भारत में व्यापारी की स्थिति
अक्सर बाबा रामदेव को लाला , व्यापारी और बनिया कहा जाता रहा है। मैं खुद भी एक व्यापारी हूं , लाला हूं और जन्म और कर्म दोनों से बनिया हूं। और मैंने सदैव इस बात पर गर्व का अनुभव किया है कि मैं उस समुदाय से आता हूं जो भारत के आर्थिक चक्र को गतिमान रखने में सूक्ष्म योगदान देती है ।
इसका कारण यह था कि वहां पर एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया जाता है जबकि हमारे देश में बच्चों को शुरू से ही यह सिखाया जाता है कि तुम्हारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी हासिल करना है। व्यापारी या लाला की छवि सदैव एक लालची व्यक्ति की बनायी गई है ।
आज भी अंबानी अदानी जैसे उद्योगपति इतना टैक्स भरने के बावजूद और इतने लोगों को रोजगार देने के बावजूद कुछ लोगों के निशाने पर बने रहते हैं और गाली खाते रहते हैं ।
जहां तक बाबा रामदेव की बात है तो चूंकि उनकी कर्मभूमि उत्तराखंड है ,इस लिये मैं इस बात को अच्छी तरह से जानता हूं कि हरिद्वार में हजारों घरों का चूल्हा बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के कारण चलता है ।बाबा की कंपनी में हजारों कर्मचारी हैं जिनका वेतन उनकी योग्यता के अनुसार ₹10000 से लेकर लाखों रुपए महीने तक है. उन सब कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा लोकल मार्केट मे जाता है जिस से अर्थिक चक्र चलता रहता है और समाज मे खुश हाली बनी रहती है । फिर उस से इतनी चिड क्यों ।
साभार: गोविन्द अग्रवाल जी
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