चौरसिया प्राचीन भारतीय वेदों से उत्पन्न शब्द है जो मूलतः एक वैदिक शब्द 'chaturashiitah' जो sansakrita में चौरासी उल्लेख से भारत, चौरसिया शब्द संभालते में एक ब्राह्मण समुदाय संदर्भित करता है. प्राचीन भारत के बाद से, यह हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है वहाँ चौरासी Yonis इस ब्रह्मांड में मौजूदा देवताओं के हजारों (नस्लों, प्रकार) हैं. हर प्रजाति है जो पृथ्वी पर मौजूद किसी खास योनि के हैं. बाद में मंच पर और आसान उच्चारण यह चौरसिया '(एक हिंदी बराबर भी चौरासी संदर्भित करता है) के रूप में बदल के लिए
इस शब्द राज्यों के जन्म कि एक बार सभी देव Gans (Devtas, परमेश्वर) नामक जगह पर धरती पर इकट्ठा पीछे एक प्रसिद्ध कहानी के लिए कुछ शुभ रस्म है, और जब वे वापस करने के लिए 'Bakunthya धाम' (स्वर्ग आ रहे थे 'Naumi Sharayan' ) वे सब महसूस कारण पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी जब एक विशेष समुदाय आगे आए और उन्हें Beatle छोड़ देता है. उनके आतिथ्य से प्रभावित की सेवा करके अपनी प्यास quenched को प्यासा, Devtas उन्हें न केवल धन्य बल्कि उन्हें शीर्षक chaturashiitah यानी उपहार देने के द्वारा सम्मानित शुरू कर दिया ' चौरसिया '. के अनुसार Baudhâyanas'rauta-सूत्र है Kashyapa के हैं चौरसिया, कुछ का मानना है कि वे [भार m ाज] के हैं, तो वहाँ Gotras के बारे में कई मान्यताओं रहे हैं.
इस समुदाय के लोगों को हाल के दिनों में व्यवसायों की एक किस्म में काम कर रहे हैं (कुछ भी खुद के रूप में 'वैश्य' यानी व्यापारियों संदर्भित करता है) और उनकी धार्मिक परंपराओं और संस्कृति दैनिक जीवन में एक कारक के कम होते जा रहे हैं.
CHOURASIA का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मोहिनी विभिन्न देवताओं के बीच Amrut (अमृत) वितरित की. Amrut के शेष के साथ कलश है इन्द्र हाथी «Nagraja» के पास रखा गया था. कलश के अंदर बढ़ते एक अजीब जीव संयंत्र था और देवताओं उन्मादपूर्ण हो गया. विष्णु Dhanvantari करने का आदेश दिया संयंत्र की जांच. वह इस प्रकार अपने उत्तेजक गुणवत्ता की खोज की. तब से, विष्णु को इसकी पत्तियों प्यार और स्नेह का एक संकेत के रूप में, की पेशकश करना शुरू किया. के बाद से, यह कहा जाता है कि पान trine पैदा हुआ था. यह करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ट्रिनिटी के साथ जुड़े होने लगे. सुपारी ब्रह्मा, Tambool (पान) विष्णु और महेश पत्ती के लिए चूने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. एक अन्य कथा के अनुसार, हस्तिनापुर पर 'पांडवों जीत के बाद, वे Tambool के लिए एक उत्कट इच्छा है शुरू किया. एक दूत तत्काल साँपों की रानी के भूमिगत निवास करने के लिए भेजा गया था. रानी, केवल भी खुश उपकृत करने के लिए उसकी छोटी उंगली का चरम अऋगुली की पोर में कटौती और पांडवों के लिए भेजा. अऋगुली की पोर महान समारोह के साथ लगाया गया था और जल्द ही पान संयंत्र अऋगुली की पोर से बाहर हो गया. लता है तब से «Nagveli» के रूप में साँप संयंत्र के लिए भेजा. पत्तियों का समारोह इस मूल और इस अवसर पर साँप की Barais प्रस्ताव भगवान से प्रार्थना स्मारक है.
