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Monday, January 4, 2021

VISHESH GARG - CAT TOPPER 2020

हिमाचल के विशेष गर्ग ने CAT में हासिल किए 99.99 फीसद अंक, सुंदर पिचाई से हुए प्रेरित


हिमाचल के छात्र विशेष गर्ग ने कैट की परीक्षा में 99.99 फीसद अंक हासिल कर न केवल शहर बल्कि हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है। विशेष गर्ग सोलन के सेंटलुक्स स्कूल से पढ़े हैं। इसके बाद एनआइटी हमीरपुर से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में किया।

हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के छात्र विशेष गर्ग ने कैट की परीक्षा में 99.99 फीसद अंक हासिल कर न केवल शहर, बल्कि हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है। विशेष की इस उपलब्धि से प्रदेश के लोगों में खुशी का माहौल है। विशेष गर्ग सोलन के सेंटलुक्स स्कूल से पढ़े हैं। इसके बाद एनआइटी हमीरपुर से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में किया। यहां डॉक्‍टर अशोक इनके शिक्षक रहे थे। वर्तमान में बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं। विशेष गर्ग ने बताया वह पढ़ाई का दिमाग पर प्रेशर नहीं आने देते थे।

गर्ग का कहना है कि कैट परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने केवल उन्हीं टॉपिक पर अपना ध्यान केंद्रित किया जिनमें वह कमजोर थे। नौकरी के साथ साथ पढ़ाई करना बेहद मुश्किल था, लेकिन इसका बेहतर प्रबंधन किया और रात के समय शांत माहौल में पढ़ाई की आदत बनाई। अवकाश के दिन वह पढ़ाई के साथ साथ कसरत पर पूरा ध्यान देते।

गर्ग ने कहा अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध है, लेकिन कोचिंग मेरे लिए मददगार थी। उनका कहना है कि देश के टॉप आइआइएम में एडमिशन लेकर एमबीए उत्‍तीर्ण कर एक अच्छा उद्यमी बनना उनका लक्ष्य है। पिता नरेश गर्ग बेटे की उपलब्धि से काफी उत्साहित हैं। (CAT यानी Common Admission Test) कैट परीक्षा में देश भर में अव्वल रहना बड़ी उपलब्धि है।

विशेष गर्ग ने बताया कि वह हमेशा एक प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन सत्या नडेला और सुंदर पिचाई की सफलता की कहानियों ने उन्हें करियर की पसंद के रूप में मैनेजमेंट करने के लिए प्रेरित किया। कैट में 99.99 प्रतिशत के साथ परीक्षा पास करने के बाद उन्हें अब एहसास हुआ है कि मेहनत और लगन से पढ़ाई और काम करने पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। विशेष गर्ग ने बताया कि वह पढ़ाई, नौकरी व कोचिंग के साथ साथ खुद को रिलैक्स रखना नहीं भूले। इसके लिए वह म्यूजिक सुनते और सवेरे व शाम को पैदल लंबी वाक पर निकलते थे। ऐसा करने से वह मानसिक दबाव नहीं आने देते थे।

लेख साभार: दैनिक जागरण 

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