ली – पहली बार – 18 दिसम्ब र 2013 से 14 फरवरी 2014 तक तथा दूसरी बार – 14 फरवरी 2015 से अब तक

राज्य पाल

1. पद्मविभूषण श्री धर्मवीर – पंजाब-हरियाणा – 1966 – 67 तक , पश्चिमी बंगाल – 1967 से 1969 तक , मैसूर (कर्नाटक) – 1969 से 1972 तक
2. पद्मविभूषण श्री श्री प्रकाश - असम – 1949 से 1950 तक, मद्रास – 1952 से 1956 तक तथा मुंबई व महाराष्ट्र – 1956 में
( मुंबई के राज्यपाल रहते हुए आपने बडी कुशलता से महाराष्ट्र और गुजरात दो राज्यों की स्थापना करवाकर आंदोलन को राहत प्रदान की )
3.श्री राम प्रकाश गुप्त – मध्य् प्रदेश – 07 मई 2003 से 01 मई 2004 तक
4. श्री सुदर्शन अग्रवाल – उत्तराचंल (उत्तराखंड) – जनवरी 2003 व
- सिक्किम – 16 अक्टूुबर 2007 से 08 जुलाई 2008 तक ।
( आप 1972 में राष्ट्रपति चुनाव के प्रभारी बनाए गए, 1986 में भारत सरकार के केबिनेट सचिव रहे।)
5. श्री मोहन लाल सुखाडिया – आंध्रप्रदेश – जनवरी 1976 से 16 जून 1976 तक , तत्प श्चात् तमिलनाडू में 16 जून 1976 से 27 अप्रैल 1977 तक – ( देश के पहले ऐसे राज्यनपाल थे जिन्होंने दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के साथ ही टेलीफोन पर अपने राज्यपाल पद से त्याग पत्र की पेशकश श्री मोरारजी देसाई से की )
6. रघुकुल तिलक - राजस्था्न - 12 मई 1977 से 8 अगस्त 1981 तक
( आप 1958 से 1960 तक राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। )
7.श्री नवरंग लाल टिबडेवाल - राजस्था न (कार्यवाहक राज्यपाल) 1998 में
(राजस्थान के पूर्व मुख्य न्या्याधीश)
8. श्री मन्नानरायण - गुजरात - 26 दिसम्ब्र 1967 से 17 मार्च 1973 तक

लेख साभार: श्री अशोक गुप्ता जी जोधपुर

गौरव के क्षण

 गौरव के क्षण

पुस्तक – ‘’अग्रवाल समाज और स्वाधीनता संग्राम (1857-1947)’’ अग्रवाल समाज के इतिहास में पहली बार उपरोक्त विषय पर लिखी गई इस पु्स्तक रूपी ग्रंथ में 1857 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रवाल समाज के बहुमूल्य योगदान को दर्शाया गया है। उल्लेखनीय है कि अग्रवाल समाज का राष्ट्र निर्माण तथा स्वतंत्रता के आंदोलन में अभूतपूर्व व चिरस्थाई योगदान रहा है। देश के सभी भागों में रहने वाले अग्रवाल समाज के अग्रवीर इस स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए, फांसी पर चढे तथा अपने-अपने तरीके से उन्होंने भाग लिया। सत्य तो यह भी है कि स्वतंत्रता संग्राम के द्वितीय चरण के संचालन का श्रेय अग्रवाल समाज को है।
महात्मा गांधी के राजनीति में प्रवेश से पूर्व ही 1888 में लाला लाजपतराय ने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजा दिया था। 1857 की क्रांति में अग्रवाल समाज के लाला झमकूमल सिंघल, रामजी दास गुडवाले, लाला मटोलचंद, लाला हुकमचन्द, हंसराम अग्रवाल, लाला हरदेव सहाय सहित अनेक अग्रबंधुओं को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया। लाला लाजपतराय, देशबंधु गुप्त, राम मनोहर लोहिया, बनारसीदास गुप्ता, हनुमान प्रसाद पौद्दार जैसे असंख्य अग्रबंधुओं ने आंदोलन में भाग लिया और नेतृत्व किया। अग्रवाल समाज के आर्थिक सहायता के बिना इस आंदोलन की सफलता असंभव थी।

पहली बार इस विषय पर लिखी गई इस पुस्तक को जब आप पढेंगें तो अंग्रबंधुओं के हेरत अंगेज कार्यों से दांतों तले अंगुली दब जाना स्वाभाविक है।

पुस्तक – ‘’अग्रवाल समाज और स्वाधीनता संग्राम (1857-1947)’’ का विमोचन दि.9-8-2019 को छतरपुर, म.प्र. में आयोजित. एक भव्य समारोह में माननीय बृजेन्द्र सिंह जी राठौर, वाणिज्य कर मंत्री, म.प्र., श्री अनिल माहेश्वरी, डीआईजी, श्रीमती अर्चना सिंह, अध्यक्ष नगरपालिका, श्री तिलक सिंह जी, पुलिस अधीक्षक, एवं उपस्थित स्वतंत्रता सेनानी- श्री रामकृष्ण चौरसिया, श्री काशी प्रसाद महतो, श्री राम सिंह जी तथा म.प्र. अग्रवाल सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री कमल अग्रवाल के द्वारा किया गया।

पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में दि. 29.9.2018 को आयोजित म.अ.जयंती के भव्य समारोह में मेरी पुस्तक *अग्रवाल समाज और स्वाधीनता संग्राम* का विमोचन श्री प्रमोद अग्रवाल (चेयरमैन म.अ.चेयर), श्री बजरंग दास गर्ग (अध्यक्ष अग्रोहा विकास ट्रस्ट), प्रो. बी.एस.घुम्मन (वाईस चांसलर), महारानी साहिबा श्रीमती परनीत कौर(सांसद, पटियाला), श्री संजय गर्ग(स्टेट इंफोर्मेशन कमीश्नर, पंजाब), से.नि. न्यायाधीश श्री आर.के.गर्ग (चेयरमैन एनआरआई कमीशन state Govt. Of Punjab) एवं स्वामी असीमानंद,ppccसचिव श्री करुणेश गर्ग, pspcl डायरेक्टर फाइनांस श्री जतिंदर गोयल, कांग्रेस मानवाधिकार सेल प्रदेश चेयरमैन श्री पंकज महेन्द्रू द्वारा किया गया।

पुणें - दिनांक 25.8.219 को इस पुस्तक का विमोचन परिचय सम्मेलन के एक भव्य समारोह में संस्था- भगवान अग्रसेन चेरिटेबल फाउंडेशन, पुणे द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि इस समारोह में इस पुस्तक की अपार जन समूह ने मुक्त कंठ से सराहना की।

जोधपुर – में पुस्तक का विमोचन अग्रसेन जयंती महोत्सव में, अग्रवाल समाज- प्रताप नगर में उपस्थित गणमान्य अग्रबंधुओं द्वारा किया गया।

हार्ड बाइंडिंग, डिजीटल छपाई से युक्त तथा 314 पेज की इस पुस्तक में *1857, राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त सेनानी, सभी राज्यों के अग्रबंधु सेनानी, 38 महिला व 13 बालक / बालिका क्रांतिकारी तथा कुछ सेनानियों के अनमोल प्रसंग व संस्मरण भी दिये गये हैं।* पुस्तक का मूल्य लागत मात्र 250/- रूपये रखा गया है।* पुस्तक की कुछ ही प्रतियां बची हैं। संपर्क – अशोक कुमार गुप्ता, जोधपुर मो.नं. 63765 66713, वाट्सएप – 94606 49764

RISHABH GARG - AIDTECH STARTUP

RISHABH GARG - AIDTECH STARTUP

1500 रुपए से शुरू किया एड टेक स्टार्टअप, चार महीने में ही 15 लाख की फंडिंग मिली; आज कंपनी की वैल्यू है 2.5 करोड़


एडटेक स्टार्टअप ‘क्वांटल डॉट इन' के फाउंडर लकी रोहिल्ला (बाएं) 21 साल और ऋषभ गर्ग (दाएं) 22 साल के हैं। दोनों फिलहाल NIT कुरुक्षेत्र के फाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं।

NIT कुरुक्षेत्र के फाइनल ईयर के स्टूडेंट ऋषभ गर्ग और लकी रोहिल्ला का स्टार्टअप इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स से पर्सनल करियर एडवाइस लेने में मदद करता है

22 साल के ऋषभ गर्ग और 21 साल के लकी रोहिल्ला, दोनों NIT कुरुक्षेत्र के फाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं। कॉलेज के सेकंड ईयर में दोनों ने मिलकर एक ऐप डेवलप किया लेकिन, वो ज्यादा चला नहीं तो चार महीने बाद उसे बंद कर दिया। थर्ड ईयर में 6 महीने की इंटर्नशिप का वक्त आया, इस सेमेस्टर में पढ़ाई नहीं होनी थी। लकी और ऋषभ ने सोचा कि क्यों न कुछ अपना स्टार्टअप ट्राई किया जाए। मार्च 2020 में एक आइडिया पर काम करना शुरू किया और कुछ ही महीनों में quantel.in नाम से एक प्लेटफॉर्म तैयार किया। जहां इंडस्ट्री के एक्सपर्ट स्टूडेंट्स के साथ वन-टू-वन बातचीत के जरिए उनकी प्रॉब्लम्स को समझ कर उन्हें पर्सनल गाइडेंस और साॅल्यूशन देते हैं।

अपने इस एडटेक स्टार्टअप में लकी और ऋषभ ने 1500 रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था, यह इन्वेस्टमेंट वेबसाइट होस्टिंग के लिए था। इसके अलावा कंपनी रजिस्ट्रेशन कराने में जो खर्च आया, वो भी दोनों ने अपनी सेविंग्स से ही दिया। स्टार्टअप शुरू होने के चार महीने बाद ही उन्हें कैलिफोर्निया से 15 लाख रुपए एंजल फंडिंग भी मिल गई और आज उनकी कंपनी की वैल्यू ढाई करोड़ रुपए पहुंच गई है।


वर्तमान में ऋषभ और लकी के स्टार्टअप की काेर टीम में 8 मेंबर हैं, इनके अलावा 15 इंटर्न भी काम करते हैं। सबकी उम्र 18 से 22 साल के बीच ही है।

स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम को समझ कर एक्सपर्ट उन्हें पर्सनल गाइडेंस देते हैं

