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Saturday, October 15, 2011

गुप्त वंश के सम्राट वैश्य

गुप्त वंश या गुप्ता साम्राज्य की स्थापना महाराज श्रीगुप्त ने की थी जिसका शासन प्रयाग के पास था. वह जन्म से वैश्य था. जिसका गोत्र धारण था. धारण गोत्र अग्रवालो का एक गोत्र होता हैं. 

गुप्त या गुप्ता हमेशा से ही वैश्यो केलिए प्रयोग होता रहा हैं. गुप्त नाम भगवान विष्णु के लिए भी प्रयुक्त हुआ हैं. भगवान विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी हैं. और वैश्यों को लक्ष्मी पुत्र भी कहा जाता हैं. इसी लिए वैश्यो के लिए गुप्त शब्द प्रयोग होता हैं. 

गुप्त वंश के शासन को भारत का स्वर्ण काल कहा जाता हैं. गुप्तो की कुलदेवी माता लक्ष्मी थी. उस काल की स्वर्ण मुद्राओ पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के चित्र मिलते हैं. गुप्त काल में ही नारद पुराण लिखा गयाथा. जिसमे शर्मास्य ब्राहमण, गुप्तस्य वैश्य, वर्मस्य क्षत्रिय, लिखा गया  हैं. इससे सिद्ध होता हैं की गुप्त वंश के सम्राट वैश्य थे. गुप्त वंश के राजाओं के विवाह सम्बन्ध नाग वंश की कन्याओं से हुए थे. नाग वंश हम अगरवालो के लिए पूजनीय रहा हैं. नागों की पूजा अगरवालो के घर घर में होती हैं. 

सम्राट समुद्र गुप्त को भारत का नपोलियन कहा गया हैं. जिसका राज्य बर्मा से इरान तक फैला हुआ था. सम्राट चन्द्रगुप्त II को विक्रमादित्य की उपाधि से नवाजा गया हैं. गुप्त वंश का शासन भारत में ३०० साल तक रहा. गुप्तो ने शको और हूणों का दमन किया. और भारत को उनसे मुक्ति दिलाई. गुप्त वंश जैसा साम्राज्य भारत में और कोई दिखाई नहीं देता. यह हम वैश्यो के लिए बड़े ही गर्व की बात हैं.


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