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Tuesday, April 2, 2019

RUPA GROUP - कभी दुकानों से भगा दिया जाता था, आज है 1500 करोड़ के बिज़नेस

कभी दुकानों से भगा दिया जाता था, आज है 1500 करोड़ के बिज़नेस के मालिक


Rupa Group Success Story : इस कंपनी को इस मुकाम तक पहुचाने में दो भाइयों की जोड़ी ने अपने पूरे जीवन को समर्पित कर दिया है उनके नाम है प्रहलाद राय अग्रवाल (74) और कुंज बिहारी अग्रवाल (64) जो व्यापार क्षेत्र में KB और PRके नाम से विख्यात हैं। दोनों मारवाड़ी व्यापारिक विरासत से आये है जिन्होंने अपना पूरा जीवन व्यापार में लगा दिया है।

जब KB से व्यापार के बारे में पूछा गया तो उनके अनुसार – ” व्यापार एक तरह से एडजस्टमेंट है जिसमें हमेशा मार्कट की गति के अनुसार अपने आप को अच्छा बनाते हुए कैसे आप वस्तुओं को क्वालिटी के साथ बेच सकते हो और अपनी मार्केट वैल्यू बनाते हो।“

इसी फिलॉसफी पर काम करते हुए आज रूपा अपने व्यापार क्षेत्र (इनरवेयर बिज़नेस) में लीडर बनकर उभरा है जो सतत विकास एवं प्रयासों का साझा फल है। यह एक कहानी है जो लगातार बन रहे मार्केट में मौकों को भुनाने के साथ ही नवीनतम तकनीक और कठिन मेहनत से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

जैसे जैसे लोगों की आमदनी बढ़ती गई है वैसे ही इस क्षेत्र में भी कॉम्पिटिशन बढ़ता गया है , इनरवियर बिज़नेस में आज LUX, VIP, Dollar और Jockey जैसे ब्रांड मौजदू है लेकिन RUPA एक मार्केट लीडर के रूप में उभरा है जो इस कंपनी के लीडरशिप को दर्शाता है ।

रूपा ग्रुप के इनरवियर ब्रांड्स 

सबसे खास चीज़ जो RUPA ने अन्य प्रतिस्पर्धीयों से अलग की है वो है अपने ही क्षेत्र में ब्रांड को विकसित करना। जब Rupa ब्रांड पूरे भारत मे अच्छा बिज़नेस कर रहा था तब इन्होंने MacroMan नाम से एक प्रीमियम ब्रांड मार्किट में उतारा.

जो आज उनका फ्लैगशिप ब्रांड बन गया है जिसकी पहुंच अब निम्न और मध्यम वर्गीय ग्राहकों के साथ ही उच्च वर्ग ग्राहकों में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है। इस ब्रांड के द्वारा इन्होंने ग्राहकों को एक प्रीमियम अनुभव कराने का एक सफल उदाहरण पेश किया है।

इस तरह के सफल प्रयोगों के साथ इंडस्ट्री लीडर बनना RUPA के लिये आसान होता गया , इन ब्रांड्स ने रेवेन्यू को पांच गुना करते हुए 800 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है तथा सालाना लगभग 20% की दर से इनका रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ रहा है .

इनके पास अब पूरी ब्रांड चैन बन चुकी है जो किड्स से लेकर एडल्ट्स तथा निम्न से उच्च वर्गों में अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब रहे हैं।

Rupa Group Success Story

तो कहानी शुरू होती है 1968 में जब 19 वर्षीय PR अग्रवाल ने वो शुरुआत की है जो आज RUPA Group के नाम से हमारे सामने है। इनकी कहानी भी राजस्थान के मारवाड़ी परिवारों से मिलती है जिन्होंने ने रोज़गार के नए अवसरों के लिए राजस्थान को छोड़कर देश के अन्य क्षेत्रों की तरफ रुख किया था।

रूपा के विज्ञापन 

PR के पिताजी शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले के रहने वाले थे, लगातार अकाल और खेती के चौपट होने के कारण कोलकाता शिफ्ट होने का निर्णय लिया। कोलकाता में बहुत ही कम पूंजी में अपना व्यापार शुरू किया और पूरा परिवार यही विस्थापित हो गया ।

PR शुरुआत में कोलकाता में एक कॉलेज खोलना चाहते थे लेकिन साथ ही अपने परिवार के बिज़नेस में भी लगातार काम करते रहे। हमेशा मेहनती और नए आइडियाज पर काम करने वाले PR अपने पिताजी से विरासत में मिले व्यापार से ज्यादा खुश नही थे।

