ABHIJITA GUPTA - अभिजिता गुप्ता
मिलिए देश की सबसे छोटी लेखिका अभिजिता गुप्ता से,महज़ 7 साल की उम्र में अपने नाम दर्ज़ किये कई रिकॉर्ड
कहते है उम्र आपकी काबिलियत की पहचान नहीं होती महज़ 7 साल की इस बच्ची ने इस बात को साबित कर दिया। जिस उम्र में आप और हम माटी में सने रहते थे और मोहल्ले भर की खाक छानते फिरते थे उस उम्र में अभिजिता ने पूरी किताब लिख दी। जी हाँ आप भी हैरान रह गए न ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है।
दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस के ऑक्सफ़ोर्ड बुक स्टोर में सबसे युवा लेखिका अभिजीता की किताब “हेप्पीनेस आल अराउंड ” का विमोचन हुआ। इस किताब को महज़ 7 साल की नन्ही लेखिका अभिजिता गुप्ता ने लिखी है। इस किताब में कहानियो और कविताओं का संग्रह है। अभिजिता को इस किताब के लिए कई सारे अवार्ड्स मिल चुके है। अभिजिता अपने नाम कई रिकार्ड्स भी कर चुकी है। एशिया बुक ऑफ़ रेकॉर्डस,इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रेकॉर्डस में अपना नाम दर्ज़ करवा चुकी है। अभिजीता ने इस किताब को महज़ 3 महीनो में लिखी है। अभिजिता की किताब बच्चो के बिच में काफी पसंद की जा रही है।
अभिजीता ने बातचीत में बताया उन्होंने ये किताब 3 महीने में पूरी की जिसमे उनके मम्मी पापा ने उनकी खूब मदद की। आगे वह एक नोबल लिखना चाहती है जिसमे वह यह बताना चाहती है की लॉकडाउन के समय बच्चो के जीवन में क्या बदलाव आये।
वही जब उनकी मम्मी अनुप्रिया जी से बातचीत की तो उन्होंने बताया की अभिजिता जब 5 साल की थी तभी पहली बार उसने मुझे कहा की मुझे कहानी लिखनी है उसके बाद इस पेन्डामिक के समय हमें काफी समय मिला तो अभिजिता ने अपनी किताब को लिखा। वही पिता आशीष जी ने बताया की हमारे समय में हमारे पेरेंट्स हमें बताते थे हमें क्या करना है लेकिन आज की पीढ़ी अपने माता पिता को बताती है। इस किताब के नाम के लिए हम काफी परेशान थे इसका नाम भी अभिजीता ने हमें सुझाया। वही किताब के पब्लिशर ने बातचीत में बताया की ये काफी चैलेंजिंग था लेकिन हम लकी है की हमें अभिजिता की किताब पब्लिश करने का मौका मिला
जश्न इवेंट के डायरेक्टर सिमा सक्सेना जी ने बातचीत में बताया की जब पहली बार हमें पता चला तो हमें यकीं नहीं हुआ लेकिन जब मै अभिजिता से मिली तो मैं हैरान थी की कैसे महज़ 7 साल की उम्र में कोई किताब लिख सकता है।
सभी लोगो ने अभिजीता को बधाई सन्देश भेजे। आपको बता दे अभिजिता राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त और संत कवी श्री सियाराम शरण गुप्त की तीसरी पीढ़ी है।
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