ऋषभ बताते हैं, ‘12वीं के बाद चाहे सब्जेक्ट चुनने में प्रॉब्लम हो, या फिर ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद इंटर्नशिप और नौकरी को लेकर परेशानी हो। या फिर पढ़ाई करते हुए इंडस्ट्री के वर्क कल्चर के बारे में जानना हो। इन सभी विषयों को ध्यान में रखते हमने quantel.in नाम का प्लेटफॉर्म तैयार किया और इस पर इंडस्ट्री के अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट के साथ सहभागिता की। इस प्लेटफॉर्म के जरिए स्टूडेंट्स इंडस्ट्री के एक्सपर्ट के साथ वन-टू-वन बातचीत कर सकते हैं, अपने सवाल पूछ सकते हैं और एक्सपर्ट, स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम को समझ कर उन्हें पर्सनल गाइडेंस और साॅल्यूशन देते हैं। इस प्लेटफॉर्म पर स्टूडेंट बिना किसी हिचकिचाहट के एक्सपर्ट से किसी भी तरह का सवाल पूछ सकता है।

हमारे प्लेटफॉर्म पर एक्सपर्ट ​​​​​​सूचीबद्ध हैं, स्टूडेंट उनकी प्रोफाइल देखकर उनके उपलब्ध स्लाॅट के मुताबिक अपना सेशन बुक कर सकते हैं। यह 30 से 40 मिनट का एक वर्चुअल सेशन होता है। इसमें कॉलेज स्टूडेंट से हम न्यूनतम 200 रुपए चार्ज करते हैं, वहीं अधिकतम फीस 600 रुपए तक है।’

ऋषभ का दावा है कि मार्केट में कोई भी कंपनी या स्टार्टअप इससे कम रेट पर एक्सपर्ट के साथ वन-टू-वन सेशन ऑर्गनाइज नहीं करती है। वे अब तक देश के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स तक पहुंच चुके हैं। वहीं लकी कहते हैं, ‘इस स्टार्टअप के जरिए हमारा उद्देश्य है कि पर्सनल गाइडेंस हर जरूरतमंद स्टूडेंट तक पहुंचे। हमारा फोकस टियर-1 की बजाय टियर-2 और टियर-3 शहरों के स्टूडेंट्स पर है। बिजनेस तो अपनी जगह है ही लेकिन, इसके जरिए हम सोशल इम्पैक्ट भी क्रिएट करना चाहते हैं। ताकि सही गाइडेंस और मेंटरशिप ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स तक अफॉर्डेबल रेट में पहुंचे।’


लकी को स्टार्टअप बेस्ड मूवी ‘अपस्टार्ट’ और ऋषभ को वेब सीरीज ‘पिचर्स’ ने काफी प्रभावित किया।

35 इन्वेस्टर्स से रिजेक्शन के बाद मिली 15 लाख की फंडिंग

लकी बताते हैं, ‘इस आइडिया को लेकर हमने करीब 35 इन्वेस्टर्स से संपर्क किया था। कई इन्वेस्टर्स ने कहा कि, तुम तो कॉलेज के बच्चे हो, एक दिन का शौक है, जब शौक खत्म हो जाएगा तो भूल जाओगे। जब हमारी 36वें इन्वेस्टर के साथ मीटिंग थी तो उन्हें हमारा आइडिया बहुत पसंद आया। उन्होंने कहा कि जब मैं स्टूडेंट था, तब मैंने भी इस तरह के प्लेटफॉर्म की कमी महसूस की थी। हमारे इन्वेस्टर दिल्ली से ही पढ़े हुए हैं और जॉब के चलते US में सेटल्ड हैं। हमें वहां से करीब 15 लाख रुपए की फंडिंग मिली है। इस पैसे को अपने प्रोडक्ट, मार्केट एक्सपेंशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, एम्प्लाई पर खर्च करेंगे।’

23 लोगों की टीम, इनमें 15 इंटर्न हैं, सबकी उम्र 18 से 22 साल के बीच है

ऋषभ और लकी ने एक ही कोचिंग से JEE की तैयारी की थी। लेकिन, तब वो एक-दूसरे को नहीं जानते थे। एनआईटी कुरुक्षेत्र में ऋषभ ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच और लकी ने सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच में एडमिशन लिया। इस दौरान एक कॉमन फ्रेंड के जरिए दोनों की मुलाकात हुई। दोनों फरीदाबाद से ही थे तो साथ आने-जाने लगे और दोनों में अच्छी दोस्ती हाे गई। बातचीत के दौरान पता लगा कि दोनों एक ही तरीके से सोचते हैं और दोनों को ही नौकरी की बजाय अपना बिजनेस करना था।

परिवार वालों से डिस्कस किया तो उन्होंने भी सपोर्ट किया, जिसके बाद दोनों ने कैंपस प्लेसमेंट में न बैठकर अपने स्टार्टअप को ही आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। वर्तमान में इनकी काेर टीम में 8 लोग हैं और इनके अलावा 15 इंटर्न भी हैं। इस स्टार्टअप में सबसे ज्यादा उम्र के ऋषभ और उनके एक टीम मेट हैं, दोनों 22 साल के हैं। वहीं सबसे कम उम्र का एम्प्लाॅई एक डिजाइनर है, जिसकी उम्र 18 साल है।