GOTRAS और उप डाले
* Kashyapa
* भारद्वाज
* शांडिल्य
* ऋषि
* ब्रह्मचारी
* Gaurhar
* चौरसिया
* Barai
* Tamoli
* भगत
* Chaurishi
* चौधरी
उप डाले
निम्नलिखित क्षेत्रीय वरीयताएँ द्वारा चौरसिया उपनाम के पर्यायवाची शब्द हैं:
* चौरसिया (Belarampur, पट्टी, प्रतापगढ़) (उप्र)
* चौरसिया (भारत भर में)
* Chourasia (उत्तर पूर्व भारत के कुछ भाग)
Chaurishi * (उत्तर भारत के पार्ट्स)
जायसवाल (उत्तर भारत) *
भारद्वाज * (भारत भर में)
* कश्यप (उत्तर भारत)
* नाग (उत्तर / पूर्वी भारत)
* भगत (उत्तर / पूर्व भारत)
* Barai (पश्चिम बिहार / पूर्वी उत्तर प्रदेश)
* Tamoli (पश्चिम बिहार / पूर्वी उत्तर प्रदेश)
* ऋषि (मध्य भारत)
* ब्रह्मचारी (उत्तर भारत)
* Gaurhar (उत्तर भारत)
* मोदी (उत्तर भारत)
* राउत (बिहार मधुबनी)
* चौधरी (हाजीपुर बिहार)
* मुंशी (धनबाद झारखंड)
साभार : चोरसिया संघ महा कौसल
I feel proud to be a chourasiya. .
ReplyDeleteI feel proud to be a chourasiya. .
ReplyDeleteनागवंश का जिक्र भी हम कई प्राचीन अभिलेखों और किताबों में पढ़ चुके हैं। आईये इस पोस्ट के माध्यम से
ReplyDeleteहिंदू धर्म के दो भाग माने जाते हैं:– पहला वेद और दूसरा पुराण। नाग पूजा का प्रचलन पुराण पर आधारित है। माना जाता है कि मूलत: शैव, शाक्त, नाथ और नाग पंथियों में ही नागों की पूजा का प्रचलन था। वैष्णव आर्य तो परमशक्ति ब्रह्म (ईश्वर) के अलावा प्रकृति के पांच तत्वों की स्तुति करते थे। पुराणों में जो कुछ भी है उनमें आर्य और द्रविड़ दोनों की ही संस्कृति, वंश परंपरा और धर्म का इतिहास है। इसी कारण पुराण विरोधाभासी लगते हैं।
भारत में आर्य, द्रविड़, दासों के साथ ही नागवंशी समाज का प्रचलन प्राचीनकाल से ही रहा है। मूलत: दो ही जातियां थीं- आर्य और द्रविड़। इन्हीं में से दास और नाग वंशियों की उत्पत्ति मानी जाती है। उक्त चारों की संस्कृति, परम्पराएं और रीति-रिवाज अलग-अलग माने जाते थे लेकिन आज सब कुछ घालमेल हो चला है। फिर भी यह अभी शोध का विषय बना हुआ है।
नाग से संबंधित कई बातें आज भारतीय संस्कृति, धर्म और परम्परा का हिस्सा बन गई हैं, जैसे नाग देवता, नागलोक, नागराजा-नागरानी, नाग मंदिर, नागवंश, नाग कथा, नाग पूजा, नागोत्सव, नाग नृत्य-नाटय, नाग मंत्र, नाग व्रत और अब नाग कॉमिक्स।
नाग और नागवंश : जिस तरह सूर्यवंशी, चंद्रवंशी और अग्निवंशी माने गए हैं उसी तरह *नागवंशियों की भी प्राचीन परंपरा रही है। लेकिन भारत के धार्मिक और सामाजिक इतिहास को सर्वसम्मत बनाकर कभी भी क्रमबद्ध रूप से नहीं लिखा गया इसीलिए विरोधाभास ही अधिक नजर आता है।
महाभारत काल में पूरे भारत वर्ष में नागवंशीयो के समूह फैले हुए थे। विशेष तौर पर कैलाश पर्वत से सटे हुए इलाकों से असम, मणिपुर, नागालैंड तक इनका प्रभुत्व था। ये लोग सर्प पूजक होने के कारण नागवंशी कहलाए। कुछ विद्वान मानते हैं कि नागवंशी हिमालय के उस पार की थी। अब तक तिब्बती भी अपनी भाषा को ‘नागभाषा’ कहते हैं।
एक सिद्धांत अनुसार ये मूलत: कश्मीर के थे। कश्मीर का ‘अनंतनाग’ इलाका इनका गढ़ माना जाता था। कांगड़ा, कुल्लू व कश्मीर सहित अन्य पहाड़ी इलाकों में नाग ब्राह्मणों की एक जाति आज भी मौजूद है।
नाग वंशावलियों में ‘शेष नाग’ को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेष नाग को ही ‘अनंत’ नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह आगे चलकर शेष के बाद वासुकी हुए फिर तक्षक और पिंगला।
