MARWADI IS A BRAND - अमेरिकी पासपोर्ट की तरह मारवाड़ी भी एक मार्का है
अमेरिकी पासपोर्ट की तरह मारवाड़ी भी एक मार्का है - जिस प्रकार पूरी दुनिया में लोग अमेरिकी पासपोर्ट लेना चाहते है उसी प्रकार प्रत्येक राजस्थानी व्यापारी मारवाड़ी के नाम से जाना जाता है । क्या आप जानते पूरे विश्व में जितने भी राजस्थानी व्यापारी है वे मारवाड़ी के नाम से ही अपनी पहचान रखते हैं। चुरु शेखावटी मेवाड़ी हाड़ोती ढूँढाड़ी के सभी उधोग धराने भी मारवाड़ी ही कहे जाते है । उन्हें ये पहचान मारवाड़ी के कारण ही मिली थी । मारवाड़ी एक ब्राण्ड है जो अपनी एक अलग छवि रखता है । भारत ओर विश्व के कुछ उधोग घराने जो मारवाड़ी होने पर गर्व करते है चाहे वे राजस्थान में कही से भी क्यों ना हो यही मारवाड़ी पासपोर्ट है । फ़ोर्ब्स ने सौ विश्व के शक्तिशाली भारतीय उधयोगपतियो की सूची जारी की है जिसमें उन्हें मारवाड़ी लिखा है अब आप क्या कहेंगे ये मारवाड़ी पासपोर्ट का कमाल नहीं तो ओर क्या है । यहाँ तक कि हरयाणा के अग्रवाल घरानों को भी इस लिस्ट में मारवाड़ी ही लिखा गया है।
बजाज ,डालमिया, रुइया, जिंदल, अग्रवाल , गोयनका, खैतान ,बिडला , पोद्दार , बांगड़, रामपुरिया ,झुनझनुवाला, जैपुरिया, मित्तल, सुराना, भण्डारी, सिंघल, कज़ारिया, जैन ,धुत , पिरामल, तापरिया, बांगड, ओसवाल,मुहनोत,सिंघानिया .....आदि
ये सभी व्यापारी शेखावटी चुरु बीकानेर मारवाड़ ओर राजस्थान के अन्य प्रदेशों से है लेकिन फिर भी मारवाड़ी है।
राजस्थान प्रदेश की मात्र भाषा राजस्थानी है तो पुरे राजस्थान की भाषा लेकिन वो मारवाड़ी ही कही जाती है । चाहे मेवाड़ी हाड़ोती ढूँढाड़ी या फिर शेखावटी हो सभी की बोली को आम बोल चाल में मारवाड़ी हीं कहा जाता है ।इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वो है राजस्थान के अधिकांश भाग का मरू प्रदेश होना । मरू जांगल मरू माड आदि ।
आज बड़े दुर्भाग्य की बात है जिस मारवाड़ी भाषा खान पान परिवेश मारवाड़ी व्यापारियों ने दुनियाभर में रहकर क़ायम रखा हैं वह इसी भाषा का कमाल है लेकिन देश की सत्ता में बैठे लोगों को राजस्थान की ज़बान को सवेंधानिक मान्यता देने में कोई रुचि नहीं ।क्यों दस करोड़ से अधिक बोली जाने वाली ये ज़बान ख़ामोश हैं अब समय आ गया सभी मारवाड़ी व्यापारियों को एक स्वर में मारवाड़ी पासपोर्ट की ताक़त दिखाने का, अब इस ज़बान के रखवाले आप ही बन सकते है ।
इस शब्द की बड़ी महिमा है । मरू अथार्थ वह स्थान जहाँ प्यास से लोग मर जाते है अंग्रेज़ी विद्वान जेम्स टॉड ने “The land of Death “ कहा है । जो इस रेगिस्तान में जीवन जिना सिख गए उन्होंने दुनिया को अपने क़दमों में रख दिया यही इस मारवाड़ी शब्द की महिमा है । मारवाड़ी व्यापारी एक लोटा ओर धोती पहन कर घर से निकलता था ओर जहाँ भी जाता वहाँ वह अपनी बुद्धिमत्ता ओर मारवाड़ी नाम से ही लखपति खरबपति बन जाता था । बंगाल के पहले नगर सेठ का ख़िताब भी मारवाड़ी के नाम ही दर्ज है जो अंग्रेज़ो को भी उधार पैसे दिया करते थे । बस यही काफ़ी है ............
जय राजस्थान जय राजस्थानी जय मारवाड़ जय मारवाड़ी .......
लेख साभार - डॉ महेंद्र सिंह तंवर
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