लकी बताते हैं कि उन्हें स्टार्टअप बेस्ड मूवी ‘अपस्टार्ट’ बहुत इंस्पायर करती है। वहीं ऋषभ को स्टार्टअप और मोटिवेशनल कहानियां पढ़ना पसंद है। उन्हें ओयो के फाउंडर रितेश अग्रवाल की कहानी इंस्पायर करती है। इसके अलावा वो स्टार्टअप पर बेस्ड TVF की वेब सीरीज ‘पिचर्स’ से काफी प्रभावित हैं।

SUGANDHA GUPTA - BIHAR TOPPER

SUGANDHA GUPTA - BIHAR TOPPER

मिलिए, कॉमर्स में बिहार टॉप करने वाली सुगंधा से, पढ़ने के लिए हर दिन तय करती थी 15km की दूरी

बिहार इंटरमीडिए 2021 की परीक्षा का रिजल्ट आ चुका है। इस बार भी रिजल्ट में बेटियों का ही दबदबा है। बिहार टॉइंटर परीक्षा 2021 में साइंस, ऑर्ट्स और कॉमर्स... तीनों ही संकायों में बेटियों ने परचम लहराया है। बिहार की बोर्ड परीक्षा में परचम लहराने वालीं बेटियों में से एक हैं औरंगाबाद जिले की बेटी सुगंधा कुमारी, जिन्होंने कॉमर्स में बिहार टॉप किया है।


कॉमर्स में बिहार टॉप करने वालीं सुगंधा अपनी सफलता से काफी उत्साहित हैं। व्यवसायी सुनील कुमार गुप्ता की बेटी सुगंधा कुमारी ने बात करते हुए अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल टीचर के साथ मां और पिता को दिया। सुगंधा ने बताया कि आगे चलकर वो सीए बनना चाहती हैं। वहीं ओबरा में बिल्डिंग मैटेरियल का व्यवसाय करने वाले सुगंधा के पिता सुनील प्रसाद को अपनी बेटी की इस सफलता पर गर्व है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने उसका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।


औरंगाबाद जिले के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज की छात्रा सुगंधा कुमारी अपनी पढ़ाई के लिए कितनी परिश्रम करती थीं, इस बात का अंजादा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह प्रतिदिन जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी तय कर कोचिंग करने जाती थीं। सुगंधा को पढ़ाने वाले शिक्षक डॉ धीरज सिंह सचदेवा ने उसकी सफलता पर खुशी जाहिर की।

डॉ धीरज सिंह सचदेवा ने बताया कि वह पढ़ने में काफी अच्छी थी। रिजल्ट से पहले ही उसे पटना में इंटरव्यू के लिए बिहार बोर्ड ने ऑफिस में बुलाया था। उसे 500 में 471 अंक प्राप्त हुए हैं, जो पूरे बिहार में सबसे सर्वाधिक हैं।

Wednesday, March 24, 2021

AGRAWALS IN GUINNESS BOOK - ये कौम है अग्रवालों की ..............

AGRAWALS IN GUINNESS BOOK - ये कौम है अग्रवालों की ..............

गिन्नी्ज बुक ऑफ वर्ल्ड. रिकॉर्डस में अग्रबंधु

1. लक्ष्मीा मित्तल – गिन्नीुज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में पांच बार कीर्तिमान बनाने का
2. विजयपत सिंघानिया - गरम गैस के गुब्बांरे में सर्वाधिक ऊंचाई की उडान भरने का विश्वक रिकॉर्ड
3. डा. अमित गर्ग – मस्तिष्क गणना में कीर्तिमान
4. रमेश चंद्र अग्रवाल - विश्वस की सबसे बडी चाय पार्टी का सफल आयोजन
5. काजल अग्रवाल - विभिन्न् भाषाई फिल्मों में अभिनय
6. अन्न त अग्रवाल- वायरस टेक्नोफलोजी एवं माइक्रोफोन संरचना में नवीन खोज
7. सुभाष चंद्र अग्रवाल - आर टी आई के कारण
8. श्रीमती मधु अग्रवाल - राष्ट्रटहित व जनहित के विषयों पर समाचार पत्र/पत्रिकाओं में निरंतर लेखन के कार्य
9. डा. अशोक गर्ग - नेत्र रोग पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्वाधिक पुस्तकें लिखीं
10. दीपक गुप्ता – लंबे समय तक गायन - 101 घंटे लगातार
11. चन्द्र मित्‍तल - विश्वर की छ: समुद्री धाराओं पर तैर कर
12. मोनिका अग्रवाल- संख्याओं द्वारा विश्व की सबसे लंबी पेंटिंग का बना कर
13. सुनील भारती मित्तल - सत्य सांई बाबा की सबसे बडी जीवनी लिखकर
14. मीनाक्षी अग्रवाल – रासायनिक संकेतों का न्यूवनतम समय मे उचचारण तथा लेखन
15. संजीव अग्रवाल – साफ्टवेयर निर्माण एवं तकनीकी में
16. अनिल मित्तल - विश्व की सबसे बडी चावल डिश के निर्माण में उत्तम कोटि के चावल की आपूर्ति
17. डा. राकेश कुमार अग्रवाल- मोतियाबिंद के सर्वाधिक ऑपरेशन
18. डा. सोनिया बदरेशिया बंसल – सर्वाधिक कैंसर स्क्रीेनिंग
19. मनमोहन अग्रवाल, अनुज कुच्छल, हिमांशु गोयल – विश्वं के सबसे बडे भित‍ि चित्र का निर्माण
20. पीयूष गोयल दादरीवाल - मिरर लेखन
21. सुरेश कुमार अग्रवाल- विश्व की सबसे बडी एलीफेंट पेंटिंग
22. अशोक अग्रवाल- सर्वाधिक घंटों का संग्रह

