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Monday, August 22, 2022

THE GREAT VAISHYA COMMUNITY - वैश्य कुल में उनकी दोनों पराशक्तियों का अवतार

THE GREAT VAISHYA COMMUNITY - वैश्य कुल में उनकी दोनों पराशक्तियों का अवतार

एक बार मेरे एक वैश्य मित्र ने कहा था वैश्य कुल में तो भगवान का कोई अवतार ही नहीं हुआ... मैंने कहा जब भगवान ने अपना पूर्णावतार लिया था तब वैश्य कुल में उनकी दोनों पराशक्तियों का अवतार हुआ था..


एक श्रीअवतार राधिका... जिनके नाम पर पूरा वृन्दावन बल्कि पूरा विश्व राधा राधा करता है... जो स्वयं कृष्ण की अराधिका हैं... जो हमेशा परात्पर विष्णु के हृदय में विराजमान हैं... जो भगवान कृष्ण की मूलप्रकृति हैं.. जो वैकुंठं, गोलोक और पराव्योम कि स्वामिनी हैं.. वही वृषभानु वैश्य के घर किशोरी रूप में प्रगटी थीं...

योगेनात्मा सृष्टिविधौ द्विधारुपो बभूव सः।
पुमांश्च दक्षिणार्द्धाङ्गो वामाङ्ग प्रकृतिः स्मृतः।।
(ब्रह्मवैवर्त, प्रकृति खण्ड, अध्याय १२ श्लोक ९)

#अर्थ- परमात्मा श्रीकृष्ण सृष्टि रचना के समय दो रुपवाले हो गये। दाहिना आधा अङ्ग पुरुष और बाँया अङ्ग प्रकृति रुपा स्त्री हुई।

वृषभानोश्च वैश्यस्य सा च कन्या बभूव ह।
अयोनिसम्भवा देवी वायुगर्भा कलावती।।

#अर्थ- ब्रजभूमि मे अवतार लेने पर वह राधा वृषभानु वैश्य की कन्या हुई। वृषभानु की स्त्री कलावती वायुगर्भा(जिसके गर्भ मे केवल वायु मात्र थी) थी, उसने वायु प्रसव किया। प्रसव होते ही श्री राधा देवी अयोनिजा (गर्भ से उत्पन्न न होनेवाली) प्रकट हो गयीं..

इसी तरह भगवान की दूसरी पराशक्ति योगमाया उनकी अनुजा के रूप में प्रगट हुईं.... नंदलाल वैश्य के वहाँ प्रगट हुईं... जो यदुकुल की कुलदेवी हैं और माता विंध्यवासिनी के रूप में पूजनीय हैं.. भगवान श्री कृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता में कहते हैं.. -

अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन् |
प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया || 6||

मैं अजन्मा और अविनाशीस्वरूप होते हुए भी तथा सम्पूर्ण प्राणियोंका ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ।

॥ श्रीमात्रे नमः ॥

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