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Friday, September 13, 2019

SHUBHAM GUPTA, 2018 IAS TOPPER

Success Story: आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई के साथ किया काम, चौथे अटेंप्ट में बने IAS
शुभम ने यूपीएससी सिविल सर्विस का एग्जाम पहली दफा 2015 में दिया था, तब ये प्रारंभिक परीक्षा में पास नहीं हुए थे.

आर्थिक से जूझते हुए, संघर्ष के दिनों में भी, उन्होंने पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया.

Success Story: आज की सक्सेस स्टोरी के जरिए मिलिए आईएएस बन चुके शुभम गुप्ता से. शुभम गुप्ता 2018 के आईएएस टॉपर हैं. इन्होंने All India Rank 6, हासिल की. शुभम ने ये रैंक चौथे अटेंप्ट में हासिल की. शुभम ने यूपीएससी सिविल सर्विस का एग्जाम पहली दफा 2015 में दिया था, तब ये प्रारंभिक परीक्षा में पास नहीं हुए थे. 2016 में जब दूसरी बार एग्जाम दिया तो सिविल सर्विस एग्जाम के तीनों स्टेप, प्रारंभिक, मेन्स और इंटरव्यू पास कर 366वीं रैंक हासिल की. इस रैंक के आधार पर इनकी भर्ती इंडियन ऑडिट और अकाउंट्स सर्विस में हुई.

शुभम 2016 में 366वीं रैंक पाने के बाद भी एग्जाम देते रहे. इन्होंने 2017 में फिर से एग्जाम दिया और इस बार फिर से, तीसरे अटेंप्ट में भी प्रारंभिक परीक्षा क्लीयर न कर सके. पढ़ें इस मुकाम तक पहुंचने वाले शुभम की कहानी.

शुभम की स्कूली शिक्षा देश के अलग-अलग राज्यों से पूरी हुई. सातवीं तक जयपुर (राजस्थान) से पढ़ाई की. आर्थिक तंगी के कारण उनका परिवार महाराष्ट्र के छोटे से गांंव दहानु में शिफ्ट हुआ. गुजरात के वापी के पास स्थित एक स्कूल से 8वीं से 12वीं तक की पढ़ाई की. परिवार ने कम समय के लिए लेकिन आर्थित तंगी झेली. परिवार की मदद के लिए वे प्रतिदिन वापी में स्कूल पूरा करने के बाद दहानू रोड स्थित परिवार की ही एक दुकान पर काम करते थे.

शुभम गुप्ता

आर्थिक से जूझते हुए, संघर्ष के दिनों में भी, उन्होंने पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया. स्कूल और दुकान दोनों में समय का उपयोग किया. वे अपनी किताबें दुकान पर ले जाते और काम करते हुए पढ़ाई करते. इसी तरह अपने स्कूल की परीक्षा में अच्छे नंबर पाए.

ऐसे मिली आईएएस बनने की प्रेरणा

शभम बताते हैं, जब मैं 5वीं में था. पिताजी मेरे पास आए और कहा कि वह चाहते हैं कि मैं एक दिन कलेक्टर बनूं. मैंने उनसे पूछा ‘कलेक्टर कौन होते हैं?’ उस घटना ने दिमाग में एक छाप छोड़ी. 11वीं में मैंने महसूस किया IAS अधिकारी बनने की आकांक्षा लक्ष्यों को पाने में मदद करेगी.

शुभम गुप्ता के मुताबिक जब वो पांचवीं में थे, तो उनके पिता ने बताया कि वो भी कभी कलेक्टर बनना चाहते थे. जिस पर मैंने सवाल किया कि क्लेक्टर कौन होता है? उस घटना ने मुझे आईएएस बनने की प्रेरणा दी. शुभम जब 11वीं की पढ़ाई कर रहे थे तब उन्हें समझ आ गया था कि यही प्रेरणा उन्हें उनके गोल को पाने में मदद करेगी.

वे बताते हैं कि उनके रोल मॉडल उनके पिता हैं. उन्होंने बहुत संघर्ष किया. कई बार आर्थिक तंगी का सामना किया लेकिन फिर भी हमारे जीवन में सुधार और संतुलन लाने में कामयाब रहे. 

लेख साभार : जागरण जोश 

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