साभार: श्री अशोक जी गुप्ता जोधपुर

SINDHI Vanyas

SINDHI Vanyas

The terms ‘Vanya’ and ‘Jajman’ are used, particularly by Brahmans and Sindhi Muslims, to refer to upper caste, Hindu Sindhi businesspeople. However, within the community, they generally identify themselves as Hyderabadis, Shikarpuris, Sahitis and so on, referring to their place of origin. As a caste group, they form the majority of the community in India.

In terms of sect or zaat, the two primary divisions in this group are between Amils and Bhaibands. The Amils were the educated class, and worked as teachers, lawyers, doctors, and bureaucrats. The Bhaibands were traders, shopkeepers and businessmen. Sindhworkis were Bhaibands who traded in material manufactured in Sindh, and took the opportunity offered by British rule to conduct their business in ports around the world. They formed a worldwide network of Sindhis. Chhaprus were communities that stayed in the mountain regions of Sindh but later settled in Karachi. Bhatias were considered direct descendants of Shri Krishna, a Hindu deity, and were strictly vegetarian – some not even consuming onion or garlic. Masands were Sikh by faith and were introduced to Sikhism by the fourth Sikh guru, Guru Ramdas. Thakurs were the descendants of Lord Jhulelal, the Sindhi deity, and they became the Sindhi Brahmans. Bhagnaris were the spice, dry fruits and wine merchants; they belonged to Baluchistan. Lohanas were the Kshatriyas who were originally from Lahore and eventually settled in Kachchh, and they were a mercantile people (Bijani, 2013).

These different sects within the community often compete to establish superiority of culture and language. Hyderabadis and Shikarpuris, for example, speak Sindhi in different ways. Although Hyderabadi Sindhi was formalized as standard Sindhi by the British, there is always a conflict about the right way to say things. The educated class looks down upon the business class, and vice-versa.

Marriage is generally arranged within the sects. For example, Shikarpuris prefer to marry other Shikarpuris, since their practices, language and rituals are the same. It is still uncommon, even for such a small community, to marry across sects. Marriages outside the community are however quite commonplace, with young people increasingly taking more control over whom they choose to marry.

YACHNA BANSAL - दोस्तों ने अचार की तारीफ की तो घर से ही इसका बिजनेस शुरू किया, आज 30 लाख रुपए है सालाना कारोबार

YACHNA BANSAL - दोस्तों ने अचार की तारीफ की तो घर से ही इसका बिजनेस शुरू किया, आज 30 लाख रुपए है सालाना कारोबार


याचना बंसल दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं, साल 2018 में उन्होंने घर से ही अचार बनाने की शुरुआत की थी।

दिल्ली की याचना बंसल ने साल 2018 में की थी ‘जयनि पिकल्स’ की शुरुआत
अब ऑनलाइन व ऑफलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए रोजाना 50 किलो अचार, मुरब्बे की सेल होती है

आज की कहानी है दिल्ली की रहने वाली 40 साल की याचना बंसल की, जिन्होंने घर बैठे ही अचार, मुरब्बा और दाल बड़ी बनाना शुरू किया। घर में तैयार इन डिशेज को नाम दिया ‘जयनि पिकल्स’, फिर इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए मार्केट तक पहुंचाया। साल 2018 में शुरू हुए इस बिजनेस के जरिए अब वो हर साल करीब 30 लाख रुपए का कारोबार कर रही हैं। इस बिजनेस में याचना के परिवार के सभी सदस्य सपोर्ट करते हैं।

याचना दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं और स्कूल के बाद पूरा समय इस काम को देती हैं। इस बिजनेस की शुरुआत के बारे में वो बताती हैं, ‘यह तो बाय चांस शुरू हुआ, हम अपने घर में अचार वगैरह बनाते थे। एक बार मेरे पति के एक दोस्त लंच पर हमारे घर आए और उन्होंने अचार की बहुत तारीफ की। उन्होंने कहा कि इस टेस्ट को आपने अपने घर तक ही सीमित क्यों कर रखा है, यह बाहर निकलना चाहिए।

लंच टेबल पर हुई बात खाने के बाद खत्म हो गई, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने हमसे अचार मंगाया। ये अचार उन्होंने जिसे भी खिलाया उसने इसके टेस्ट की तारीफ की। फिर उन्होंने हमें कॉल करके कहा कि आपको इसे कमर्शियली शुरू करना चाहिए। मैं पेशे से टीचर हूं और पति सॉफ्टवेयर इंजीनियर, ताे हमें लगा कि हम शायद इसे टाइम नहीं दे पाएंगे। लेकिन, फिर सोचा क्यों न एक बार कोशिश करके देखें। तो हमने बतौर सैंपल ग्रीन चिली पिकल्स तैयार किया और फीडबैक के लिए लोगों को बांटा।

