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Wednesday, November 24, 2021

Tuesday, November 2, 2021

VAISHYA AND DONATION - दानधर्म और वैश्य

VAISHYA AND DONATION - दानधर्म और वैश्य


में भारत मे सर्वाधिक दान देने वाले 10 में से 5 वैश्य हैं। वेदांता के अनिल अग्रवाल, बजाज परिवार, कुमार मंगलम बिड़ला, मुकेश अम्बानी और गौतम अडानी... ये कोई नई बात नहीं है वैश्य हमेशा से दान-धर्म में अग्रणी रहे हैं... यहां तक कि भारत मे वैश्य कुल के भामाशाह को दानियों के पर्याय हैं.. मनुस्मृति में वैश्य समाज के लिए वर्णित 6 कर्मों में से दानधर्म प्रमुख है। वैश्यों के दानधर्म की एक समृद्ध परंपरा रही है। पुराण भी वैश्यों की दान परंपरा का बखान करते हैं तो अभी कुछ वर्ष पूर्व ही मोध वणिक कुल के मुकेश धीरूभाई अंबानी ने भगवती के कामाख्या शक्तिपीठ के शिखरों को सोने से मड़वा दिया था। वैश्यों ने हिन्दू धर्म के हर मोर्चे पर आर्थिक सहायता प्रदान की है और अभी भी कर रहे हैं। सर्व श्री महाराजा अग्रसेन, जगतसेठ भामाशाह, 1857 क्रांति के भामाशाह 'सेठ रामजीदास गुड़वाला', स्वतंत्रता संग्राम के कोषाध्यक्ष "'जमनालाल बजाज', करपात्री जी महाराज के भामाशाह 'सेठ रामकृष्ण डालमिया', रामजन्मभूमि आंदोलन के भामाशाह 'विष्णु हरी डालमिया', भारत वर्ष में भव्य मंदिर बनवाने वाले बिड़ला परिवार से लेकर वेदांता के अनिल अग्रवाल तक सभी वैश्यों की उस महान दान परंपरा के वाहक हैं...

साभार - प्रखर अग्रवाल

Monday, November 1, 2021

HARYANA AND AGRAWAL COMMUNITY

HARYANA AND AGRAWAL COMMUNITY

*हरियाणा और अग्रवाल समाज*
1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग 7 जिलों के साथ हरियाणा का निर्माण हुआ था ।आज हरियाणा को बने 55 साल हो गये । बढते हुये हरियाणा के विकास में सर्वाधिक योगदान अगर किसी समुदाय विशेष का है,तो वो अग्रवाल हैं ।
हरियाणा के अग्रवालों से जुडी कुछ विशेष बातें:
1 करीब 5000 वर्ष पुराने आग्रेय गणराज्य से अग्रवाल पूरे हरियाणा सहित देशभर में फैले ।
2 *भिवानी हरियाणा की सबसे बडी कपडे की मंडी* रही है जिसमें दो सौ दुकानें आज भी हैं,जहां अधिकतर कपडा व्यापारी अग्रवाल हैं ।
3 *चावल की सबसे बडी मंडी* तरावडी जिला करनाल में हैंं ,जहां से करोडों का व्यापार प्रतिवर्ष होता है। यहां के 90 % व्यापारी अग्रवाल हैं ।
4 हरियाणा में जगह जगह पर एक शताब्दी पुराने सनातन धर्म और आर्य समाज के नाम से खुले हुये स्कूल,कॉलेज ज्यादातर अग्रवालों ने स्थापित किये हुये हैं ।
5 हरियाणा में *शिक्षा के क्षेत्र में* अग्रवालों का सर्वाधिक योगदान हैं। आज से सौ साल पहले हिसार में लाला चन्दूलाल तायल की स्मृति में चन्दूलाल एंग्लो वैदिक हाईस्कूल खोला गया था,जो आज भी चल रहा है ।इसके अलावा पूंडरी जिला कैथल में भी सौ साल पुराने दो स्कूल चल रहे हैं ।हरियाणा के विभिन्न स्थानों पर सामूहिक व निजि रूप से स्कूल,कॉलेज चल रहे हैं ।सोनीपत,रोहतक,भिवानी,जीन्द में अनेक शिक्षण संस्थान अग्रवालों द्वारा संचालित हैं।
6 *कैथल एशिया की सबसे बडी अनाज मंडी है,* जिसमें 600 दुकाने हैं । यहां पर भी 80% व्यापारी अग्रवाल हैं।हरियाणा के सभी बड़ी बड़ी मंडियों में ये सेवायें दे रहे हैं।
7 हिसार से फतेहाबाद के बीच के अधिकतर कृषि वाले परिवार अग्रवाल ही रहे।जिसमें तीन सौ गांव के जमींदार भी हुआ करते थे।
8 हरियाणा के कृषि विकास में अपना मुख्य योगदान देने वाले *डॉ.कंवरसैन गुप्ता अग्रवाल* थे ।वे भाखडा नंगल बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के मुख्य सूत्रधार थे ।उनके द्धारा भाखडा बाँध से टोहाना तक एक मेन लाईन लाई गई थी,जिसके कारण पूरे हरियाणा में इसके पानी छोटी छोटी लाईनों से जाता है और आज भी टोहाना “नहरों का शहर‌” कहलाता है ।
9 जीन्द रियासत में सभी सरकारी पदों पर अधिकतर अग्रवाल थे।जीन्द राजा के दरबार में बीस से अधिक अग्रवालों को बैठने के लिये कुर्सी दी जाती थी ।कैथल रियासत में भी दरबारी अग्रवाल रहे।पटियाला रियासत के दीवान नरवाना से थे।
10 हरियाणा बनने से पहले पेप्सू राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री लाला वृषभान भी अग्रवाल थे ।
11हरियाणा विधानसभा में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले अग्रवाल:
हरियाणा के गठन के पूर्व से ही अग्रवाल मंत्री पद पर रह हैं। पेप्सू राज्य के स्पीकर,मंत्री पद पर रहे।हरियाणा की पहली डिप्टी स्पीकर श्रीमति लेखवती जैन रही। हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री व कई बार स्पीकर, मंत्री अग्रवाल रहे।
12 हरियाणा में अग्रवालों के सबसे पुराने ऐतिहासिक परिवारों की 600 वर्ष लेकर बारह सौ वर्ष पूर्व तक की वंशावलियां ज्ञात हो रही हैं।
13हरियाणा के विभिन्न स्थानों पर बड़ी मात्रा में मंदिर,तालाब,घाट व धर्मशाला का निर्माण गांव-गांव व शहर-शहर मिलता है।

