Chhattisgarh Vaishya Teli Sahu Samaj Gotra
छत्तीसगढ के तेली साहू समाज में प्रचलित गोत्रं
ब्रम्हा के पुत्र कषपय ऋषि को आदि गोत्र पिता एवं आदिति को गोत्र माता माना जाता है । अभी तक चिन्हित 903 गोत्रों में से लगभग 85 गोत्र छत्तीसगढ में प्रचलन में है :-
1) अष्ठबंधु 2) अठभैया 3) आडिल 4) अटभया 5) अटलखाम 6) अरठोना 7) अडील 8) आटनागर 9) आडी 10) कन्नोजिया 11) कलिहारी 12) कष्यप 13) कुंवरढांढर 14) किराहीबोईर 15) किरण 16) केकती 17) गंजीर 18) गंगबेर 19) गंगबोइर 20) गजपाल 21) गायग्वलिन 22) गाडागुरडा 23) गुरूपंच 24) गुरूमाणिक पंच 25) गुरू पंचांग 26) घिडोरा 27) चंदोले 28) चंदन मलागर 29) चोरनार 30) चोरमार 31) छटबी 32) जग्डिया 33) जेठमल 34) झपटमार 35) झपटमार सार्वा 36) ढावना 37) तेलासी 38) तोनिहा 39) तुरूपमार 40) तिलभुजिया 41) दहेले 42) धुवक्का 43) नाग 44) बाडाबाघ 45) बारावाघ 46) बाडावाक 47) बनपेला 48) बरपेला 49) बरामार 50) बेलपुरिया 51) भैंसा 52) भोंसले 53) मांढर टेका 54) मांढारटेका 55) महापात्र 56) मलघाटी 57) महमल्ला 58) महेश्वरी 59) सार्वा 60) साबराटी 61) साहढा 62) सिंह सार्वा 63) सिरपारू 64) सेनकपाट 65) सोनबोईर 66) सोनबरहा 67) सोनबरसा 68) सोनवानी 69) सोनकालर 70) सोनकथरी 71) सोनकलिहारी 72) सोनखडी 73) सोनगेर 74) सेनगेरवा 75) सोनबेर 76) सोनबेरसा 77) सोनसाटी 78) सोनपडे 79) हिरवानी 80) गुपकुमार सर्वा 81) सिरसाठ 82) सोनकला 83) सांधुरि 84) साबरसांटी 85) कौशिक 86) कौशिल 87) सुलुभ मलागर 88) लोहोरिया 89) खांडढिहा 90) बागरिया 91) पांच खोरिहा 92) मरकाम 93)
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।