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Thursday, July 24, 2014

वैश्य समाज के बारे में भ्रान्तिया

हमारे वैश्य समाज के बारे में लोगो को बहुत सारी भ्रान्तिया व भ्रम हैं. दूसरी जाति के लोगो में  तो है ही, अपितु अपने वैश्य समाज के लोगो को पूरी जानकारी नहीं हैं. एक दिन में कुछ लोगो के बीच में बैठा हुआ था, वंहा पर हमारे समाज के काफी लोग थे, वंहा पर एक सज्जन अग्रसेन भवन के कार्यक्रम के पत्रक बाँट रहे थे. मुझे उन्होंने वह पत्रक नहीं दिया, केवल समाज के जो धनी-मानी लोग हैं उन्हें दिया. कोइ बात नहीं, मैं वह पत्रक पढने लगा, उस पत्रक में मुझे नगर के केवल अग्रवाल समाज के लोगो के नाम नज़र आये, मैंने  उन सज्जन से  पूछा की इसमें जैन समाज के लोगो के नाम नहीं दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने छुटते ही बोला, कि जैन बनिए नहीं होते. मैंने प्रतिवाद किया की जैन समाज भी वैश्य समाज का ही एक अंग हैं. और अधिकतर जैन भी अग्रवाल ही हैं, उनमे और हम में रोटी बेटी का सम्बन्ध हैं. इससे वे  महानुभाव नाराज हो गए, और मुझे खरी खोटी सुनादी. मैंने चुपचाप वंहा से निकलने में ही भलाई समझी. 

एक बार ऐसे ही मैं कही बैठा हुआ था, तो हमारे प्रधानमन्त्री जी की जाति का जिक्र आ गया. मैंने बोला की मोदी जी तैल्लिक वैश्य हैं, और गुजरात में उनकी जाति को मोढ घांची कहा जाता हैं. तो एक सज्जन बोले की वो तो पिछड़ी जाति से हैं, मैं कहने लगा की वैश्य - बनियों की अधिकतर जातिया पिछडो में आती हैं. तो वो बोले अगरवाल तो अगड़े होते हैं. और बनिए केवल अग्रवाल होते हैं, मैंने कहा की वैश्य समुदाय के अन्दर करीब ३५० जातिया हैं. और करीब २० करोड़ आबादी हैं तो वो बोले ऐसा हो ही नहीं सकता. फिर मैंने उन्हें अलग अलग वेब-साइट व पत्रिकाए दिखाई, तब जा कर वे माने. 

एक जगह फिर ऐसा ही वाकया हुआ. मेरे एक दोस्त जो की जाट हैं. वे मुझे कहने लगे की तुम तो अपना उपनाम गुप्ता लिखते हो, तुम्हारा भाई अग्रवाल लिखता हैं और तुम्हारे पिता गर्ग लिखते हैं. ये क्या चक्कर हैं, मै उसे बोला कि गर्ग हमारा गोत्र हैं, अग्रवाल हमारी जाति है, और चूँकि हम लोग वैश्य हैं, इसलिए हर वैश्य को गुप्त या गुप्ता लिखने का अधिकार हैं, क्योंकि गुप्त उपनाम केवल वैश्यों के लिए प्रयुक्त हुआ हैं. इसलिए मैं गुप्ता लिखता हूँ. तब जा कर हमारे जाट देवता शांत हुए. वो कहने लगे  तुम बनियों की माया कोई नहीं समझ सका आज तक. भगवान् बचाए तुम बनियों से, तुमसे तो मुग़ल बादशाह भी पार नहीं पा सके. मैं हंसने लगा और हंसता चला गया...वन्देमातरम....   

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