#MAHAJAN VAISHYA - जम्मू, हिमाचल, पंजाब की महाजन वैश्य जाति
महाजन एक VAISHYA उपनाम या उपाधि है, (उदाहरण के लिए, चैतन्य महाजन) जो कई जातियों और समुदायों में पाया जाता है। शब्द "महाजन" दो संस्कृत शब्दों का मिश्रण है: महा का अर्थ है महान, और जन का अर्थ है लोग या व्यक्ति (सम्मानित लोग)। पिछले कुछ वर्षों में, महाजन शब्द एक सामान्य सामान्य नौकरी शीर्षक बन गया है जिसका उपयोग धन उधार देने और वित्तीय सेवाओं में शामिल लोगों का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
माना जाता है कि महाजन मूल रूप से राजा कुरु के वंशज थे जो चंद्रवंशी थे। वह बहुत धार्मिक, न्यायप्रिय, निष्पक्ष और अच्छे प्रशासक थे। चन्द्रवंशियों ने सम्पूर्ण आर्यावर्त क्षेत्र पर शासन किया। वे पांडवों और कौरवों के वंशज थे। महाजन शब्द अत्यंत सम्माननीय शब्द है, जिसका अर्थ ज्ञान, धर्म और कर्म में उच्च होता है। वामन पुराण के अनुसार - ''महाजनो सि महलरोशी महाजनो येन गता स पन्था।'' भगवान विष्णु राजा कुरु से प्रसन्न हुए और राजा वैश्य बन गये। भगवान विष्णु ने राजा कुरु से कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है और वह महान व्यक्ति हैं। अत: आपका वंश महाजन कहलायेगा और सभी शासक वैश्य कहलायेंगे, क्योंकि कृषि करने से आपने वैश्य धर्म स्वीकार कर लिया है। वे कई सौ साल पहले मध्य भारत से राजस्थान और फिर पंजाब क्षेत्र में चले गए। एक प्रसिद्ध समाज सुधारक लाला हंस राज महाजन ने 20वीं सदी की शुरुआत में लोगों से अपने उपनाम के रूप में "गुप्त" के स्थान पर "महाजन" करने का आग्रह किया था क्योंकि महाजन शब्द सम्मानजनक समुदाय को दर्शाता है। उत्तर भारत का महाजन समुदाय अविभाजित पंजाब क्षेत्र में स्थित था। वे सदियों से पंजाब और आसपास के क्षेत्रों जैसे हिमाचल, जम्मू और कश्मीर, वर्तमान पंजाब राज्य, पंजाब प्रांत और उत्तर पश्चिम सीमांत क्षेत्र में धन उधार देने की गतिविधियों में हैं। इनमें से अधिकांश महाजन पंजाबी और डोगरी बोलते हैं, और पंजाब, जम्मू, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में रहते हैं। महाजन जमींदार, व्यापारी और व्यवसायी लोग होते हैं जिनका बहुत सम्मान किया जाता था और समाज में उनका बड़ा प्रभाव होता था।
गुजरात और मध्य प्रदेश गुजरात मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में कुछ लोग उपनाम के रूप में महाजन भी रखते हैं। वे नेमा जैसे अन्य सामान्य उपनामों का भी उपयोग करते हैं। वे नाथद्वारा (राजस्थान) में श्रीनाथजी में विश्वास करते हैं और कट्टर शाकाहारी हैं। गुजरात में, भाटिया वैश्य जाति भी "महाजन" उपनाम का उपयोग करती है, क्योंकि महाजन समुदाय पारंपरिक रूप से धन उधार देने से जुड़ा था।
उत्तर भारत में महाजन उपनाम कई उपजातियों में पाए गए हैं जैसे महोत्रा, स्वार, बेओत्रा, संघोइस, फगेत्रा, जंडियाल, वैद, बंगवाथिया, लंगार, रारोत्रा, फेव (फवे), पदोत्रा, कुबरे, पिद्दू, गधेदे, चुन्ने, मनथ , कर्मोत्रा, कंकाल, लम्हे, खडयाल, कंघाल/काग, सादाद, पाबा, जुगनल, उखलमुंडे, बुच्चे, गादरी, लायरा, कलसोत्रा, चपाटे, भर्रे, जडयाल, पररू, रोमेत्रा, मालगुरिया, चुकर्णे, इद्दर, चोग्गा, थाथर और लम्मा , मखिरु, बिच्छु, थापरे, ताथ्यान,। इन उपजातियों के महाजन आमतौर पर नवंबर में श्री गुरु नानक देव के जन्मदिन पर वार्षिक मेल मनाते हैं और जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश में स्थित अपने-अपने धार्मिक स्थानों पर इकट्ठा होते हैं और अपने देवता/देवता का आशीर्वाद लेते हैं। सूत्र और मुंडन जैसे पारिवारिक समारोह भी आयोजित किए जाते हैं। प्रसाद लंगर (सामुदायिक भोजन) के माध्यम से वितरित किया जाता है। प्रत्येक उपजाति अपने स्वयं के देवता में विश्वास करती है, जिन्हें देवता कहा जाता है।
