'अमित शाह' होने का अर्थ, आइए जानते हैं इनके बारे में कुछ अनकही-अनसुनी बातें
अमित को बचपन से ही शतरंज में गहरी रुचि थी और वह एक उम्दा शतरंज खिलाड़ी हैं। अमित शाह जिस राष्ट्रवाद की बात करते हैं वह चाणक्य द्वारा प्रतिपादित राष्ट्रवाद ही है।
'सार्वजनिक छवि' और 'व्यक्तित्व', दो अलग-अलग पहलू हैं। व्यक्ति की सार्वजनिक छवि के आधार पर उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। सीमित जानकारी के आधार पर व्यक्तित्व की थाह नहीं लगाई जा सकती है। यह काम आसान है भी नहीं। व्यक्तित्व आधुनिक मनोविज्ञान का अहम विषय है। आज के दौर में, विशेषकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में, व्यक्तित्व के मूल्यांकन की विधा और इसकी आवश्यकता प्रासंगिक हो गई है।
व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्तिके व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता है, यही इसका हासिल भी है। मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ है- व्यक्ति की बाह्य छवि और उसके आंतरिक गुणों का समावेश। 17वीं लोकसभा के लिए जनता ने श्रेष्ठतम विकल्प का चयन किया। जनसाधारण ने जिन नेताओं को चुना, उनमें से कुछ ने मंत्री पद की शपथ ले ली है और 17 जून से आहूत संसद के प्रथम सत्र में लोकसभा सदस्यता की शपथ लेंगे। आइये मंत्रीगण के व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करें। इनके बारे में हम कुछ ऐसी अनकही-अनसुनी बातें आपसे साझा करेंगे, जो इनके व्यक्तित्व को समझ पाने में आपकी सहायता करेंगी। शुरुआत करते हैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के व्यक्तित्व को समझने से..। नई दिल्ली से अतुल पटैरिया की रिपोर्ट।
सरदार पटेल के परिवार से शाह परिवार का बेहतर मेल-जोल था। 1977 में जब पटेल की बेटी मणि बेन चुनाव लड़ीं, तो 13 साल के अमित भी उनकी प्रचार टोली का हिस्सा हो लिए। इसके बाद संघ और फिर भाजपा से जुड़े और आज देश के गृह मंत्री हैं। अब तक उनकी सार्वजनिक छवि का ही मूल्यांकन किया जाता रहा है, व्यक्तित्व का नहीं। हालही आई किताब 'अमित शाह और भाजपा की यात्रा' के अलावा अन्य स्रोतों और निकटतम लोगों से जुटाए गई जानकारी बताती है कि अमित शाह के व्यक्तित्व में संस्कारों, संस्कृति, दर्शन, अध्यात्म, जीवन मूल्यों, अनुशासन और जीवन के प्रति आदर्श का विशेष योगदान है।
जिस तरह महात्मा गांधी के व्यक्तित्व पर उनकी मां का विशेष प्रभाव था, अमित शाह के व्यक्तित्व पर भी मां का विशेष प्रभाव रहा है। संपन्न कारोबारी परिवार में जन्मे अमित की मां विशुद्ध गांधीवादी थीं। जिन्होंने उन्हें उच्च जीवन मूल्यों, जीवन आदर्श और अनुशासन की सीख दी। भारतीय दर्शन, अध्यात्म, रामायण, महाभारत, महाकाव्य और इतिहास की शिक्षा उन्हें अपनी मां से संस्कारों के रूप में मिली है।
गांधी का प्रिय भजन वैष्णव जन. अमित शाह की सांसों में बसा है। इस बात का पता तब चलता है जब अमित अपनी नन्ही पोती को गोद में उठा यह भजन गुनगुनाने लग जाते हैं। अमित अपनी पोती रुद्री को बहुत स्नेह करते हैं। यहां तक कि गत चुनाव में अतिव्यस्त दिनचर्या में से भी कुछ पल निकाल कर वे रुद्री की एक आवाज सुनना नहीं भूलते थे। धीर-गंभीर-शांत-अनुशासित और कठोर प्रशासक दिखने वाले अमित शाह के व्यक्तित्व का यह पहलू उन्हें समझ पाने का एक अलग नजरिया देता है।
