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Wednesday, May 15, 2019

वो चार 'सेठ', जिनकी ना के बराबर हुई थी पढ़ाई लेकिन कमाया अथाह पैसा

भारत के वो चार 'सेठ', जिनकी ना के बराबर हुई थी पढ़ाई लेकिन कमाया अथाह पैसा

जीवन में सफल होने का एकमात्र मानक उच्च शिक्षा नहीं है. यह हम नहीं कह रहे, भारत की ये दिग्गज हस्तियां साबित कर चुकी हैं.

जीवन में सफल होने का एकमात्र मानक उच्च शिक्षा नहीं है. यह हम नहीं कह रहे, भारत की ये दिग्गज हस्तियां साबित कर चुकी हैं.

जीवन में सफलता के कदम चूमने के लिए साक्षर होना, उच्च शिक्षा हासिल करना, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में भारी-भरकम लेक्चर सुनना अनिवार्य नहीं है. इन बातों को हम नहीं कह रहे इन बातों को साबित किया है भारत के शीर्ष के उद्योगपतियों ने. उन शख्सियतों ने जिनकी पढ़ाई-लिखाई न के बराबर हुई है, लेकिन उनका उद्योग हजारों करोड़ का है.

घनश्याम दास बिड़ला, आजादी के आंदोलन के लिए भी दिए पैसे

इस सूची में सबसे ऊपर नाम घनश्याम दास बिड़ला (जीडी बिड़ला) का है. इन्होंने केएम बिड़ला ग्रुप की स्‍थापना की थी. एक आंकड़े के मुताबिक इस ग्रुप की परिसंपत्तियां करीब 200 अरब रुपये है. जीडी बिड़ला ने आरंभिक पढ़ाई के बाद ही पढ़ाई-लिखाई से तौबा कर लिया था.

जीडी बिड़ला का राजस्‍थान के पिलानी में 1894 में हुआ था. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई के बाद कोलकाता जाकर व्यसाय शुरू कर दिया. यही नहीं उस दौर में जब देशभर में आजादी की लड़ाई छिड़ी हुई थी, उस दौर में आजादी के जननायकों के लिए भी उन्होंने पैसे जुटाने का काम किया. आजादी के आंदोलन में कूदे बेहद पढ़े-लिखे लोगों को जब पैसे की जरूरत पड़ी तो वे जीडी बिड़ला के पास पहुंचे.


बाद में आजाद भारत में इसी केवल प्राथमिक शिक्षा हासिल करने वाले शख्स ने कपड़े, सीमेंट, बिजली, उर्वरक, दूरसंचार, एल्यूमीनियम के क्षेत्र में उल्लेखनीय व्यवसाय बिठाया.

रामकृष्ण डालमिया, नेहरू और जिन्ना दोनों के रहे प्र‌िय

रामकृष्ण डालमिया ने 18 साल की उम्र में जब कारोबार की दुनिया में कदम रखा, तो पिता विरासत में उनके लिए कुछ भी छोड़कर नहीं गए थे. इसके बाद अगले कुछ सालों में उन्होंने बड़ा उद्योग खड़ा कर लिया. जबकि उनकी शक्षणिक योग्यता के बारे में पता करें तो प्राइमरी के बाद उनके स्कूल या कॉलेज जाने का कोई सबूत नहीं मिलते. लेकिन इन्होंने डालमिया ग्रुप की स्‍थापना की.

डालमिया राजस्‍थान के चिरावा नाम के गांव में पैदा हुए थे. यहीं से उन्होंने ऊचाई का रास्ता तय किया. इन्होंने चीनी फैक्ट्री, सीमेंट, पेपर, बैंक, इंस्योरेंस कंपनी, बिस्कुट, एविएशन कंपनी और पब्लिकेशन के क्षेत्र में काम किया. जबकि उनकी अपनी पढ़ाई-ल‌िखाई बहुत ही कम हुई थी.






कहा जाता था कि वो जिस कारोबार में हाथ डालते थे, वहां उन्हें सफलता उनके हाथ चूमते थी. डालमिया के पास अकूत संपत्ति थी और ताकत भी था. वह गांधी से लेकर जिन्ना तक के सीधे संपर्क में रहते थे. वह रसिक और महिलाओं को पसंद करने वाले शख्स भी थे.

वैश्य समाज के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़िए " हमारा वैश्य समाज"

एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी, तांगा चलाने से यहां तक का सफर


'महाशय जी' के नाम से प्रसिद्ध धर्मपाल गुलाटी का जन्म साल 1919 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ. शुरुआती दिनों में ही बेहतर पढ़ाई के संस्‍थान और मन ना लगने के चलते इनकी शिक्षा छूट गई थी. यहीं से उनके व्यवसाय की नीव पड़ी. उन्होंने कंपनी की शुरुआत शहर में एक छोटे से दुकान से की. लेकिन 1947 में उनका परिवार दिल्ली आ गया.

ऐसा कहा जाता है कि एमडीएच के मालिक ने दिल्ली पहुंचने के बाद एक तांगा खरीदा जिसमें वह कनॉट प्लेस और करोल बाग के बीच यात्रियों ढोने का काम करते थे. गरीबी की वजह से मजबूर धर्मपाल को इस वक्त अधिक यात्री नहीं मिलते थे, इनमें से कुछ उनके साथ गाली-गलौज भी करते थे.


गरीबी से तंग आकर उन्होंने अपना तांगा बेच दिया और 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ले ली जिसका नाम रखा गया महाशिया दी हट्टी (MDH) और वह करना शुरू किया जिसके लिए वह जाने जाते थे- मसालों का व्यापार. अब उनको लेकर कितनी ही तरह की बातें होती हैं.

वालचंद हीराचंद

सेठ वालचन्द हीराचन्द को देश में जहाज बनाने, एयरक्राफ्ट बनाने की शुरआत की थी. इसके रास्ते वे देश के दूसरे व्यापारों में भी आए और एक सफलतम कारोबारी बने. उनका जन्म 23 नवम्बर 1882 गुजरात के जैन परिवर में हुआ था. ऊपर के लोगों की तुलना में इन्‍होंने स्नातक तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ी थी. लेकिन इनका पाला भी उच्चस्तीय शिक्षा नहीं पड़ा था.


पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के बाद उन्होंने पहले फैमिली बिजनेस करना शुरू दिया. लेकिन बाद में उन्होंने घरेलू व्यापार को छोड़ दिया और खुद से जहाजरानी, वायुयान निर्माण, कार निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और सफलता के कदम चूमे.

साभार: news 18 hindi


2 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व दूरसंचार दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. रोचक और प्रेरक जानकारी। अगर करने की चाह हो आदमी क्या नहीं कर सकता ये माननीय लोग इस बात के प्रमाण हैं।

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