महाजनों को एक ही उपजाति में विवाह करने की मनाही है क्योंकि उनकी मान्यता के अनुसार उन्हें भाई-बहन माना जाता है। कुछ महाजन गुप्ता और जंडियाल जातियों का उपयोग करते हैं। गुप्ता उपनाम अधिकतर जम्मू क्षेत्र के महाजनों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
एक सामान्य उपाधि के रूप में महाजन महाजन का उपयोग एक सामान्य नौकरी उपाधि के रूप में भी किया जाता है जो धन उधार देने में शामिल लोगों को संदर्भित करता है। इस मामले में, धन उधार देने वाले व्यक्ति को महाजन कहा जाता है, चाहे वह जाति से महाजन हो या नहीं।
तटीय राज्य गोवा में, महाजन का उपयोग पारिवारिक नाम के रूप में नहीं किया जाता है। इसका अर्थ है बुजुर्ग (महा-महान और ज़ान-व्यक्ति) या सम्मानित लोग। महाजन मूल रूप से अमीर व्यापारियों, व्यापारियों, साहूकारों और बैंकरों को संदर्भित करते थे। बाद में इसका अर्थ बदलकर हिंदू मंदिरों के संस्थापक, उनके संरक्षक और उनके वंशज हो गए, जो अधिकतर पहले बताए गए पुराने महाजनों के वंशज थे।
Mahajan is an Indian surname or title, (e.g., Chaitanya Mahajan) found among several castes and communities. The word "Mahajan" is an amalgam of two Sanskrit words: Maha meaning great, and Jan meaning people or individuals (Respectful people). Over the years, the word Mahajan has become a common generic job title used to describe people involved in money lending and financial services.
Mahajans originally are believed to be descendants of King Kuru who were Chandravanshi. He was very religious, just, fair and good administrator. Chandravanshi ruled entire Aryavrat Region. They were descendants of Pandavas & Kauravas. Mahajan word is a very respectable word, meaning high in knowledge, religion and actions. According to Vaman Puran - "Mahajano si mahalroshi mahajano yen gataa sa pantha." God Vishnu was pleased with King Kuru, and King was shifted to Vaishya. God Vishnu said to King Kuru that he has done great job and he is great person. Therefore, your dynasty will be called MAHAJAN and all rulers will be known as Vaishya, because doing agriculture, you have accepted Vaishya. They migrated from central India to Rajasthan and then to Punjab region several hundred years back. A renowned social reformer Lala Hans Raj Mahajan urged people to replace "Gupt" by 'Mahajan' as their surname in the early 20th century as Mahajan word denotes respectable community. The Mahajan community of North India was based in the undivided Punjab region. They are in money lending activities for centuries within the Punjab and nearby areas such as Himachal, Jammu and Kashmir, the present-day state of Punjab, the Punjab province and the North West Frontier area. Most of these Mahajans speak Punjabi and Dogri, and reside in the regions of the Punjab, Jammu, Kashmir and Himachal Pradesh. Mahajans are landlords, traders and business men who were highly respected and have a major influence in the society.
Gujrat and Madhya Pradesh Some People in Gujarat Madhya Pradesh's Nimar region also bear Mahajan as a surname. They also use other common surnames such as Nema. They believe in Srinathji at Nathdwara (Rajasthan) and are staunch vegetarians. In Gujarat, the Bhatia caste also use the "Mahajan" surname, as the Mahajan community was traditionally associated with money lending.
