- RAKESH MEHTA - राकेश मेहता – जिंदगी को जीतकर बने सफल विजेता
किसी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि हम चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, कितनी भी मेहनत कर लें, जिंदगी हमें आखिरकार उसी रास्ते पर ले जाती है, जिसके लिए हमको लगता है कि हम तो उस रास्ते पर चलने के लिए बने ही नहीं थे। पर जिंदगी तो जिंदगी है, वह थकती नहीं है, रुकती नहीं हैं। इसलिए अगर हम ठान लें, और मजबूती से डटे रहें, तो कई बार जिंदगी भी खुद हमारे रास्ते पर हमारे साथ चल पड़ती है। क्योंकि ऊपरवाले ने जिंदगी को जो समझ बख्शी है, वह हमारी जिंदगी की मुश्किलें, मुकाम और मंजिल सब जानती है। राकेश मेहता की जिंदगी का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही है। जिंदगी बनाने के लिए पढ़ाई तो उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की की थी। लेकिन बने देश के पूंजी बाजार में शिखर पर बैठे वित्त विशेषज्ञ। चाहते तो अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट होने को रोजी रोटी का साधन बनाते हुए टैक्स की फाइलें सुलझाते रहते। लेकिन कहते हैं कि जिंदगी को जीतने के लिए सिर्फ हौंसले और जोश ही काफी नहीं होते। सोच, समझ और सूझबूझ का होना भी जरुरी है। अपने इन्हीं गुणों से मेहता ने कुछ अलग करने की ठानी, तो देखिए आज वे कहां से कहां पहुंच गए हैं। दरअसल, जो लोग जिंदगी को सिर्फ दो जून रोटी के सुख और कुछ छोटे मोटे साधन जुटाने की सीमाओं में बांध लेते हैं, वे कभी सफलता के शिखर पर सजे तख्त पर बैठे राकेश मेहता की तरह हो ही नहीं सकते।आज राकेश मेहता को देश भर में पूंजी बाजार की बहुत बड़ी हस्ती के रूप में जाना जाता है। उनका मेहता ग्रुप भारतीय पूंजी बाजार में एक लब्ध प्रतिष्ठित कंपनी मानी जाती है, जो वित्तीय सेवा प्रदाताओं में देश की एक प्रमुख कंपनी है। मेहता ग्रुप को अपने ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर मूल्यवर्धक सेवाएं प्रदान करके रिश्तों को सहेजने की उल्लेखनीय क्षमता के लिए जाना जाता है। मेहता इक्विटीज लिमिटेड, मेहता कॉमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड और मेहता केपिटल मेनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड मूल रूप से निवेश बैंकिंग, कमोडिटीज और मुद्रा बाजार, डिपॉजिटरी और विभिन्न वित्तीय व इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के क्षेत्र में है, जिनमें मेहता ग्रुप को महारथ हासिल हैं। पूंजी बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में 70000 से अधिक ग्राहकों के साथ देश भर में 80 से अधिक स्थानों पर अपनी प्रभावशाली उपस्थिति स्थापित करने में मेहता ग्रुप सफल रहा है। राकेश मेहता बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड की विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे है और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की पूंजी बाजार और निवेशकों की सुरक्षा के लिए बनी समिति के सदस्य भी समय समय पर रहे है। वे कई वर्षों तक देश के शीर्ष संस्थागत घरेलू ब्रोकर भी रहे हैं। डब्ल्यूआइआरसी की बैंकिंग, निवेश और वित्त संबंधी समिति के सदस्य भी रहे है, तथा इंडियन मर्चेंट्स चेंबर्स, एसोचैम, फिक्की, सीआइआइ, एआइएआइ और आइबीजी के सदस्य भी। फिलहाल वे पूंजी बाजार में इक्विटी ब्रोकिंग, डेरिवेटिव्स, मुद्रा और बॉन्ड उत्पादों जैसी सेवाओं के विस्तार के लिए वन स्टॉप ऑपर्च्युनिटी पर निगाह गड़ाए हुए हैं। निवेश बैंकिंग सेवाओं के जरिए निजी इक्विटी फंड और डेब्ट सिंडिकेशन प्रदान करके वित्तपोषण समाधान की दिशा में भी उनकी कंपनी काम कर रही है। वे कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए ऋ ण सुविधा मुहैया कराते हैं और उनकी कंस्टक्शन निम्न और मध्यम-आय वर्ग के लिए घरों के निर्माण व निवेश के अवसर बना रही है। यह तो हई राकेश मेहता के व्यावसायिक़ विकास और पूंजी बाजार में एक हस्ती के रूप में छा जाने की आज की स्थिति। लेकिन राकेश मेहता कोई जोधपुर से जैसे ही मुंबई आए और सीधे ही शिखर पर पहुंच गए, ऐसा नहीं है। वो जिसे पापड़ बेलना कहते हैं न, उससे भी ज्यादा हजार होसलों की हिम्मत व मेहनत से मेहता ने पूंजी बाजार और देश के वित्तीय पटल पर यह मुकाम पाया है। शुरूआती तौर पर कई तरह की मुश्किलों से पार पाकर उन्होंने अपने जीवन में जो मुकाम पाया, उसके बारे में उनका कहना है कि हर अवसर पर हर हाल में वे सकारात्मक रहे और जीवन को व्यापक संदर्भों में बहुत बड़े नजरिये से देखते रहे। मेहता कहते हैं कि हिम्मत हमारे भीतर ही होती है, वह कोई बाहर से नहीं आती, सो चाहे कोई भी परिस्थिति आ जाए, हमें हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए। जीवन में कभी न थकनेवाले, कभी न रुकनेवाले और कभी भी हार न माननेवाले राकेश मेहता जोधपुर शहर में 9 अगस्त 1964 को जन्मे और जोधपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम करने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट भी बने। पिता गोविंदचंद मेहता और माता चंचल कुमारी मेहता को इतना तो अंदेशा जरूर था कि समझ संभालते ही उनका बेटा जिंदगी में बहुत आगे जाएगा। लेकिन जोधपुर और मारवाड़ का ही नहीं बल्कि समूचे राजस्थान का नाम देश भर में रोशन करेगा, इसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की होगी। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली, तेजतर्रार और दूरगामी सोच के धनी थे। खेल के साथ पढऩे और घूमने के बेहद शौकीन मेहता जानते थे कि जीवन अपने आप में एक खेल है, इसलिए में जो भी करो, उसके प्रतिफल के बारे में पहले जानो। सो, उन्होंने जो कुछ भी पढ़ा, उस पढ़े हुए से मिली शिक्षा को जीवन में व्यावहारिक रूप में उतारा। कहीं भी घूमने गए, तो वहां से बहुत कुछ जानकर, सीखकर और समझकर जीवन के विकास के नए दरवाजे खोलने में उसका उपयोग किया। मतलब साफ है कि उन्होंने अपने खेलने, पढऩे व घूमने के शौक का जमकर दोहन किया। और करे भी क्यों नहीं, आखिर जीवन के हर काम से सीखना और उसी के जरिए जीवन को संवारना ही तो असली जीवन है। मेहता के इस संवरे हुए जीवन की विकासय़ात्रा में उनकी धर्मपत्नी निधि मेहता का भी पूरा सहयोग रहा और बेटे रजत, बेटी चेष्टा व पुत्रवधु त्रिशा मेहता भी हमेशा उनके हर कदम में सहयोगी बने।
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।