रामजन्मभूमि आंदोलन की वैश्य विभूतियां
"रघुबर की छबि समान रघुबर छबि बनिया"
लोग आज वैश्य वर्ग या व्यापारिक जातियों(अग्रवाल, खत्री, सिंधी, जैन,बनिया, माहेश्वरी, आदि) के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। पूछते हैं इन्होंने किया ही क्या है देश और धर्म के लिये। लेकिन अगर हम और सब चीजों को छोड़ भी दे सिर्फ राम जन्मभूमि आंदोलन को ही लें तो उसमें सबसे बड़ा हाथ निसंदेह इसी वर्ग का था..
हिंदुत्व पुरोधा श्रद्धेय श्री अशोक सिंहल -माननीय अशोक सिंहल जी ने विश्व के सबसे बड़े आंदोलन राम जन्मभूमि आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। अशोक सिंहल जी आगरा, उत्तरप्रदेश के सम्पन्न अग्रवाल परिवार से थे। उन्होंने राम जन्म भूमि न्यास के नाम से ट्रस्ट की स्थापना की थी। क्या आप जानते हैं की वो कोई बाबा या साधु नहीं बल्कि IIT BHU से पासआउट इंजीनियर थे। उन्होंने सर्व प्रथम 1989 में एक ईंट अपने सर पर रखकर राम जन्मभूमि आंदोलन का शिलान्यास किया और उसी के ठीक 30 वर्ष पश्च्यात सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि आंदोलन के पक्ष में फैसला आया। अशोक सिंघल जी के नेतृत्व में विहिप ने पूरे देश में बड़ी बड़ी रैलियां आयोजित की जिसमें अशोक जी की तेजस्वी वाणी से लोगों में जोश भरा। अशोक सिंघल जी ने अपना पूरा जीवन राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया था। ये रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान कई बार पुलिस की लाठियों से घायल हुए लेकिन उन्होंने अपनी राम जन्मभूमि के प्रति लगन कम नहीं होने दी। उन्होंने बीजेपी की सरकार में भी, जिस समय माननीय श्री अटल बिहारी जी प्रधान मंत्री थे, रामलला के मंदिर निर्माण के लिए अनशन पर बैठे। सुब्रमनियम स्वामी ने राम मन्दिर का फैसला आने के बाद श्री अशोक सिंघल जी के लिए भारत रत्न की मांग की है।
कोठारी बंधु - राम कोठारी और शरद कोठारी इन दो युवा भाइयों को कोठारी बंधुओं के नाम से जाना जाता है। कोठारी बंधु कोलकाता के सफल व्यापारिक मारवाड़ी वैश्य घराने से थे। ये 1990 की कारसेवा में कोलकाता से पैदल चलकर अयोध्या पहुँचे थे। इन्होंने 30 अक्टूबर 1990 को बाबरी मस्जिद पर भगवा लहरा दिया था। 2 अक्टूबर को पुलिस की यूपी गोली से इनकी मृत्यु हुई।
देवकी नंदन अग्रवाल - देवकीनंदन अग्रवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने रामलला (नाबालिग) के मित्र के नाते अदालत में मुकदमा दायर कर कहा कि मुकदमे में रामलला को पार्टी बनाया जाय; क्योंकि इमारत में तो रामलला विराजमान हैं। मौके पर उनका कब्जा है। इसी के बाद हाईकोर्ट ने रामलला (मूर्ति) को पार्टी बनाया। अयोध्या विवाद से संबंधित 5 मुकदमे दायर किए गए थे। जिसमें से अंतिम व पाँचवाँ मुकदमा (संख्या 236/1989) भगवान रामलला विराजमान की ओर से 1 जुलाई, 1989 को देवकीनंदन अग्रवाल ने दायर किया था। कानून के जानकार देवकीनंदन अग्रवाल ने भगवान राम के निकट मित्र के रूप में अपने को पेश किया था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्राण-प्रतिष्ठित