In North India Mahajans surname have been found in many sub castes such as Mahotra, Swaar, Beotra, Sanghois, Phagetra, Jandials, Vaid, Bangwathiya, Langars, Rarotra, Fave (Phave), Padotra, Kubre, Piddu, Gadhede, Chunne, Manath, Karmotra, Kankaal, Lamhe, Khadyals, Kanghal/kaag, Sadad, Paba, Jugnal, Ukhalmunde, Bucche, Gadri, Laira, Kalsotra, Chapate, Bharray, Jadyal, Parru, Rometra, Malguria, Chukarne, Iddar, Chogga, Thathar and Lamma, Makhirru, Bichchu, Thapre, Tathyan, . Mahajans from these sub castes observe annual mail on Sri Guru Nanak Dev's Birthday, usually in November and gather at their respective religious places located in J&K, Punjab, HP and seek blessings of their devta/deity. Family ceremonies such as sutra and mundan are also organised. Prasad is distributed through langars (community food). Each sub caste believes in its own deity, known as devte.
Mahajans are prohibited to marry into the same sub caste because they are considered as brother and sister, according to their belief. Some Mahajans use the castes of Gupta and Jandiyals. The Gupta surname is mostly used by the Mahajans of the Jammu region.
Mahajan as a generic title Mahajan is also used a generic job title referring to people involved in money lending. In this case, a person involved in money lending is referred to as a Mahajan whether or not he is a Mahajan by caste.
In the coastal state of Goa, Mahajan is not used as a family name. It means elders (Maha — great and Zan — person) or respectable people. The Mahajans originally referred to rich merchants, traders, money lenders and bankers. In later its meaning changed to mean the founders of Hindu temples, their patrons and their descendants, who mostly were descendants of the older Mahajans, mentioned before.
रियासत काल से ही व्यापार पर महाजन समुदाय का दबदबा रहा है। यही वजह है कि आज मंडी शहर में तो महाजनों के नाम पर एक बाजार का नाम भी महाजन बाजार है। वहीं जरूरत के समय राजा को भी ऋण देना या यूं कहें कि राजाआें के भी फाइनांसर महाजन रहे हैं। हालाकि पिछले चार दशकों में महाजन समुदाय के इस मुख्य कार्य में बदलाव आया है। महाजन समुदाय व्यापार की बुलंदियों तक तो पहुंचा ही है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में महाजन समुदाय की नई पीढ़ी ने नए आयाम स्थापित किए हैं। इस समुदाय के कितने ही लोग अब राजनीति के साथ ही सरकारी व निजी क्षेत्र में ऊंचे ऊंचे पदों पर तैनात हैं।
हिमाचल प्रदेश के विकास में यूं तो सभी समुदाय व वर्गों की अहम भूमिका है, लेकिन कम संख्या के बाद भी प्रदेश में महाजन समुदाय के योगदान को अहम दर्जा प्राप्त है। व्यापार के प्रति संजीदगी, दिन-रात मेहनत, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे व्यापार को बढ़ाना, जरूरत से ज्यादा खर्च न करना, समाज और राजनीति में भी पैठ, यह सब खूबियां महाजन समुदाय में भरी हुई हैं। यही वजह है कि महाजन समुदाय अहम योगदान निभा रहा है। आज के समय में ही नहीं बल्कि रियासत काल से हिमाचल प्रदेश में महाजन समुदाय का रुतबा काफी अहम और ऊपर का रहा है। प्रदेश के महाजन समुदाय को गुप्ता, बोहरा, कायस्था के नाम से भी जाना जाता है। महाजन समुदाय ने प्रदेश को कई बडे़-बडे़ व्यापारी, न्यायाधीश, राजनेता, आईएएस अधिकारी, चिकित्सक, इंजीनियर, वैज्ञानिक