JAGAT SETH - जगत सेठ : भारत के सबसे अमीर आदमी जिनसे अंग्रेज भी लेते थे कर्जा
ब्रिटिशकाल के ऐसे कई राजा हैं, जिनसे आज तक कई भारतीय परिचित नही है. इतिहास के पन्नो को यदि खोला जाए तो ऐसे कई व्यक्तियों के बारे में हमें जानकारी प्राप्त होगी जिनसे हम अभी तक अनजान है. कुछ ऐसे रहस्यों से पर्दा उठता है, जो कई सदियों से बंद है.
ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो यह महत्वपूर्ण होते हैं. आज हम जिस राजा की बात कर रहे है वह ब्रिटिशकालीन भारत के सबसे अमीर व्यक्ति थे. वह ऐसे व्यक्ति थे जिनसे ब्रिटिशों तक ने पैसों और सहायता लेनी पड़ी थी.
अभी तक जितनी हमें जानकारी थी उस आधार पर हम निर्णय करते थे की ब्रिटिशों ने भारत पर सिर्फ अपनी हुकूमत चलाई है, और कभी भी किसी के आगे सर नहीं झुकाया. आज भी यदि हमारी यही सोच है तो हम गलत हैं.
ब्रिटिशकाल में भी भारत में ऐसा व्यक्ति था जिसके आगे ब्रिटिश साम्राज्य नतमस्तक रहता था. हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे है वह और कोई नहीं बंगाल के मुर्शिदाबाद स्थित जगत सेठ है, जिन्हें जगत सेठ ऑफ मुर्शिदाबाद के नाम से भी जाना जाता है.
आज के समय में भले ही बंगाल का मुर्शिदाबाद शहर गुमनामी में जी रहा हो, लेकिन उस समय यह हर किसी के लिए व्यापारिक केंद्र हुआ करता था. हर तरफ इसी स्थान के चर्चे हुआ करते थे. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हुआ हो उस समय जो इस स्थान और जगत सेठ के बारे में न जानता हो.
आपकी जानकारी के लिए बता दे की जगत सेठ किसी जगह के कोई राजा महाराजा नहीं थे, बल्कि वह बंगाल के सबसे अमीर और मशहूर साहूकार थे. जगत सेठ एकमात्र ऐसे साहूकार थे जो हर किसी को उधर देते थे. यहाँ तक की उनसे बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी धन उधार लिया करते थे. जिस कारण जगत सेठ बंगाल के सबसे विशिष्ट व्यक्तियों में गिने जाते थे.
धन के साथ-साथ जगत सेठ अपने दिमाग और कई तरह की रणनीतियो में भी निपुण थे. उस समय कहा जाता था की, जगत सेठ अपनी रणनीतियों से बड़े से बड़े राजा-महाराजा और नवाबों की सत्ता को नियंत्रित करने की शमता रखते थे.
अंग्रेजों ने भारत के हर कोने-कोने से धन-संपदा को एकत्रित कर अपने देश ब्रिटेन में पहुंचाया हो लेकिन कभी भी उन्होंने जगत सेठ की तरफ निगाह उठाकर भी नहीं देखा और न ही उन्हें हाथ लगाया.
बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और मीरजाफर-मीरकासिम विवाद में जगत सेठ का नाम जोड़ा गया था, उन्होंने नवाबों के खिलाफ़ अंग्रेजों को सहायता की थी.जिस वजह से अंग्रेज जगत सेठ के आभारी रहा करते थे.