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Friday, June 18, 2021

अग्रवाल समाज एक बुद्धिमान समाज

*अग्रवाल समाज*
*एक बुद्धिमान समाज*
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*यह वाक्या, बात उस समय का है जब बादशाह अकबर थे, एक दिन उन्होंने वीरबल से पूँछा, वीरबल हिंदुस्तान में सबसे बुद्धिमान समाज कौन सा है।*
*वीरबल :- हुजूर "अग्रवाल" सबसे बुद्धिमान समाज है।*
*अकबर तो हर बात का प्रमाण चाहते थे*
*अकबर:- हमें इसका दीदार (प्रैक्टिकल) रूबरू कराओ*
*वीरबल ने सभी समाज और जातियों के दो दो लोगों को लाल किले में बुलाया, जब सब लोग लाल किले के दीवाने आम में आये तो दोनों "अग्रवाल" भाई सबसे आगे बैठे, जो अकबर के बिल्कुल नजदीक (अगर कभी मिले तो अकबर पहचान लें)*
*अब वीरबल ने अकबर का फरमान सबको सुनाया*
*वीरबल :- आप सभी लोग अपनी अपनी मूँछे बादशाह को भेंट करें। यह सुन दोनों "अग्रवाल" भाई धीरे धीरे लाइन में सबसे पीछे चले गए।*
*सब लोग आते गए और उनकी मूँछे कटती गई और अंत मे दोनों "अग्रवाल" भाई ही रह गए और अब उनका ही नंबर था।*
**तब "अग्रवाल" भाई बोले कि* *हम मूँछे तो कटवा लें "पर" एक बात हैं*
**वीरबल ने अकबर के कान में* *कहा कि देखिए अब इनके* " *पर" निकलने शुरू हो* *गए हैं **
*अकबर:- बोले क्या बात हैं ।*
*"अग्रवाल"भाई:- हमारे हिन्दू समाज में मूँछे तब कटती हैं जब पिता का स्वर्गवास हो जाता हैं और बड़े होने पर जब हमारी मूँछे निकलती है तब तक कम से कम 10,000 दीनारों का खर्चा आ जाता है। तब अकबर के आदेश पर 10,000 दीनार की थैली दी गई, "अग्रवाल" भाइयों ने थैली को तुरंत पकड़ लिया और बोले कि हुजूर इसकी क्या जरूरत हैं । अकबर ने कहा कि भुगतान पूरा हुआ अब यह शाही मूँछे हो गई है दोनों "अग्रवाल" भाइयों ने इसकी सहमति दी।*
*जब शाही हज्जाम ने उनकी मूंछों पर पानी लगाना शुरू किया, तभी शाही हज्जाम को दो झापड़ रसीद किये हज्जाम चिल्लाया हुजूर मुझे मारा, अकबर के पूछने पर "अग्रवाल" भाई ने कहा कि यह इन शाही मूंछो पर बेअदबी से पानी लगा रहा हैं इसको बोलो की अदब और तमीज से पानी लगाए, अकबर भी हज्जाम से बोले कि अदब से पानी लगाओ।*
*अब जैसे ही शाही हज्जाम ने "अग्रवाल" भाई की मूँछो पर उस्तरा लगाया, तभी उस हज्जाम को चार झापड़ और रसीद किये।*
*अब शहंशाह अकबर आए और बोले कि हमारे हज्जाम को क्यों मारा। तब "अग्रवाल " भाई ने कहा कि हुजूर हमारे बुजुर्गो ने हमे यही शिक्षा दी है कि बादशाह सलामत की इज्जत के लिये अपना सिर कटवा देना पर उनकी मूँछे कभी झुकने नहीं देना। आपने इनका भुगतान कर दिया हैं अब यह शाही मूँछे आपकी हो गई हैं हमारे रहते हुये यह आपकी मूँछे कैसे कोई काट सकता है।*
*बात बादशाह अकबर की समझ मे आई और शाही हज्जाम पर चिल्ला कर बोले कि यह शाही मूँछे है यह नही काटी जाएगी। जब दोनों "अग्रवाल" भाई वहाँ से विदा लेकर चले गए तब वीरबल ने बादशाह से कहा कि दोनों "अग्रवाल"भाई 10,000 दीनार की रकम भी ले गए, आपके शाही हज्जाम को 4, 6 झापड़ मार गए और अपनी मूँछे भी सही सलामत ले गए अब आप ही फैसला करें कि कौन सी जाति बुद्धिमान हैं ।*
**बादशाह अकबर ने कहा वीरबल* *तुम सही कह रहे हो* *वास्तव में "अग्रवाल" समाज* *का बुद्धिमानी में कोई* *जबाब ही नहीं हैं ।"*
*महाराजा अग्रसेन जी की जय*
*धन्यवाद*

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