Pages

Thursday, June 3, 2021

भारत में व्यापारी की स्थिति

भारत में व्यापारी की स्थिति

अक्सर बाबा रामदेव को लाला , व्यापारी और बनिया कहा जाता रहा है। मैं खुद भी एक व्यापारी हूं , लाला हूं और जन्म और कर्म दोनों से बनिया हूं। और मैंने सदैव इस बात पर गर्व का अनुभव किया है कि मैं उस समुदाय से आता हूं जो भारत के आर्थिक चक्र को गतिमान रखने में सूक्ष्म योगदान देती है ।

लेकिन आजकल ऐसा वातावरण बनाए जा रहा है कि यह सब विशेषण एक गाली की लग रहे हैं। मैं अक्सर सोचता था कि सारे बड़े बिलेनियर या बड़ी बडी कंपनी अमेरिका में क्यों होती हैं जैसे गूगल , माइक्रोसॉफ्ट , एप्पल , फेसबुक , अमेजॉन , टेसला , वॉलमार्ट , बर्क शायर हेथवे , डोमिनोज , मैकडोनाल्ड , पिज़्ज़ा हट , KFC , एडोब , डेल , IBM , हेवलेट पेकर्ड, ऑरेकल , कोग्निजेंट, फोर्ड , जनरल मोटर्स , जे पी मोर्गेंन, सिटी ग्रुप , अमेरिकन एक्सप्रेस , पे पाल , नाइके , फायजर आदि आदि ।

इसका कारण यह था कि वहां पर एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया जाता है जबकि हमारे देश में बच्चों को शुरू से ही यह सिखाया जाता है कि तुम्हारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी हासिल करना है। व्यापारी या लाला की छवि सदैव एक लालची व्यक्ति की बनायी गई है ।

आज भी अंबानी अदानी जैसे उद्योगपति इतना टैक्स भरने के बावजूद और इतने लोगों को रोजगार देने के बावजूद कुछ लोगों के निशाने पर बने रहते हैं और गाली खाते रहते हैं ।

जहां तक बाबा रामदेव की बात है तो चूंकि उनकी कर्मभूमि उत्तराखंड है ,इस लिये मैं इस बात को अच्छी तरह से जानता हूं कि हरिद्वार में हजारों घरों का चूल्हा बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के कारण चलता है ।बाबा की कंपनी में हजारों कर्मचारी हैं जिनका वेतन उनकी योग्यता के अनुसार ₹10000 से लेकर लाखों रुपए महीने तक है.  उन सब कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा लोकल मार्केट मे जाता है जिस से अर्थिक चक्र चलता रहता है और समाज मे खुश हाली बनी रहती है । फिर उस से इतनी चिड क्यों ।

साभार: गोविन्द अग्रवाल जी

No comments:

Post a Comment

हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।