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Saturday, June 26, 2021

ABHINAV SHAH - HARSH THAKKAR

ABHINAV SHAH - HARSH  THAKKAR 

आज की पॉजिटिव खबर:रांची के हर्ष ने दोस्त के साथ मिलकर 9 साल पहले 25 गायों के साथ शुरू किया डेयरी का बिजनेस, आज 200 करोड़ रु. है टर्नओवर


झारखंड के रांची के रहने वाले हर्ष ठक्कर एक बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता किराना स्टोर का बिजनेस करते थे। पढ़ाई के साथ ही हर्ष पिता के काम में भी मदद करते थे। इस तरह उन्हें मार्केटिंग का काम समझ में आ गया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने डिस्ट्रीब्यूशन की फील्ड में काम करना शुरू किया। करीब 18 साल तक वे बिहार और झारखंड में अलग-अलग कंपनियों में काम करते रहे। इसके बाद 2012 में उन्होंने अपने एक दोस्त अभिनव शाह के साथ मिलकर डेयरी फार्म का बिजनेस शुरू किया। आज उनकी टीम में 400 से ज्यादा लोग काम करते हैं और करीब 200 करोड़ रुपए उनकी कंपनी का टर्नओवर है।

43 साल के हर्ष बताते हैं कि बिजनेस तो मुझे विरासत में ही मिला था। इसलिए वह हमेशा से मेरे प्लान में रहा। 2012 में मैंने तय किया कि बहुत नौकरी कर ली, अब खुद का काम शुरू करना चाहिए। जब मैं दूसरे की मार्केटिंग कर सकता हूं तो खुद की क्यों नहीं। इसी सोच के साथ मैंने और अभिनव ने मिलकर इस काम को शुरू किया। तब अभिनव एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रहे थे। वे कहते हैं कि तब डेयरी सेक्टर नया था। बिहार, झारखंड में बड़ा ब्रांड एक ही था जो राज्य सरकार के अधीन था। हमें लगा कि इस सेक्टर में हम उतरते हैं तो आगे ग्रोथ काफी अच्छी रहेगी, क्योंकि मार्केट में ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं हैं।


पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के साथ अभिनव शाह और उनके साथी। अभिनव भी हर्ष के साथ Osom के को-फाउंडर हैं।

25 गायों के साथ शुरू किया बिजनेस

हर्ष और अभिनव ने मिलकर खुद की सेविंग्स से 25 गायें खरीदी। फिर उनके रखरखाव की व्यवस्था की। इसके बाद उन्होंने कुछ और लोगों को अपने काम के साथ जोड़ा और घर-घर दूध पहुंचाने का काम करने लगे। वे हर दिन दूध निकालते और रांची में बड़ी-बड़ी सोसाइटियों में घर-घर दूध की डिलीवरी करते थे। इस तरह धीरे-धीरे उनका काम बढ़ता गया। एक साल में ही 25 लाख रुपए का बिजनेस उन्होंने किया। इसके बाद पशुओं की संख्या बढ़ानी शुरू कर दी। 2015 में उनके पास 300 से अधिक मवेशी हो गए।

हर्ष कहते हैं कि घर-घर ताजा दूध पहुंचाने में हमें एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा। अगर वक्त से दूध नहीं पहुंचा या गर्मी बढ़ गई तो दूध फटने की शिकायत मिलती थी। साथ ही प्रोडक्शन बढ़ गया तो उन्हें स्टोर करके रखने में भी दिक्कतें आने लगी। इसको लेकर हमने रिसर्च किया। डेयरी और दूध के संबंध में जानकारी जुटाई। तब हमें मालूम हुआ कि अब प्रोडक्शन से ज्यादा प्रोसेसिंग पर फोकस करना होगा।

प्रोडक्शन छोड़ प्रोसेसिंग पर फोकस


हर्ष और उनकी टीम दूध के साथ ही घी, दही, पेड़ा जैसे दो दर्जन से ज्यादा प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही है।

2015-16 में हर्ष और उनकी टीम ने अपनी गायें किसानों को बेच दी और 5 से 6 करोड़ रुपए के बजट के साथ रांची में प्रोसेसिंग प्लांट की नींव रखी। अब उन्होंने किसानों से दूध लेकर उसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग करना शुरू कर दिया। उन्होंने Osom नाम से खुद की कंपनी बनाई और झारखंड के साथ ही बिहार में भी डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए प्रोसेस्ड मिल्क और उससे बने घी, दही, पेड़ा जैसे प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग करने लगे।

इससे उनके बिजनेस का दायरा और अधिक बढ़ गया। जल्द ही उन्होंने झारखंड के बाहर भी काम करना शुरू कर दिया। अभी उनके तीन प्रोसेसिंग प्लांट हैं। इनमें से दो झारखंड में और तीसरा बिहार में है। फिलहाल वे दूध के साथ दो दर्जन से ज्यादा वैराइटी के डेयरी प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं।

कैसे करते हैं काम, क्या है मार्केटिंग मॉडल?