वासुकी का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था और मान्यता है कि तक्षक ने ही तक्षकशिला (तक्षशिला) बसाकर अपने नाम से ‘तक्षक’ कुल चलाया था। उक्त तीनों की गाथाएं पुराणों में पाई जाती हैं।
उनके बाद ही कर्कोटक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अनत, अहि, मनिभद्र, अलापत्र, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना इत्यादी नाम से नागों के वंश हुआ करते थे। भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में इनका राज्य था।
नाग कुल की भूमि : यह सभी नाग को पूजने वाले नागकुल थे इसीलिए उन्होंने नागों की प्रजातियों पर अपने कुल का नाम रखा। जैसे तक्षक नाग के नाम पर एक व्यक्ति जिसने अपना ‘तक्षक’ कुल चलाया। उक्त व्यक्ति का नाम भी तक्षक था जिसने राजा परीक्षित की हत्या कर दी थी। बाद में परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने तक्षक से बदला लिया था।
‘नागा आदिवासी’ का संबंध भी नागवंशीयो से ही माना गया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी नाग वंश तथा कवर्धा के फणि-नाग वंशियों का उल्लेख मिलता है। पुराणों में मध्यप्रदेश के विदिशा पर शासन करने वाले नागवंशीय राजाओं में शेष, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि आदि का उल्लेख मिलता है।
पुराणों अनुसार एक समय ऐसा था जबकि नागवंशी समुदाय पूरे भारत (पाक-बांग्लादेश सहित) के शासक थे। उस दौरान उन्होंने भारत के बाहर भी कई स्थानों पर अपनी विजय पताकाएं फहराई थीं। तक्षक, तनक और तुश्त नागवंशी के राजवंशों की लम्बी परंपरा रही है।
शहर और गांव : नागवंशियों ने भारत के कई हिस्सों पर राज किया था। इसी कारण भारत के कई शहर और गांव ‘नाग’ शब्द पर आधारित हैं। मान्यता है कि महाराष्ट्र का नागपुर शहर सर्वप्रथम नागवंशियों ने ही बसाया था। वहां की नदी का नाम नाग नदी भी नागवंशियों के कारण ही पड़ा। नागपुर के पास ही प्राचीन नागरधन नामक एक महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक नगर है। महार जाति के आधार पर ही महाराष्ट्र से महाराष्ट्र हो गया। महार जाति भी नागवंशियों की ही एक जाति थी।
इसके अलावा हिंदीभाषी राज्यों में ‘नागदाह’ नामक कई शहर और गांव मिल जाएंगे। उक्त स्थान से भी नागों के संबंध में कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। नगा या नागालैंड को क्यों नहीं नागों या नागवंशियों की भूमि माना जा सकता है।
- नागवंशी नव निर्माण सेन
क्या चौरसिया समाज "नागवंशी " होतें है
DeleteHa nagvanshi hai
DeleteBarai kuldevi/ kuldevta kon hai
Deleteयोगेश्वरीदेवी पिप्पली हमारी कुलदेवी हैं
Deleteचौरसिया ना वैश्य है ना आर्य है, हम बैकवर्ड है और इस देश का मूलनिवासी है ।
ReplyDeleteहम नागदेव को पूजने वाले नागवंशी है, हमारा इतिहास जाने.... पिछड़ो के पुरोधा - बैरिस्टर शिवदयाल सिंह चौरसिया (पूर्व राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ सदस्य, काका कालेकर आयोग) को पढे ।।।।
भाई ये बैकवर्ड का जिक्र किस वेद या पुराण में है । मंडल पुराण में हाहा ।
Deleteहम नाग वंश के है जैसे सूर्यवंशी चंद्रवंशी अग्निवंशी यदुवंशी । पर नागवंश में कोई नागवंशी ब्राह्मण है कोई राजपूत कोई वैश्य ।
chourasia is not a vaishya.They are also brahmin because they originates from brahmin,now a days they do some works of vaisya like shops or something but they are not vaishya as they mentioned in the above page.
