कभी घरवालों ने उड़ाया था मजाक, आज इस कंपनी के मालिक बन कमा रहे हैं 400 करोड़
कहते हैंं सफलता उसी को मिलती है जो जिंदगी में कुछ अलग करता है. जब सफलता उसके कदमों में होती है, तो दुनिया उसे महान और काबिल बताती है. ऐसी ही एक कहानी है ओला कैब के संस्थापक भाविश अग्रवाल की, जिन्होंंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर सड़कोंं पर अपनी कैब का सपना देखा और आज वो सपना हर महानगरों की जान बन गया है.
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माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में करते थे नौकरी
जरा सोचिए! कोई क्यों लाखोंं की पैकज वाली नौकरी छोड़कर उस काम में हाथ आजमाएगा जहां सफलता मिलने का कोई ठिकाना नही हैं, लेकिन भाविश ने ऐसा नहीं सोचा और अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर ओला कैब के संस्थापक बनने की ठान ली.
कैसे सोचा ओला के बारे में
ये सोच एक सफर के साथ शुरू हुआ, जब भाविश एक बार बेंगलुरु से बांदीपुर एक किराए की कार में गए. उस दौरान उन्हें कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान ड्राइवर ने उनसे ज्यादा पैसे मांगे, साथ ही पैसे ना देने पर सफर रोकने को कहा. उसके खराब बर्ताव की वजह से भाविश को कार छोड़कर बस से यात्रा करनी पड़ी. इस घटना के बाद भावेश ने कैब कंपनी बनाने का फैसला किया. उन्होंने महसूस किया कि जो दिक्कत उन्हें आई है, वही दिक्कत कई लोगों को आती होगी और यहीं से उन्होंने कैब बिजनेस में उतरने का मन बना लिया.
घरवालों और दोस्तों ने उड़ाया मजाक
माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में काम कर रहे भाविश ने जब नौकरी छोड़कर इस काम में हाथ आजमाया तो घरवालों के साथ उनके दोस्तों ने भी उनका मजाक उड़ाया और कहा नौकरी छोड़कर बिजनेस चालू करना बेकार आईडिया है, पर भाविश नौकरी करने की जगह सेल्फ मेड एंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे.
घरवाले सोचते थे ट्रैवल एजेंट का काम कर रहा हूं
भाविश कहते हैं ‘जब मैंने शुरुआत की तो मेरे माता-पिता सोच रहे थे कि मैं ट्रैवल एजेंट बनने जा रहा हूं. उन्हें समझा पाना काफी मुश्किल था, लेकिन जब ओला कैब्स को पहली फंडिंग हासिल हुई, तो उन्हें मेरे स्टार्टअप पर भरोसा हुआ.’
इन शहरों से शुरु किया सफर
माइक्रोसॉफट की नौकरी को अलविदा कहकर वो पहले मुंबई आए और फिर लुधियाना जाकर ओला कैब पर काम शुरू किया. भाविश अग्रवाल ने 2010-11 में ओला कैब्स की स्थापना की थी. इस दौरान उन्हें ना ही परिवार का साथ मिला ना ही दोस्तो का. लेकिन भाविश ने भी कुछ अलग करने की ठान रखी थी जिसकी जिद्द ने उन्हे आज कामयाब बना दिया.
ऐसे खड़ा किया खुद का कारोबार
भाविश ने अपने पैसों से कार ना खरीदकर बड़ी संख्या में टैक्सी ड्राइवर्स के साथ पार्टनरशिप की और पूरे सेटअप में आधुनिक टेक्नोलॉजी को शामिल किया. साथ ही इंटरनेट के माध्यम से इसे जोड़ा गया ताकि लोगों को बुक करने में आसानी हो. इतना ही नहीं शुरुआती दिनों में कई बार वो खुद कॉल लेते थे और ड्राइवर बनकर ग्राहकों को उनकी जगहों तक पहुंचाया करते थे.
आज है 400 करोड़ का टर्नओवर
भाविश ने आज कारोबार में एक नया मुकाम हासिल किया है. कई शहरोंं में ओला ने अपनी जगह बनाई है. इस कंपनी ने 2013-14 में करीब 418.25 करोड़ का कारोबार किया था. लेकिन अपनी सफलता के बाद भी भाविश हर दिन 15 घंटे काम करते हैं और खुद की सफलता का श्रेय वो अपने टेक्निकल बैकग्राउंड को देते हैं, जिसकी जरिए ओला ने इतना अच्छा काम किया हैं
साभार : दैनिक जागरण
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