इसी तड़प और नए करने की चाहत ने 1962 में बिनोद होजरी नाम से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की नींव डाली लेकिन अगले 6 सालों में यह व्यापार नही चल पाया और वो घाटे में आ गए।

अपने कारोबार या यूं कहें कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए 1968 में इन्होंने RUPA नाम से इनरवेयर उत्पादन का काम शुरू किया जो उनके पिछले से कारोबार से कई गुना कारगर साबित हुआ।

1960 के दशक में Dora नाम से एक इनरवेयर ब्रांड बहुत ही पॉपुलर होने के साथ ही मार्किट लीडर था। PR का सीधा सामना अब Dora से ही होने वाला था , जब भी रिटेलर्स के पास अपने ब्रांड Rupa को बेचने जाते तो उन्हें दुकानों से भगा दिया जाता था।

जब रिटेलर्स उनका प्रोडक्ट नही ले रहे है तो उन्होंने व्हॉल सेलर्स को 2 महीने तक माल क्रेडिट पर देना शुरू कर दिया तथा धीरे धीरे Rupa ब्रांड मार्किट में अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रहा लेकिन अभी भी DORA से प्रतिस्पर्धा बहुत दूर की बात थी।

एक  समारोह के दौरान ग्रुप  संस्थापक अग्रवाल बंधू 

कहते है जब इंसान कठिन मेहनत कर रहा होता है तो ईश्वर भी उसका साथ देता है , ऐसा ही कुछ PR के साथ भी हुआ । अगले तीन साल में Dora ने अपने रिटेल क्षेत्र में ध्यान बढ़ाने के चलते कम लाभ वाले इनरवेयर बिज़नेस को बंद कर दिया ।

ये मौका PR के लिए एक मार्केटिंग अवसर बन कर आया और इसको PR ने हाथों हाथ लिया और जुट गए Rupa को ब्रांड बनाने में , इनके इस काम मे छोटे भाई KB का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कोलकाता के आसपास अपनी पैठ बनाने के बाद RUPA ने पूरे देश मे अपनी पहुंच बनाने का फैसला लिया और अच्छी क्वालिटी के साथ ही आक्रामक मार्केटिंग के साथ ही अपने क्षेत्र में उतर गए ।

Rupa ने अपने आप को मार्कट में बनाये रखने के लिए आउटसोर्सिंग के बजाय ब्रांड क्रिएशन और मार्केटिंग पर ज्यादा ध्यान दिया । इसी के फलस्वरूप 1980 में बॉलीवुड फिल्मों के कैसेट्स पर एडवरटाइजिंग देने का फैसला किया जिससे पूरे देश मे इनकी पहुंच बनी और सेल्स में जोरदार बढ़त देखने को मिली।

लेकिन असली सफलता 1990 में आज तक के साथ एडवरटाइजिंग के बाद मिली और उनकी टैग लाइन ‘ ये आराम का मामला हैं‘ सभी की जुबान पर चढ़ गई और आज का RUPA ब्रांड अब मार्केट लीडर बन गया है । अब बाकी की कहानी मार्केट की सफलता की कहानियां बन गई है ।

PR और KB दोनों भाइयों ने मिलकर अपनी व्यापारिक कुशलता एवम मेहनत से भारतीयों का सबसे पसंदीदा ब्रांड खड़ा कर लिया है ।

RUPA के बारे में रोचक तथ्य: 

रूपा के ब्रांड – 
Softline, 
Euro, 
Bumchums, 
Torrido, 
Thermocot, 
Macroman, 
Footline and 
Jon 

इनरवेयर मार्केट लीडर 

सेलिब्रिटी जो रूपा ब्रांड से जुड़ चुके हे – Govinda, Sanjay Dutt, Aishwarya Rai, Ronit Roy, Ranveer Singh, Sidharth Malhotra, Bipasha Basu 
Revenue – 1500 Carore 

सीखने योग्य बातें

इस RUPA ग्रुप के सफर से कई वास्तविक अनुभव निकल कर आये है जिन्हें अपने जीवन मे आत्मसात कर सकते है। सबसे महत्वपूर्ण बात सीखने को जो मिलती है वो अंत तक लड़ते रहना और कितनी भी विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानना ।

हम भी शरुआती विफलताओं से घबरा कर अपना कार्य बीच मे ही छोड़ देते है जिससे हमारा सारा किया गया कार्य व्यर्थ हो जाता है। हमें अंत तक लड़ना चाहिए और हमेशा विफलता के बाद भी एक और प्रयास के लिए अपने आप को मानसिक रूप से तैयार रखना चाहिए।

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