नई दिल्ली: आज महिलाओ ने अपनी हिम्मत, मेहनत, लगन और अपने हौसलो के बल पर भले ही सरकारी या गैरसरकारी क्षेत्र में कामयाबी हासिल की हो। लेकिन इनकी कामयाबी के पीछे की कहानियाँ बयां करती है, कि कैसे इस मुकाम तक पहुचने के लिए उन्हें कटीले रास्तो से गुज़रना पड़ा। ऐसी ही उत्तराखंड की एक जाबाज़ महिला PCS अफसर दीप्ति वैश्य की कहानी से आपको रूबरू करा रहे हैं।
उत्तराखंड के बड़े ज़िलों में शुमार ऊधम सिंह नगर में दीप्ति वैश्य अपर जिलाधिकारी (वित्त एवँ राजस्व) के पद पर तैनात हैं। इस पद तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। लेकिन दीप्ति ने ठान लिया था कि वो अपनी माँ का सपना ज़रूर पूरा करेंगी और उन्होंने PCS बन कर अपनी माँ के सपनो को उड़ान दे दी।
मूल रूप से राज्य के बागेश्वर में जन्मी दीप्ति के पिता स्व. श्री बाली राम शिक्षा विभाग और माँ श्रीमती गौरी दास चिकित्सा विभाग में काम करते थे। बचपन में ही दीप्ति कुशाग्र बुद्धि और तेज़ थी। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल के मशहूर आल सेंट्स कालेज से करने के बाद दिल्ली की JNU से ग्रेजुएशन किया।
सिर्फ ग्रेजुएशन करने से कुछ नहीं होता, यह तो दीप्ति जानती थी। उन्होंने ठान लिया था कि कामयाबी हासिल करने और परिवार के सपनो को उड़ान देने के लिए उन्हें स्टडी में जुटना होगा। रात-रात भर उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए कड़ी मेहनत की। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई, उनका PCS में सलेक्शन हो गया। अपनी इस कामयाबी का श्रेय दीप्ति अपनी माँ और पिता को देती है।
दीप्ति वैश्य का मानना कि महिलाये अगर ठान ले तो अपना मुकाम ज़रूर हासिल कर सकती है। जब महिलाये ऊँचे पद पर होती है, तो विशेष कर महिलाओ की अपेक्षाएं आप से काफी होती है। हम समाज सेवा के लिए ही इस नौकरी में आये है,हमें उनकी समस्याओ को प्राथमिकता से हल करना चाहिए।
उनकी पहली नियुक्ति उत्तराखंड सरकार ने टिहरी गढ़वाल के एस डी एम के पद पर की। इसके बाद पिथौरागढ़ और गंगोलीघाट की एस डी एम भी रही। गंगोलीघाट में नियुक्ति के दौरान महिलाओ की शिकायत पर अवैध शराब के खिलाफ उन्होंने जाबाज़ी से शराब माफियाओ के खिलाफ कार्यवाही की।
कुमाऊँ मंडल विकास निगम की जी एम रहते दीप्ति वैश्य ने पर्यटन में बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर मुहैया कराने पर ज़ोर दिया। अपर जिलाधिकारी चम्पावत और किच्छा चीनी मिल ई. डी. के पद पर भी कार्यरत रही। वर्तमान में ऊधम सिंह नगर ज़िले में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवँ राजस्व) के पद पर दीप्ति वैश्य अपना जलवा दिखा रही है। यहाँ भी वो अवैध अतिक्रमणकारियों से अकेले ही जूझ गई। उन्हें किसी सिफारिश से काम करना कतई पसंद नहीं है,वो दिल से अपने काम को अंजाम देती है। सच्चाई के लिए वो किसी से भी टकरा सकती है।
उनके पति मीडिया में कार्यरत है, अपनी नौकरी के साथ वो परिवार के लिए भी वक़्त निकल लेती है। अभी उनकी बिटिया छोटी है। लेकिन काम से निबट कर वो उस पर अपना ढेर सा प्यार उड़ेल देती है। यही है उनकी ज़िन्दगी का फलसफा।
साभार : खबर इंडिया टीवी
Bahut hi Badi aur Garv ki Baat hai........... Aise hi Logon ki hamare samaj aur desh ko jarurat hai...Inke liye Ek Grand Salute..................
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