प्रिय मित्रो यह चिटठा हमारे महान वैश्य समाज के बारे में है। इसमें विभिन्न वैश्य जातियों के बारे में बताया गया हैं, उनके इतिहास व उत्पत्ति का वर्णन किया गया हैं। आपके क्षेत्र में जो वैश्य जातिया हैं, कृपया उनकी जानकारी भेजे, उस जानकारी को हम प्रकाशित करेंगे।
Pages
- मुखपृष्ठ
- Home
- वैश्य जातियों की सूची
- वैश्य शासक
- वैश्य कवि और साहित्यकार
- वैश्य उद्योगपति
- वैश्य शहीद एवं क्रांतिकारी
- वैश्य राजनेता
- वैश्य संत और महापुरुष
- वैश्य समाज से सम्बंधित वेब साईट
- वैश्यों के बारे में कुछ लेख
- वैश्य समाज के तीर्थ स्थान , देवता व कुलदेविया
- वैश्य संस्थान, महाविद्यालय, धर्मशालाए
- वैश्य खिलाड़ी
- वैश्य इतिहास
- वैश्य गाथा
- वैश्य कलाकार एवं फिल्मकार
- वैश्य पत्रकार
- वैश्य पत्र एवं पत्रिकाए
- वैश्य समाचार
- वैश्य प्रशासनिक अधिकारी-मंत्री-सामंत-सेनापति
- प्रमुख वैश्य व्यक्तित्व
- वैश्य जातियों के गोत्र, कुलदेवी, देवता
- वैश्य समाज पर आधारित पुस्तके
- वैश्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी
- जैन वैश्य समाज
- वैश्य हेरिटेज
Tuesday, November 13, 2018
Monday, November 12, 2018
Monday, November 5, 2018
महान स्वतन्त्रता सेनानी - नीरा आर्य
इतनी #यातनाएं दी गईं और नेहरू कहता है चरखा से आजादी मिली? #नीरा_आर्य की कहानी। जेल में जब मेरे #स्तन काटे गए ! स्वाधीनता संग्राम की #मार्मिक_गाथा। एक बार अवश्य पढ़े, नीरा आर्य (१९०२ - १९९८) की संघर्ष पूर्ण जीवनी:
****************************
नीरा आर्य का विवाह ब्रिटिश भारत में #सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था | नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी |
नीरा ने अपनी एक #आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक #ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
5 मार्च 1902 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत के खेकड़ा नगर में एक प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ छज्जूमल के घर जन्मी नीरा आर्य #आजाद_हिन्द_फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही थीं, जिन पर अंग्रेजी सरकार ने गुप्तचर होने का आरोप भी लगाया था।
इन्हें नीरा नागिनी के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंत कुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। इनके पिता सेठ छज्जूमल अपने समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिनका व्यापार देशभर में फैला हुआ था। खासकर कलकत्ता में इनके पिताजी के व्यापार का मुख्य केंद्र था, इसलिए इनकी शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में ही हुई।
नीरा नागिन और इनके भाई बसंत कुमार के जीवन पर कई लोक गायकों ने काव्य संग्रह एवं भजन भी लिखे | 1998 में इनका निधन हैदराबाद में हुआ।
नीरा आर्य का #विवाह ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के साथ हुआ था |
नीरा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की #जान_बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अपने अफसर #पति श्रीकांत जयरंजन दास की #हत्या कर दी थी।
आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में #काले_पानी की सजा हुई थी, जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई।
आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की।
नीरा ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी है | इस आत्म कथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत है -
‘‘मैं जब कोलकाता जेल से #अंडमान पहुंची, तो हमारे रहने का स्थान वे ही कोठरियाँ थीं, जिनमें अन्य महिला राजनैतिक अपराधी रही थी अथवा रहती थी।
हमें रात के 10 बजे #कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई, कंबल आदि का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा। मन में चिंता होती थी कि इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते स्वतंत्रता कैसे मिलेगी, जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी है?
जैसे-तैसे जमीन पर ही लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो #कम्बल लेकर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेंककर चला गया। कंबलों का गिरना और नींद का टूटना भी एक साथ ही हुआ। बुरा तो लगा, परंतु कंबलों को पाकर संतोष भी आ ही गया।
अब केवल वही एक लोहे के बंधन का कष्ट और रह-रहकर भारत माता से जुदा होने का ध्यान साथ में था।
‘‘सूर्य निकलते ही मुझको खिचड़ी मिली और लुहार भी आ गया। हाथ की #सांकल काटते समय थोड़ा-सा चमड़ा भी काटा, परंतु पैरों में से आड़ी बेड़ी काटते समय, केवल दो-तीन बार #हथौड़ी_से_पैरों_की_हड्डी को जाँचा कि कितनी पुष्ट है।
मैंने एक बार दुःखी होकर कहा, ‘‘क्या #अंधा है, जो पैर में मारता है?’’‘‘पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे, क्या कर लोगी?’’
उसने मुझे कहा था।‘‘बंधन में हूँ तुम्हारे कर भी क्या सकती हूँ...’’ फिर मैंने उनके ऊपर #थूक दिया था, ‘‘औरतों की इज्जत करना सीखो?’’
#जेलर भी साथ थे, तो उसने कड़क आवाज में कहा, ‘‘तुम्हें छोड़ दिया जाएगा, यदि तुम बता दोगी कि तुम्हारे नेताजी सुभाष कहाँ हैं?’’
‘‘वे तो हवाई दुर्घटना में चल बसे,’’ मैंने जवाब दिया, ‘‘सारी दुनिया जानती है।’’
‘‘नेताजी जिंदा हैं....झूठ बोलती हो तुम कि वे हवाई दुर्घटना में मर गए?’’ जेलर ने कहा।
‘‘हाँ नेताजी जिंदा हैं।’’
‘‘तो कहाँ हैं...।’’
‘‘मेरे #दिल में जिंदा हैं वे।’’
जैसे ही मैंने कहा तो जेलर को गुस्सा आ गया था और बोले, ‘‘तो तुम्हारे दिल से हम नेताजी को निकाल देंगे।’’ और फिर उन्होंने मेरे #आँचल पर ही हाथ डाल दिया और मेरी #आँगी को फाड़ते हुए फिर लुहार की ओर संकेत किया...#लुहार ने एक बड़ा सा जंबूड़ औजार जैसा फुलवारी में इधर-उधर बढ़ी हुई #पत्तियाँ_काटने के काम आता है, उस #ब्रेस्ट_रिपर को उठा लिया और मेरे #दाएँ_स्तन को उसमें दबाकर काटने चला था...लेकिन उसमें धार नहीं थी, ठूँठा था और #उरोजों (स्तनों) को दबाकर असहनीय पीड़ा देते हुए दूसरी तरफ से जेलर ने मेरी गर्दन पकड़ते हुए कहा, ‘‘अगर फिर जबान लड़ाई तो तुम्हारे ये दोनों गुब्बारे #छाती_से_अलग कर दिए जाएँगे...’’
उसने फिर चिमटानुमा हथियार मेरी #नाक पर मारते हुए कहा, ‘‘शुक्र मानो महारानी विक्टोरिया का कि इसे आग से नहीं तपाया, आग से तपाया होता तो तुम्हारे दोनों स्तन पूरी तरह उखड़ जाते।’’
#सलाम हैं ऐसे देश भक्त को। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या #पेंशन स्वीकार नहीं की।
जय हिन्द, जय माँ भारती, वन्देमातरम !!!
(साभार अमित त्रिपाठी जी )
Subscribe to:
Posts (Atom)