अमित शाह की परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई, जहां जीवन मूल्यों और आदर्शो को लेकर सजगता कहीं अधिक थी। अमित के दादा को ही लें, जिन्होंने उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा के लिए आर्चायों की नियुक्ति की थी, जो घर आकर पूर्ण पारंपरिक तरीके से अमित को शास्त्रोचित शिक्षा-संस्कार देते। इस दौरान अमित को भी गुरुकुल वाली पारंपरिक वेशभूषा धारण करनी होती थी। अमित के परिवार को महर्षि अरविंद जैसे महापुरुषों का भी निकट सानिध्य प्राप्त था। अमित ने अपने घर में आज भी उस आसननुमा कुर्सी को ससम्मान सहेज रखा है, जिस पर कभी महर्षि अरविंद घर आगमन पर विराजा करते थे।
दादाजी का अनुशासन ऐसा था कि अमित की बहनें तो बग्गी से स्कूल जाया करती थीं, लेकिन अमित को यह सुविधा नहीं दी गई थी। उन्हें पैदल ही स्कूल जाना होता। ऐसा इसलिए ताकि विलासिता से दूर रह सकें। उन्होंने यह सीख जीवन में उतार ली। गुजरात में बतौर पार्टी कार्यकर्ता उन्होंने अधिकांश यात्राएं गुजरात परिवहन की बसों से ही कीं। रोटी और आलू की सूखी सब्जी साथ लेकर चलते थे।
एक किस्सा यह भी है कि एक बार अमेठी में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक लेने वह पहुंचे। बैठक का आयोजन एक गोदाम में किया गया था। बैठक देर रात तक खिंच गई। बैठक के बाद अमित गोदाम में ही पड़े एक टूटे-फूटे सोफे पर सो गए। अमित शाह को जानने वाले कहते हैं कि वे बेहद अनुशासित हैं, लेकिन कड़क मिजाज नहीं हैं।
अमित को बचपन से ही शतरंज में गहरी रुचि थी और वह एक उम्दा शतरंज खिलाड़ी हैं। अमित शाह जिस राष्ट्रवाद की बात करते हैं, वह चाणक्य द्वारा प्रतिपादित राष्ट्रवाद ही है। चाणक्य के अलावा उनके विचारों पर सावरकर का गहरा प्रभाव है। चाणक्य और सावरकर की बड़ी सी तस्वीर भी कक्ष में शोभायमान है। यह पहलू समझने वाला है कि चाणक्य, गांधी और सावरकर, इन तीन स्पष्ट विचारधाराओं ने ही अमित के व्यक्तित्व को गढ़ा है। वहीं, भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों को उन्होंने आदर्श रूप में आत्मसात किया।
व्यक्तित्व के अनछुए पहलू
प्रेरणास्त्रोत : मां
प्रेरक चरित्र : चाणक्य, वीर सावरकर, महात्मा गांधी
आध्यात्मिक पक्ष : अध्यात्म में गहरी रुचि, शंकराचार्य से प्रेरित, भारतीय दर्शन से प्रभावित, आचार्य के. का शास्त्री का जीवन पर गहरा प्रभाव
अभिरुचि : अध्ययन में गहरी रुचि, यही वजह कि भाजपा कार्यालयों में पुस्तकालय संस्कृति को स्थापित किया, रामायण, महाभारत, महाकाव्य, दर्शन, शास्त्र, इतिहास पर अच्छी पकड़, शतरंज में महारत, क्रिकेट के शौकीन, खाने के शौकीन, पकौड़ा बेहद पसंद, भारतीय संगीत, गांधी के भजन गुनगुनाते हैं, कैफी आजमी की नज्में पसंद, नियमित डायरी लेखन, ज्योतिष की गहरी समझ, ज्योतिष को विज्ञान मानते हैं, पोती के जन्म से पहले ही कह दिया था- घर में लक्ष्मी आने वाली है..
सामाजिक पक्ष : सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ, बेटे के अंतर्जातीय विवाह का समर्थन किया था
राजनीतिक पक्ष : राजनीति को देश व समाज की सेवा का माध्यम और चुनाव को समाज और जन-जन से प्रत्यक्ष संपर्क व संवाद का माध्यम मानते हैं, संवाद प्रिय, राजनीति को पार्टटाइम काम नहीं मानते, यही वजह कि राजनीति में प्रवेश के बाद पारिवारिक कारोबार से दूर हो गए
आदर्श : राष्ट्रवाद और अंत्योदय
परिधान : खादी के वस्त्र प्रिय, सादगी पसंद
अनुशासन : वक्त के पाबंद, मितव्ययी, फिजूलखर्ची से नफरत, लक्ष्यप्राप्ति तक आराम नहीं, सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण, जीवन के हर क्षण का प्रगति में सदुपयोग, यही वजह कि 2006 से विदेश यात्रा नहीं की, कहते हैं कि जहां कोई उपयोगिता न हो वहां नहीं जाता, कलाई घड़ी नहीं पहनते, कहते हैं घड़ी अकसर उपहार संस्कृति का निमित्त बन जाती है, उपहार लेने से परहेज, घर में विलासिता की वस्तुओं नहीं, बेहद सादा फर्नीचर।
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।