दिनेश गुप्ता का जन्म ६ दिसंबर १९११ में ग्राम जोशोलोंग जिला मुंशीगंज (वर्तमान बंगलादेश) में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात स्नातक शिक्षा प्राप्त करने हेतु ढाका कॉलेज में प्रवेश लिया। वहीं दिनेश गुप्ता ने सन १९२८ में बंगाल क्रांतिकारी संघ (नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा गठित) की सदस्यता ग्रहण की। जो प्रारंभ में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का घटक दल थी परन्तु कालान्तर में कांग्रेस की नीतियों से खिन्न होकर स्वयं को अलग कर सशस्त्र क्रांति से जोड़ लिया एवं क्रूर अँगरेज़ अधिकारीयों को दंड देने की ठानी।
दिनेश गुप्ता ने स्थानीय क्रांतिकारियों के साथ मिदनापुरे में शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण लिया क्रांतिकारियों का लक्ष्य तीन अँगरेज़ जिलाधिकारी डगलस, बर्गे और पेड्डी था। परन्तु उनका मुख्य लक्ष्य क्रूर अँगरेज़ अधिकारी कर्नल एन. एस. सिम्पसन था, वह बंगाल का मुख्य पुलिस अधीक्षक था। वह जेल में बंद क्रांतिकारियों को घोर अमानवीय यातनाएं दिया करता जिसके कारण उसे दण्डित करना परमावश्यक हो गया था। ८ दिसम्बर १९३० को दिनेश चंद गुप्ता और बादल गुप्ता के साथ बिनोय ने यूरोपियन वेशभूषा धारण कर रायटर्स बिल्डिंग में घुस सिम्पसन, डगलस, बर्गे और पेड्डी को मार गिराया यह देख अँगरेज़ अधिकारियों ने फायरिंग करनी प्रारंभ कर दी अँगरेज़ अधिकारी एवं अँगरेज़ पुलिस के साथ तीनों क्रांतिकारियों ने जम कर संघर्ष किया और तवयनम, प्रेन्टिस और नेल्सन नामक अँगरेज़ अधिकारीयों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
पुलिस ने उन्हें चारों ओर से घेर रखा था परन्तु उन तीनों का लक्ष्य अंग्रेजों के हाथों बंदी होना नहीं था अतः गोलियाँ समाप्त होने पर बादल ने साइनाइड खा कर अपने क्रांतिकारी जीवन का अंत किया, बिनोय और दिनेश ने अपनी ही कनपटी पर बन्दुक रखकर गोली चला दी परन्तु वे गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को सरकारी चिकित्सालय में चिकित्सा के लिए रखा गया ताकि बचने के पश्चात उन्हें फाँसी पर चढाया जा सके परन्तु बिनोय ने उनकी इस इच्छा को पूरा न होने दिया एवं १३ दिसंबर १९३० को सरकारी चिकित्सालय में वीरगति को प्राप्त हुए।
परन्तु दिनेश गुप्ता को बचा लिया गया और उन पर सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने व सरकारी अधिकारियों की हत्या का मामला चलाया गया। ७ जुलाई १९३१ को १९ वर्ष की आयु में फाँसी पर चढा दिया गया दिनेश गुप्ता ने फाँसी से पहले कुछ पत्र लिखे जिसमें उन्होंने देश के युवकों को देश की स्वतंत्रता की राह पर जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित किया। इन तीनों महानायकों के बलिदान ने बंगाल में क्रांतिकारियों में स्वतंत्रता की अग्नि को जलाये रखा एवं स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात डलहौजी स्क्वायर (जहाँ रायटर्स बिल्डिंग स्थित थी) का नाम बदल कर बी.बी.डी.बाग (बादल बिनोय दिनेश बाग) रख दिया गया।
Published: Tuesday, Dec 06,2011, 11:43 IST
Source: IBTL
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