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Friday, October 18, 2019

MADHESHIYA VAISHYA - मधेशिया वैश्य



मधेशिया का संक्षिप्त अर्थ है- मध्य + एशिया, अर्थात मध्य- एशिया के वासी. अर्थात नेपाल या उसकी तराई में संभवतः मध्य एशिया से आकर बसे लोग या प्रवासी जिन्हें यहां मधेशिया कानू या मधेशिया वैश्य कहा जाने लगा.

भारत में मधेशिया (बनिया) जाति देश के पूर्वी हिस्सों में जैसे पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आसाम में ज्यादातर रहते हैं. वे सभी हिंदू धर्म के धन-संरक्षक समुदाय के रूप में माना जाता है जो “वैश्य ” समुदाय के हैं .पारंपरिक रूप से वे अच्छी मिठाई बनाने वाले होते हैं. वे अपने स्वयं के भगवान की पूजा करते हैं जो गणीनाथ बाबा के रूप में जाना जाता है. उनके अपने तौर -तरीके और परंपराएँ है. आमतौर पर वे अपनी ही जाति में शादी करतें हैं, लेकिन शादी के लिए अपने मूल के मिलान को तरजीह देते हैं और यदि मूल का मिलान नहीं होता हैं तो वे शादी के लिए योग्य नहीं माना जाता है.

वे गुप्ता, प्रसाद, साह, शाह, साव, मधेशिया आदि उपनाम का प्रयोग करते हैं, कुछ कानू शब्द भी नाम के आगे लिखना पसंद करते हैं. वे सभी भारत ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में फैले हुए हैं. वे अंगिका, हिंदी, भोजपुरी बोली आदि बोलते हैं. उनका मुख्य पेशा प्रधान रसोईया , व्यापार , व्यवसाय की है . बिहार जमींदारी उन्मूलन अधिनियम ( 1959) में संशोधन से पहले कई परिवार जमींदार थे जो बिहार में जमींदारी करते रहे थे. मधेसिया वैश्य विभिन्न वर्गों में बांटे गए हैं: मधेसिया, बालतिरिय या भर्त्रीय, कनौजिया, हलवाई, करोंच, मघैया, कानू.

सन 1893 में बसंतपुर (बिहार) के निपटान के समय मुख्यतः यह बताया गया है कि उस समय व्यापार में मुख्य रूप से लगे हुए लगभग सोलह सौ निवासी थे और केवल नाममात्र लोग ही खेती में सलंग्न था. इसकी जनसंख्या के 50 प्रतिशत से अधिक लोग व्यापारियों के रूप में पहचाना जाते थे.

लेख साभार:
mainekahaa.wordpress.com/2014/04/10/31

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