और शिक्षक दिए हैं। इतना ही नहीं,महाजन समुदाय ने देश की आजादी और इसके बाद हिमाचल प्रदेश के गठन में भी अहम भूमिका निभाई है। सुकेत रियासत को हिमाचल में मिलाने के सत्याग्रह आंदोलन में पांगणा के महाजनों ने अहम भूमिका निभाई थी। आजादी से पहले चंबा रियासत, मंडी रियासत और सुंदरनगर की सुकेत रियासत में महाजनों का अहम कि रदार रहा है। प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में महाजन समुदाय की हस्तियों ने अपनी छाप छोड़ी है। अगर बात हिमाचल प्रदेश की ही करें तो हिमाचल प्रदेश में रियासत काल से चला आ रहा महाजन समुदाय का रुतबा व दमखम आज भी कायम है। रियासत काल में महाजन राजा की व्यवस्था में भी अहम भूमिका निभाते रहे। वहीं प्रदेश का ऐसा कोई मुख्य बाजार नहीं है, जहां पर महाजन समुदाय से जुडे़ लोग न मिलें। प्रदेश के हर शहर और छोटे कस्बे में बडे़ व्यापारियों में पांच नाम महाजन समुदाय के लोगों के जरूर मिलेंगे। इस समय प्रदेश में दो लाख के लगभग महाजन समुदाय के लोगों की जनसंख्या है, जिसका एक बड़ा भाग मंडी जिला के साथ सोलन, कांगड़ा और चंबा में है। इस समय प्रदेश के मंडी, करसोग, सुंदरनगर, शिमला, घणाहट्टी, सुन्नी, हमीरपुर, दियोटसिद्ध, कुल्लू, बंजार, रामपुर, अर्की, नाहन, चंबा, नूरपुर, कांगड़ा, पालमपुर, सरकाघाट, रिवालसर और ऊना में भी महाजन समुदाय के लोग काफी संख्या में हैं।
पहले चीफ जस्टिस डा. मेहर चंद महाजन
कांगड़ा के छोटे से गांव में जन्मे न्यायमूर्ति डा. मेहर चंद महाजन का नाम हिमाचल में गर्व के साथ लिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस डा. मेहर चंद महाजन का जन्म कांगड़ा के नगरोटा तहसील नूरपूर के छोटे से गांव टिक्का में 23 दिसंबर 1889 को हुआ था। इनके पिता बृज लाल महाजन भी धर्मशाला के प्रसिद्ध अधिवक्ता थे। डा. मेहर चंद महाजन न सिर्फ देश के पहले चीफ जस्टिस हुए, बल्कि जम्मू-कश्मीर रियासत को भारत में विलय कराने के मुख्य तारणहार डा. मेहर चंद महाजन ही थे। उन्हें उस समय भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का प्रधानमंत्री बना कर भेजा था। उन्होंने अपनी कुशल नीति व बुद्धिबल से जम्मू-कश्मीर रियासत का विलय भारत में करवा दिया। कहते हैं कि अगर संयुक्त राष्ट्र संघ में जम्मू कश्मीर की समस्या को प्रस्तुत करने का दायित्व उस समय भारत सरकार डा. मेहर चंद महाजन को देती तो जम्मू कश्मीर के हालात आज ऐसे नहीं होते।
मंडी की मंजुला गुप्ता पहली आईएएस
हिमाचल से पहली महिला आईएएस होने का गौरव भी महाजन समुदाय की मंजुला गुप्ता को है। मंडी की मंजुला गुप्ता बाद में पश्चिम बंगाल सरकार से मुख्य सचिव के पद पर सेवानिवृत्त हुई हैं।
पुनीत गुप्ता दिल्ली एम्स में कैंसर विशेषज्ञ
चिकित्सा के क्षेत्र में भी महाजन समुदाय के लोग नाम कमा रहे हैं। इस समय मंडी के ही पुनीत गुप्ता एम्स दिल्ली में कैंसर विशेषज्ञ हैं, जबकि आईजीएमसी शिमला में मुनीष गुप्ता कैंसर विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह से शिमला में मेडिकल कालेज में प्रोफेसर डीआर गुप्ता भी प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं ओर विदेशों में लेक्चर देने के लिए इन्हें बुलाया जाता है। इसके अलावा अन्य फील्ड में भी महाजन समुदाय कार्यरत है। पुरानी मंडी के ही रहने वाले बीएल महाजन एलआईसी में प्रदेश की सबसे बड़ी पोस्ट से सेवानिवृत्त हुए हैं। बीएल महाजन एलआईसी के वरिष्ठ मंडलीय प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। मंडी के ही राजीव महाजन 15 वर्षों से सीए की प्रैक्टिस कर रहे हैं। वहीं, मंडी के ही व्यवसायी धर्म चंद गुप्ता ने समाजसेवी के रूप में राजगढ़ में क ोयला माता मंदिर का भव्य निर्माण करवाया है।