जब हमारे बनाए अचार की सबने तारीफ की तो सोचा अब हमें अचार का बिजनेस शुरू करना चाहिए। इसके बाद हमने 2018 में जयनि पिकल्स की शुरुआत की।


याचना कहती हैं- जय‍नि पिकल्स के बिजनेस को आगे बढ़ाने में सभी फैमिली मेंबर्स मदद करते हैं।

इस बिजनेस में पूरी फैमिली मदद करती है

याचना कहती हैं, ‘मैं जॉइंट फैमिली में रहती हूं और इस बिजनेस में मदर इन लॉ, सिस्टर इन लॉ, ब्रदर इन लॉ, पति सबका सपोर्ट रहता है। मेरा चचेरा भाई गगन सिंघल इस बिजनेस को देखता है। हम सीजन के हिसाब से 12 महीने अलग-अलग तरीके का अचार तैयार करते हैं। कौन सा अचार कब तैयार करना है, किसकी डिमांड ज्यादा है, इन सबकी प्लानिंग में पूरी फैमिली शामिल होती है, लेकिन मार्केट से सामान खरीदना, जो फाइनल प्राेडक्ट है उसकी मार्केटिंग का पूरा काम मेरा भाई देखता है।

इसके अलावा चूंकि हम अब बड़े पैमाने पर अचार बनाते हैं तो इसके लिए हमने दो हेल्पर रखे हुए हैं, लेकिन अचार बनाने में कौन-कौन से मसाले, कितनी क्वांटिटी में डाले जाएंगे, कितना तेल डालना है, कितनी देर सुखाना है, यह सब मेरी मदर इन लॉ ही बताती हैं।’


याचना आम के अलावा नींबू, मिर्च, लहसुन, आंवले का भी अचार तैयार करती हैं।

दुकानदारों की डिमांड पर अचार के साथ मुरब्बे की वैरायटी भी रखी

आचार के साथ-साथ याचना मुरब्बे का भी बिजनेस अब कर रही हैं। वे बताती हैं कि जब मैं बाजार जाती थी, तो दुकानदार पूछते थे कि क्या आपके पास मुरब्बा भी मिलेगा। इसके बाद हमने अचार के साथ-साथ मुरब्बे की भी वैराइटी तैयार करना शुरू किया। हालांकि याचना अभी मुरब्बा कस्टमाइज कराती हैं, क्योंकि इसे बनाने के लिए काफी स्पेस की जरूरत होती है।

याचना कहती हैं, ‘जब हमने अचार की मार्केटिंग शुरू की तो दुकानदारों ने कहा कि आपका अचार महंगा है, लेकिन हमने कहा कि टेस्ट करके देखिए और कुछ डिब्बे रखकर देखिए। इसके बाद ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस मिलने लगा। इसके अलावा हमने अपने घर के नीचे ही एक दुकान भी खाेली है, इसके लिए हमने घर के उस हिस्से को कमर्शियलाइज कराया था।’

2 महीने में पूरा बिक गया दाल की बड़ी का 250 किलो का स्टॉक

इसके अलावा पिछले साल से उन्होंने मूंग और उड़द दाल की बड़ी भी बनाना शुरू किया है। इस बारे में याचना बताती हैं कि एक बार मैंने और मेरी भाभी ने घर में दाल बड़ी बनाई थी। इस बीच हमारी दुकान पर एक कस्टमर आई और उसने पूछा कि आप दाल बड़ी भी बनाते हैं क्या? क्योंकि हमारे यहां सब होममेड आइटम मिलता था। हमने कहा कि हम बनाते हैं, लेकिन अभी बेचने के लिए नहीं रखी हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि बड़ी भी बनाएं। फिर हमने मूंग और उड़द दाल की बड़ी बनाई, हमने उसका 250 किलोग्राम का लॉट बनाया था जो कि दो महीने में ही बिक गया।


याचना के बिजनेस ने इस फाइनेंशियल इयर में 35 लाख रुपए का बिजनेस किया है।

अचार, मुरब्बे की रोजाना 50 किलो की सेल, पिछले साल 35 लाख का बिजनेस किया

याचना बताती हैं कि ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म मिलाकर अभी हमारी रोजाना की करीब 50 किलोग्राम अचार और मुरब्बे की सेल है। पिछले साल हमने दोनों प्लेटफॉर्म पर 30 से 35 लाख रुपए का बिजनेस किया है। याचना कहती हैं, ‘कई बार हम सिर्फ सोचते हैं कि हमें ये करना है, वो करना है। मेरी सलाह यही है कि जो सोचा है उसे शुरू कीजिए। बिना ये सोचे कि सफलता मिलेगी या नहीं।

आप भी घर में ऐसे शुरू कर सकते हैं अचार, दाल की बड़ी का बिजनेस

याचना कहती हैं, ‘अगर घर से शुरुआत करना चाहते हैं तो आप 10 से 20 हजार रुपए में भी अचार बनाने का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। अभी आम का सीजन आएगा, इस सीजन में अगर आप 50 किलो अचार भी डालते हैं तो आपको 7 से 8 हजार का खर्चा आएगा। इसमें सबसे महंगी चीज मस्टर्ड ऑयल ही होती है। अगर कोई अपने घर से काम शुरू कर रहा है तो वह अपने घर में उपलब्ध साधनों को ही पहले इस्तेमाल में ले। इसके अलावा आपको FSSAI सर्टिफिकेट और ब्रांड नाम रजिस्ट्रेशन के लिए भी शुरू में आवेदन कर देना चाहिए, क्योंकि बाद में जब बिजनेस बढ़ता है तो जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं और ऐसे में आपको इन सबके लिए समय नहीं मिल पाता है।

