कोलकाता के पंकज मालू ने तो अपने कम्प्यूटर के बिजनेस में कमाल ही कर दिया। अपनी सीए की लगी-लगाई नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने कुछ साल पहले दोस्त से उधारी में कम्प्यूटर सेट और बिना किराए का ऑफिस लेकर बिजनेस में हाथ डाला। आज उनकी 'क्रिएटिव फिंगर्स' कंपनी का सालाना टर्नओवर पांच करोड़ हो चुका है।
पंकज मालू की कंपनी से इस समय पांच सौ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। पिछले साल कंपनी का सालाना टर्नओवर पांच करोड़ रुपए रहा था। वह इसे बीस करोड़ तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं।
हमारे देश में कंप्यूटर और आईटी इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। हर किसी के लिए कंप्यूटर एक ऐसी जरूरत बन गया है, जिसका उपयोग पढ़ाई से लेकर ऑफिस तक में हो रहा है। ऐसे में इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन कर कमाई का एक बड़ा सोर्स खड़ा किया जा सकता है। इसे ही मद्देनजर रखते हुए कोलकाता के पंकज मालू ने तो अपने कम्प्यूटर के बिजनेस में कमाल ही कर दिखाया है। उन्होंने खुद का कारोबार शुरू करने के लिए अपनी सीए की नौकरी छोड़ दी। अपने मित्र से कम्प्यूटर उधार लेकर इस धंधे में हाथ डाला और चार साल के भीतर वह खुद तो करोड़पति बने ही, सौ और लोगों को रोजगार भी दे दिया है।
पिछले साल ही उनकी कंपनी का टर्नओवर 5 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका था। आज आईटी सेक्टर में कंप्यूटर इंडस्ट्री से जुड़ा ये सबसे किफायती बिज़नस है। इसमें कैपिटल अमाउंट कम निवेश करना पड़ता है। इस बिज़नस को अच्छे से चलाने के लिए लोकल मार्किट से अच्छी क्वालिटी के कंप्यूटर पार्ट्स लेकर खुद असेम्ब्ल कंप्यूटर बनाए जा सकते हैं। अब तो कंप्यूटर पार्ट्स ऑनलाइन भी मँगाए जा सकते हैं।
कम्प्यूटर के बिजनेस में पंकज मालू की सफलता की यह दास्तान शुरू होती है साल 2005 से। पंकज बताते हैं कि उन्होंने लगभग तेरह साल पहले एक दोस्त नितिश थापा से कंप्यूटर उधार लेकर अपनी 'क्रिएटिव फिंगर्स' कंपनी की शुरुआत की। उधार इसलिए लेना पड़ा कि उनके पास उस समय पैसे नहीं थे। उन्होंने कम्प्यूटर तो उधार ले लिया, अब काम शुरू कैसे करें, क्योंकि दूसरी सबसे बड़ी जरूरत किसी ऐसे ठिकाने की थी। इसमें भी दोस्तों से ही मदद मिली। बिना किराए का एक ऑफिस मिल गया। काम चल निकला। पहले हफ्ते सिर्फ साढ़े छह सौ रुपए का एक अदद ऑर्डर मिला।
वह पूरी मेहनत के साथ अपनी कंपनी का ऑनलाइन प्रोमोशन करने लगे। क्लाइंट तेजी से बढ़ने लगे। बिजनेस उछलने में सबसे ज्यादा कारगर साबित हुए विदेशी ग्राहक। पहले साल तो कंपनी का टर्नओवर चार लाख रुपए ही रहा लेकिन चौथे वर्ष तक यह 2.5 करोड़ रुपए पहुंच गया। पांचवें साल एक वक्त ऐसा भी आया, जब मंदी के कारण उनका बिजनेस लड़खड़ाने लगा। काम ठप होने का डर सताने लगा लेकिन उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं खींचे। काम पर जमे रहे। वर्ष 2012 आते-आते उम्मीदें एक बार फिर परवान चढ़ने लगीं। दो-तीन साल के भीतर ही बिजनेस में पचीस प्रतिशत तक उछाल आ गया।
पंकज मालू की कंपनी से इस समय पांच सौ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। पिछले साल कंपनी का सालाना टर्नओवर पांच करोड़ रुपए रहा था। वह इसे बीस करोड़ तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। फिलहाल वह अपनी कंपनी की दस प्रतिशत मालिकाना हक साझा करने के साथ ही बिजनेस में इजाफे के लिए दो करोड़ रुपए जुटाने में व्यस्त हैं। वह बताते हैं कि आज भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में कम्यूटर मॉर्केट तेजी से ग्रोथ कर रहा है। एक मार्केट रिसर्च कंपनी के आकलन के मुताबिक वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) बाजार में अमेरिकी कंपनी एचपी इंक 22.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ शीर्ष स्थान पर रही है। पिछले साल की चौथी तिमाही में पूरी दुनिया में पीसी के शिपमेंट में भारी इजाफा हुआ है। हांगकांग की कंपनी लेनोवो पीसी के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 22 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चौथे नंबर से छलांग लगाकर दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। कम्प्यूटर बाजार में इस उछाल के पीछे खास वजह आज हर किसी के लिए कंप्यूटर नेटवर्किंग की बढ़ती जरूरत रही है। इन्टरनेट का यूज़ दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है।
पंकज मालू का कहना है कि ऐसे में साइबर कैफ़े खोलना भी एक अच्छा बिज़नस प्लान साबित हो रहा है। साइबरकैफ़े में आप इन्टरनेट की सुविधा के साथ ही प्रिंटर, फैक्स और फोटो स्टेट की सुविधाएं भी दी जाने लगी हैं। इससे ग्राहक तेजी से बढ़ने लगते हैं। ब्लॉग्गिंग भी अब कम्प्यूटर इंडस्ट्री के रूप में स्टेबलिश हो रही है। ऐसे लोगों के लिए कम्प्यूटर की डिमांड बहुत बढ़ गई है।
इधर के वर्षों में लैपटॉप की भी डिमांड तेजी से बढ़ी है लेकिन स्थायी जरूरतों में आज भी कम्प्यूटर ही नंबर वन चल रहा है। कम्प्यूटर का बिजनेस शुरू करने के लिए अब तो केंद्र सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। मेरा समय और तरह का था, जब मदद के नाम पर सिर्फ दोस्त मिले। अब कोई कम्प्यूटर कारोबार करना चाहे तो दो-ढाई लाख रुपए की शुरुआत में जरूरत पड़ती है। बैंक से 6.29 लाख रुपए तक लोन मिल रहा है। एक साल कम से कम लगभग छह सौ कंप्यूटर सेट बेचकर करीब तीन लाख रुपए तक की शुद्ध बचत हो सकती है।
साभार: hindi.yourstory.com/read/83ddf1253c/business-started-by-th