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Friday, October 30, 2015

HISTORY OF KAMLAPURI VAISHYA - कमलापुरी वैश्य का इतिहास

भारतीय वैश्यों का उपवर्ग "कम्लापुरी वैश्य " उस प्राचीन वर्ग की सन्तान हे जो कश्मीर स्थित कमलापुर स्थान के मूल निवाशी थे | कमलापुर कश्मीर में 8वीं शताब्दी काल में एक समृद्द नगर था , जिसका वर्णन 12वीं शताब्दी में चित्रित कश्मीर के महाकवि कल्हण के प्रख्यात संस्कृत इतिहास ग्रन्थ राज तरंगिनी में अंकित हे | कम्लापूरी के मूल निवासी होने के कारण यह वैश्य उपवर्ग कम्लापुरी के नाम से जाना जाता हे | 


इतिहासकारो का मत हे की कमलापुर का प्रद्रर्भाव एवं विकाश कारकोट वंशी कश्मीर राजाओं के काल में हुआ | वैश्यवंशीय राजा जयापिड़ की महारानी कमलादेवी ने इस विशाल नगर का निर्माण अपने नाम पर 8वीं शताब्दी के उत्त्तराद्र में ( सन 751 लगभग ) किया था | एतिहासिक अध्ययन से यह भी पता चलता हे की राजा जयापिड़ के पितामह महाराजा ललितादित्य मुक्तिपिड़ की पट्टमहिषी कमलावती ने 50-60 वर्ष कमलाहट्ट का निर्माण किया था | सम्भवतः उसी स्थान का विकास एवं सुधार करते हुए कमलावती ने कमलापुर की स्थापना की हो | 

उपर्युक्त काल में ही प्रख्यात चीनी यात्री ह्युएनसान्ग भारत भ्रमण को आया था , जिसने तत्कालीन सामाजिक स्थिति एवं समृधि का उल्लेख अपने लेखों में किया था | जिस समय शेष भारत में गुप्तवंशीय राजाओं के शासनकाल में उत्कर्ष का स्वर्णयुग था , जिसकी चरम वृद्धि महाराज हर्षवर्धन द्वारा संपन्न हुई , उसी समय कश्मीर में वैश्य वंशीय कारकोट राजवंश का स्वर्णयुग चल रहा था | 

कश्मीर से उत्तर पश्चिम काबुल नदी की उपत्यका को पूर्व में गीढ़ देश को तथा समस्त दक्षिणात्य प्रदेशों को इन राजाओं के प्रशासन ने निरापद एवं निद्रदंद बना दिया था | कश्मीरी वैश्य समुदाय श्रेनिबद्र हो कश्मीर से वाराणसी , पाटलिपुत्र , कन्नोज , गौड़ अंग अवन्नित आदि छेत्रों को व्यापार के लिए आते जाते थे | कमलापुर नगर के तत्कालित ख्याति के कारण वे अपने वैश्यत्व में कमलापुर का विशेषण कम्लापुरी जोड़कर अपने को उस स्थान विशेष के वणिक होने का परिचय देते रहे | 

वर्तमान समय में कमलापुर का नाम विकृत होकर कमाल्पोर हो गया हे , जो कश्मीर में सिपीयन - श्रीनगर मार्ग पर अवस्थित हे | इस तथ्य का प्रतिवेदन राज- तरंगिनी के प्राचीन भाष्यकार भट्टहरक ने भी किया हे |


साभार: http://kamlapuri.org/history.php

4 comments:

  1. We should occupy our original place in Kashmir

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  2. अगर इतनी जानकारी है तो आप हम सब गुप्ता क्यों लिखते है

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  3. वैश्य के लिए गुप्ता, क्षत्रिय के लिए वर्मा, ब्राहमण के लिए शर्मा २००० साल से पहले से प्रयुक्त होता आया हैं.

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