इंग्लैंड में सर्जन डीके गुप्ता
महाजनों में एक नाम मंडी के चैलचौक से डीके गुप्ता का भी उनकी उपलब्धियों के लिए लिया जाता है। डीके गुप्ता पीजीआई सर्जन रहे हैं और उसके बाद इंग्लैंड सरकार में सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं कई वर्षों से दे रहे हैं।
स्व. कैलाश महाजन विद्युत परियोजनाओं के जनक
चंबा के ही पद्मश्री अवार्ड से अंलकृत एवं बिजली बोर्ड के चेयरमैन रहे स्व. कैलाश महाजन का भी चंबा के विकास में अहम योगदान रहा। प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं की रूपरेखा स्वर्गीय कैलाश महाजन के कार्यकाल में बनाई गई, जिसके बाद चंबा में कई विद्युत योजनाओं का निर्माण हुआ।
खेमराज गुप्ता ने लिखा सायं-सायं मत कर राविए गीत
चंबा का प्रसिद्ध लोकगीत सायं-सायं मत कर राविए गीत भी महाजन बिरादरी के स्वर्गीय खेमराज गुप्ता ने लिखकर रावी नदी की खूबसूरती को बयां किया। यह गीत आज भी चंबा में हर मौके पर गूंजता है।
मंगलवार को बकरे न काटने का नियम नानक चंद की देन
मंडी में रहने वाले महाजनों ने व्यापार के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। मंडी के स्वर्गीय डा. नानक चंद महाजन प्रदेश के पहले वैटरिनरी सर्जन थे,जिन्होंने लाहुल से डिग्री लेने के बाद अंग्रेजों की हुकूमत से लेकर प्रदेश सरकार में 1970 तक काम किया और पशुपालन विभाग से हैड ऑफ डिर्पाटमेंट के रूप में सेवानिवृत्त हुए। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि मंगलवार को बकरे न काटने का नियम अंग्रेजी हुकूमत में डा. नानक चंद महाजन के प्रस्ताव पर ही बनाया गया था। इसके लिए उनका काफी विरोध भी हुआ था।
सभी जिला में महाजन सभाएं
इस समय हिमाचल के लगभग सभी जिलों में महाजन सभाएं बनी हुई हैं। इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर भी महाजन सभा कार्यरत है। अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा हिमाचल प्रदेश के तहत जिला स्तर की महाजन सभाएं पंजीकृत हैं। वर्तमान में हिमाचल सभा के अध्यक्ष शिमला से हरि चंद गुप्ता हैं। महाजन सभा अब प्रदेश के कुछ बडे़ शहरों में महाजन भवन भी बनाने जा रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर महाजन सभा
वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा का गठन किया गया है, जिसमें पूरे देश से महाजन समुदाय के कई वर्ग शामिल हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश की भी अहम हिस्सेदारी है। विशेष यह है कि महाजन सभा के हरिद्वार, चंड़ीगढ़, आगरा, दिल्ली और पंजाब के कुछ शहरों में अपने बडे़ सामुदायिक भवन भी बना चुकी है। हरिद्वार में तो महाजन सभा द्वारा 162 कमरों के आलीशान भवन का निर्माण किया गया है।
महाजन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक गुप्ता
मंडी के ही रहने वाले एवं बहुत बडे़ स्तर के दवा विक्रेता एनसी टे्रडर के नाम से विख्यात अशोक महाजन इस समय मंडी जिला की महाजन सभा के अध्यक्ष हैं। विशेष बात यह है कि अशोक गुप्ता अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।
हिमाचल के प्रधान हरि चंद गुप्ता
इस अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा हिमाचल प्रदेश के प्रधान शिमला के हरि चंद गुप्ता हैं। हरि चंद गुप्ता हिमाचल सरक ार में विभिन्न बडे़ पदों पर काम कर चुके हैं। सीनियर प्राइवेट सेक्रेटरी के रूप में हरि चंद गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस परमार, सत महाजन, विपल्व ठाकुर और अन्य कई बडे़ नेताओं के साथ काम किया है।