SAABHAR: DAINIK BHASKAR 

USHIK MAHESH GALA - जेब में मात्र 311 रुपये, किन्तु रणनीति शानदार थी, आज 650 करोड़ का कारोबार है

USHIK MAHESH GALA - जेब में मात्र 311 रुपये, किन्तु रणनीति शानदार थी, आज 650 करोड़ का कारोबार है


सफलता किसी को भी आसानी से नहीं मिलती है।इसमें बहुत सारी मेहनत लगती है और सही रणनीति का पालन करने से हमें सफलता के फल मिलते हैं। हम में से अधिकांश यह बात समझ नहीं पाते हैं कि सफलता की कोई परिभाषा नहीं है और इसे सामाजिक मानदंडों पर नहीं मापा जा सकता है। यदि हम सफलता के कारको को मापने की कोशिश करते हैं, तो यह 10 प्रतिशत भाग्य और 90 प्रतिशत कड़ी मेहनत है।

मुंबई के उशिक महेश गाला की कुछ ऐसी ही कहानी है। जिन्होंने अपने जीवन के संघर्षों का डट कर सामाना किया और परिवार के बीमार व्यवसाय को एक रॉकेट की तरह ऊंची उड़ान भरने में कामयाब बनाया। एक व्यवसायी परिवारिक पृष्टभूमि वाले उशिक ने देखा था कि व्यापार उद्योग कैसे काम करता है; हालांकि, उन्हें इसके रणनीति के मॉडल में अपने हाथों को आजमाने का मौका तब मिला पाया जब उनके पिता ने इसके लिए उन्हें उपयुक्त पाया।


उशिक जबकि अभी भी कॉलेज में ही थे उन्होंने अपने पिता के वस्त्र लघु व्यवसाय की बारीकियों को समझ लिया था। लेकिन यह 2006 से 2008 तक की मंदी का शुरुआती वक्त था, जो उनके परिवार के लिए वास्तविक रुप में एक कठिन दौर साबित हुआ। इस अवधि का झटका इतना तीव्र था कि उसने व्यापार को शून्य तक नीचे खींच ले आया, जिसके बाद उसे बंद करना पड़ा। परिवार में कोई भी अब उस बिजनेस मॉडल की कोशिश करने के लिए तैयार नहीं था।

जब उशिक ने 2010 में कारोबार में प्रवेश किया था, तो उनकी जेब में केवल 311 रुपये थे, अब भी वही उनकी वित्तीय आवश्यकता पूरी कर रहा था। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि जो भी हो सकता हो वह व्यापार को डूबने नहीं दे सकते। लेकिन एक योजना बनाना एक बात थी, और योजनाओं का क्रियान्यवन करना एक दूसरी बात थी। पूँजी सीमित थी और बाजार टेढ़े-मेढ़े घूमावदार चरणों से गुजर रहा था जहां किसी तरह का निवेश किया जाना अपनी आजीविका को जोखिम में डालने के समान हो सकता था।

प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उशिक की एक दूरदर्शिता थी कि वे व्यापार को नई ऊंचाई तक बढ़ाना चाहते थे, जिससे व्यापार संचालित करने के तरीकों में बदलाव लाना था। अतः 2012 में, मंदी के खत्म होने के बाद, उन्होंने दुल्हन के परिधानों के साथ बाजार में फिर से प्रवेश करने का फैसला किया।

“यह एक निर्मम प्रतियोगिता से भरा व्यापार साबित हुआ क्योंकि बाजार में कई कठिन खिलाड़ी थे। हर कोई इस मॉडल की कोशिश कर रहा था, इस प्रकार यह एक कड़ा संघर्ष बन गया। पूरे बिजनेस मॉडल को बदलने के लिए, मुझे यह जोखिम उठाना पड़ा क्योंकि यदि मैं असफल हो जाता, तो मुझे मेरे परिवार को देने के लिए कुछ नही रहता। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और फैसला कर लिया।

हम पहले केवल खुदरा बिक्री में थे, इसलिए मैंने एक खाका डिजाइन किया जो व्यवसाय को व्यापार करने के साथ ही विनिर्माण के क्षेत्र में भी बढ़ाया, “उन्होंने केनफ़ोलिओ़ज के साथ विशेष वार्ता में यह बात कही।

उन्होंने बाजार पर अपनी एक पकड़ महसूस किया। 2014 में उन्होंने ‘सुमाया लाइफस्टाइल’ नाम के तहत एक नया उद्यम शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने बाजार का विश्लेषण किया कि पहले महिलाओं के सांस्कृतिक परिधान और व्यापार महिलाओं के लिए अच्छे नहीं थे क्योंकि बाजार नए क्षितिज की ओर उभर रहा था।

