MODH BANIA VANIK - मोध बनिया वनिक
मोध वाणिक जाति का इतिहास
बनिया शब्द का उपयोग वैश्यों की सामाजिक-सांस्कृतिक वर्ग को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जो पुजारियों /विद्वानों (ब्राह्मणों), योद्धाओं /शासकों (क्षत्रिय) के बाद और मजदूर/ वर्ग (शूद्रों) के ऊपर, तीसरे स्थान पर आते हैं. वैश्य एक वर्ग का गठन करते हैं जो विभिन्न जातियों द्वारा निर्मित है. मोढ बनिया/मोध वाणिक वैश्य समुदाय के तहत सबसे प्रसिद्ध जातियों में से एक है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का संबंध भी इसी महान जाति से है. आइए जानते हैं मोढ मोध वाणिक जाति के बारे में.
मोढेरा के मूल निवासी
मोध समुदाय एक विशाल समुदाय है जिसकी उत्पत्ति गुजरात के मोढेरा से मानी जाती है. मोढेरा के मूल निवासी होने के कारण इन्हें “मोध या मोढ” कहा जाता है. इसमें कई हिंदू समुदाय जैसे कि मोध ब्राह्मण, मोध पटेल, मोध घांची (मोदी) और मोध बनिया आदि शामिल हैं. मोढ बनिया भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है. भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण में इनकी विशेष आस्था है. मोढ समाज की कुलदेवी मातंगी देवी हैं.
मोध वाणिक उत्पत्ति की उत्पत्ति कैसे हुई?
“ब्राह्मणोत्पत्ति मार्तण्ड” नामक पुस्तक के अनुसार मोढ/मोध वाणिक जाति की उत्पत्ति के बारे में निम्नलिखित कथा प्रचलित है. भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए. भगवान विष्णु के मैल से मधु और कैटभ नाम के दो दैत्य उत्पन्न हुए जो ब्रह्मा जी को मारने दौड़े. ब्रह्मा जी की पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने दैत्यों का वध कर दिया और ब्रह्मा जी से वरदान मांगने को कहा. ब्रह्मा जी बोले, इस धर्मारण्य में सर्वोत्तम तीर्थ बने. भगवान विष्णु ने इस कार्य के लिए भगवान शिव को भी प्रेरित किया. भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महादेव ने ब्राह्मणों को बनाया, जो वेदों के ज्ञानी थे, ताकि वे धर्मारण्य को वेद संस्कृत के केंद्र में बदल सकें. भगवान विश्वकर्मा को ब्राह्मणों के लिए घर, किले और मंदिर बनाने के लिए कहा गया. विश्वकर्मा जी ने ब्राह्मणों के लिए माहेरपुर/मोढेरा नामक सुंदर नगर का निर्माण किया. ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने छह-छह हजार ब्राह्मण यानी कि कुल 18000 ब्राह्मण बनाए और उन्हें गोत्र और गोत्रदेवी दिया. यह ब्राह्मण मोढ ब्राह्मण कहलाए. किंवदंती के अनुसार, विष्णु द्वारा बनाए गए लोग शांत और ईमानदार थे; ब्रह्मा द्वारा बनाए गए लोगों में रजस गुण की प्रधानता थी; और शिव द्वारा बनाए गए लोग क्रोधी स्वभाव के थे. ब्राह्मणों के सुख-सुविधा के लिए ब्रह्मा जी ने कामधेनु गाय की रचना की और मोढ वैश्यों को उत्पन्न करने को कहा. ब्रह्मा जी के आदेश पर कामधेनु ने अपने आगे के पैर के खुर से पृथ्वी को खुरच कर 36,000 लोगों की रचना की. और इस प्रकार से शिखा और यगोपवितधारी मोढ वैश्यों या मोध वणिकों की उत्पत्ति हुई. कामधेनु गाय की भुजा के प्रताप से उत्पन्न होने के कारण यह गोभुजा भी कहलाए.
मोध वाणिक जाति का इतिहास
मोध वाणिक समाज का इतिहास अत्यंत ही गौरवशाली रहा है. मोढ मोढेरा में बस गए, इसलिए गाँव को गभु के नाम से जाना जाने लगा. कई पत्रकारों का मत है कि यह समुदाय पारंपरिक रूप से समृद्ध रहा है. मुख्य रूप से यह कपड़ा, किराना, वित्त और हीरे के व्यापार में हैं. अधलजा, मांडलिया, मधुकरा, वेनिशा, मोध मोदी, तेली मोदी, चंपानेरी मोदी और प्रेमा मोदी सभी मोध वानिको के समूह थे. मोध किसान मोध पटेल के नाम से जाने जाते थे. कई हिंदू समुदाय मोढेरा से अपना नाम लेते हैं, जैसे मोध ब्राह्मण, मोध पटेल, मोध मोदी और मोध बनिया. इस समाज भारत के स्वतंत्रता संग्राम में तथा आजादी के बाद देश के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. व्यापार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देकर भारत को एक आर्थिक शक्ति बनाने में इस जाति का महत्वपूर्ण योगदान है. रिलायंस ग्रुप के संस्थापक धीरूभाई अंबानी इसी जाति से आते थे.
मोध वाणिक के प्रसिद्ध व्यक्ति
महात्मा गांधी:
ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के नेता, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शिखर पुरुष महात्मा गांधी, मोध-बनिया जाति के थे.
आचार्य हेमचंद्र:
अपने समकालीनों द्वारा एक विलक्षण के रूप में विख्यात आचार्य हेमचंद्र एक जैन संत, विद्वान, कवि, गणितज्ञ, दार्शनिक, योगी, व्याकरणविद, कानून सिद्धांतकार, इतिहासकार और तर्कशास्त्री थे. इन्हें अपने समय में “सभी ज्ञान के ज्ञाता” की उपाधि प्राप्त थी. इन्हें गुजराती भाषा के पिता के रूप में जाना जाता है.
नरेंद्र मोदी
भारत के 14 वें वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, मोध-घांची जाति के हैं.
अंबानी परिवार
दुनिया के सबसे अमीर परिवारों में से एक अंबानी परिवार का संबंध गुजरात के मोध वाणिक जाति से है.
साभार: Ranjeet Bhartiya
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