डीडी गुप्ता पहले डीआईजी
डीडी गुप्ता सेवानिवृत्त डीआईजी महाजन समुदाय से एसएसबी में डीआईजी तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह प्रतिष्ठित तपोस्थली जंगम के जीर्णोद्वार समिति के संस्थापक व वर्तमान तक निर्विरोध प्रधान हैं। वह कल्याण गोसदन के दो बार प्रधान तथा महाजन सभा के दो बार प्रधान रहे हैं।
डा. वाईसी गुप्ता को दो राष्ट्रीय पुरस्कार
कृषि, बागबानी एवं औद्यानिकी में भी गुप्ता समुदाय ने खूब नाम कमाया है। समुदाय के लोग हिमाचल के दोनों विश्वविद्यालयों में उच्च पदों पर आसीन हैं और कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। ऐसा ही एक नाम है प्रोफेसर डा. वाईसी गुप्ता का। डा. वाईसी गुप्ता मूलतः बल्हघाटी के थटा के रहने वाले हैं और नौणी विश्वविद्यालय के फ्लोरिकल्चर एंड लैंडस्केप आर्किटेक्चर विभागाध्यक्ष हैं। डा. वाईसी गुप्ता फूल उत्पादकों के बीच मशहूर नाम हैं। चंबा के चौगान और कल्पा के खेल के मैदानों के पुनर्जीवन की योजना को अंजाम देने वाले डा. वाईसी गुप्ता ही हैं। इनके साथ ही डा. वीके गुप्ता, डा. डारेन गुप्ता, डा. रजंना गुप्ता और डा. राधना गुप्ता पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में शोध कार्य में अहम भूमिका निभा रही हैं।
पवन गुप्ता का सोलन नगर परिषद अध्यक्ष तक का सफर
पवन गुप्ता सोलन का एक जाना-माना नाम है। पवन गुप्ता मूलतः हरियाणा के हैं, लेकिन जन्म और कर्मभूमि अब सोलन ही है। 1999 में बघाट बैंक में दाखिल हुए पवन गुप्ता तीन साल के भीतर ही चेयरमैन बन गए। उन्होंने दो बार यह पद संभाला। फिलहाल वह बघाट बैंक के डायरेक्टर हैं। यही नहीं, उन्होंने सोलन नगर परिषद के चुनाव भी लड़े और उपाध्यक्ष से लेकर अध्यक्ष तक का सफर तय किया।
राजनीतिज्ञ सत महाजन
प्रदेश की राजनीति में महाजन समुदाय का काफ ी प्रभाव रहा है और स्वर्गीय सत महाजन को प्रदेश की राजनीति में फ ील्ड मार्शल के नाम से जाना जाता था। सत महाजन वर्ष 1977, 1982, 1985, 1993, 2003 में नूरपुर विधानसभा के विधायक चुने गए और वह एक बार कांगड़ा-चंबा लोकसभा क्षेत्र के भी सांसद रहे।
अजय महाजन
नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से सत महाजन के बेटे अजय महाजन वर्ष 2012 में विधायक बने। अजय महाजन ने भी राजनीति में अपनी सियासी पकड़ बना कर इस क्षेत्र में महाजन समुदाय का नाम ऊंचा किया है।
पहली सांसद लीला देवी
स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार के समय हिमाचल प्रदेश से पहली महिला के रूप में राज्यसभा सांसद लीला देवी बनी थीं। उस समय हिमाचल में टेरीटोरियल काउंसिल हुआ करती थी और स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें राज्य सभा के लिए भेजा था।
आरके महाजन का भी बड़ा रुतबा
नूरपुर नगर परिषद में भी महाजन समुदाय का काफ ी प्रभाव रहा है और शहर की राजनीति में आरके महाजन परिवार का काफ ी रुतबा रहा है। आरके परिवार नगर परिषद नूरपुर में पांच बार अध्यक्ष पद पर रहे हैं। जिसमें नगर परिषद नूरपुर में दो बार आरके महाजन अध्यक्ष बने व तीन बार उनकी पत्नी कृष्णा महाजन अध्यक्ष बनीं।
सियासत में मजबूत पकड़