DeleteBhai chaurasia Aadi gaud m aate h kya
DeleteChaurasiya 'Nagwansi' me aate hai bhae
Deleteभाई,पहले कर्म अनुसार जातिया हुई। जो धार्मिक आचार्य थे,वे ब्राह्मण,व्यापार करने वाले बनिया,सत्ता आसीन छत्रिय माने गए। बैकवर्ड कोई जाति नहीं थी।
Deletebhai chaurasiya brahman panch-gaud mai aate hai..
DeleteBilkul sahi bol rahe hai aap chourasia bharman me aata hai
DeleteBest
Deleteचौरसिया ना वैश्य है ना आर्य है, हम बैकवर्ड है और इस देश का मूलनिवासी है ।
ReplyDeleteहम नागदेव को पूजने वाले नागवंशी है, हमारा इतिहास जाने.... पिछड़ो के पुरोधा - बैरिस्टर शिवदयाल सिंह चौरसिया (पूर्व राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ सदस्य, काका कालेकर आयोग) को पढे ।।।।
यस
Deleteनागवंश का जिक्र भी हम कई प्राचीन अभिलेखों और किताबों में पढ़ चुके हैं। आईये इस पोस्ट के माध्यम से
ReplyDeleteहिंदू धर्म के दो भाग माने जाते हैं:– पहला वेद और दूसरा पुराण। नाग पूजा का प्रचलन पुराण पर आधारित है। माना जाता है कि मूलत: शैव, शाक्त, नाथ और नाग पंथियों में ही नागों की पूजा का प्रचलन था। वैष्णव आर्य तो परमशक्ति ब्रह्म (ईश्वर) के अलावा प्रकृति के पांच तत्वों की स्तुति करते थे। पुराणों में जो कुछ भी है उनमें आर्य और द्रविड़ दोनों की ही संस्कृति, वंश परंपरा और धर्म का इतिहास है। इसी कारण पुराण विरोधाभासी लगते हैं।
भारत में आर्य, द्रविड़, दासों के साथ ही नागवंशी समाज का प्रचलन प्राचीनकाल से ही रहा है। मूलत: दो ही जातियां थीं- आर्य और द्रविड़। इन्हीं में से दास और नाग वंशियों की उत्पत्ति मानी जाती है। उक्त चारों की संस्कृति, परम्पराएं और रीति-रिवाज अलग-अलग माने जाते थे लेकिन आज सब कुछ घालमेल हो चला है। फिर भी यह अभी शोध का विषय बना हुआ है।
नाग से संबंधित कई बातें आज भारतीय संस्कृति, धर्म और परम्परा का हिस्सा बन गई हैं, जैसे नाग देवता, नागलोक, नागराजा-नागरानी, नाग मंदिर, नागवंश, नाग कथा, नाग पूजा, नागोत्सव, नाग नृत्य-नाटय, नाग मंत्र, नाग व्रत और अब नाग कॉमिक्स।
नाग और नागवंश : जिस तरह सूर्यवंशी, चंद्रवंशी और अग्निवंशी माने गए हैं उसी तरह *नागवंशियों की भी प्राचीन परंपरा रही है। लेकिन भारत के धार्मिक और सामाजिक इतिहास को सर्वसम्मत बनाकर कभी भी क्रमबद्ध रूप से नहीं लिखा गया इसीलिए विरोधाभास ही अधिक नजर आता है।
महाभारत काल में पूरे भारत वर्ष में नागवंशीयो के समूह फैले हुए थे। विशेष तौर पर कैलाश पर्वत से सटे हुए इलाकों से असम, मणिपुर, नागालैंड तक इनका प्रभुत्व था। ये लोग सर्प पूजक होने के कारण नागवंशी कहलाए। कुछ विद्वान मानते हैं कि नागवंशी हिमालय के उस पार की थी। अब तक तिब्बती भी अपनी भाषा को ‘नागभाषा’ कहते हैं।
एक सिद्धांत अनुसार ये मूलत: कश्मीर के थे। कश्मीर का ‘अनंतनाग’ इलाका इनका गढ़ माना जाता था। कांगड़ा, कुल्लू व कश्मीर सहित अन्य पहाड़ी इलाकों में नाग ब्राह्मणों की एक जाति आज भी मौजूद है।
नाग वंशावलियों में ‘शेष नाग’ को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेष नाग को ही ‘अनंत’ नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह आगे चलकर शेष के बाद वासुकी हुए फिर तक्षक और पिंगला।
वासुकी का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था और मान्यता है कि तक्षक ने ही तक्षकशिला (तक्षशिला) बसाकर अपने नाम से ‘तक्षक’ कुल चलाया था। उक्त तीनों की गाथाएं पुराणों में पाई जाती हैं।