साभार : लेखक श्री मोहित अग्रवाल 
हरियाणा का गौरव अग्रवाल समाज
Aggarwal foundation

HARYANA AGRAWAL'S PATTERNAL LAND - "अग्रवालों का हरयाणा कनेक्शन"

HARYANA AGRAWAL'S PATTERNAL LAND -  "अग्रवालों का हरयाणा कनेक्शन"

हरयाणा के बारे में अग्रवाल जैन कवि "विबुद्ध श्रीधर" लिखते हैं - "हरयाणा देश में असंख्य गांव हैं। इसके वासी बहुत परिश्रम करते हैं। उन्हें किसी दूसरे का आधिपत्य स्वीकार नहीं होता और उनको अपने दुश्मनों के रक्त को बहाने में महारत हासिल है । देवराज इंद्र खुद इस देश की प्रशंसा करते हैं। इस देश की राजधानी दिल्ली है। यहां के शासक अनंगपाल तोमर दुश्मनों को अपनी तलवार से काटने के लिए प्रसिद्ध हैं। जिनके स्थापित किये हुए लोह स्तंभ ने नागराज (शेषनाग) तक को हिला दिया था।"


हरयाणा अग्रवालों की पितृभूमि है। अग्रवाल कुल के आदिपुरुष महाराजा अग्रसेन हरयाणा में आग्रेय गणराज्य के संस्थापक थे। आग्रेय गणराज्य का सर्वप्रथम उल्लेख महर्षि वेदव्यास कृत महाभारत के कर्ण दिग्विजय पर्व में मिलता है। महाराजा अग्रसेन के वंशजों ने शताब्दियों तक आग्रेय गणराज्य पर शाशन किया। आग्रेय गणराज्य का दूसरा प्राचीन उल्लेख जैन ग्रंथ विदिशा वैभव में मिलता है। उसके अनुसार दूसरी शताब्दी में जैन श्रावक लोहाचार्य जी अग्रोहा आये और उनके उपदेशों से प्रभावित होकर अग्रोहा का तत्कालीन राजा "दिवाकर" और सवा लाख प्रजा जैन हो गयी थी। आज भी अग्रवालों की 14% जनसंख्या जैन है और ऐसे बहुत से अग्रवाल परिवार हैं जो जैन और सनातन दोनों धर्मों में मानते हैं।
 
आग्रेय गणराज्य का उल्लेख मालिक मोहम्मद जायसी कृत पद्मावत, ग्रीक इतिहासकार मेगस्थनीज कृत अलेक्जांडर इन्वेशन ऑफ इंडिया राहुल सांस्कृत्यायन कृत जय यौद्धेय, सारबान का शिलालेख आदि जगह पर भी मिलता है।