चंबा जिला की कुल आबादी का 0.5 फीसदी हिस्सा होने के बावजूद महाजन बिरादरी के लोगों ने व्यापार के अलावा राजनीति व प्रशासनिक कार्यकुशलता में प्रतिभा का लोहा मनवाया है। महाजन बिरादरी के धुंरधर नेता रहे स्व. देशराज महाजन, स्व. किशोरी लाल वैद्य और हर्ष महाजन ने वर्षों तक सदर हलके का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा स्व. दौलत राम गुप्ता ने हिमाचल की पहली विधानसभा में पांगी का प्रतिनिधित्व किया। इन नेताओं ने अपने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पद का निर्वहन भी किया। इसके साथ ही महाजन बिरादरी ने व्यापार के क्षेत्र में भी खासा नाम कमाया है। चंबा जिला के अधिकांश कारोबार पर महाजन बिरादरी का ही आधिपत्य है। चंबा की रियासत में भी महाजनों का अहम योगदान रहा। रियासत काल में राज दरबार में महाजन समुदाय की अच्छी पैठ पर अधिकार थे। कुलमिलाकर महाजन समुदाय ने राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी विशेष पहचान छोड़ी है।
ये भी रहे खास
इसके अलावा केके महाजन ने आईपीएच विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ के पद से रिटायर हुए। सुभाष कल्सोत्रा ने एचएएस अधिकारी पद का मान बढ़ाया। आईएएस अधिकारी नंदिता गुप्ता भी प्रशासनिक क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवा रही हैं और वर्तमान में कांगड़ा जोन की कमिश्नर हैं। इसके अलावा नंदिता गुप्ता के पिता स्वर्गीय नरेंद्र गुप्ता भी आईएएस अधिकारी के तौर पर उत्कृष्ट सेवाएं दे चुके हैं।
मेहनत के बल पर छुआ शिखर
नूरपुर शहर में महाजन समुदाय का काफी महत्त्व है और समुदाय ने अपनी मेहनत से ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में महाजन बिरादरी की प्रतिशतता भले ही बेहद कम है परंतु शहर में इनकी संख्या काफ ी अधिक है। इस बिरादरी ने हमेशा अपनी मेहनत के बल पर सफलताओं के शिखर छुए हैं और अन्य समुदाय के लोगों को भी सफ लता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। इस समुदाय के कई व्यक्ति अपनी मेहनत के दम पर व्यवसाय,राजनीति,प्रशासन आदि में ऊंचे मुकाम पर पहुंचे हैं। इस समुदाय के लोगों ने समाजसेवा में भी उलेखनीय कार्य किए हैं, जिससे उन्होंने समुदाय का नाम ऊंचा किया है।
चंबा से चमके कई महाजन सितारे
स्व. देशराज महाजन ने परिवहन व राजस्व मंत्री का दायित्व बखूबी निभाया। वहीं स्व किशोरी लाल वैद्य ने उद्योग व पीडब्ल्यूडी समेत कई अहम विभागों की जिम्मेदारी बतौर कैबिनेट अदा की। स्व. किशोरी लाल ने न केवल चंबा बल्कि भटियात व बनीखेत हलके से भी चुनाव जीता। हर्ष महाजन, जो कि वर्तमान में को-आपरेटिव बैंक के चेयरमैन पद पर आसीन हैं, ने लगातार तीन बार चंबा सदर हलके का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य संसदीय सचिव के अलावा पशुपालन मंत्री के पद का कैबिनेट मंत्री के तौर पर क ाम संभाला।
स्वतंत्रता सेनानियों का गांव पांगणा
मंडी जिला का पांगणा एक ऐसा गांव है, जहां के पूरे महाजन समुदाय ने आजादी व सुकेत सत्याग्रह में अहम योगदान दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता व पीएल गुप्ता ने बताया कि समाज का उच्च मार्गदर्शन व सहयोग, आजादी में महाजनों की सराहनीय भूमिका रही है। आजाद हिंद फ ौज में पांगणा के सितलु राम महाजन, लुहारू राम महाजन, धरनीधर महाजन, लटुरिया राम महाजन, कालूराम महाजन आदि ने लाहौर, रंगून, मुल्तान और रावलपिंडी की काल कोठरियों में कैद काटी, लेकिन सरकार द्वारा पेंशन व मान-सम्मान प्राप्त करने से वंचित रहे । सुकेत सत्याग्रह के अनाम स्वतंत्रता सेनानियों में चंद्रमणी महाजन, मणिराम महाजन, नंदलाल महाजन, हरि सिंह महाजन, लीपटीराम महाजन, माधव गुप्ता, गौरीदत महाजन, तुलसीराम महाजन और द्रौपदी महाजन सहित कुछ अन्य पांगणा छोड़कर अन्यत्र चले गए हैं, लेकिन पांगणा गांव के महाजन समुदाय के लोगों की यादें आज भी जिंदा हैं।
लेख साभार: दिव्य हिमाचल, अखिल भारतीय महाजन शिरोमणि सभा
Great comprehensive on mahajan
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