उनके बाद ही कर्कोटक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अनत, अहि, मनिभद्र, अलापत्र, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना इत्यादी नाम से नागों के वंश हुआ करते थे। भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में इनका राज्य था।
नाग कुल की भूमि : यह सभी नाग को पूजने वाले नागकुल थे इसीलिए उन्होंने नागों की प्रजातियों पर अपने कुल का नाम रखा। जैसे तक्षक नाग के नाम पर एक व्यक्ति जिसने अपना ‘तक्षक’ कुल चलाया। उक्त व्यक्ति का नाम भी तक्षक था जिसने राजा परीक्षित की हत्या कर दी थी। बाद में परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने तक्षक से बदला लिया था।
‘नागा आदिवासी’ का संबंध भी नागवंशीयो से ही माना गया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी नाग वंश तथा कवर्धा के फणि-नाग वंशियों का उल्लेख मिलता है। पुराणों में मध्यप्रदेश के विदिशा पर शासन करने वाले नागवंशीय राजाओं में शेष, भोगिन, सदाचंद्र, धनधर्मा, भूतनंदि, शिशुनंदि या यशनंदि आदि का उल्लेख मिलता है।
पुराणों अनुसार एक समय ऐसा था जबकि नागवंशी समुदाय पूरे भारत (पाक-बांग्लादेश सहित) के शासक थे। उस दौरान उन्होंने भारत के बाहर भी कई स्थानों पर अपनी विजय पताकाएं फहराई थीं। तक्षक, तनक और तुश्त नागवंशी के राजवंशों की लम्बी परंपरा रही है।
शहर और गांव : नागवंशियों ने भारत के कई हिस्सों पर राज किया था। इसी कारण भारत के कई शहर और गांव ‘नाग’ शब्द पर आधारित हैं। मान्यता है कि महाराष्ट्र का नागपुर शहर सर्वप्रथम नागवंशियों ने ही बसाया था। वहां की नदी का नाम नाग नदी भी नागवंशियों के कारण ही पड़ा। नागपुर के पास ही प्राचीन नागरधन नामक एक महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक नगर है। महार जाति के आधार पर ही महाराष्ट्र से महाराष्ट्र हो गया। महार जाति भी नागवंशियों की ही एक जाति थी।
इसके अलावा हिंदीभाषी राज्यों में ‘नागदाह’ नामक कई शहर और गांव मिल जाएंगे। उक्त स्थान से भी नागों के संबंध में कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। नगा या नागालैंड को क्यों नहीं नागों या नागवंशियों की भूमि माना जा सकता है।
- नागवंशी नव निर्माण सेन
Bhai nagvansh Mahabharata k bad bhi shasan me tha janmejai ne nagvansh ka Vinash kiya prachin ahichhatra nagari me nagvansh ka hi shasan tha.aj ki aheer jati ko aheer nam bhi janmejai ne nagvanshi rajawo k Vinas me sahyogi yadavo ko diya.aheer shabdo ahi+r se bana hai jisaka earth hai nagnashak aise hi Brahmano me nager bhi hai.
ReplyDeleteTHERE ARE FOUR RISHIS IN CHAU RISI BRAHMIN SAMAJ 1st IS SHANDILYA 2nd IS BHARDWAJ 3rd IS KATYAYAN 4th IS VASHISHTHA
ReplyDeleteTHE GENERATION OF FOUR RISHIS.
VASHISHTHA AND VISHWAMITRA WAS THE GREAT BOTANICAL SCIENTIST BOTH RISHIS COMBINED SEARCH OF BETEL LEAVES WHICH WAS THE RESPONSIBLE FOR HUMANKIND FOR SATAYU AND REGENERATE THE TISSUES (SANDHANEEYA). THIS IS THE ABSOLUTELY TRUTH AND HIGHLY RESPECTABLE ( VIDEYAH PARM ADARAHA).
where is rishi kashyapa,in chourasia it is also a brahmin gotra.....