आग्रेय का अंतिम उल्लेख जियाउद्दीन बरनी द्वारा किया गया जिसमें उसने लिखा कि फ़िरोज़शाह तुगलक द्वारा किया गया। इतिहासकारों के अनुसार फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने अग्रोहा का विनाश कर उसके ध्वंसावशेषों से हिसार के फ़िरोजा का निर्माण किया। इस तरह अनेकों प्रमाणों से सिद्ध होता है कि अग्रवालों का निकास हरयाणा के अग्रोहा से ही हुआ है।

महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन के अनुसार महाराज अग्रसेन के वीर वंशजो को अग्र या यौधेय भी कहा जाता था जिन्होंने वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों से ढाल बनकर भारत भूमि की रक्षा की। लगातार विदेशी आक्रमणकारियों को झेलने के बाद अंततः आग्रेय गणराज्य का भी नाश हुआ लेकिन वो महाराज अग्रसेन की सभ्यता का नाश नहीं कर पाए।

जायसी कृत पद्मावत में खिलजी के मेवाड़ पर आक्रमण करने पर अग्रवालों का मेवाड़ की तरफ से लड़ना इतिहास में दर्ज है। 1857 के युद्ध में हुकुमचंद जैन/लाला झनकुमल सिंघल/रामजीदास गुड़वाला से लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक जमनालाल बजाज/लाला लाजपत राय तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रवालों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। रामजन्मभूमि आंदोलन हो, हिंदुओं के सबसे बड़ी धार्मिक प्रेस "गीताप्रेस गोरखपुर" की स्थापना हो, गौरक्षा के लिए डालमिया जी और लाला हरदेव सहाय का बलिदान हो हिंदुत्व के हर मुद्दे पर अग्रवालों ने आगे बढ़कर समाज का नेतृत्व किया।

एक रोचक तथ्य ये भी है कि सभी अग्रवाल हरयाणा से ही निकले जिन्होंने सिंघानिया, डालमिया, बजाज, मित्तल, जिंदल, गोयनका आदि व्यापारिक घराने स्थापित किये जो आज भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ हैं और उन्हें मारवाड़ी भी कहा जाता है।

साभार - प्रखर अग्रवाल

TANMAY GUPTA - NEET 2021 TOPPER


TANMAY GUPTA - NEET 2021 TOPPER

जम्मू-कश्मीर के तन्मय गुप्ता इंडिया टॉपर, 720 में से पाए 720 नंबर

पिता इंदिरा गांधी डेंटल कॉलेज में आर्थोडोंटिक्स विभाग के अध्यक्ष और मां शिवाली भी हैं दंत चिकित्सक। लगातार मिल रही लोगों से बधाई


नीट की परीक्षा पर पहला स्थान पाने के बाद परिजनों के साथ तन्मय गुप्ता

जम्मू के तन्मय गुप्ता ने नीट में देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है। तन्मय ने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं। डाक्टर माता-पिता की इकलौती संतान तन्मय ने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है। जम्मू-कश्मीर के मृदुल अग्रवाल स्टेट टॉपर बने हैं। मृदुल ने 700 अंक हासिल किए हैं। तन्मय के पिता डॉ. अक्षय गुप्ता इंदिरा गांधी डेंटल कॉलेज जम्मू के आर्थोडोंटिक्स विभाग के अध्यक्ष हैं।

रोजाना पांच घंटे करते थे पढ़ाई
मां डॉ. शिवाली भी दंत चिकित्सक हैं। वे गांधीनगर में निजी क्लीनिक चलाती हैं। तन्मय ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि जम्मू से प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने दिल्ली से शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई के साथ मेडिकल की तैयारी भी करते रहे। कोचिंग भी ली।रोजाना तीन से पांच घंटे तक अध्ययन से तैयारी की। पहले ही प्रयास में सफल होना उत्साहजनक है।

सफलता में माता-पिता और शिक्षकों का बताया योगदान
उन्हें पूरा विश्वास था कि सफलता जरूर मिलेगी। परिणाम सुनकर वह खुशी से फूले नहीं समा रहे। सफलता में माता-पिता की प्रेरणा और शिक्षकों का योगदान अहम रहा है। डॉ. अक्षय ने कहा कि इकलौती संतान होने के बाद भी उन्होंने दिल्ली भेजकर तन्मय को पढ़ाने का फैसला किया। अनुच्छेद 370 होने की वजह से नामी-गिरामी संस्थाओं में दाखिला नहीं हो पाता था।इस वजह से उन्होंने व शिवाली ने तन्मय को दिल्ली भेजकर 11वीं व 12वीं पढ़ाने का फैसला किया। नीट का परिणाम घोषित होते ही गांधीनगर स्थित डॉ. अक्षय के आवास पर बधाई देने के लिए उनके शुभचिंतक व रिश्तेदार पहुंच गए। फोन से भी लोगों ने बधाई संदेश दिए।

साभार: अमर उजाला