वास्तव में, बदलते बाजार की गति इतनी तेज़ थी कि वह मुश्किल से इसके साथ तालमेल कर पा रहे थे। इस यात्रा में उन्होंने एक बात यह सीखी थी कि शिकायत करने के लिए कोई जगह नहीं है। इसमें या तो वह बन सकते है या बिखर सकते है इसलिए उन्होंने पहले विकल्प को चुना और सफलता की दिशा में व्यवसाय पर एक कड़ा जोर लगाया।

11 अगस्त 2011 में सुमाया लाइफस्टाइल की आधारशिला अस्तित्व में आईं लेकिन 2014 में 2 लाख रुपए के निजी पूँजी निवेश के साथ आधिकारिक सूत्रपात स्वीकार किया गया। 2012 से 2014 की अवधि में उशिक ने दुल्हन परिधानों की बिक्री की। 2014 में यह बदल गया जब उन्होंने नई मांग के प्रवाह के अनुसार महिलाओं को अनौपचारिक पहनवे के लिए रुख़ किया। यह व्यवसाय उनके लिए भाग्यशाली साबित हुआ और उन्होंने सिर्फ तीन-चार साल के क्रियान्यवन में ही भारी-भरकम करोड़ो कमाए।

मुंबई में एक विनिर्माण इकाई के साथ, उन्होंने किफायती और गुणवत्ता वाले वस्त्रों पर काम किया और भारत और विदेशों में उनका विपणन किया। ‘सुुमाया लाइफस्टाइल’ ने गति पकड़ा और आज यह भारत में सबसे बड़ा परिधान निर्माता है। 2017 में इसका बैलेंस शीट 214 करोड़ रुपये पर बंद हुआ। समय की इस अल्पावधि में विनिर्माण ईकाई में कर्मचारियों की संख्या का आकार 3,000 तक बढ़ गया और कॉर्पोरेट कर्मचारी आकार में 150 तक का आंकड़ा हुआ।

सुमाया लाइफस्टाइल की सफलता के बाद उन्होंने कपड़ा निर्माण कंपनी ‘सुमाया फैब्रिक’ के साथ शुरुआत की जो ‘सुमाया लाइफस्टाइल’ की एक ग्रुप कंपनी है और इसमें 50-60 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। मार्च 2018 में, दोनों कंपनियों का अनुमानित कारोबार करीब 614 करोड़ रुपये का है।

अपने उद्यमी यात्रा में सफल होने के बाद, उन्होंने वर्ष 2014-2015 में एंजेल निवेशक के रूप में एक यात्रा ऐप ‘गाईडदो टेक्नोलाॅजी प्राइवेट लिमिटेड’ में भी निवेश किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने एक क्लोजड ग्रुप चैट ऐप, द हॉउज़ में भी निवेश किया है उन्होंने करीब 250 करोड़ रूपये, वित्तीय सेवा ऋण के रूप में बाजार में भी दिए हैं।

स्व-वित्तपोषित कंपनी सुुमाया समूह ने कारोबार में 110 करोड़ रुपये का निवेश किया है और ऐसा करना जारी है। पूरे समूह कपड़ों, वित्तपोषण और अन्य व्यवसायों के रूप में सुुमाया की शुद्ध संपत्ति करीब 650 करोड़ रुपये हैं।

ग्राहक आधार के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, “हम समस्त भारत में आपूर्ति करते हैं। सांस्कृतिक वस्त्रों के बाजार क्षेत्र में हमारे पास लगभग 65 प्रतिशत का हिस्सा है। सुमाया लाइफस्टाइल का बाजार आधार अब काफी बड़ा हो गया है और दुबई, ओमान और यूएस में विस्तार किया गया है। व्यापार में पूरे भारत में विस्तारित करने के अलावा कारोबारी कार्यालय दुबई, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में हैं। यह फैशन आधारित एक भारतीय कंपनी का पहला उदाहरण है जिसकी विदेशों में शाखाएं है और दूसरे देशों में पूरी तरह कार्याशील कार्यालय हैं।


मुंबई में 3,50,000 वर्ग फुट भूमि पर निर्मित सुमाया लाइफस्टाइल की एकमात्र विनिर्माण इकाई उच्चतम आधुनिक तकनिक युक्त इकाई है। यह 85 प्रतिशत स्वचालित है और वहां से इसके वस्त्रों का निर्यात विदेशों में अपने कार्यालयों में किया जाता है।

परिधान व्यवसाय में महत्वपूर्ण सफलता के लिए पेरिस में, उशिक को गारमेंट उद्योग में सबसे छोटे सीईओ के रुप में उत्कृष्टता पुरस्कार के रूप में नामित किया गया है और जैन समुदाय में सबसे कम उम्र के अरबपतियों के लिए नामांकित किया गया है। वे जैन इन्टरनेशनल आर्गनाईजेशन (JIO) के ग्लोबल डाईरेक्टर भी हैं। विनम्र उशिक अपने तरीके से आगे ही आगे बढ़ते जा रहे हैं। 27 वर्ष की उम्र में स्वयं के लिए एक मील का पत्थर रख रहे हैं।

सफलता के लिए अपने मंत्र के बारे में बताते हुए कहा, “कड़ी मेहनत करें और आपके कर्म आपको उसके बदले उचित फल देगा।”

SABHAR: KENFOLIOS