बनिया समुदाय आपकी नजरों में कौन है
बनिया समुदाय आपकी नजरों में कौन है मैं यह नहीं पूछूंगा लेकिन व्यापार और "सफल व्यापारी" पर ही 'सिर्फ' लिखना पसंद करूंगा।
व्यापार जगत में सफलता प्राप्त करने मूल मंत्र होता है — ग्राहक समाज में अपना एक विशेष स्थान सुदृढ़ करना।
एक किस्सा है, एक शहर में एक (किराना) व्यापारी है, भाव तय/निश्चित, तौल/नाप स्पष्ट (बेशी हो सकती है लेकिन कमी कभी नहीं), माल की गुणवत्ता साफ और उत्तम (चाहे खुल्ला हो या कम्पनी पैक्ड)।
एक ग्राहक को जैसी विश्वसनीय दुकान चाहिए होती है अगर प्राप्त हो तो दुकानदार सफल व्यापारी कहलाता है लेकिन हकीकत में हर दुकानदार को भी ऐसी ही ग्राहक संख्या चाहिए होती है जो उसकी दुकान पर भरोसा रखें।
भरोसा ऐसे ही नहीं बनता ताली भी तो दोनों हाथों से बजती है यह दुकानदार न सिर्फ स्वच्छ व्यवसाय करता है बल्कि साथ में ही हर ग्राहक के सुख दुख में भी आवश्यकतानुसार सहयोग किया करता है — जैसे कि यदि किसी नियमित ग्राहक ने समय पर उधारी नहीं चुकाई, कारण ज्ञात हुआ कि किसी (विशेष) कारण वश पैसे की तंगी है, कोई गमी हो गई है आदि आदि समकक्ष‥ और यदि वह ग्राहक शरमाशर्मी में कुछ अत्यावश्यक चीजें (मासिक खपत पर कंट्रोल करते हुए) ही यदि खरीदता है तो यह दुकानदार उसे दिलासा दिया करता है कि जो माल जितना चाहिए ले सकता है पैसे कहीं नहीं जाने वाले कल नहीं तो परसों आ ही जाएंगे बच्चों (ग्राहक के समस्त पारिवारिक सदस्यों का सम्मिश्रित एकल शब्द) का पेट काटने की क्या आवश्यकता है (यहां पेट काटने से तात्पर्य आधा खाना खाना/खिलाना से है)।
यह गुणवत्तायुक्त माल सहित ग्राहक से सौम्य संबंध भी व्यापार को व्यापक और व्यापारी को सफलता प्रदान करता है।
हकीकत में हर व्यापारी सफल व्यापारी हो सकता है शर्त यह है कि (व्यापारी में) संयमित सर्वोचित व्यवहार, (व्यवसाय स्थल पर) गुणवत्तायुक्त स्कंध, उचित भाव होना चाहिए है।
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