आपको विश्वास न होगा यह सुनकर कि भारत का अंतिम हिंदु सम्राट एक वैश्य था. वह दिल्ली का आखिरी हिंदु सम्राट था, हेम चन्द्र विक्रमादित्य. जो कि हेमू विक्रमादित्य के नाम से मशहूर था. वह बिहार के सासाराम जनपद के एक रौनियार वैश्य परिवार से सम्बंधित था. उसका शासन १६ वी शताब्दी में था. उसके पिता रेवाड़ी में एक व्यापारी थे. हेमू सूरी वंश के आदिलशाह सूरी का प्रधानमंत्री व सेनापति था. वह अफ्घान विद्रोहियों से पंजाब और बंगाल में लड़ता रहा और उन्हें परास्त किया . अकबर व हुमायु व अफ्घन विद्रोहियों से उसने २२ युद्ध जीते . ७ अक्टूबर १५५६ को वह दिल्ली का सम्राट बना और विक्रमादित्य की उपाधि से घोषित किया गया. उनका राजभिषेक दिल्ली के पुराना किले में किया गया. और हिन्दू शाही की ३५० साल बाद फिर स्थापना की. पानीपत की लड़ाई में अकबर ने हेमू की धोके से गर्दन काट दी. व गाजी कहलाया. यदि यह युद्ध हेमू जीत जाता तो भारत का इतिहास ही बदल जाता. पर इतिहास में हेमू को याद नहीं किया जाता, व मुग़ल सल्तनत को महान बताया जाता हैं. यह कितनी शर्म की बात हैं. आज भी दिल्ली में उनका एक भी स्मारक नहीं हैं. पर जिन्होंने हमें गुलाम बनाया उनके नाम पर सड़के व स्मारक बने हुए हैं, हेमू पर हमें गर्व हैं. उस वैश्य वीर को शत शत नमन.
प्रिय मित्रो यह चिटठा हमारे महान वैश्य समाज के बारे में है। इसमें विभिन्न वैश्य जातियों के बारे में बताया गया हैं, उनके इतिहास व उत्पत्ति का वर्णन किया गया हैं। आपके क्षेत्र में जो वैश्य जातिया हैं, कृपया उनकी जानकारी भेजे, उस जानकारी को हम प्रकाशित करेंगे।
Pages
- मुखपृष्ठ
- Home
- वैश्य जातियों की सूची
- वैश्य शासक
- वैश्य कवि और साहित्यकार
- वैश्य उद्योगपति
- वैश्य शहीद एवं क्रांतिकारी
- वैश्य राजनेता
- वैश्य संत और महापुरुष
- वैश्य समाज से सम्बंधित वेब साईट
- वैश्यों के बारे में कुछ लेख
- वैश्य समाज के तीर्थ स्थान , देवता व कुलदेविया
- वैश्य संस्थान, महाविद्यालय, धर्मशालाए
- वैश्य खिलाड़ी
- वैश्य इतिहास
- वैश्य गाथा
- वैश्य कलाकार एवं फिल्मकार
- वैश्य पत्रकार
- वैश्य पत्र एवं पत्रिकाए
- वैश्य समाचार
- वैश्य प्रशासनिक अधिकारी-मंत्री-सामंत-सेनापति
- प्रमुख वैश्य व्यक्तित्व
- वैश्य जातियों के गोत्र, कुलदेवी, देवता
- वैश्य समाज पर आधारित पुस्तके
- वैश्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी
- जैन वैश्य समाज
- वैश्य हेरिटेज
Wednesday, October 19, 2011
Saturday, October 15, 2011
गुप्त वंश के सम्राट वैश्य
गुप्त वंश या गुप्ता साम्राज्य की स्थापना महाराज श्रीगुप्त ने की थी जिसका शासन प्रयाग के पास था. वह जन्म से वैश्य था. जिसका गोत्र धारण था. धारण गोत्र अग्रवालो का एक गोत्र होता हैं.
गुप्त या गुप्ता हमेशा से ही वैश्यो केलिए प्रयोग होता रहा हैं. गुप्त नाम भगवान विष्णु के लिए भी प्रयुक्त हुआ हैं. भगवान विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी हैं. और वैश्यों को लक्ष्मी पुत्र भी कहा जाता हैं. इसी लिए वैश्यो के लिए गुप्त शब्द प्रयोग होता हैं.
गुप्त वंश के शासन को भारत का स्वर्ण काल कहा जाता हैं. गुप्तो की कुलदेवी माता लक्ष्मी थी. उस काल की स्वर्ण मुद्राओ पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के चित्र मिलते हैं. गुप्त काल में ही नारद पुराण लिखा गयाथा. जिसमे शर्मास्य ब्राहमण, गुप्तस्य वैश्य, वर्मस्य क्षत्रिय, लिखा गया हैं. इससे सिद्ध होता हैं की गुप्त वंश के सम्राट वैश्य थे. गुप्त वंश के राजाओं के विवाह सम्बन्ध नाग वंश की कन्याओं से हुए थे. नाग वंश हम अगरवालो के लिए पूजनीय रहा हैं. नागों की पूजा अगरवालो के घर घर में होती हैं.
सम्राट समुद्र गुप्त को भारत का नपोलियन कहा गया हैं. जिसका राज्य बर्मा से इरान तक फैला हुआ था. सम्राट चन्द्रगुप्त II को विक्रमादित्य की उपाधि से नवाजा गया हैं. गुप्त वंश का शासन भारत में ३०० साल तक रहा. गुप्तो ने शको और हूणों का दमन किया. और भारत को उनसे मुक्ति दिलाई. गुप्त वंश जैसा साम्राज्य भारत में और कोई दिखाई नहीं देता. यह हम वैश्यो के लिए बड़े ही गर्व की बात हैं.
Subscribe to:
Posts (Atom)