HARYANA AGRAWAL'S PATTERNAL LAND - "अग्रवालों का हरयाणा कनेक्शन"
हरयाणा के बारे में अग्रवाल जैन कवि "विबुद्ध श्रीधर" लिखते हैं - "हरयाणा देश में असंख्य गांव हैं। इसके वासी बहुत परिश्रम करते हैं। उन्हें किसी दूसरे का आधिपत्य स्वीकार नहीं होता और उनको अपने दुश्मनों के रक्त को बहाने में महारत हासिल है । देवराज इंद्र खुद इस देश की प्रशंसा करते हैं। इस देश की राजधानी दिल्ली है। यहां के शासक अनंगपाल तोमर दुश्मनों को अपनी तलवार से काटने के लिए प्रसिद्ध हैं। जिनके स्थापित किये हुए लोह स्तंभ ने नागराज (शेषनाग) तक को हिला दिया था।"
हरयाणा अग्रवालों की पितृभूमि है। अग्रवाल कुल के आदिपुरुष महाराजा अग्रसेन हरयाणा में आग्रेय गणराज्य के संस्थापक थे। आग्रेय गणराज्य का सर्वप्रथम उल्लेख महर्षि वेदव्यास कृत महाभारत के कर्ण दिग्विजय पर्व में मिलता है। महाराजा अग्रसेन के वंशजों ने शताब्दियों तक आग्रेय गणराज्य पर शाशन किया। आग्रेय गणराज्य का दूसरा प्राचीन उल्लेख जैन ग्रंथ विदिशा वैभव में मिलता है। उसके अनुसार दूसरी शताब्दी में जैन श्रावक लोहाचार्य जी अग्रोहा आये और उनके उपदेशों से प्रभावित होकर अग्रोहा का तत्कालीन राजा "दिवाकर" और सवा लाख प्रजा जैन हो गयी थी। आज भी अग्रवालों की 14% जनसंख्या जैन है और ऐसे बहुत से अग्रवाल परिवार हैं जो जैन और सनातन दोनों धर्मों में मानते हैं।
आग्रेय गणराज्य का उल्लेख मालिक मोहम्मद जायसी कृत पद्मावत, ग्रीक इतिहासकार मेगस्थनीज कृत अलेक्जांडर इन्वेशन ऑफ इंडिया राहुल सांस्कृत्यायन कृत जय यौद्धेय, सारबान का शिलालेख आदि जगह पर भी मिलता है।
आग्रेय का अंतिम उल्लेख जियाउद्दीन बरनी द्वारा किया गया जिसमें उसने लिखा कि फ़िरोज़शाह तुगलक द्वारा किया गया। इतिहासकारों के अनुसार फ़िरोज़ शाह तुग़लक़ ने अग्रोहा का विनाश कर उसके ध्वंसावशेषों से हिसार के फ़िरोजा का निर्माण किया। इस तरह अनेकों प्रमाणों से सिद्ध होता है कि अग्रवालों का निकास हरयाणा के अग्रोहा से ही हुआ है।
महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन के अनुसार महाराज अग्रसेन के वीर वंशजो को अग्र या यौधेय भी कहा जाता था जिन्होंने वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों से ढाल बनकर भारत भूमि की रक्षा की। लगातार विदेशी आक्रमणकारियों को झेलने के बाद अंततः आग्रेय गणराज्य का भी नाश हुआ लेकिन वो महाराज अग्रसेन की सभ्यता का नाश नहीं कर पाए।
जायसी कृत पद्मावत में खिलजी के मेवाड़ पर आक्रमण करने पर अग्रवालों का मेवाड़ की तरफ से लड़ना इतिहास में दर्ज है। 1857 के युद्ध में हुकुमचंद जैन/लाला झनकुमल सिंघल/रामजीदास गुड़वाला से लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तक जमनालाल बजाज/लाला लाजपत राय तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रवालों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। रामजन्मभूमि आंदोलन हो, हिंदुओं के सबसे बड़ी धार्मिक प्रेस "गीताप्रेस गोरखपुर" की स्थापना हो, गौरक्षा के लिए डालमिया जी और लाला हरदेव सहाय का बलिदान हो हिंदुत्व के हर मुद्दे पर अग्रवालों ने आगे बढ़कर समाज का नेतृत्व किया।
एक रोचक तथ्य ये भी है कि सभी अग्रवाल हरयाणा से ही निकले जिन्होंने सिंघानिया, डालमिया, बजाज, मित्तल, जिंदल, गोयनका आदि व्यापारिक घराने स्थापित किये जो आज भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ हैं और उन्हें मारवाड़ी भी कहा जाता है।
साभार - प्रखर अग्रवाल
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