TAKHTMAL JAIN, A GREAT LEADER
28 मई 1948 को पश्चिम-मध्य भारत की 25 रियासतों को जोड़कर मालवा संघ राज्य बनाया गया जिसे मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत की आजादी से पहले सेंट्रल इंडिया एजेंसी का एक हिस्सा था, जिसके जीवाजीराव सिंधिया राजप्रमुख थे और वह इस पद पर 31 अक्तूबर 1956 तक रहे। राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के बाद 1 नवंबर 1956 को इसका विंध्य प्रदेश और भोपाल के साथ विलय करके मध्य प्रदेश राज्य बना दिया गया।
मध्य भारत की विधानसभा में 99 सदस्य होते थे। इस क्षेत्र से लोकसभा के लिये 9 सदस्य चुने जाते थे। श्री तख्तमल जैन (जालोरी) इस राज्य के अंतिम मुख्यमंत्री पद पर 31 अक्तूबर 1956 तक रहे। वैसे श्री जैन ने इस राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में 18 अक्तूबर 1950 की पद संभाला था।
श्री तख्तमल जैन का जन्म विदिशा जिले के भिलसा में जनवरी 1895 को श्री के परिवार में हुआ था। इनका विवाह श्रीमती दाखबाई के साथ हुआ और परिवार में एक बेटा और एक बेटी हैं। इन्होंने 1913 में वकालत की परीक्षा पास की थी। श्री जैन ने वकालत को अपना पेशा बनाया। इन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन 1924 में भिलसा नगरपालिका के सदस्य के तौर पर प्रारंभ किया। श्री जैन 10 साल से अधिक भिलसा नगरपालिका के उपाध्यक्ष और 1939-40 में अशासकीय अध्यक्ष बने इनके नगरपालिका के उपाध्यक्ष और अध्यक्षता के दौरान
नगरपालिका की कार्य प्रणाली में सुधार और सार्वजनिक हित की अनेक योजनाओं को क्रियान्वनित किया गया। श्री जैन 1940-41 में ग्वालियर राज्य के ग्राम सुधार और स्वायत्त शासन विभाग के प्रथम लोकप्रिय मंत्री रहे। 1942 में इन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। श्री जैन कई साल तक ग्वालियर राज्य हरिजन बोर्ड के सदस्य रहे और भिलसा में व्यायामशाला, सार्वजनिक पुस्तकालय आदि कई सार्वजनिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की है। ये एस.एल. जैन इंटर कॉलेज के संस्थापक और ग्वालियर मजलिस ग्राम एवं मजलिस खास के कई साल तक सदस्य तथा सिक्योरिटी ऑफ सर्विसेज, लैंड रिफॉर्म आदि अनेक समितियों के सदस्य रहे। इन्होंने 1947 में ग्वालियर राज्य के मंत्रिमंडल में मंत्री पद संभाला ग्वालियर राज्य उत्तरदायी शासन संबंधी समझौता समिति का सदस्य होने के साथ इन्होंने मध्य भारत के निर्माण में एमुख रूप से भाग लिया।
ये मध्य भारत के निर्माण के समय केन्द्र द्वारा स्थापित प्रारंभिक एकीकरण शासकीय समिति के सदस्य भी थे। 1948 में मध्य भारत के प्रथम मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी के मंत्रिमंडल में श्री तख्तमल जैन ने वित्त मंत्री का पद संभाला। श्री जोशी जनवरी 1948 से मई 1949 तक मुख्यमंत्री रहे और उनके बाद गोपीकृष्ण विजयवर्गीय मुख्यमंत्री पद पर 17 अक्तूबर 1950 तक रहे। इनके बाद श्री तख्तमल जैन 18 अक्तूबर 1950 से 3 मार्च 1952 मध्य भारत के मुख्यमंत्री रहे। 1952 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद श्री जैन प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद 1954 तक रहे। इस दौरान इन्होंने विभिन्न समितियों की स्थापना, प्रदेश कांग्रेस अधिवेशन शिवपुरी आदि कार्यों द्वारा प्रांत में कांग्रेस पार्टी को सुदृढ़ एवं नई दिशा में कार्य करने की प्रेरणा दी। इस बीच कांग्रेस हाईकमान ने श्री जैन को पेप्स प्रदेश कांग्रेस के झगड़े की जांच समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया। इसके अलावा श्री जैन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त भूमि सुधार समिति, वेतन समानीकरण, हरिजन अयोग्यता निवारण जांच समिति आदि अनेक महत्वपूर्ण समितियों के अध्यक्ष रहे। भिलसा उपचुनाव के बाद मध्य भारत विधानसभा के सदस्य और 16 अप्रैल 1955 से 31 अक्तूबर 1956 तक दोबारा मुख्यमंत्री पद संभाला। नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश बन जाने के बाद श्री जैन प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के मंत्रिमंडल के भी सदस्य रह चुके हैं। 1958 में श्री जैन को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया। 2 जनवरी 1975 को इनका निधन हो गया।
साभार : वैश फेडरेशन
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