#ASHA PAREKH - जिओ तो आशा पारेख जैसे
डिप्रेशन में सुसाइड के बारे में सोचने लगी थीं आशा पारेख, सिंगल रहकर खुद के दम पर बदली
हिंदी सिनेमा पर कई दशकों तक राज करने वालीं एवरग्रीन एक्ट्रेस आशा पारेख को भला कौन नहीं जानता। चार दशक से भी लंबे करियर तक फिल्मी दुनिया पर राज करने वालीं आशा पारेख पर हर कोई फिदा था। हीरो भी आशा पारेख पर जान छिड़कते थे। लेकिन आशा पारेख निजी जिंदगी में अकेली ही रह गईं। उन्होंने अपनी शर्तों पर जिंदगी जी, और उन महिलाओं के लिए मिसाल कायम की, जो अकेलेपन में निराश हो जाती हैं और हिम्मत हार जाती हैं। आशा पारेख की जिंदगी में भी एक ऐसा मोड़ आया था, जब वह डिप्रेशन में डूब गई थीं, और उन्हें आत्महत्या करने के ख्यालों ने घेर लिया था। पर एक्ट्रेस ने उन विचारों के भंवर जाल को तोड़ खुद को बाहर निकाला। एक मजबूत महिला बनकर हर किसी के लिए प्रेरणा बनीं। आशा पारेख का 2 अक्टूबर को 81वां बर्थडे है। इस मौके पर 'मंडे मोटिवेशन' सीरीज में उनकी यही इंस्पायरिंग कहानी बता रहे हैं।
दो अक्टूबर 1942 को गुजराती बनिया जैन परिवार में एक ऐसी लड़की का जन्म हुआ, जो आने वाले वक्त में हिंदी सिनेमा की तस्वीर बदलने वाली थी। कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। आशा पारेख के साथ भी ऐसा ही था। मां सुधा यानी सलमा पारेख ने जब देखा कि नन्हीं सी आशा पारेख को डांस का शौक है, तो उन्हें क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू कर दी। इस तरह छोटी सी उम्र से ही आशा पारेख ने डांस की बारीकियां सीख लीं, और आज अपनी डांस अकेडमी चलाती हैं।
Monday Motivation Asha Parekh:81 साल की उम्र के पड़ाव पर आशा पारेख भले ही निजी जिंदगी में अकेली हैं। भले ही उन्होंने शादी नहीं की और बच्चा भी गोद नहीं लिया, पर अकेलेपन को उन्होंने कमजोरी बनाने के बजाय ताकत बनाया। दुनिया को दिखा दिया कि एक अकेली औरत चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकती। आशा पारेख एक महान एक्ट्रेस और डांसर ही नहीं बल्कि आज उनके नाम से मुंबई में एक हॉस्पिटल चलता है और वह डांस भी सिखाती हैं।
हीरोइन बनने चलीं तो हुईं रिजेक्ट, कहा गया- स्टार मटीरियल नहीं
आशा पारेख ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी। उनकी पहली फिल्म 1952 में आई थी, जिसका नाम 'मां' था। कुछ और फिल्मों में आशा पारेख ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया, और फिर स्कूल के कारण एक्टिंग छोड़ दी। लेकिन जब आशा पारेख 16 साल की हुईं, तो उन्होंने बतौर लीड एक्ट्रेस करियर शुरू करने के बारे में सोचा। पर पहले ही पड़ाव पर उन्हें रिजेक्शन का सामना करना पड़ा।
रिजेक्शन के 8 दिन बाद ही रातोंरात बनीं स्टार
डायरेक्टर ने यह कहकर आशा पारेख को 'गूंज उठी शहनाई' में साइन करन से मना कर दिया कि वह स्टार मटीरियल नहीं हैं। हीरोइन बनने के लायक नहीं हैं। पर आशा पारेख ने खुद को टूटने नहीं दिया। हिम्मत रखी और 8 दिन बाद ही उन्हें डायरेक्टर नासिर हुसैन ने 'दिल देके देखो' ऑफर की। इस फिल्म ने आशा पारेख को रातोंरात स्टार बना दिया और 60 के दौर की टॉप हीरोइनों में ला खड़ा किया।
जब डिप्रेशन में गईं आशा पारेख, सुसाइड के बारे में लगीं सोचने
आशा पारेख फिल्मी करियर में दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की कर रही थीं। लेकिन निजी जिंदगी में बहुत उथल-पुथल से गुजरीं। आशा पारेख की जिंदगी में सबसे बुरा दौर तब आया, जब उन्होंने मां-बाप को खो दिया। उस दौर के बारे में एक्ट्रेस ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को दिए इंटरव्यू में किया था। आशा पारेख ने कहा था कि वह उनकी जिंदगी का सबसे काला और बुरा दौर था। वह बिल्कुल अकेली पड़ गई थीं और डिप्रेशन में चली गई थीं। आशा पारेख के मुताबिक, उनके मन में सुसाइड के ही ख्याल आते। वह मौत को गले लगाने के बारे में सोचतीं। पर आशा पारेख हिम्मत रखे हुए थीं। उन्होंने उससे उबरने में डॉक्टरों की भी मदद ली। और देखो, आज वही आशा पारेख हैं, जो 81 साल की उम्र में भी हमारे सामने डटकर खड़ी हैं, और काम कर रही हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह डांस अकेडमी और एक हॉस्पिटल चला रही हैं। वाकई उनकी कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है।