Deletefgdfg
ReplyDeleteFor Free Published of News About CHOURASIA Community Feel Free Contact us OM CHOURASIA VIDISHA PATRAKAR AND TV ANCHOR. MOBILE --- 9425148919,8962496214
ReplyDeleteNaini Kon si jaati hoti hai
ReplyDeleteBhai om i.hate patrakar but you are my younger love one really you are truely bramin rasele gotra brambin gotra in puram said God raso vaii sahai 09425148219 con no. 989359321
ReplyDeleteKirpya karke CHOURASIA ko "vaisya samaj " ke page se hta de.
DeleteChaurasia is a Brahmin Community
DeleteYe
DeleteBhatke huye jati m ata h.....
N ki samaj m
Jese aj k musalman
Jo hindu ( sanatani) hokar b khud ko alag bata te h
किसी एक के कहने से पूरे समाज का अपमान ये गलत बात है।सारे फसाद की वजह पढा़ई से दुरी है इंटरनेट हाथ मे होने से फारवर्ड नही पढ़ने से बना जाता है ।जानकारी पढ़ने से मिलती है लेकिन आज लोग इंटरनेट का उपयोग पोर्न देखने में कर रहे हैं नतीजा आज कुछ चौरसिया खुद को अति पिछड़ी जाति घोषित करने के लिये धरना प्रदर्शन कर रहे हैं कुछ आवारा और भटकी हुई और कुछ ब्राम्हण ।मै कहती हूँ पिछडी़ मे क्यों लाना चाहते हो मेहनत कर के ऊठ जाओ ना ऊपर । बैठ के तो जानवर भी भोजन नही पाता आप तो इंसान हो।पढो़ खूब पढो़ खुद को साबित करो आरक्षण से किसका भला हुआ है ।आरक्षण वो कोढ़ है जो इंसान को नपुंसक बना रहा है आगे बढ़ने और ग्यानार्जन से रोक रहा है।
DeleteChaurasia vaish (vyapari ) hote hain ..
DeleteCHAURASIA koi vaisya jatti nhi hai
ReplyDeleteTo bhaiya bataiye ye kis samaj me aata hai
DeleteBrahman hai ya sudra
Chourasia is a brahmin community..
Deleteतो भाई ब्राह्मणों में आपके विवाह संबंध क्यों नहीं होते।
Deletebecause chaurasiyas left brahmin samaj years back . to know more read my article u will know exact details
Deletehttps://www.quora.com/Are-Chaurasias-Brahmins/answer/Akash-Chaurasiya-3
Kya churasia proper brahmin hote hain agar koi hamse pooche ki aapkaun se brahmin hai toh hum kya kahe
ReplyDeletechourasia ki onsi kul devi or kuldevata hai ?
Deleteif anyone know list of kuldevate and kuldevi of chourasia plz post
DeleteChourasia ke ek mukhya kul devta hai jo ki Bihar,U.p,M.p ke rahne Wale Chourasia ke v kul devta hai aur wo kuch Brahmin(Kaniya kubz) ke v kul devta hai onka nam-"SOKHA" Baba hai
Deleteजब हम ऋषि चौरस के वंसज है तो क्या हम अब भी obc,वैश्य में आते है gen में क्यों नही।
ReplyDeletebhai obc general varna ke basis pai nahi hai...education ke badis pai hai
Deleteजहाँ तक मेरा मानना है कि ओबीसी,बैकवर्ड,फारवर्ड ,जनरल और एस सी एस टी का भूत कॉग्रेस और अँग्रेज+मुगलकाल का खडा़ किया हुआ वह राजनितिक पाखंड है जिससे भारत देश की अकूत संपति लूट के भोग की जाये और हमारी दयालू सनातन सभ्यता का विनाश किया जा सके
DeleteHa Ye mujhe v Nhi Pata h ki mai kis category me aata hu
ReplyDeleteProud to belong to Chaurasia community.
ReplyDeleteProud to belong to Chaurasia community.
ReplyDeleteproud to be part of chaurasia community
ReplyDeletejai shree nag vans
ReplyDeleteI proud to be Chaurasia
ReplyDeleteI proud to be chaurasiya
ReplyDeleteGupta ji this information is wrong, aap baniye ho aur Vaishya ho. Aap zabardasti chaurasia mein kyun ghus rahe ho.
ReplyDeleteChaurasia is a Brahmin Community, keep it in your mind.
Bilkul sahi kaha bhai aapne
DeleteChaurasia vaishya hote hain ..Chaurasia brahman nahi hote hain ..
