भारतीय वैश्यों का उपवर्ग "कम्लापुरी वैश्य " उस प्राचीन वर्ग की सन्तान हे जो कश्मीर स्थित कमलापुर स्थान के मूल निवाशी थे | कमलापुर कश्मीर में 8वीं शताब्दी काल में एक समृद्द नगर था , जिसका वर्णन 12वीं शताब्दी में चित्रित कश्मीर के महाकवि कल्हण के प्रख्यात संस्कृत इतिहास ग्रन्थ राज तरंगिनी में अंकित हे | कम्लापूरी के मूल निवासी होने के कारण यह वैश्य उपवर्ग कम्लापुरी के नाम से जाना जाता हे |
इतिहासकारो का मत हे की कमलापुर का प्रद्रर्भाव एवं विकाश कारकोट वंशी कश्मीर राजाओं के काल में हुआ | वैश्यवंशीय राजा जयापिड़ की महारानी कमलादेवी ने इस विशाल नगर का निर्माण अपने नाम पर 8वीं शताब्दी के उत्त्तराद्र में ( सन 751 लगभग ) किया था | एतिहासिक अध्ययन से यह भी पता चलता हे की राजा जयापिड़ के पितामह महाराजा ललितादित्य मुक्तिपिड़ की पट्टमहिषी कमलावती ने 50-60 वर्ष कमलाहट्ट का निर्माण किया था | सम्भवतः उसी स्थान का विकास एवं सुधार करते हुए कमलावती ने कमलापुर की स्थापना की हो |
उपर्युक्त काल में ही प्रख्यात चीनी यात्री ह्युएनसान्ग भारत भ्रमण को आया था , जिसने तत्कालीन सामाजिक स्थिति एवं समृधि का उल्लेख अपने लेखों में किया था | जिस समय शेष भारत में गुप्तवंशीय राजाओं के शासनकाल में उत्कर्ष का स्वर्णयुग था , जिसकी चरम वृद्धि महाराज हर्षवर्धन द्वारा संपन्न हुई , उसी समय कश्मीर में वैश्य वंशीय कारकोट राजवंश का स्वर्णयुग चल रहा था |
कश्मीर से उत्तर पश्चिम काबुल नदी की उपत्यका को पूर्व में गीढ़ देश को तथा समस्त दक्षिणात्य प्रदेशों को इन राजाओं के प्रशासन ने निरापद एवं निद्रदंद बना दिया था | कश्मीरी वैश्य समुदाय श्रेनिबद्र हो कश्मीर से वाराणसी , पाटलिपुत्र , कन्नोज , गौड़ अंग अवन्नित आदि छेत्रों को व्यापार के लिए आते जाते थे | कमलापुर नगर के तत्कालित ख्याति के कारण वे अपने वैश्यत्व में कमलापुर का विशेषण कम्लापुरी जोड़कर अपने को उस स्थान विशेष के वणिक होने का परिचय देते रहे |
वर्तमान समय में कमलापुर का नाम विकृत होकर कमाल्पोर हो गया हे , जो कश्मीर में सिपीयन - श्रीनगर मार्ग पर अवस्थित हे | इस तथ्य का प्रतिवेदन राज- तरंगिनी के प्राचीन भाष्यकार भट्टहरक ने भी किया हे |
साभार: http://kamlapuri.org/history.php
Wow.. I got the best
ReplyDeleteWe should occupy our original place in Kashmir
ReplyDeleteअगर इतनी जानकारी है तो आप हम सब गुप्ता क्यों लिखते है
ReplyDeleteवैश्य के लिए गुप्ता, क्षत्रिय के लिए वर्मा, ब्राहमण के लिए शर्मा २००० साल से पहले से प्रयुक्त होता आया हैं.
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