हर्ष कहते हैं कि झारखंड के सभी जिलों में और बिहार के करीब 15 से 20 जिलों में हमारी टीम काम करती है। यहां गांव लेवल पर हमारे कलेक्शन सेंटर बने हैं। जहां किसान अपने दूध को बेच सकते हैं। यहां किसान के दूध की क्वालिटी टेस्टिंग होती है और फिर उसे हर दस दिन के हिसाब से पेमेंट किया जाता है। यहां से दूध को चिलिंग सेंटर लाया जाता है। जहां दूध को ठंडा किया जाता है ताकि वह ज्यादा देर तक रखने पर भी खराब न हो। इसके बाद उसे प्रोसेसिंग सेंटर पर लाया जाता है। यहां दूध की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग होती है।


बिहार और जारखंड में हर्ष की टीम के साथ 17 हजार से ज्यादा रिटेलर्स जुड़े हैं। जिसके जरिए वे अपनी मार्केटिंग करते हैं।

मार्केटिंग के लिए हर्ष ने बिहार और झारखंड में ब्लॉक लेवल पर डिस्ट्रीब्यूटर्स बना रखे हैं। अभी 350 से ज्यादा उनके साथ डिस्ट्रीब्यूटर्स जुड़े हैं। जबकि 17 हजार से ज्यादा रिटेलर्स हैं। इनके जरिए वे अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हैं। इसके साथ ही फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उनके प्रोडक्ट मौजूद हैं। हर्ष कहते हैं कि कोरोना के चलते हमारा काम काफी प्रभावित हुआ है। जल्द ही हम दूसरे राज्यों में भी अपना काम शुरू करेंगे।

कम बजट है तो 4-5 पशुओं के साथ कर सकते हैं शुरुआत

अगर आपका बजट कम है या आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो आप दो से चार पशुओं के साथ अपनी डेयरी शुरू कर सकते हैं। आगे धीरे-धीरे आप जरूरत के हिसाब से पशुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं। इसमें दो से तीन लाख रुपए का खर्च आ सकता है, लेकिन अगर आप कॉमर्शियल लेवल पर इसे शुरू करना चाहते हैं तो कम से कम 10 से 15 लाख रुपए के बजट की जरूरत होगी। इसके साथ ही अगर आप दूध के साथ उसकी प्रोसेसिंग भी करना चाहते हैं तो बजट ज्यादा बढ़ जाएगा। प्रोसेसिंग प्लांट सेटअप करने में एक करोड़ रुपए तक खर्च हो सकते हैं। बेहतर होगा कि धीरे-धीरे बिजनेस को आगे बढ़ाएं।


फिलहाल हर्ष के पास तीन प्रोसेसिंग प्लांट हैं। इनमें से दो झारखंड में स्थित हैं जबकि तीसरा बिहार के आरा जिले में है।

डेयरी स्टार्टअप के लिए लोन और सब्सिडी कहां से ले सकते हैं?

डेयरी स्टार्टअप के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से आर्थिक मदद मिलती है। 10 पशुओं तक के स्टार्टअप के लिए आप 10 लाख रुपए का लोन ले सकते हैं। यह लोन आप किसी सहकारी बैंक या SBI से ले सकते हैं। इस लोन पर NABARD की तरफ से 25% सब्सिडी भी मिलती है। और अगर आप आरक्षित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं तो 33% तक सब्सिडी ले सकते हैं।

सब्सिडी और लोन के लिए अप्लाई करने का तरीका भी बहुत आसान है। इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र का होना जरूरी है। साथ ही आपको अपने स्टार्टअप को लेकर एक प्रोजेक्ट भी तैयार करना होगा। जिसमें आपके बिजनेस मॉडल की जानकारी मेंशन होनी चाहिए। इसके लिए आप किसी प्रोफेशनल की मदद ले सकते हैं या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र भी जा सकते हैं। इसके साथ ही राज्य स्तर पर भी डेयरी फार्मिंग को लेकर लोन और सब्सिडी मिलती है। अलग-अलग राज्यों में स्कीम थोड़ी बहुत अलग हो सकती है। इसकी जानकारी भी आप नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से ले सकते हैं।



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