सचिन बंसल व बिन्नी बंसल - फ्लिप्कार्ट के संस्थापक
शुरुआत
2007 में फ्लिपकार्ट ने पुस्तकें बेचनी शुरू कीं
बड़ी छलांग
'साइट' पर आज होते हैं एक लाख से ज्यादा सौदे, 6 अरब डॉलर का व्यवसाय
संदेश
प्रतियोगिता से डरें नहीं, काम बढ़ाते रहें
आप देश में नए उद्यमियों और ई-कामर्स की बात करें और सचिन बंसल की अनदेखी करें, यह हो नहीं सकता। 33 साल के सचिन साफ्टवेयर इंजीनियर, इन्टरनेट उद्यमी और फ्लिपकार्ट के संस्थापक हैं। सचिन मूल रूप से चंडीगढ़ से संबंध रखते हैं। उन्होंने अपने मित्र बिन्नी बंसल के साथ मिलकर फ्लिपकार्ट की स्थापना की। दोनों का संबंध चंडीगढ़ और आईआईटी (दिल्ली) से रहा है।
हालांकि सचिन और बिन्नी दोनों का उपनाम एक है, पर आपस में कोई रिश्ता नहीं है। दोनों ने ई-कामर्स के काम को उस दौर में सीखा,जब ये अमेजन में काम कर रहे थे। सचिन बंसल की आवाज में आजकल नई बुलंदी आ गई है। कमाई के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन रीटेलर कंपनी फ्लिपकार्ट के सीईओ सचिन कहते हैं कि वे अपनी कंपनी में दुनिया के सबसे बेहतरीन पेशेवरों को रखना पसंद करते हैं। दूसरे नंबर के लिए उनके पास जगह नहीं है। सचिन ने बताया कि सन् 2007 में मूलत: पुस्तकों की आनलाइन खरीद-बिक्री लिए बनी यह वेबसाइट अब अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रानिक उपकरण और अन्य वस्तुएं खरीदने का विकल्प भी देती है। फ्लिपकार्ट पर क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेटबैंकिंग, ई-गिफ्ट वाउचर और सुपुर्दगी पर नकद अदायगी (कैश ऑन डिलीवरी) के जरिये भुगतान किया जा सकता है। सचिन ने बताया कि उन्होंने किताबें बेचनी शुरू कीं, फिर इलेक्ट्रानिक्स और दूसरे उत्पाद बेचने शुरू किए। फ्लिपकार्ट के एक करोड़ पंजीकृत उपभोक्ता हैं। हर दिन कंपनी एक लाख उत्पादों की आपूर्ति करती है। सचिन बंसल ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य भारत में ई-कारोबार के लिए इकोसिस्टम बनाने का है, क्योंकि देश में 50 करोड़ से ज्यादा लोग अगले पांच साल में ऑनलाइन होने वाले हैं। हजारों उद्यमियों के ऑनलाइन होने से हमें लॉजिस्टिक और भुगतान संबंधी समस्याएं दूर करनी होंगी। इसके लिए हमें तकनीक के क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत है। इससे ऑनलाइन खरीददारी की दुनिया बदल जाएगी और हम भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएंगे। फ्लिपकार्ट में नए निवेश के बाद इसकी कीमत छह से सात अरब डॉलर के बीच पहुंच गई है, भारत की सबसे बड़े रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ से भी ज्यादा। सचिन ने एक जगह कहा था, हमें जो भी अच्छा आदमी मिल जाए, उसे भर्ती कर लेंगे। हम तकनीकी लोगों की तादाद बढ़ा रहे हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बाहर से भी लोगों को ला रहे हैं।
अमरीका के बढ़ते दखल से सचिन भले ही इनकार करें, लेकिन बेंगलुरू स्थित फ्लिपकार्ट के मुख्यालय में जोश बढ़ने का सीधा संबंध दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन रिटेलर अमेजन के पिछली जून में भारत में प्रवेश से है। अमेजन के भी सीईओ जेफबेजोज हाल ही में भारत में थे। वे भी भारत के बाजार पर कब्जा जमाना चाहते हैं। अमेजन इंडिया का दफ्तर बेंगलुरू में फ्लिपकार्ट से सिर्फ कुछ दूरी पर है। करीब दो दशक के अनुभव और भारी जेब के बल पर जेफबेजोज की कंपनी अमेजन फ्लिपकार्ट को तगड़ी टक्कर दे सकती है। यह भी सच है कि मुकाबला टक्कर का हो तो फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी में चमत्कार हो सकते हैं। अमेजन इन नाम से भारत में बाजार खुलने से एक महीना पहले फ्लिपकार्ट ने अपना बाजार खोला। उसने पेजिपी नाम से ऑनलाइन भुगतान कर सरल और सुरक्षित विकल्प देने का ऐलान किया था। फ्लिपकार्ट पर दिन में एक लाख के आसपास सौदे होते हैं, इसलिए कंपनी को भरोसा है कि इस बल पर मुनाफा कमालेगी। सचिन बंसल अमेजन से किसी तरह की टक्कर से इनकार करते हैं। सचिन की मानें तो उनकी नजर में यह मुकाबला अच्छा है। हालात और दिलचस्प हो रहे हैं। हम प्रतियोगिता पर ध्यान नहीं देते, वैसे भी कारोबार बढ़ाने पर तुले हैं। सचिन की चिंता तो इस बात को लेकर है कि 2020 तक उन्हें जो करना है उसके मुकाबले अभी बहुत मामूली काम हो रहा है।
सचिन खुदरा विक्रेताओं की संख्या मौजूदा 1,000 से बढ़ाकर एक साल में 10,000 से 15,000 तक कर लेना चाहते हैं। उनका कहना है, हमने पिछले आठ महीनों में ईकोसिस्टम के साथ इस बारे में बहुत सीखा है कि कारोबार बढ़ाने के लिए कैसी टेक्नोलॉजी चाहिए। हमें लगता है, आधे से ज्यादा कारोबार 'थर्ड पार्टी' विक्रेता से आएगा। सचिन बंसल ने बताया कि फ्लिपकार्ट फैशन और सिलेसिलाए वस्त्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है, क्योंकि उनमें औसतन 20 से 30 प्रतिशत मुनाफे की गुंजाइश है। इसके विपरीत इलेक्ट्रानिक्स जैसी श्रेणियों में मुनाफा इससे आधे से भी कम है और शिपमेंट का किराया भी नहीं निकलता। फैशन वाले आनलाइन विक्रेताओं की साइट पर ज्यादा लोग आते हैं। बहरहाल, आपको सचिन बंसल को भारत का बेहद सफल नये जमाने का उद्यमी तो मानना पड़ेगा। उन्होंने हिन्दुस्थानियों को ऑनलाइन खरीददारी सिखाई।
साभार : पाञ्चजन्य , १८ अक्टूबर, २०१४