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Sunday, January 13, 2019

महालक्ष्मी का महाराज अग्रसेन को अग्रकुल की कुलदेवी होने का वर

महालक्ष्मी का महाराज अग्रसेन को अग्रकुल की कुलदेवी होने का वर 

पद्मासने स्थिते देवी परब्रह्म स्वरूपिणी ।

परमेशी जगन्मातः महालक्ष्मी नमोस्तुते ।।

आज मार्गशीष पूर्णिमा को श्री हरिप्रिया महालक्ष्मी जी ने महाराज अग्रसेन को तृतीय और अंतिम वर दिया था। इसे अग्रवाल समाज महालक्ष्मी वरदान पर्व के रूप में मनाता है। अग्रसेन अपने पुत्र विभु को आग्रेय का राज्य सौंपकर महारानी माधवी के साथ वानप्रस्थ आश्रम स्वीकार कर तपस्चर्या करने चले गए । चलते चलते वो यमुना तट पर पहुंचे और वहां यमुना जी मे गोते लगाकर मन को एकाग्र करके , संक्षिप्त जप आदि का कर्म पूर्ण किया और वहां यमुना तट के महर्षियों द्वारा कहीं गईं कथाओं गाथाओं को सुनने लगे । तदोपरांत महाराज अग्रसेन और महारानी माधवी ने उत्तम तपस्या का अनुष्ठान प्रारम्भ किया और त्रिभुवन अधीश्वरी देवी महालक्ष्मी का स्तवन किया । अग्र-माधवी ने जगतपिता ब्रह्मा जी द्वारा रचित सैंकड़ों मंत्रों से श्रध्दापूर्वक महालक्ष्मी का पूजन किया । उन्होंने वर्षों तक एक पैर पे खड़े रहकर दुर्धर योग का अनुष्ठान किया ऐसे कठोर व्रत का पालन करते हुए उन दोनों का शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया था और उनका शरीर, चमड़े से ढकी हड्डियों का ढांचा मत्र राह गया था । उनके इस कठोर तप से प्रसन्न होकर साक्षात महालक्ष्मी कमल दल पे विराजमान होकर प्रकट हुईं । और उन्हें अग्रकुल की कुलदेवी होने का वर दिया ।

श्री उवाच

भविष्यति प्रसादन्मे वंशास्ते तेजसंविताः।
परित्राणाय लोकानं सत्यमेदत् ब्रवीमि ते।।

श्री लक्ष्मी ने कहा- हे अग्र! मेरी कृपा से तुम्हारा वंश , स्वयं तुम्हारे तेज से परिपूर्ण होगा , जो तीनों लोकों के संकटों से संसार के लोगों को मुक्ति दिलाएगा , मैं तुमसे ये सत्यवचन कहती हूं।

तव तुष्टा प्रदास्यमि राज्यमायुर्वपूः सुतान्।
न तेसाम दुर्लभं किश्चिदस्मिनलोके भविष्यति।।

हे अग्र ! तुम्हारे वंश द्वारा संतुष्ट होने पर मैं उन्हें राज्य, दीर्घायु, निरोगी शरीर, व श्रेष्ठ पुत्र प्रदान करूंगी और तब उनके लिए संसार मे कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं होगी ।

पूज्यस्व कुले नित्यं सोअग्रवंशो भविष्यति।
कुलेम् ते न वियोक्ष्यामि यावच्चंद्रादिवाकारं।।

हे अग्र ! जिस कुल में मेरी नित्य पूजा होती हो ऐसा तुम्हारा अग्रवंश होगा , मैं तुम्हे वचन देती हूं जब तक सूरज और चंद्र विद्यमान है मैं पूजित होने पे तुम्हारे कुल का परित्याग नहीं करूंगी ।

😊😊 जय कुलदेवी महालक्ष्मी जय श्रीमन नारायण 😊😊

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