ASHISH SHAH - नौकरी छोड़ इन्होंने शुरु किया स्टार्टअप, आइडिया था दमदार, देखते-ही-देखते बन गई 3400 करोड़ की कंपनी
अगर कायदे से देखें तो ई-कॉमर्स क्षेत्र में पहले से ही ढेरों स्टार्टअप्स ने अपनी एक बड़ी जगह बना चुकी है। इन हालातों में नए स्टार्टअप के लिए हर कदम पर बड़ी चुनौती रही है। लेकिन कुछ ऐसे उद्यमी आज भी हैं, जिन्होंने स्टार्टअप जगत की इन तमाम बाधाओं को दरकिनार करते हुए करोड़ों रुपये की कंपनी खड़ी कर ली। आज की कहानी एक ऐसे ही सफल उद्यमी की है जिन्होंने बेहद कम समय में अपनी स्ट्रांग ब्रांड इमेज बनाई और फिर उसके आधार पर ऑफलाइन अलग-अलग शहरों में स्टोर्स भी खोले। राह में आई तमाम चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हुए देश की एक नामचीन स्टार्टअप की आधारशिला रखने इस शख्स की कहानी बेहद प्रेरणादायक है।
आज हम बात कर रहे हैं पेपरफ्राई डॉट कॉम के सीईओ और सह-संस्थापक आशीष शाह की सफलता के बारे में। आशीष अपने मित्र अमरीश मूर्ति के साथ मिलकर भारतीय ई-कॉमर्स जगत में कदम रखते हुए कुछ ही वर्षों में पेपरफ्राई को एक नए मक़ाम पर पहुँचाया। पढ़ाई पूरी करने के बाद आशीष ने कई छोटे-बड़े स्टार्टअप के साथ काम करते हुए तजुर्बे हासिल किये। इसके बाद कुछ मल्टी-नेशनल कंपनी के साथ काम करते हुए ई-बे पहुंचे और वही इनकी मुलाकात अबरीश से हुई। फिर दोनों ने मिलकर अपना स्टार्टअप लांच करने का फैसला लिया।
साल 2012 में दोनों दोस्तों ने पेपरफ्राई डॉट कॉम के रूप में एक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट लांच किया। पेपरफ्राई कपड़े, होम डेकोर, आभूषण, लाइफस्टाइल आइटम्स और फर्नीचर की एक विशाल रेंज को लोगों के सामने प्रस्तुत किया। चूंकि उस वक़्त बाज़ार में पहले से ही कुछ ऑनलाइन पोर्टल थे जो फैशन के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके थे, लेकिन फिर भी पेपरफ्राई अच्छा कारोबार किया। फर्नीचर और होम डेकोर आइटम्स को लोगों ने ज्यादा सराहा और फिर उन्होंने अपने कारोबार को डिजाइनिंग फर्नीचर बेचने के लिए ही पूरी तरह से समर्पित कर दिया।
साईट लांच होने के महज एक महीने में ही पेपरफ्राई ने साढ़े तीन सौ परसेंट की ग्रोथ दर्ज की। किसी भी स्टार्टअप के लिए इतनी तेज़ी से ग्रोथ करना वाकई मायने रखता है। मार्च 2013 में इन्होंने अपना पूरा फोकस डिजाइनिंग फर्नीचर और होम डेकोर आइटम्स की ओर कर लिया। और इन्होंने सबसे छोटे शहरों पर ज्यादा फोकस किया।
आशीष बताते हैं कि हमने पेपरफ्राई को ऑनलाइन फर्नीचर स्टोर में बदलने का डिसीजन लेते हुए टायर टू व थ्री सिटीज के कस्टमर्स तक डिजाइनर फर्नीचर पहुँचने की कोशिश शुरू करी क्योंकि ऑनलाइन बिजनेस का ज्यादा हिस्सा नॉन मेट्रो सिटीज से ही आता है।
आशीष का यह आइडिया बेहद कारगर सिद्ध हुआ और पेपरफ्राई दिन-प्रतिदिन बड़ा होता चला गया। आज तीन करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को अपना बनाते हुए पेपरफ्राई देश की एक्सक्लूसिव ऑनलाइन फर्नीचर स्टोर के रूप में पहचान बना चुकी है।
कई चरणों में अबतक कुल 240 मिलियन डॉलर की फंडिंग उठाते हुए फर्नीचर और घर की सजावट के उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश कर यह देश की एक अग्रणी कंपनी है। 60 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ, कंपनी के देश भर में 40 से अधिक स्टोर्स और 17 आपूर्ति केंद्र हैं। वर्तमान में, कंपनी का 25 से अधिक भारतीय शहरों में अपना स्टूडियो परिचालन भी है जिसमें बेंगलुरु, पुणे, नोएडा, गुरुग्राम, मैसूर, नई दिल्ली, चंडीगढ़ और अन्य शामिल हैं। वर्तमान में कंपनी का वैल्यूएशन करीब 3400 करोड़ रुपये है।
अपनी सफलता को लेकर आशीष कहते हैं कि हमने रिस्क भी लिया और गलतियां भी की, लेकिन हमने उनसे सीखा और डैमेज कंट्रोल में देर नहीं की। सप्लाई चेन में मौजूद कमियों को दूर करके हमने ज्यादा सुविधाजनक वितरण प्रणाली तैयार किया।
उनकी सफलता वाकई में प्रेरणादायक है। उन्होंने लीक से हटकर कुछ नया करने की कोशिश की और आज हमारे सामने एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में खड़े हैं।
SABHAR: KENFOLIOS
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।