मूर्ति एक जीवित इकाई है और अपना मुकदमा लड़ सकती है। लेकिन प्राण-प्रतिष्ठित मूर्ति नाबालिग मानी जाती है, इसलिए उनका मुकदमा लड़ने के लिए किसी एक व्यक्ति को माध्यम बनाया जाता है। न्यायालय ने रामलला का मुकदमा लड़ने के लिए देवकीनंदन अग्रवाल को रामलला के अभिन्न सखा के रूप में अधिकृत किया। न्याय प्रक्रिया संहिता की धारा 32 मानती है कि विराजमान ईश्वर (मूर्ति) को एक व्यक्ति माना जाता है। उसे एक व्यक्ति मानकर पक्षकार बनाया जा सकता है। इस आधार पर अदालत ने उनकी याचिका मंजूर कर ली। देवकीनंदन अग्रवाल द्वारा दायर मुकदमे में अदालत से माँग की गई थी कि राम जन्मभूमि अयोध्या का पूरा परिसर वादी (देव-विग्रह) का है, अत: राम जन्मभूमि पर नया मंदिर बनाने का विरोध करने वाले या इसमें किसी प्रकार की आपत्ति या बाधा खड़ी करने वाले प्रतिवादियों को उन्हें कब्जे से हटाने से रोका जाए।
बीजेपी के लौहपुरुष लाल कृष्ण आडवाणी और नरेंद्र भाई मोदी की राम रथ यात्रा - लाल कृष्ण आडवाणी जी का जन्म कराची के एक सिंधी परिवार में हुआ था। रामजन्मभूमि आंदोलन को खड़ा करने में आडवाणी जी का बहुत बड़ा हाथ था। इन्होंने पूरे देश में रामरथ यात्रा निकाल कर अपनी ओजस्वी वाणी से रामलला मंदिर निर्माण के लिए लोगों में जोश भरा। उनके सारथी थे वर्तमान प्रधानमंत्री "नरेंद्र भाई दामोदरदास मोदी"
जय भगवान गोयल - अग्रवंशी जय भगवान गोयल वो शेरदिल शख्शियत जिसने सबसे पहले नेशनल टेलीविजन पर स्वीकारा की हाँ हमने तोड़ी थी बाबरी मस्जिद जो प्रतीक थी गुलामी की। इन्होंने कोर्ट में ये कहा था कि वह ढांचा मैंने ढहाया जो सजा देनी है मुझे दो।
सीताराम गोयल - सीताराम गोयल जी का मंदिर आंदोलन में अद्वितीय योगदान था। सीताराम गोयल जी ने भारत भर में आक्रान्ताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों की पूरी सूची, तथ्यों और तस्वीरों के साथ संकलित की थी, व इसमें सप्रमाण सभी तोड़े गए मंदिरों की पूरी डिटेल हिन्दू समाज के सामने रखी थी, जिसमें अयोध्या का श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर भी था।
रामानंद सागर की रामायण, अरुण गोविल का किरदार और रविन्द्र जैन जी के भजन - रामानंद सागर जी का जन्म पंजाब के खत्री परिवार में हुआ था। अगर हम ये कहें रम जन्मभूमि आंदोलन का ज्वार रामानंद सागर जी की रामायण की वजह से खड़ा हुआ था तो उसमें भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ये प्रसारण ऐसा दौर लेकर आया कि न केवल सड़कें सुनसान हो जाती थीं, बल्कि रेलवे स्टेशनों पर पर रुकने वाली ट्रेन का चालक दल भी "रामायण" देखने चले जाते थे.और ट्रेन अपने तय समय से चूक जाती थी! लगभग 65 करोड़ लोग इस धारावाहिक को नियमित रूप से देखते थे। रविन्द्र जैन जी इस रामायण की आवाज़ थे। उनके गाये और लिखे हुए गानों को सुनकर लोग रो पड़ते थे।
कहते हैं की राम जन्मभूमि आंदोलन में सबसे ज्यादा वैश्य बंधु ही गिरफ्तार हुए थे। ये था उनका राम प्रेम।
जय श्री राम
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