Deleteतो ब्राह्मण में शादि क्यों नही होता , तुम्हारा
Deletejai nag bel,jai nag vansh,jai nagvanshi,jai "CHAURASIA"
ReplyDeleteCHAURASIA JATI - "CHAURASIA" EK VEDIC SABD HAI JO SANSKRIT SABDO SE BANAYA GYA HAI OR "CHAURASIA" JATI KE ANUSAR YE EK RISHI MUNI JO "CHAURISHI" NAM SE JANE JATE THE UNSE LIYA GYA HAI.RISHI "CHAURISHI" KE TAPASYA-SADHNA SE HI PAN(BEETLE)KO EK VEDIC ASTHAN MILA JO KI HAR PUJA(WORSHIP) ME USE HOTA HAI OR PUJA KE LIYE SARV SRESTH (LEAF) KA ASTHAN MILA HAI.VEDIC SAMAY SE HI "CHAURASIA" PAN KI KHETI(FARMING) KARTE OR USHE PUJTE AA RHE HAI(WORSHIPING BEETLE LEAF)."CHAURASIA" CASTE KE GOTRAS BRAHMINS OR RISHIYO KE HAI OR UNKE KUL DEVTA V BRAHMINS KE HI KUL DEVTA HAI."CHAURASIA" KI MANYATA YA V HAI KI PAURANIK KAL ME CHAURASIA "GANGA" NADI (RIVER) KE KINARE PAYE JATE THE OR WO WHA KE LOGO(PEOPLES) KE PUROHIT(PANDITS) V THE.PAN(BEETLE) KI DAL UNHE NAG BEL SE V JORTA HAI ISLIYE WO "NAGWANSHI" V KEHLATE HAI."CHAURASIA" KO YAGOPAVIT(जनेऊ) PEHENE KA ADHIKAR HAI PURANE SAMAY ME SABHI YAGOPAVIT THREAD PEHNTE THE MAGAR AAJ KE SAMAY ME SIRF KUCH"CHAURASIA" HI PEHENTE HAI.AT LAST BUT NOT THE LEAST "CHAURASIA" EK PROPER "BRAHMINS" TO NHI HAI MAGAR YE RISHIYO OR BRAHMANS SE HI UTTPAN HUA HAI ISILIYE ISE "BRAHMIN" KHA JA SAKTA HAI. !जय़ चौऋिसी नम:!
ReplyDeleteDesh bhar me up bihar chhod k chaurasia bramhan hi hain ...ab kyon aur kaise up bihar k chaurasia bramhan se bahar nikal gye nhi pata ygyopavit dharn karna bhi kyon chhoda ye bhi sawal hai leki ygyopavit pahante the maine apne baba aur pita ko pahnte dekha hai
DeleteProof ke sath apne bat appne samaj aur dosre samaj ke bich rakhiya
ReplyDeletepls read
Deletehttps://www.quora.com/Are-Chaurasias-Brahmins/answer/Akash-Chaurasiya-3
this
Madhya bharat me nagwanshiyo ka hi shashan tha jain dharm grantho m esks jikr h
ReplyDeleteचित्तोड़ा और चित्तोरिया अलग अलग गोत्र है क्या
ReplyDeleteChourasiya nagvanshi kshatriya hai
ReplyDeleteJaise pan ki kheti karne wale tamboli hai waise pan laganr wale ya jo pan sell ka professional ho usko kya bolte hai please reply
ReplyDeleteChaurasia Vaisya Baniya hai jo ki OBC Category me hai since 2003....jaise ki other kuch baniya v hai OBC me like Barnawal,Mahur,Roniyar,Modi,Gupta,Jaiswal,Awadh Vaisya,Aghariya vaisya,,Kanu Vaisya, etc v OBC Baniya hi hai
ReplyDeleteAbe Jaiswal me chaurasiya kaha se aa gaya..
ReplyDeleteवैसे ही जैसे मुलायम यादव सिंह हो गया
ReplyDeleteचौरसिया ब्राह्मण है पान की खेती व्यवसाय के लिए नही हिंदू धर्म का पुजा इसके बिना अधुरा माना है चौरसिया लोग पान की खेती पुजा पाठ और औषधि एवं नरेशो के लिए करते थे आज इसका व्यवसायिकरण हो गया है
ReplyDeleteHi
ReplyDeleteChaurasia vasihya samaj ka atoot hissa hai....
ReplyDelete